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जून माह की यूनिप्रतियोगिता मे भाग लें


इंटरनेट पर कविता के प्रोत्साहन की अपनी मासिक परंपरा को बरकरार रखते हुए हम जून 2011 के लिये यूनिकवि और यूनिपाठक प्रतियोगिता के लिये सभी प्रतिभागियों से प्रविष्टियाँ आमंत्रित करते हैं। प्रतियोगिता का यह चौवनवाँ आयोजन है।



जून 2011 का यूनिकवि बनने के लिए-

1) अपनी कोई मौलिक तथा अप्रकाशित कविता 17 जून 2011 की मध्यरात्रि तक hindyugm@gmail.com पर भेजें।

(महत्वपूर्ण- मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं के अतिरिक्त गूगल, याहू समूहों में प्रकाशित रचनाएँ, ऑरकुट की विभिन्न कम्न्यूटियों में प्रकाशित रचनाएँ, निजी या सामूहिक ब्लॉगों पर प्रकाशित रचनाएँ भी प्रकाशित रचनाओं की श्रेणी में आती हैं।)

2) कोशिश कीजिए कि आपकी रचना यूनिकोड में टंकित हो। यदि आप यूनिकोड-टाइपिंग में नये हैं तो आप हमारे निःशुल्क यूनिप्रशिक्षण का लाभ ले सकते हैं।

3) परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, इतना होने पर भी आप यूनिकोड-टंकण नहीं समझ पा रहे हैं तो अपनी रचना को रोमन-हिन्दी ( अंग्रेजी या इंग्लिश की लिपि या स्क्रिप्ट 'रोमन' है, और जब हिन्दी के अक्षर रोमन में लिखे जाते हैं तो उन्हें रोमन-हिन्दी की संज्ञा दी जाती है) में लिखकर या अपनी डायरी के रचना-पृष्ठों को स्कैन करके हमें भेज दें। यूनिकवि बनने पर हिन्दी-टंकण सिखाने की जिम्मेदारी हमारे टीम की। आप किसी अन्य फॉन्ट में भी अपनी कविता टंकित करके भेज सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि रचना word, wordpad या पेजमेकर में हो, पीडीएफ फाइल न भेजें, साथ में इस्तेमाल किये गये फॉन्ट को भी ज़रूर भेजें।

4) एक माह में एक कवि केवल एक ही प्रविष्टि भेजे।



यूनिपाठक बनने के लिए

चूँकि हमारा सारा प्रयास इंटरनेट पर हिन्दी लिखने-पढ़ने को बढ़ावा देना है, इसलिए पाठकों से हम यूनिकोड (हिन्दी टायपिंग) में टंकित टिप्पणियों की अपेक्षा रखते हैं। टाइपिंग संबंधी सभी मदद यहाँ हैं।

1) 1 जून 2011 से 30 जून 2011 के बीच की हिन्द-युग्म पर प्रकाशित अधिकाधिक प्रविष्टियों पर हिन्दी में टिप्पणी (कमेंट) करें।

2) टिप्पणियों से पठनीयता परिलक्षित हो।

3) हमेशा कमेंट (टिप्पणी) करते वक़्त एक समान नाम या यूज़रनेम का प्रयोग करें।

4) हिन्द-युग्म पर टिप्पणी कैसे की जाय, इस पर सम्पूर्ण ट्यूटोरियल यहाँ उपलब्ध है।


कवियों और पाठकों को निम्न प्रकार से पुरस्कृत और सम्मानित किया जायेगा-

1) यूनिकवि को हिन्द-युग्म द्वारा हिन्द-युग्म के वार्षिकोत्सव में यूनिकवि सम्मान

2) यूनिपाठक को हिन्द-युग्म की ओर से पुस्तकें और प्रशस्ति-पत्र।

3) दूसरे से दसवें स्थान के कवियों को तथा दूसरे से चौथे स्थान के पाठकों को हिन्द-युग्म की ओर से गृह प्रकाशन की किसी एक पुस्तक की 1-1 प्रति

कवि-लेखक प्रतिभागियों से भी निवेदन है कि वो समय निकालकर यदा-कदा या सदैव हिन्द-युग्म पर आयें और सक्रिय लेखकों की प्रविष्टियों को पढ़कर उन्हें सलाह दें, रास्ता दिखायें और प्रोत्साहित करें।

प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले सभी 'नियमों और शर्तों' को पढ़ लें।

विशेष: हमारे जिन इच्छुक प्रतिभागियों ने अपनी प्रविष्टियाँ हिंद-युग्म के धूमिल सम्मान के लिये अभी तक नही भेजी हैं, उन्हे हम बता दें कि प्रतियोगिता मे भाग लेने की अंतिम तिथि 15 जून है। हमारे नये पाठक नियम और शर्तों के लिये प्रतियोगिता की विज्ञप्ति यहाँ पर देख सकते हैं।

अप्रैल 2011 की यूनिकवि प्रतियोगिता के परिणाम



 
     अप्रैल 2011 की युनिकवि प्रतियोगिता के परिणाम आ गये हैं, जिन्हे ले कर हम आपके समक्ष उपस्थित हैं। पिछले कुछ माहों मे निर्णय आने मे होने वाले विलम्ब की वजह से परिणाम प्रकाशित करने की अवधि मे थोड़ा व्यतिक्रम होता गया है, जिसे हम दुरुस्त करने की कोशिश कर रहे हैं। अप्रैल माह के आयोजन के द्वारा प्रतियोगिता ने अपने बावन महीनों का पड़ाव पार कर लिया है। प्रतिभागियों का जोश और पाठकों का नियमित प्रोत्साहन इस प्रतियोगिता की महत्वपूर्ण उपलब्धि रही है।

     अप्रैल माह की प्रतियोगिता के लिये हमारे पास कुल 38 जायज प्रविष्टियाँ आयीं, जिनको दो चरणों मे परखा गया। पहले चरण मे चार निर्णायक तय किये गये, इन निर्णायकों द्वारा दिये गये अंकों के आधार पर 21 कविताओं को दूसरे यानी अंतिम चरण के निर्णय के लिए भेजा गया। अंतिम चरण में 2 निर्णयक थे, जिनके द्वारा दिये गये अंकों और पुराने औसत अंकों के औसत के आधार पर कविताओं का अंतिम वरीयता क्रम निर्धारित किया गया। हालाँकि इस बार निर्णायकों को यह भी लगा कि कविताओं का सामूहिक स्तर पिछले माहों की तुलना मे कुछ कमतर रहा है। इसलिये हमने शीर्ष की सिर्फ़ सात कविताओं को प्रकाशित करने का निर्णय किया है। कविता अपने मन के भावों को अभिव्यक्त करने के माध्यम के अलावा शब्दों के हथौड़े से सामाजिक-सांस्कृतिक-वैचारिक जड़ता की दीवारों को तोड़ने और हमारी सोच की हदों को और विस्तृत करने का औजार भी होती है। एक अच्छी कविता कहलाये जाने के लिये उसमे कथ्य/शिल्प स्तर पर मौलिकता का समावेश होना जरूरी शर्त होता है। जो कविताएँ प्रचिलित लीक को चुनौती दे कर मौलिकता की इस कसौटी पर खरी उतरती हुई अपने समय के सच को शब्दों की रोशनी मे लाने की हिम्मत करती हैं, वही कविताएं कालातीत हो पाती हैं और अपने वक्त का दस्तावेज बन जाती हैं। आशा है कि हमारे उत्साही प्रतिभागी हर बार अपनी अभिव्यक्ति की सीमाओं को चुनौती देते हुए हर रचना के संग परिपक्वता के नये मुकाम पार करते रहेंगे। शीर्ष की तीनों कविताओं के बीच इस बार ज्यादा फ़र्क नही रहा है मगर सारे निर्णायकों की पसंद के आधार पर पंकज रामेंदु अप्रैल माह के लिये हिंद-युग्म के यूनिकवि घोषित हुए हैं।

युनिकवि: पंकज रामेंदु 


  पंकज रामेंदु का जुड़ाव हिंद-युग्म से काफ़ी पुराना रहा हैं मगर इधर एक लंबे अंतराल के बाद उनकी हिंद-युग्म पर वापसी हुई है। उनकी पिछली कविता 2008 मे हिंद-युग्म पर प्रकाशित हुई थी। हमारे पुराने पाठक संभवतः उनसे परिचित होंगे मगर नये पाठकों के लिये हम एक बार पुनः उनका परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं।

