देखते-देखते हिन्द-युग्म यूनिकवि एवं यूनिपाठक प्रतियोगिता का आयोजन होते २ वर्ष बीत गये। दिसम्बर २००८ की प्रतियोगिता इस आयोजन की २४वीं कड़ी थी। इसकी सफलता का जश्न हिन्द-युग्म ने २८ दिसम्बर २००८ को हिन्दी भवन, नई दिल्ली में मनाया। आज हम उसी २४वीं कड़ी का परिणाम लेकर उपस्थित हैं।
पिछले माह की यूनिकवि प्रतियोगिता में कुल ४१ प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। पहले चरण के ३ निर्णायकों के दिये गये अंकों के आधार पर चुनी गईं २५ कविताओं को दूसरे चरण के २ निर्णायकों भेजी गईं। यानी ५ जजों मापदंडों ने छनकर रचना श्रीवास्तव की क्षणिकाएँ प्रथम स्थान बनाने में सफल रहीं।
यूनिकवयित्री रचना श्रीवास्तव सितम्बर २००८ की यूनिपाठिका भी रह चुकी हैं। ये अच्छी लेखिका ही नहीं अपितु अच्छी पाठिका भी हैं। डैलास (अमेरिका) में रह रहीं रचना का जन्म लखनऊ (उ॰प्र॰) में हुआ। रचना को लिखने की प्रेरणा बाबा स्वर्गीय रामचरित्र पाण्डेय और माता श्रीमती विद्यावती पाण्डेय और पिता श्री रमाकांत पाण्डेय से मिली। भारत और डैलस (अमेरिका) की बहुत सी कवि गोष्ठियों में भाग लिया, और डैलास में मंच संचालन भी किया। अभिनय में अनेक पुरस्कार और स्वर्ण पदक मिला, वाद-विवाद प्रतियोगिता में पुरुस्कार, लोक संगीत और न्रृत्य में पुरुस्कार, रेडियो फन एशिया, रेडियो सलाम नमस्ते (डैलस), रेडियो मनोरंजन (फ्लोरिडा), रेडियो संगीत (हियूस्टन) में कविता पाठ। कृत्या, साहित्य कुञ्ज, अभिव्यक्ति, सृजन गाथा, लेखिनी, रचनाकर, हिंद-युग्म, हिन्दी नेस्ट, गवाक्ष, हिन्दी पुष्प, स्वर्ग विभा, हिन्दी-मीडिया इत्यादि में लेख, कहानियाँ, कवितायें, बच्चों की कहानियाँ और कवितायें प्रकाशित।
पुरस्कृत कविता- क्षणिकाएँ
दीवार
नफरत के बीज
कुछ यूँ पनपे
हवा भी बीच से गुजरी
तो दीवार बन गई
लड़कियां
वो कोख है
कोसी जाती है
श्रापी जाती है
फिर गिरा दी जाती हैं
भूख
अमीरों के चोचले
गरीबों की मुसीबत
बेसहारा माँ के लिए
पुनः बिकने का दर्द
मुंबई
स्वप्न नगरी
खून की होली
ग्रेनेड की दीवाली
अपनों की शहादत
आतंकियों की विश्राम स्थली
नेता
लाज जाए
पर गद्दी न जाए
देश लुटे
घर अपना बचाए
कपड़े बदल मिडिया में आए
आसुँओं में वोट ढूंढें
कफन में मुह छुपाये
लड़कियां
देह से मापी जाती है
गोरी पतली लम्बी
सुंदर
शिक्षा, रूह की रज़ा
कोई नही पूछता
लड़कियां
नई किताब की मानिंद
पढ़ा सहलाया
अलमारी में ठूंस दिया
फिर न झाड़ा, पोंछा
न धूप दिखाया
अस्तित्व की चीख
धीरे-धीरे
दीमक चाटता गया
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ४, ५॰५, ६॰८५
औसत अंक- ५॰४५
स्थान- छठवाँ
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ४, ८, ५॰४५ (पिछले चरण का औसत
औसत अंक- ५॰८१६६७
स्थान- प्रथम
पुरस्कार और सम्मान- रु ३०० का नक़द पुरस्कार, प्रशस्ति-पत्र और रु १०० तक की पुस्तकें।
यूनिकवयित्री की कुछ कविताएँ जनवरी माह के अन्य तीन सोमवारों को भी प्रकाशित होंगी, अतः शर्तानुसार रु १०० प्रत्येक कविता के हिसाब से रु ३०० का नग़द इनाम दिया जायेगा।