पंकज का जन्म मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 29 मई 1980 को हुआ। इनको पढ़ने का शौक बचपन से है, इनके पिताजी भी कवि हैं, इसलिए साहित्यिक गतिविधयों को इनके घर में अहमियत मिलती है। लिखने का शौक स्नातक की कक्षा में आनेपर लगा या यूँ कहिए की इन्हें आभास हुआ कि ये लिख भी सकते हैं। माइक्रोबॉयलजी में परास्नातक करने के बाद एक बहुराष्ट्रीय कंपनी मे कुछ दिनों तक काम किया, लेकिन लेखक मन वहाँ नहीं ठहरा, तो नौकरी छोड़ी और पत्रकारिता में स्नात्तकोत्तर करने के लिए माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय जा पहुँचे। डिग्री के दौरान ही ई टीवी न्यूज़ में रहे। एक साल बाद दिल्ली पहुँचे और यहाँ जनमत न्यूज़ चैनल में स्क्रिप्ट लेखक की हैसियत से काम करने लगे। वर्तमान में स्क्रिप्ट लेखक हैं और लघु फ़िल्में, डाक्यूमेंट्री तथा अन्य कार्यक्रमों के लिए स्क्रिप्ट लिखते हैं। कई लेख जनसत्ता, हंस, दैनिक भास्कर और भोपाल के अखबारों में प्रकाशित।

     पंकज की प्रस्तुत कविता जो इस बार की यूनिकविता चयनित हुई है, साहित्य के एक बेहद महत्वपूर्ण मगर उपेक्षित नाम भुवनेश्वर को याद करने के बहाने वर्तमान हिंदी साहित्य के परिदृश्य पर गहरा कटाक्ष करती है। हम अपने पाठकों को बताते चलें कि भुवनेश्वर का जन्म 1910 मे शाहजहाँपुर (उ प्र) मे हुआ था। अपने कुछ नाटकों और कहानियों के बल पर परिपक्वता के मामले मे वो अपने समय के साहित्य से कहीं आगे निकल गये थे। उनकी सबसे प्रसिद्ध कहानी ’भेड़िये’ हंस मे सर्वप्रथम 1938 मे प्रकाशित हुई थी, जिसे कई आलोचक हिंदी की पहली आधुनिक कहानी मानते हैं। मगर अपने बेहद स्वाभिमानी और तल्ख स्वभाव के चलते वो तत्कालीन साहित्य के राजपथ से निर्वासित और समकालीन साहित्यकारों मे सर्वथा उपेक्षित ही रहे। उनकी मृत्यु 1955 मे गहरी गुमनामी और फ़ाकाकशी के दौर मे हुई। गत 2010 भुवनेश्वर की जन्मशती का वर्ष था।

युनिकविता: पीड़ा (भुवनेश्वर के बहाने) 

वो लिखता था,
लिखता क्या था आतंक,
आंतक उनके लिए
जो मान बैठे थे खुद को खुदा,
शब्दों का ब्रह्मा,
जो ये मानते थे कि वो जानते हैं,
जो ये मानते थे कोई नहीं जानता,
जो ये मानते थे जानना भी उन्हे आता है,
जो ये मानते थे कलम उनके बाप की है,
जो ये मानते थे लिखना उन्हें आता है,
वे आतंकित हो गये थे,
नये शब्दों के चयन से
एक असुरक्षा घिर गई थी उनके मन में
उसकी लेखनी में आम सा कुछ था,
कुछ साधारण सा लगने वाला
जिसे हर कोई समझ जाता था
जो हर एक की बात थी,
उसमें कुछ आधुनिकता थी
कुछ ऐसा जो अब तक नहीं लिखा गया था
या जिसे लिखने की हिम्मत नहीं जुटा सका था कोई।
वो भय बन गया था अचानक
उसे सब समझते थे जिसे हम आम कहते हैं
औऱ जिसे नासमझ भी कहा जाता है
वो उनकी बोली उनकी भाषा की बात थी
उसने वो बात भी कही या लिखी
जो शायद उस दौर की सोच में नही थी।
बस आलोचनाओं के कीड़े
धीरे धीरे कुतरने लग गये उसे,
बुद्धिजीवियों के पिरान्हा रूपी समूह ने
साहित्यिक मांस को नोच डाला था
शब्दों के गोश्त को चबा-चबा कर
सब कुछ पचा गये
और सुबह की जुगाली में
दांत में फंसे हुए गोश्त के टुकड़े को
किसी पैनी चीज़ से कुरेद कर निकाल फेंका था,
वो टुकड़ा जो किसी कहानी, किसी कविता का हिस्सा था
हवा में विलीन हो गया,
सुना है वो जो आतंक था
वो सर्दी के आतंक से ठिठुर गया था।
आजकल साहित्य का मांस नोचने वाले
जिनके पुरखों ने उसके गोश्त का मज़ा चखा था
उसके शब्दों के मांस का फिर लुत्फ उठा रहे हैं,
उसके मरने पर अफसोस जता रहे हैं
उसकी याद में गोष्ठी पर गोष्ठी सजा रहे हैं,
जिसमें कहानी के किसी टुकड़े को
एकांकी के किसी कतरे को
कविता के किसी पल को याद किया जा रहा है
और उसे भी, जो कभी आतंक था
उसे भुनाया जा रहा है
कैसा अजीब है ये रवैया
तिल तिल कर मरना,
फिर एक दिन चुपचाप खामोश हो जाना,
कितना मुश्किल है
दुनिया में अमर हो पाना ।
___________________________________________
पुरस्कार और सम्मान: हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें तथा प्रशस्तिपत्र। प्रशस्ति-पत्र वार्षिक समारोह में प्रतिष्ठित साहित्यकारों की उपस्थिति मे प्रदान किया जायेगा। समयांतर में कविता प्रकाशित होने की सम्भावना।

  इसके अतिरिक्त अप्रैल माह की शीर्ष की जिन छ: कविताओं का हम प्रकाशन करेंगे, उनके रचनाकारों का क्रम निम्नवत है-

नरेंद्र कुमार तोमर
चैन सिंह शेखावत
धर्मेंद्र कुमार सिंह
रोहित रुसिया
शामिख फ़राज़
निशीथ द्विवेदी

उपर्युक्त सभी कवियों से अनुरोध है कि कृपया वे अपनी रचनाएँ  7 जून 2011 तक अन्यत्र न तो प्रकाशित करें और न ही करवायें।

     हम उन कवियों का भी धन्यवाद करना चाहेंगे, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लेकर इसे सफल बनाया। और यह गुजारिश भी करेंगे कि परिणामों को सकारात्मक लेते हुए प्रतियोगिता में बारम्बार भाग लें। प्रतियोगिता मे भाग लेने वाले शेष कवियों के नाम निम्नांकित हैं (शीर्ष 21 के अन्य प्रतिभागियों के नाम अलग रंग से लिखित हैं)

राकेश जाज्वल्य
विशाल बाग
संगीता सेठी
आलोक उपाध्याय
शोभा रस्तोगी
सुरेंद्र अग्निहोत्री
सनी कुमार
निशा त्रिपाठी
रेणु दीपक
अनंत आलोक
गौरव कुमार ’विकल’
दीपक वर्मा
अरविंद कुमार पुरोहित
विजय विगमल
शील निगम
कमल जोशी पथिक
सीमा स्मृति मलहोत्रा
गंगेश ठाकुर
प्रवीण कुमार
यानुचार्या मौर्य यानु
मेयनुर खत्री
जोमयिर जिनि
वंदना सिंह
अनिल चड्डा
स्नेह सोनकर पीयुष
बलराम मीना दाऊ
दीपक कुमार
डॉ गौरव गर्ग
अनुपम चौबे
विभोर गुप्ता
एकनाथ उत्तम तेलतुंबडे

विशेष:  इस बार किसी पाठक को यूनिपाठक सम्मान हेतु योग्य नही पाया गया है। हमारा अपने पाठकों से अनुरोध है कि अपनी रचनात्मक और निष्पक्ष प्रतिक्रियाओं से रचनाकारों का मार्गदर्शन करें।

मई 2011 की यूनिप्रतियोगिता के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित


हिन्द-युग्म मई 2011 की यूनिप्रतियोगिता के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित करता है। हिन्द-युग्म ने हाल ही में धूमिल सम्मान की विज्ञप्ति ज़ारी की है (अधिक जानकारी के लिए देखें)। धूमिल सम्मान भी प्रत्येक वर्ष दिये जाने की योजना है। यदि आप इस सम्मान के लिए अपनी प्रविष्टियाँ भेजना चाहते हैं तो पहले किसी भी माह की यूनिकवि प्रतियोगिता के शीर्ष 10 कवियों में स्थान बनाना होगा। इसलिए यूनिकवि सम्मान में भाग लेने से ना चूकें।


मई 2011 का यूनिकवि बनने के लिए-

1) अपनी कोई मौलिक तथा अप्रकाशित कविता 17 मई 2011 की मध्यरात्रि तक hindyugm@gmail.com पर भेजें।

(महत्वपूर्ण- मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं के अतिरिक्त गूगल, याहू समूहों में प्रकाशित रचनाएँ, ऑरकुट की विभिन्न कम्न्यूटियों में प्रकाशित रचनाएँ, निजी या सामूहिक ब्लॉगों पर प्रकाशित रचनाएँ भी प्रकाशित रचनाओं की श्रेणी में आती हैं।)

2) कोशिश कीजिए कि आपकी रचना यूनिकोड में टंकित हो। यदि आप यूनिकोड-टाइपिंग में नये हैं तो आप हमारे निःशुल्क यूनिप्रशिक्षण का लाभ ले सकते हैं।

3) परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, इतना होने पर भी आप यूनिकोड-टंकण नहीं समझ पा रहे हैं तो अपनी रचना को रोमन-हिन्दी ( अंग्रेजी या इंग्लिश की लिपि या स्क्रिप्ट 'रोमन' है, और जब हिन्दी के अक्षर रोमन में लिखे जाते हैं तो उन्हें रोमन-हिन्दी की संज्ञा दी जाती है) में लिखकर या अपनी डायरी के रचना-पृष्ठों को स्कैन करके हमें भेज दें। यूनिकवि बनने पर हिन्दी-टंकण सिखाने की जिम्मेदारी हमारे टीम की। आप किसी अन्य फॉन्ट में भी अपनी कविता टंकित करके भेज सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि रचना word, wordpad या पेजमेकर में हो, पीडीएफ फाइल न भेजें, साथ में इस्तेमाल किये गये फॉन्ट को भी ज़रूर भेजें।

4) एक माह में एक कवि केवल एक ही प्रविष्टि भेजे।



यूनिपाठक बनने के लिए

चूँकि हमारा सारा प्रयास इंटरनेट पर हिन्दी लिखने-पढ़ने को बढ़ावा देना है, इसलिए पाठकों से हम यूनिकोड (हिन्दी टायपिंग) में टंकित टिप्पणियों की अपेक्षा रखते हैं। टाइपिंग संबंधी सभी मदद यहाँ हैं।

1) 1 मई 2011 से 31 मई 2011 के बीच की हिन्द-युग्म पर प्रकाशित अधिकाधिक प्रविष्टियों पर हिन्दी में टिप्पणी (कमेंट) करें।

2) टिप्पणियों से पठनीयता परिलक्षित हो।

3) हमेशा कमेंट (टिप्पणी) करते वक़्त एक समान नाम या यूज़रनेम का प्रयोग करें।

4) हिन्द-युग्म पर टिप्पणी कैसे की जाय, इस पर सम्पूर्ण ट्यूटोरियल यहाँ उपलब्ध है।


कवियों और पाठकों को निम्न प्रकार से पुरस्कृत और सम्मानित किया जायेगा-


1) यूनिकवि को हिन्द-युग्म द्वारा हिन्द-युग्म के वार्षिकोत्सव में यूनिकवि सम्मान

2) यूनिपाठक को हिन्द-युग्म की ओर से पुस्तकें और प्रशस्ति-पत्र।

3) दूसरे से दसवें स्थान के कवियों को तथा दूसरे से चौथे स्थान के पाठकों को हिन्द-युग्म की ओर से गृह प्रकाशन की किसी एक पुस्तक की 1-1 प्रति

कवि-लेखक प्रतिभागियों से भी निवेदन है कि वो समय निकालकर यदा-कदा या सदैव हिन्द-युग्म पर आयें और सक्रिय लेखकों की प्रविष्टियों को पढ़कर उन्हें सलाह दें, रास्ता दिखायें और प्रोत्साहित करें।

प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले सभी 'नियमों और शर्तों' को पढ़ लें।

मार्च माह की यूनिप्रतियोगिता के परिणाम




   मार्च माह की यूनिप्रतियोगिता के परिणाम ले कर हम उपस्थित हैं। हमारे निर्णायकों के अतिशय व्यस्तता के चलते परिणामों की घोषणा मे इस बार काफ़ी बिलम्ब हुआ जिसके लिये हम पाठकों और प्रतिभागियों से क्षमा माँगते हैं और उनके धैर्य के लिये हार्दिक आभारी हैं। मार्च माह 2011 की प्रतियोगिता हमारी मासिक यूनिकवि और यूनिपाठक प्रतियोगिता का 51वाँ संस्करण थी। इस बार प्रतियोगिता मे कुल 38 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमे कई नये नाम भी शामिल थे। सभी रचनाएं विगत माहों की तरह ही 2 चरणों मे आँकी गयीं। पहले चरण के तीन निर्णायकों के द्वारा दिये अंकों के आधार पर 18 रचनाओं को दूसरे चरण के लिये भेजा गया। दूसरे चरण मे दो निर्णायकों ने बची हुई कविताओं को परखा। इस बार कई अच्छी कविताओं के आने से निर्णायकों का काम आसान नही था और शीर्ष की कविताओं के बीच अंतर भी काफ़ी कम रहा। दोनों चरण के कुल अंकों के आधार पर कविताओं का वरीयता क्रम निर्धारित किया गया। मार्च 2011 की प्रतियोगिता के यूनिकवि बनने का श्रेय दर्पण साह को मिला है जिनकी कविता ’लोकतंत्र दरअसल’ को निर्णायकों ने यूनिकविता चुना है।

यूनिकवि: दर्पण साह

    23 सितम्बर 1981 को पिथौरागढ़(कुमायूँ), उत्तराँचल में जन्मे दर्पण शाह 'दर्शन' को साहित्य में रूचि अपने परिवार से विरासत में मिली। विज्ञान और होटल मैनेजमेंट के छात्र होते हुए भी ये हमेशा से ही साहित्य रसिक रहे। बचपन से ही इन्हें सीखने की लालसा को हमेशा एक विद्वान् कहलाने से ऊपर रखना सिखलाया गया। कहानी-लेखन के अतिरिक्त कविता-लेखन, ग़ज़ल-नज़्म लेखन इनकी मूल विधाओं में शामिल है। दर्शन मूलतः साहित्य के बने-बनाए ढर्रे पर चलने के बजाय प्रयोगधर्मी साहित्य के सृजन में यकीन रखते हैं। खाली समय में दिल को छू लेने वाला संगीत सुनना दर्शन जी का पसंदीदा शगल है। सम्प्रति एमेडियस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली में तकनीकी-सलाह प्रभारी दर्पण हिंद-युग्म के प्रकाशन ’संभावना डॉट कॉम’ का हिस्सा भी रह चुके हैं।
दूरभाष: 09899120246

यूनिकविता: लोकतंत्र दरअसल...

गुस्से की तलाश में
जब मैं निकलूंगा राजपथ,
बस वहाँ पर
बेरोजगार 'जन' के
कांपते हुए कंधे मिलेंगे मुझे
"कंधे जो कल तक झुक जायेंगे"
ये नहीं बताऊंगा मैं आपको !
(बोलने का अधिकार- लोकतंत्र के नाम पर / चुप रहने की आदत- देशभक्ति की खातिर)
अपेक्षाओं के भविष्य में
बहुत हद तक  संभव है कि
कल वो 'जन' इंडिया गेट के बीचों बीच खड़ा हो जाएगा,
फाड़ के उड़ा देगा अपने सर्टिफिकेट
अपने शरीर में मिट्टी-तेल छिड़क के जला लेगा अपने आप को;
या बस ४ दिन से लगातार इस्तेमाल किये गए
कुंद पड़े ब्लेड से
लोकतंत्र की कोई नस काटने की कोशिश करेगा।
या अगर ज़िहादी हुआ तो
बम भी फोड़ सकता है !
पर भाइयों-बहनों,
श्रोताओं-दर्शकों,
डरने की कोई बात नहीं.
क्यूंकि,
लोकतंत्र वास्तव में तसल्ली का ऐसा खुशफ़हमी षड़यंत्र है
जिसमें हर बच जाने वाले को
ये शुक्र है कि उन्हें कुछ नहीं हुआ
मरने तक !