हिन्द-युग्म प्रत्येक माह कम से कम १० कवियों को उपहार-स्वरूप पुस्तकें देकर इनका प्रोत्साहन करता आया है। इस बार हम जिन अन्य ९ कवियों को कवि गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' द्वारा संपादित हाडौती के जनवादी कवियों की प्रतिनिधि कविताओं का संग्रह 'जन जन नाद' की एक-एक प्रति भेंट करेंगे, वे हैं
प्रकाश बादल
डा. राम भारतीय
संजय सेन सागर
अनिल जींगर
आकांक्षा पारे
सुनील कुमार सिंह "तेरा दीवाना"
आशिका " तनहा
शारदा अरोरा
सन्तोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
इन सभी कवियों से निवेदन है कृपया अपनी कविता ३१ जनवरी २००९ से पहले अन्यत्र प्रकाशित न करें/ करवायें।
अब पाठकों की बात करते हैं। पिछले महीने जिस पाठक ने हिन्द-युग्म को सबसे अधिक प्रभावित किया, वे हैं मनु बेतख्खल्लुस। मनु बे-तख्खल्लुस के टिप्पणियों की ख़ास बात यह रही कि इन्होंने शे'रों के माध्यम से प्रसंशा या आलोचना की।
यूनिपाठक- मनु बे-तख्खल्लुस
जन्म :२ मार्च १९६७ , दिल्ली में
माता पिता :श्रीमती ब्रहमा देवी एवं श्री जगत नारायण ( बहुत सरल स्वभाव के )
शिक्षा :राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र से घबड़ाकर स्कूल बीच में ही छोड़ दिया था..
लेखन कार्य : ये इन्हें ठीक से याद नहीं है....पर सन २००२ में एक अज़ीज़ दोस्त ने शे'र कहते देख कर एक डायरी लाकर दी और आग्रह किया कि कभी भी कुछ कहें तो कृपया इसमे ज़रूर उतार लें.....अभी आधी भी नहीं भरी है ....शायद लिखने के लिए नहीं लिखते ...कहने के लिए लिखते हैं.....और कहा हमेशा थोड़े ही जाता है....आधी रात के बाद में जो भी आ जाए वो ही शायरी है........सीखने की कोशिश से भी परहेज
पहला प्रकाशन :एक बिल्कुल छोटी सी लघुकथा हिंद-युग्म पर...(इतनी छोटी जैसे हलवाई कढाई में तेल की गर्मी जांचने के लिए आटे की छोटी सी गोली डालता है , इस गोली का परिणाम सुखद रहा और तब से हिंद युग्म को अपने साथ ही ले लिया......हाँ ...ग़ज़ल बहुत मन मार के भेजी थी ....ने छपने के डर से नहीं ...बल्कि इसलिए के अपने ख्यालों में किसी को शामिल नहीं करना चाहता थे .....पर अब ऐसे भी लोग मिले हैं यहाँ पर के सब कुछ बाँट लेने को जी करता है ..में इस बदलाव के लिए युग्म का तहेदिल से आभारी...
रूचि: कभी मूड हुआ तो लिख लिया..या कुछ रेखाएं रंगों से उकेर लीं ...या कुछ सूफी साफी सा सुन लिया...पर बच्चों के लिए बैंगन का भुरता बनाने में मूड बिल्कुल नहीं देखते...दिल से जुट जाते हैं..
एक बड़ा सहारा : कुटुंब, रिश्तेदार और कुछ थोड़े से ही सही मित्रों का अपार प्रेम
और एक बिमारी भी : बेटी के द्बारा हंसाये जाने पर खुल कर तब तक ठहाके लगाना जब तक होंठों की हँसी आँखों से ना बहने लगे..........
एक मुश्किल काम : हिंद युग्म देखने के बाद अपने पन्द्रह घंटे के दिन को खीं.......च ...कर......उन्नीस बीस घंटे का किया है..