क्रांति की तलाश में
जब में निकलूंगा मलाड,
एक भूखा, अलाव तापता
'गण' मिलेगा मुझको.
कल के 'मुम्बई मिरर' के पृष्ठ १० में
विज्ञापनों से खाली बची जगह के बीच
उस अनाम 'कोई' की
कभी न पढ़ी जाने वाली 'कोई एक और' खबर होगी.
ये नहीं जान पायेंगे आप.
क्यूंकि,
आपके व्यस्त कार्यक्रम में
सीढियां चढ़ना ज़्यादा ज़रूरी है
(वो सीढियां बन के ही आपके नीचे कुचल के मारा गया था)
(ये) जानना कम
और समझना बिल्कुल नहीं।
फिर भी एक उम्मीद से फ़िर जाऊँगा चर्च गेट
कि शायद कोई जुलुस
उसके सरोकारों की अगुआई कर रहा होगा।
जुलुस जिसमें
'कमल', 'हाथ' या 'हंसिया' के झंडे नहीं होंगे,
बस मशालें होंगी,
उस अलाव से ज़्यादा 'दीप्त'
बहरहाल,
उस खबर के सामने एक विज्ञापन पे तो ध्यान गया होगा न आपका?
'व्हेन डिड यू फील सिल्क लेटली ?'
सच बताइए
व्हेन डिड यू फील रिवोल्यूशन लेटली?
डिड यू एवर ?
आई डोन्ट थिंक सो,
क्यूंकि,
अफ़सोस कि लोकतंत्र में
उसी तरह अलग हैं मायने
भ्रष्टाचार और हत्या के
जैसे क्रांति और देशद्रोह के।

युवतम-राष्ट्र का 'विजयी-पौरुष-उत्साह' तलाशने जब मैं निकलूंगा लहुराबीर
समर्पण (हार नहीं) की ग्लानि-जनित लज्जा के कारण
'वी शैल ओवरकम' का 'सतरंगी-उम्मीदी-स्त्रैण-दुपट्टा' ओढ़े
सहमा 'मन' मिलेगा मुझे.
तथापि,
ग़ालिब से इत्तफाक रखने के बावजूद,
मैं मणिकर्णिका घाट रोज़ राख कुरेदने जाऊँगा,
कि शायद राख हुए उत्तेजना के स्थूल शरीर में,
आत्माभिमानी मन का कुछ बचा हिस्सा
पक्षपात के अनुभव का इँधन पाकर ही सही
जल उठे कभी।
किन्तु हाँ !
लोकतंत्र,
हर पाँच साल में बांटी जाने वाली
कच्ची शराब में प्रयुक्त ऐसी 'शर्करा' है
जिसका 'चुनाव-परिणाम'
किसी भी पंचवर्षीय योजना के
'वसा' से ज़्यादा 'इंस्टेंट' है !

लोकतंत्र दरअसल...
...२४ तीलियों वाला रैखिक-वृत्त है...
'फॉर दी' से शुरू होकर वाया 'बाय दी', 'टू दी' नामक गंतव्य तक पहुँचता हुआ...
...जन गण मन !

एक कथन जो प्रश्न भी है:
राष्ट्र के चौंसठ-साला इतिहास के विश्लेषण के बाद
सफल लोकतंत्र के ऊपर गर्वानुभूति तर्कसंगत है.

लोकतंत्र,
..."जो हुआ बेशक वो बुरा हुआ"
और,
"जो होगा वो यकीनन अच्छा ही होगा"
के बीच का ऐसा देशभक्त-सेतु है,
जिसका
'सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण' होने के कारण
चित्र खींचना मना है।
अस्तु,
विश्लेषण भी !
नहीं तो मैं आपको ज़रूर बताता कि...
क्रांतियों की अपेक्षा
लोकतंत्र (मैं इसे षड़यंत्र कहता) की सफलता का प्रतिशत
सदैव अधिक ही होना है भाई !
क्यूंकि 'लोकतंत्र' वस्तुतः
क्रांति की तरह
यू. पी. या बिहार बोर्ड का पढ़ा नहीं,
किसी 'ए-रेटेड' बी-स्कूल में एजुकेटेड है.

लोकतंत्र,
दरअसल ऐसा 'आशीर्वाद' है
जो कांग्रेसियों द्वारा
'राजशाही-की-गालियों' के 'पर्यायवाची'
और भाजपाईयों द्वारा,
'दिव्य-भगवा-श्राप' के 'समानार्थक'
प्रयुक्त होता आया है।

लोकतंत्र,
राष्ट्र-ध्वज का ऐसा नवीनतम-सामाजिक संस्करण है
जिसके सामयिक-साम्प्रदायिक रंगों में
'काफ़्का ऑन द शोर' सा अद्भुत शिल्प है.
'हिन्दू-भगवा' और 'मुस्लिम-हरा' सगे भाई हैं जहाँ...
...'बाप की जायजाद के बंटवारे' वास्ते !

लोकतंत्र,
'सूचना के अधिकार' के साथ
'पद और गोपनीयता की शपथ'
और ''किसान' के साथ
'भुखमरी' का
सर्वविदित-विरोधाभास है।

लोकतंत्र
जो चंद रोज़ पहले तक
विश्व बैंक और अमेरिका की कठपुतली थी !
अब अपना वास्तविक-आर्थिक-मूल्य जान लेने के बाद
माफ़ करना, पर
'स्विस-बैंक' और 'लाल फीताशाही' की 'पेज़ थ्री' रखैल है !

लोकतंत्र,
दरअसल,
काटे जा चुके
'स्वर्णिम अतीत के जंगल' से,
'योजनाओं के नियोजित उद्यान' तक वाले
राष्ट्रीय राजमार्ग में लगा
'कार्य प्रगति पर है'
का सूचना-पट्ट है!
_________________________________________________________
पुरस्कार और सम्मान: हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें तथा प्रशस्तिपत्र। प्रशस्ति-पत्र वार्षिक समारोह में प्रतिष्ठित साहित्यकारों की उपस्थिति मे प्रदान किया जायेगा। समयांतर में कविता प्रकाशित होने की सम्भावना।

    इसके अतिरिक्त मार्च माह के शीर्ष 10 के अन्य कवि जिनकी कविताएं हम यहाँ प्रकाशित करेंगे और जिन्हे हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें दी जायेगी, उनका क्रम निम्नवत है-

धर्मेंद्र कुमार सिंह
दीपक चौरसिया ’मशाल’
राकेश जाज्वल्य
संगीता सेठी
मुकेश कुमार तिवारी
अखिलेश श्रीवास्तव
अनिता निहलानी
मनोज गुप्ता ’मनु’
रितेश पांडेय

उपर्युक्त सभी कवियों से अनुरोध है कि कृपया वे अपनी रचनाएँ 18 मई 2011 तक अन्यत्र न तो प्रकाशित करें और न ही करवायें।

     हम उन कवियों का भी धन्यवाद करना चाहेंगे, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लेकर इसे सफल बनाया। और यह गुजारिश भी करेंगे कि परिणामों को सकारात्मक लेते हुए प्रतियोगिता में बारम्बार भाग लें। प्रतियोगिता मे भाग लेने वाले शेष कवियों के नाम निम्नांकित हैं (शीर्ष 18 के अन्य प्रतिभागियों के नाम अलग रंग से लिखित हैं)

सुवर्णा शेखर दीक्षित
कौशल किशोर
बृह्मनाथ त्रिपाठी
स्नेह सोनकर ’पीयुष’
कैलाश जोशी
नवीन चतुर्वेदी
डॉ अनिल चड्डा
निशा त्रिपाठी
शील निगम
प्रदीप वर्मा
मृत्युंजय साधक
सनी कुमार
केशवेंद्र कुमार
गंगेश कुमार ठाकुर
संदीप गौर
विवेक कुमार पाठक अंजान
मनोहर विजय
दीपाली मिश्रा
राजेश पंकज
सुरेंद्र अग्निहोत्री
सीमा स्मृति मलहोत्रा
आकर्षण गिरि
जोमयिर जिनि
आनंद राज आर्य
अभिषेक आर्य चौधरी
शशि आर्य
यानुचार्या मौर्य

यूनिपाठक सम्मान: मार्च माह की रचनाओं पर आयी टिप्पणियों गुणवत्ता के आधार पर डॉ अरुणा कपूर हमारी इस माह की यूनिपाठिका हैं। आशा है कि आगे भी उनकी गंभीर और रचनात्मक प्रतिक्रियाओं का लाभ हमारे कवियों को मिलता रहेगा। डॉ अरुणा को यूनिपाठिका के तौर पर हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें और प्रशस्तिपत्र दिया जायेगा।


प्रथम हिन्द-युग्म धूमिल सम्मान के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित


सुदाम पांडेय 'धूमिल'
धूमिल का जन्म वाराणसी के पास खेवली गांव में हुआ था| उनका मूल नाम सुदामा पांडेय था| धूमिल नाम से वे जीवन भर कवितायें लिखते रहे| सन् १९५८ मे आई टी आई (वाराणसी) से वेदयत डिप्लोमा लेकर वे वहीं विदयुत अनुदेशक बन गये| ३८ वर्ष की अल्पायु मे ही ब्रेन ट्यूमर से उनकी मृत्यु हो गई|
सन १९६० के बाद की हिंदी कविता में जिस मोहभंग की शुरूआत हुई थी, धूमिल उसकी अभिव्यक्ति करने वाले अंत्यत प्रभावशाली कवि है| उनकी कविता में परंपरा, सभ्यता, सुरुचि, शालीनता और भद्रता का विरोध है, क्योंकि इन सबकी आड् मे जो ह्र्दय पलता है, उसे धूमिल पहचानते हैं| कवि धूमिल यह भी जानते हैं कि व्यवस्था अपनी रक्षा के लिये इन सबका उपयोग करती है, इसलिये वे इन सबका विरोध करते हैं| इस विरोध के कारण उनकी कविता में एक प्रकार की आक्रामकता मिलती है| किंतु उससे उनकी उनकी कविता की प्रभावशीलता बढती है| धूमिल अकविता आन्दोलन के प्रमुक कवियों में से एक हैं| धूमिल अपनी कविता के माध्यम से एक ऐसी काव्य भाषा विकसित करते है जो नई कविता के दौर की काव्य- भाषा की रुमानियत, अतिशय कल्पनाशीलता और जटिल बिंबधर्मिता से मुक्त है। उनकी भाषा काव्य-सत्य को जीवन सत्य के अधिकाधिक निकट लाती है।
धूमिल के तीन काव्य-संग्रह प्रकाशित हैं – संसद से सड़क तक, कल सुनना मुझे और सुदामा पांडे का प्रजातंत्र। उन्हें मरणोपरांत १९७९ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
हिन्द-युग्म की यूनिकवि एवं यूनिपाठक प्रतियोगिता ने फरवरी 2011 में 50 महीने पूरे कर लिए हैं। किसी अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता का 50 बार से अबाध गति से चलना एक बड़ी उपलब्धि है, और हमने इस उपलब्धि को खास तरह से मनाने का निश्चय किया है। हिन्द-युग्म की इस प्रतियोगिता में लगभग हर आयु-वर्ग के हज़ारों कवियों और पाठकों ने भाग लिया है।

प्रतियोगिता के आयोजन के बिलकुल शुरूआत में इसका एकमात्र उद्देश्य कम्प्यूटर और इंटरनेट पर यूनिकोड (हिन्दी) के प्रयोग को प्रोत्साहित करना था। धीरे-धीरे जब इससे गंभीर और समकालीन लोग जुड़ने लगे, तो इसका रंग-रूप एक स्तरीय कविता प्रतियोगिता का हो गया। पिछले वर्ष से हिन्द-युग्म ने अपने यूनिकवियों को सामूहिक समारोह में सम्मानित करना शुरू किया, इससे इसकी गरिमा और भी अधिक मुखरित हुई।

निःसंदेह अब यह तो कहा ही जा सकता है कि यूनिकवि प्रतियोगिता ने बहुत से सम्भावनाशील कवियों की पहचान की और उनके लेखनकर्म को अपने सामर्थ्यानुसार प्रोत्साहित किया। लेकिन अपनी यूनियात्रा के 50वें पायदान पर आवश्यकता थोड़ा ठहरकर यह विचारने की है, कि हमने जिन रचनकारों में कभी सम्भावनाएँ देखी, वे अब कैसा लिख रहे हैं। हिन्दी-कविता में उनके समग्र योगदान को कितना आँका जा सकता है। मतलब यह समय पुनर्समीक्षा का है।

अतः 50वीं यूनिप्रतियोगिता को हम विशेष तरीके से मना रहे हैं। इसके माध्यम से हम कविता का एक नया सम्मान शुरू कर रहे हैं, जिसे हमने हिन्द-युग्म धूमिल सम्मान नाम दिया है।

इस प्रतियोगिता में कौन भाग ले सकेगा-

1) यूनिप्रतियोगिता के पहले से 49वें अंक तक वे शीर्ष 10 में चुने गये कवि। मतलब जिन कवियों की कविताओं को पहली से 49वीं युनिप्रतियोगिता के शीर्ष 10 कविताओं में कम से कम एक बार स्थान मिला हो।

शर्तेः-

1) प्रत्येक प्रतिभागी को अपनी श्रेष्ठतम 10 कविताएँ ईमेल करनी होगी। कोई कवि 10 से कम कविताएँ तो भेज सकता है, लेकिन 10 से अधिक कविताएँ नहीं भेज सकेगा। कवि स्वयं तय करे कि अब तक उसने कितनी अच्छी कविताएँ लिखी हैं।
2) कविता का अप्रकाशित होना अनिवार्य नहीं है।
3) कवि को अपनी कविताएँ ईमेल से ही भेजनी होगी। अपनी कविताएँ unikavita@hindyugm.com पर भेजें।
4) कविताएँ भेजने की अंतिम तिथि 30 जून 2011 है।
5) कविताओं के साथ अपना संक्षिप्त परिचय, चित्र, पता और फोन नं. इत्यादि भी भेजें।

चयन की विधिः

हमारे आकलन के अनुसार लगभग 200 कवियों द्वारा हमें 2000 कविताएँ प्राप्त होंगी। इन कविताओं का प्राथमिक आकलन हमारे निर्णायकों द्वारा किया जायेगा।

अंतिम चरण के निर्णायकों में कम से कम 200 कविताओं को देश के ख्यातिलब्ध कवियों/आलोचकों को शामिल किया जायेगा। अंतिम चरण के निर्णायकों के नाम जल्द ही तय कर लिये जायेंगे।

सम्मानः

1) किसी एक कवि को सर्वसम्मति से धूमिल सम्मान दिया जायेगा।

2) सम्मान स्वरूप प्रशस्ति-पत्र, सम्मान-प्रतीक और रु 11,000 की नगद राशि प्रदान की जायेगी।

3) इस सम्मानित होने वाले कवि के पास यदि एक कविता संग्रह के बराबर की स्तरीय कविताएँ होंगी तो उसका संकलन भी हिन्द-युग्म प्रकाशन से प्रकाशित होगा। यदि एक कवि की बजाय एक से अधिक कवियों की कविताओं में हमें अधिक स्तरीयता दिखती हैं तो एक सामूहिक कविता संकलन का प्रकाशन हिन्द-युग्म करेगा।

4) यह सम्मान अगस्त-सितम्बर 2011 में एक समारोह आयोजित करके प्रदान किया जायेगा। समारोह लखनऊ में आयोजित करने की योजना है।


अपीलः

सम्मान की राशि हिन्द-युग्म आपसी सहयोग से एकत्रित कर रहा है। यदि आप इस सम्मान को ज़ारी रखने में यकीन करते हैं तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग दें। अधिक जानकारी के लिए hindyugm@gmail.com या 9873734046 पर संपर्क करें।