पुरस्कार और सम्मान- रु ३०० का नक़द पुरस्कार, प्रशस्ति-पत्र और रु २०० तक की पुस्तकें।
दूसरे से चौथे स्थान के पाठक के रूप में हमने क्रमशः एम॰ ए॰ शर्मा "सेहर" , रंजना सिंह और दिगम्बर नासवा को चुना है, जिन्हें कवि गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' द्वारा संपादित हाडौती के जनवादी कवियों की प्रतिनिधि कविताओं का संग्रह 'जन जन नाद' की एक-एक प्रति भेंट करेंगे।
हम निम्नलिखित कवियों का भी धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर इसे सफल बनाया और यह निवेदन करते हैं कि जनवरी २००९ की यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता में भी अवश्य भाग लें।
एम॰ ए॰ शर्मा 'सेहर'
कुमार लव
गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’
चतुरानन झा 'मनोज'
शामिख फ़राज़
अरूण मित्तल अद्भुत
केशव कुमार कर्ण
शाश्वत शेखर
हर्षवर्धन त्रिवेदी
दिगम्बर नासवा
मनु बेतख्खल्लुस
सुजीत कुमार सुमन
योगेश समदर्शी
एन॰ कन्नन
हरकीरत कलसी 'हकी़र'
नीति सागर
नितिन जैन
चंद्रमणि मिश्रा
तपन शर्मा
योगेश गाँधी
कमलप्रीत सिंह
क्रांति दीक्षित
राहुल कुमार पाण्डेय
अनिरुद्ध सिंह चौहान
सचिन जैन
सुमन कुमार सिंह
सुनील कुमार सोनू
शिवम शर्मा
विपुल श्रीवास्तव
रौशन कुमार
महेश कुमार वर्मा
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
46 कविताप्रेमियों का कहना है :
सभी विजेताओं को बधाई, दो साल पूरे होने पर एक बार फ़िर युग्म को बधाई, क्षणिकाएं बहुत दमदार हैं, मनु जी के बारे में अधिक जानकर अच्छा लगा...आशिकी तनहा बड़ा अनोखा नाम लगा उनकी कविता पढने को उत्सुक हूँ :)
रचना जी और मनु जी बहुत- बहुत बधाई आपको ...रचना जी एक- एक क्षणिका काबिले तारीफ है
नमन है आपको। मनु जी ये और बात है कि आपने कभी अपने हूनर को महत्व नहीं दिया
पर हूनर तो है आपमें...!
माशाअल्ला टिप्पणियाँ कमाल की देते हैं आप वो भी लोगों के घरों के कारपेट तक नजर जाती है...वाह....!
बधाइयाँ जी बधाइयाँ...!!
यूनिपाठक को यूनिकवि के रुप में देखना सुखद रहा। क्षणिकाओं की बात करें तो लड़कियों पर लिखी गई सभी क्षणिकाएं दिल को छूने वाली हैं। बधाई।
मनु भाई, जिस बेतखल्लुसी से आप कार्टून बनाते हो, उसी अंदाज़ में आपकी टिप्पणीयों ने खासा प्रभावित किया है। आपको यहां देख कर अच्छा लगा बधाई स्वीकार करें।
आलोक सिंह साहिल
मेरे साथ शायद पहली बार हो रहा है कि अभी तक मैंने कविता नहीं पढ़ी है और टिप्पणी देने आ गया हूँ.. :-)
रचना जी को तो हम सब जानते हैं..अभी तो वे हिन्दयुग्म के लिये बिल्कुल भी नई नहीं हैं... आपको बधाई...
सभी विजेताओं को भी बधाई...
मनु जी... आपके बारे में पढ़ा... बहुत अच्छा लगा... पर इसमें चार चाँद तब लग जाते जब इसमें एक कार्टून होता..और एक शे’र भी.. आशा है ये नाराज़गी दूर करेंगे.. :-)
बधाई स्वीकारें..
अब कविता पढ़ता हूँ.. :-)
रचना श्रीवास्तव जी,प्रथम स्थान के लिए बधाई !!
आपके लेखन में एक अजब सा जादू है
मैंने आपकी कई रचनाये पड़ी है,जिससे में ये जानता हूँ की आप एक मंझी हूँ लेखिका है !!
आपकी यह रचना प्रथम स्थान के काबिल ही थी!!!
लड़कियां
देह से मापी जाती है
गोरी पतली लम्बी
सुंदर
शिक्षा, रूह की रज़ा
कोई नही पूछता
वाह...
रचना जी...आपसे तो हम पहले से ही परिचित हैं...इस बार कोई खास आश्चर्य नहीं हुआ आपको इस स्थान पर देखकर....
मनु जी से तो मिल भी चुके हैं....उनको यूनिपाठक तो बनना ही था....कार्टूनिस्ट होने का बोनस भी मिलना चाहिए....
बधाई..
दीवार ..