महत्त्वपूर्णः

जो कवि अभी तक हिन्द-युग्म की यूनिकवि प्रतियोगिता में शीर्ष 10 में नहीं आ सके हैं, वे कृपया इसमें भाग लेते रहें, यदि वे शीर्ष 10 में स्थान बनाने में सफल हो पाते हैं तो अगले हिन्द-युग्म धूमिल सम्मान में भाग लेने के योग्य होंगे।

नोटः-
पहले यह सम्मान पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' के नाम से आयोजित करने की सूचना प्रकाशित की गई थी, लेकिन कविता के लिए यह पुरस्कार एक कहानीकार (कुछ छिटपुट कविताएँ भी लिखीं) के नाम पर दिया जाना ज्यादा श्रेयस्कर नहीं है। इसलिए हमलोगों ने उस सूचना को तुरंत प्रभाव से हटा लिया। ऐसे प्रतिभागी जिनके पास पुरानी सूचना है, उसे कृपया इस विज्ञप्ति से अपडेट कर लें।

धूमिल मात्र अनुभूति के नहीं, विचार के भी कवि हैं। उनके यहाँ अनुभूतिपरकता और विचारशीलता, इतिहास और समझ, एक-दूसरे से घुले-मिले हैं और उनकी कविता केवल भावात्मक स्तर पर नहीं बल्कि बौद्धिक स्तर पर भी सक्रिय होती है।

धूमिल ऐसे युवा कवि हैं जो उत्तरदायी ढंग से अपनी भाषा और फॉर्म को संयोजित करते हैं।

धूमिल की दायित्व भावना का एक और पक्ष उनका स्त्री की भयावह लेकिन समकालीन रूढ़ि से मुक्त रहना है। मसलन, स्त्री को लेकर लिखी गई उनकी कविता उस औरत की बगल में लेट कर में किसी तरह का आत्मप्रदर्शन, जो इस ढंग से युवा कविताओं की लगभग एकमात्र चारित्रिक विशेषता है, नहीं है बल्कि एक ठोस मानव स्थिति की जटिल गहराइयों में खोज और टटोल है जिसमें दिखाऊ आत्महीनता के बजाय अपनी ऐसी पहचान है जिसे आत्म-साक्षात्कार कहा जा सकता है।

उत्तरदायी होने के साथ धूमिल में गहरा आत्मविश्वास भी है जो रचनात्मक उत्तेजना और समझ के घुले-मिले रहने से आता है और जिसके रहते वे रचनात्मक सामग्री का स्फूर्त लेकिन सार्थक नियंत्रण कर पाते हैं।

यह आत्मविश्वास उन अछूते विषयों के चुनाव में भी प्रकट होता है जो धूमिल अपनी कविताओं के लिए चुनते हैं। मोचीराम, राजकमल चौधरी के लिए, अकाल-दर्शन, गाँव, प्रौढ़ शिक्षा आदि कविताएँ, जैसा कि शीर्षकों से भी आभास मिलता है, युवा कविता के संदर्भ में एकदम ताजा बल्कि कभी-कभी तो अप्रत्याशित भी लगती है। इन विषयों में धूमिल जो काव्य-संसार बसाते हैं वह हाशिए की दुनिया नहीं बीच की दुनिया है। यह दुनिया जीवित और पहचाने जा सकनेवाले समकालीन मानव-चरित्रों की दुनिया है जो अपने ठोस रूप-रंगों और अपने चारित्रिक मुहावरों में धूमिल के यहाँ उजागर होती है।

-अशोक वाजपेयी

प्रचार-प्रसार में मदद की अपील

हम अपने पाठकों से इस सम्मान की विज्ञप्ति को अपने ब्लॉग, वेबसाइट पर लगाने का निवेदन करते हैं। नीचे से कोड कॉपी करें-

बैनर-1

इस बैनर का कोडः


बैनर-2

इस बैनर का कोडः



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अप्रैल माह की यूनिप्रतियोगिता मे भाग लें



हिंद-युग्म की मासिक यूनिप्रतियोगिता के अप्रैल संस्करण की विज्ञप्ति आपके समक्ष है। यूनिकवि एवं यूनिपाठक प्रतियोगिता के 52वें आयोजन के लिये सभी प्रतिभागियों से प्रविष्टियाँ आमंत्रित हैं। प्रतियोगिता मे अब तक सभी प्रतिभागियों और पाठकों का निरंतर सहयोग और प्रोत्साहन के लिये हम सभी के आभारी हैं।

अप्रैल माह के यूनिकवि को हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें तथा प्रशस्तिपत्र भेंट किया जायेगा। यूनिकवि के पास अपनी कविता के ’समयांतर’ पत्रिका मे प्रकाशन का अवसर भी होगा। जबकि शीर्ष दस के अन्य कवियों को हिंद-युग्म प्रकाशन की ओर से पुस्तकें दी जायेंगी।  प्रतियोगिता द्वारा चयनित यूनिकवि को हिंद-युग्म के वार्षिकोत्सव मे विख्यात साहित्यकार के द्वारा सम्मानित भी किया जायेगा। प्रतियोगिता मे प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथि 18 अप्रैल है। प्रतियोगिता के परिणाम मई प्रथम सप्ताह मे अपेक्षित हैं।


अप्रैल 2011 का यूनिकवि बनने के लिए-

1) अपनी कोई मौलिक तथा अप्रकाशित कविता 18 अप्रैल 2011 की मध्यरात्रि तक hindyugm@gmail.com पर भेजें।

(महत्वपूर्ण- मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं के अतिरिक्त गूगल, याहू समूहों में प्रकाशित रचनाएँ, ऑरकुट की विभिन्न कम्यूनिटीज्‌ में प्रकाशित रचनाएँ, निजी या सामूहिक ब्लॉगों पर प्रकाशित रचनाएँ भी प्रकाशित रचनाओं की श्रेणी में आती हैं।)

2) कोशिश कीजिए कि आपकी रचना यूनिकोड में टंकित हो। यदि आप यूनिकोड-टाइपिंग में नये हैं तो आप हमारे निःशुल्क यूनिप्रशिक्षण का लाभ ले सकते हैं।

3) परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, इतना होने पर भी आप यूनिकोड-टंकण नहीं समझ पा रहे हैं तो अपनी रचना को रोमन-हिन्दी ( अंग्रेजी या इंग्लिश की लिपि या स्क्रिप्ट 'रोमन' है, और जब हिन्दी के अक्षर रोमन में लिखे जाते हैं तो उन्हें रोमन-हिन्दी की संज्ञा दी जाती है) में लिखकर या अपनी डायरी के रचना-पृष्ठों को स्कैन करके हमें भेज दें। यूनिकवि बनने पर हिन्दी-टंकण सिखाने की जिम्मेदारी हमारे टीम की। आप किसी अन्य फॉन्ट में भी अपनी कविता टंकित करके भेज सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि रचना word, wordpad या पेजमेकर में हो, पीडीएफ फाइल न भेजें, साथ में इस्तेमाल किये गये फॉन्ट को भी ज़रूर भेजें।

4) एक माह में एक कवि केवल एक ही प्रविष्टि भेजे।



यूनिपाठक बनने के लिए

चूँकि हमारा सारा प्रयास इंटरनेट पर हिन्दी लिखने-पढ़ने को बढ़ावा देना है, इसलिए पाठकों से हम यूनिकोड (हिन्दी टायपिंग) में टंकित टिप्पणियों की अपेक्षा रखते हैं। टाइपिंग संबंधी सभी मदद यहाँ हैं।

1) 1 अप्रैल 2011 से 30 अप्रैल 2011 के बीच की हिन्द-युग्म पर प्रकाशित अधिकाधिक प्रविष्टियों पर हिन्दी में टिप्पणी (कमेंट) करें।

2) टिप्पणियों से पठनीयता परिलक्षित हो।

3) हमेशा कमेंट (टिप्पणी) करते वक़्त एक समान नाम या यूज़रनेम का प्रयोग करें।

4) हिन्द-युग्म पर टिप्पणी कैसे की जाय, इस पर सम्पूर्ण ट्यूटोरियल यहाँ उपलब्ध है।


कवियों और पाठकों को निम्न प्रकार से पुरस्कृत और सम्मानित किया जायेगा-

1) यूनिकवि को हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें। हिन्द-युग्म की ओर से प्रशस्ति-पत्र। यूनिकवि को हिन्द-युग्म के वर्ष 2011 के वार्षिकोत्सव में प्रतिष्ठित साहित्यकारों के हाथों सम्मानित किया जायेगा।

2) यूनिपाठक को हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें और हिन्द-युग्म की ओर से प्रशस्ति-पत्र।

3) दूसरे से दसवें स्थान के कवियों हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें।

प्रतिभागियों से यह भी अनुरोध है कि पिछले महीनों मे भेजी गयी अपनी किसी प्रविष्टि को दोबारा प्रतियोगिता के लिये न भेजें। कवि-लेखक प्रतिभागियों से भी निवेदन है कि वो समय निकालकर यदा-कदा या सदैव हिन्द-युग्म पर आयें और सक्रिय लेखकों की प्रविष्टियों को पढ़कर उन्हें सलाह दें, रास्ता दिखायें और प्रोत्साहित करें।

प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले सभी 'नियमों और शर्तों' को पढ़ लें।

मार्च 2011 की यूनिप्रतियोगिता मे भाग लें



विगत वर्षों मे मासिक यूनिप्रतियोगिता का निर्बाध आयोजन हिंद-युग्म के लिये सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों मे से एक है। इसीलिये जनवरी माह मे प्रतियोगिता के 49 माहों का पड़ाव पार कर लेना हमारे लिये बेहद उत्साहजनक और भावनात्मक अवसर रहा। जैसा कि हमने पहले भी कहा था कि प्रतियोगिता के पचासवें संस्करण को हमने अलग और विशिष्ट तरीके से मनाने का निर्णय किया है। इसीलिये फ़रवरी माह की प्रतियोगिता के मासिक प्रारूप को स्थगित करते हुए हम इसे व्यापक और धमाकेदार तरीके से मनाना चाहते हैं। पचासवीं प्रतियोगिता की संशोधित विज्ञप्ति 1-2 दिनों के भीतर ही आपके समक्ष होगी और इसका फ़लक भी विस्तृत होगा। फ़िलहाल हम प्रतियोगिता के क्रम को बरकरार रखते हुए मार्च माह के मासिक प्रारूप मे चलते हैं जो हमारी प्रतियोगिता का इक्यावनवाँ संस्करण है। हम मार्च माह के संस्करण के यूनिकवि एवं यूनिपाठक सम्मान के लिये प्रविष्टियाँ आमंत्रित करते हैं। इस प्रतियोगिता के नियम व शर्तें आदि हमारी पिछली मासिक प्रतियोगिताओं से समान ही है। चूँकि प्रतियोगिता के अर्धशतक के अवसर को मनाने के मद्देनजर फ़रवरी माह मे आयोजित होने वाली प्रतियोगिता स्थगित की गयी है इसलिये फ़रवरी माह के लिये भेजी गयी कविताएं हम मार्च माह की प्रतियोगिता मे शामिल कर रहे हैं। अतः जिन प्रतिभागियों ने फ़रवरी माह मे अपनी प्रविष्टि भेजी है वे इस माह के लिये पुनः अपनी प्रविष्टि न भेजें, उनकी पिछली प्रविष्टि ही मान्य रहेंगी


मार्च माह के यूनिकवि को हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें तथा प्रशस्तिपत्र भेंट किया जायेगा। यूनिकवि के पास अपनी कविता के ’समयांतर’ पत्रिका मे प्रकाशन का अवसर भी होगा। जबकि शीर्ष दस के अन्य कवियों को हिंद-युग्म प्रकाशन की ओर से पुस्तकें दी जायेंगी।  प्रतियोगिता द्वारा चयनित यूनिकवि को हिंद-युग्म के वार्षिकोत्सव मे विख्यात साहित्यकार के द्वारा सम्मानित भी किया जायेगा। प्रतियोगिता की विज्ञप्ति के विलंब से आने की वजह से प्रविष्टियाँ भेजने की अंतिम तिथि भी बढ़ा कर 21 मार्च कर दी गयी है। प्रतियोगिता के परिणाम 10 अप्रैल तक अपेक्षित हैं।


मार्च 2011 का यूनिकवि बनने के लिए-

1) अपनी कोई मौलिक तथा अप्रकाशित कविता 21 मार्च 2011 की मध्यरात्रि तक hindyugm@gmail.com पर भेजें। यदि आप फ़रवरी माह मे अपनी प्रविष्टि भेज चुके हैं तो इस माह के लिये पुनः अपनी प्रविष्टि न भेजें, हम आपकी फ़रवरी माह की प्रविष्टि को ही इस प्रतियोगिता मे शामिल कर लेंगे।

(महत्वपूर्ण- मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं के अतिरिक्त गूगल, याहू समूहों में प्रकाशित रचनाएँ, ऑरकुट की विभिन्न कम्न्यूटियों में प्रकाशित रचनाएँ, निजी या सामूहिक ब्लॉगों पर प्रकाशित रचनाएँ भी प्रकाशित रचनाओं की श्रेणी में आती हैं।)

2) कोशिश कीजिए कि आपकी रचना यूनिकोड में टंकित हो। यदि आप यूनिकोड-टाइपिंग में नये हैं तो आप हमारे निःशुल्क यूनिप्रशिक्षण का लाभ ले सकते हैं।

3) परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, इतना होने पर भी आप यूनिकोड-टंकण नहीं समझ पा रहे हैं तो अपनी रचना को रोमन-हिन्दी ( अंग्रेजी या इंग्लिश की लिपि या स्क्रिप्ट 'रोमन' है, और जब हिन्दी के अक्षर रोमन में लिखे जाते हैं तो उन्हें रोमन-हिन्दी की संज्ञा दी जाती है) में लिखकर या अपनी डायरी के रचना-पृष्ठों को स्कैन करके हमें भेज दें। यूनिकवि बनने पर हिन्दी-टंकण सिखाने की जिम्मेदारी हमारे टीम की। आप किसी अन्य फॉन्ट में भी अपनी कविता टंकित करके भेज सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि रचना word, wordpad या पेजमेकर में हो, पीडीएफ फाइल न भेजें, साथ में इस्तेमाल किये गये फॉन्ट को भी ज़रूर भेजें।

4) एक माह में एक कवि केवल एक ही प्रविष्टि भेजे।



यूनिपाठक बनने के लिए

चूँकि हमारा सारा प्रयास इंटरनेट पर हिन्दी लिखने-पढ़ने को बढ़ावा देना है, इसलिए पाठकों से हम यूनिकोड (हिन्दी टायपिंग) में टंकित टिप्पणियों की अपेक्षा रखते हैं। टाइपिंग संबंधी सभी मदद यहाँ हैं।

1) 1 मार्च 2011 से 31 मार्च 2011 के बीच की हिन्द-युग्म पर प्रकाशित अधिकाधिक प्रविष्टियों पर हिन्दी में टिप्पणी (कमेंट) करें।

2) टिप्पणियों से पठनीयता परिलक्षित हो।

3) हमेशा कमेंट (टिप्पणी) करते वक़्त एक समान नाम या यूज़रनेम का प्रयोग करें।

4) हिन्द-युग्म पर टिप्पणी कैसे की जाय, इस पर सम्पूर्ण ट्यूटोरियल यहाँ उपलब्ध है।


कवियों और पाठकों को निम्न प्रकार से पुरस्कृत और सम्मानित किया जायेगा-

1) यूनिकवि को हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें। हिन्द-युग्म की ओर से प्रशस्ति-पत्र। यूनिकवि को हिन्द-युग्म के वर्ष 2011 के वार्षिकोत्सव में प्रतिष्ठित साहित्यकारों के हाथों सम्मानित किया जायेगा।

2) यूनिपाठक को हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें और हिन्द-युग्म की ओर से प्रशस्ति-पत्र।

3) दूसरे से दसवें स्थान के कवियों हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें।

प्रतिभागियों से यह भी अनुरोध है कि पिछले महीनों मे भेजी गयी अपनी किसी प्रविष्टि को दोबारा प्रतियोगिता के लिये न भेजें। कवि-लेखक प्रतिभागियों से भी निवेदन है कि वो समय निकालकर यदा-कदा या सदैव हिन्द-युग्म पर आयें और सक्रिय लेखकों की प्रविष्टियों को पढ़कर उन्हें सलाह दें, रास्ता दिखायें और प्रोत्साहित करें।

प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले सभी 'नियमों और शर्तों' को पढ़ लें।

जनवरी 2011 की यूनिप्रतियोगिता के परिणाम



हिंद-युग्म की जनवरी 2011 की यूनिकवि प्रतियोगिता के परिणाम ले कर हम उपस्थित है। परिणामों की घोषणा मे विलम्ब के लिये क्षमा माँगते हुए हम प्रतियोगिता के सभी प्रतिभागियों और अपने पाठकों द्वारा धैर्य रखने के लिये आभारी हैं।
जनवरी माह की प्रतियोगिता यूनिप्रतियोगिता के उन्चासवीं कड़ी थी। इस बार कुल 40 प्रतिभागियों की कविताएं सम्मिलित की गयीं, जिन्हे दो चरणों मे परखा गया। प्रथम चरण के तीन निर्णायकों के दिये अंकों के आधार पर 20 कविताओं को द्वितीय चक्र मे स्थान मिला, जहाँ दो निर्णायकों ने कविताओं के शिल्प, कथ्य, सामयिकता आदि के विविध पक्षों के आधार पर उनको आँका। इस प्रतियोगिता की एक खास बात यह रही कि कई सारी ग़ज़लें प्रविष्टि के तौर पर शामिल हुई। इस बार की यूनिकविता का खिताब भी एक ग़ज़ल को गया है, जिसके रचनाकार होने का श्रेय नवीन चतुर्वेदी को जाता है। निर्णायकों ने उन्हे जनवरी माह का यूनिकवि चुना है।

यूनिकवि: नवीन चतुर्वेदी

हमारे नियमित पाठक नवीन जी की कलम से परिचित होंगे। नवीन जी प्रतियोगिता से कुछ समय पहले ही जुड़े हैं और इनकी पहली ही रचना नवंबर माह मे छठे स्थान पर रही थी। मुख्यतया गज़ल विधा मे महारथ रखने वाले नवीन जी रचनाकार के अलावा एक गंभीर पाठक के तौर पर भी हिंद-युग्म पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। अंतर्जाल पर साहित्यिक अभिरुचि के प्रचार-प्रसार मे खासे सक्रिय नवीन जी का परिचय हम पहले भी अपने पाठकों से करा चुके हैं मगर अपने नये पाठकों के लिये एक बार पुनः उनका संक्षिप्त परिचय दे रहे हैं। नवीन सी चतुर्वेदी का जन्म अक्टूबर 1968 मे मथुरा मे हुआ। वाणिज्य से स्नातक नवीन जी ने वेदों मे भी आरंभिक शिक्षा ग्रहण की है। अभी मुम्बई मे रहते हैं और साहित्य के प्रति खासा रुझान रखते हैं। आकाशवाणी मुंबई पर कविता पाठ के अलावा अनेकों काव्यगोष्ठियों मे भी शिरकत की है और आँडियो कसेट्स के लिये भी लेखन किया है। ब्रजभाषा, हिंदी, अंग्रेजी और मराठी मे लेखन के साथ नवीन जी ब्लॉग पर तरही मुशायरों का संचालन भी करते हैं। ज्यादा से ज्यादा नयी पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने का प्रयास है।

यूनिकविता: ग़ज़ल

गगनचरों को दे बुलावा चार दानों पर|
बहेलिए फिर ताक में बैठे मचानों पर |१|

बुजुर्ग लोगों से सुना है वो सुनाता हूँ|
हवाएँ भी हैं नाचती दिलकश तरानों पर |२|

हुनर हो कोई भी, बड़ी ही कोशिशें माँगे|
न खूँ में होता है, न मिलता ये दुकानों पर |३|

अवाम के पैसे पचाना जानते हैं जो|
हुजूम बैठा ही रहे उन के मकानों पर |४|

विकास की खातिर मदद के नाम पर यारो|
लुटा रहे लाखों करोड़ों कारखानों पर |५|

जिन्हें तरक्कियों से निस्बतें होतीं हरदम|
न ध्यान देते वो फ़िज़ूलन तंज़ - तानों पर |६|

पहाड़ की चोटी तलक वो ही पहुँचते हैं|
फिसल चुके हों जो कभी उन की ढलानों पर |७|
____________________________________________________________
पुरस्कार और सम्मान: हिंद-युग्म से सद्यप्रकाशित सुधीर गुप्ता ’चक्र’ के नये काव्य-संग्रह ’उम्मीदें क्यों’ की प्रति तथा प्रशस्तिपत्र। प्रशस्ति-पत्र वार्षिक समारोह में प्रतिष्ठित साहित्यकारों की उपस्थिति मे प्रदान किया जायेगा। समयांतर में कविता प्रकाशित होने की सम्भावना।

 इसके अतिरिक्त दिसंबर माह के शीर्ष 10 के अन्य कवि जिनकी कविताएं हम यहाँ प्रकाशित करेंगे और जिन्हे हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें दी जायेगी, उनका क्रम निम्नवत है-

वसीम अकरम
वंदना सिंह
सुवर्णा शेखर दीक्षित
धर्मेंद्र कुमार सिंह
डिम्पल मल्होत्रा
अनिता निहलानी
अरविंद कुमार पुरोहित
सुधीर गुप्ता चक्र
आरसी चौहान

शीर्ष दस के अतिरिक्त हम जिन चार अन्य कविताओं का प्रकाशन इस प्रतियोगिता के अंतर्गत करेंगे, उनके रचनाकारों के नाम हैं


अनवर सुहैल
सनी कुमार
रमा शंकर सिंह
विवेक कुमार पाठक अंजान

उपर्युक्त सभी कवियों से अनुरोध है कि कृपया वे अपनी रचनाएँ 10 मार्च 2011 तक अन्यत्र न तो प्रकाशित करें और न ही करवायें

  हम उन कवियों का भी धन्यवाद करना चाहेंगे, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लेकर इसे सफल बनाया। और यह गुजारिश भी करेंगे कि परिणामों को सकारात्मक लेते हुए प्रतियोगिता में बारम्बार भाग लें। प्रतियोगिता मे भाग लेने वाले शेष कवियों के नाम निम्नांकित हैं

मनोज कुमार
पंकज भूषण पाठक प्रियम
रविंद्र कुमार श्रीवास्तव बेजुबान
बोधिसत्व कस्तुरिया
योगेश कुमार ध्यानी 
प्रदीप वर्मा
आलोक गौर
सुमित वत्स
शोभा रस्तोगी शोभा
अल्पना गिरि
नीलेश माथुर
ब्यूटी मालाकार
रवि शंकर पांडेय
विनोद वर्मा प्रेम अंजाना
रतन प्रसाद शर्मा
शील निगम
अनिरुद्ध सिंह चौहान
विभूति कुमार
दीपक कुमार
योगेंद्र शर्मा व्योम
प्रवेश सोनी
रिक्की पुरी
आशीष पंत
आलोक उपाध्याय
प्रवीण चंद्र राय
सीमा स्मृति मलहोत्रा

यूनिपाठक सम्मान

   पिछले कुछ माहों से हमने यूनिपाठक सम्मान की घोषणा नही की थी। विगत कुछ माहों मे प्रकाशित रचनाओं पर पाठकों द्वारा की गयी प्रतिक्रियाओं को आँकते हुए इस बार यूनिपाठक का खिताब धर्मेंद्र कुमार सिंह ’सज्जन’ को जाता है। एक पाठक के तौर पर अपनी निरंतरता और प्रतिक्रियाओं की गुणवत्ता और उससे झलकती पठनीयता के आधार पर सहज ही धर्मेंद्र जी प्रभावित करते हैं। यूनिप्रतियोगिता मे नियमित रूप से हिस्सा लेने वाले धर्मेंद्र जी ’एक अच्छा लेखक होने के लिये अच्छा पाठक बनना भी अपरिहार्य है’ की उक्ति को चरितार्थ करते हैं।
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पुरस्कार: हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें और वार्षिकोत्सव मे वरिष्ठ साहित्यका्र द्वारा प्रशस्ति पत्र

 इसके अतिरिक्त जिन चार अन्य पाठकों का हम उल्लेख करना चाहेंगे जिन्होने पिछले कुछ माहों मे अपनी रचनात्मक प्रतिक्रियाओं द्वारा कवियों का उत्साह बढाया है वे निम्नवत हैं

स्वप्निल कुमार आतिश
रंजना सिंह
एम वर्मा
जितेंद्र जौहर