लडकियां..
भूख...
मुंबई....
नेता.....
फ़िर लडकियां ...
और फ़िर से लडकियां.........
रचना श्रीवास्तव जी को बहुत बहुत बहुत बधाई .....
सभी क्षणिकाओं में जैसे ख़ुद अपने भाव देख रहा हूँ
पर अलग रंग में ....अलग अंदाज़ में.....जो के मुझ सा नहीं है..
|| मेरे लहू में डुबोकर लिखी ग़ज़ल की ना कह,
कलम है तेरी ये बेशक , दवात मेरी है ||
फ़िर से मुबारक..........
हिन्दयुग्म का धन्यवाद ...आभार
नाचीज़ की टिप्पणियों को मान देने के लिए.........
||मुझे क्या सोच के अपना खुदा कहा तूने,
मैं समझने लगा ये कायनात मेरी है.||
शुक्रिया,
बाकी कारपेट शार्पेट तो ब्लोग्स पर झांकता हूँ ,घर में कब जाता हूँ...????
|| एक फनकार हूँ, दीदार ये लाजिम है मुझे,
एक फनकार ने किस तरह बनाया है तुझे..||
आख़िर में एक बार फ़िर सबका आभार .......
अब शायद निखिल जी को मालूम हो गया होगा के अपना मानने के बाद इतनी आसानी से मनु नाराज़ नहीं होता...
रचना जी,
गजब की क्षणिकायें... एक से बढ़कर एक.. वाह..
बधाई...
मनु जी,
ये वाल शे’र अच्छा लगा:
मुझे क्या सोच के अपना खुदा कहा तूने,
मैं समझने लगा ये कायनात मेरी है....
क्या बात है..
लड़कियां
नई किताब की मानिंद
पढ़ा सहलाया
अलमारी में ठूंस दिया
फिर न झाड़ा, पोंछा
न धूप दिखाया
अस्तित्व की चीख
धीरे-धीरे
दीमक चाटता गया
bahut-bahut badhaaee rachanaji
bahut sundar rachana padhaaee
नु जी कारपेट की बात तो यूँ ही मजाक में कही थी वर्ना अच्छा लगता है कि कोई
आपके ब्लोग की तारीफ़ करे....हाँ;आपको पुरस्कार मिले तो सुचित करें आधा मुफलिस जी
को दुँगी वो भी काफी हौंसला-अफजाई करते हैं... मुझे तो अभी तक पुरस्कार की कोई पुस्तक नहीं
मिली वर्ना वही भेज देती... रचना जी आपकी क्षणिकायें बहुत ही भाव पूर्ण हैं खास कर
'लडकियों' वाली ...!
और एक बात उन तमाम ४२ रचनाकारों से जिन्होंने प्रतियोगिता में भाग लिया ...भई प्रथम आने
वाले को बधाई तो दे ही सकते हैं....?
अगर मुफलिस जी को हिन्दी में टाइप करना आता तो मुझे कहाँ से चुना जाता...????
वो तकनीक के वार से हार जाते हैं
और अपुन जैसों का भला हो जाता है........
ranjna ji or manuji ko bahut- bahut badhai
ranjana ji aapko hardhik badhayi
ranjana ji aapko hardhik badhayi
rachna ji bahut kareeb se aapko kahin dekha hai ,mumkin hai ki hum saath saath padhen bhi ho ,aapki foto dekhkar ruka nahi gaya .
chanikaayen dil ko choo gayi hain
Rachna ji bahut achchi dost hai to manu ji ke saath kaartoon chitro ke liye ham jude hue hai aur dono ko hi ek saath dekh kar bhut khushi hui . dono ko dil se badhaaii....seema sachdev
विजेताओं को विजय की और हिंद-युग्म को सालगिरह की बधाई!
रचनाजी,
बहुत ही सशक्त क्षणिकाएं,
बधाई,
मनुजी
आपकी सक्रीयता अभी तो बहुत सी और बधाईया दिलवाएगी,
सादर,
विनय के जोशी
क्षणिकाएं ऐसी जो क्षणों में पढ़ी जाएं और एक युग को परिभाषित करें---
क्षणिकाएं---एक चुटकी-- जो समाजिक विसंगति को एक पल में जेहन में उतार दे ---
--इन संदर्भो में 'लड़कियाँ' शीर्षक से प्रकाशित क्षड़िकाएं खरी उतरती हैं।
--देवेन्द्र पाण्डेय।
प्यार इतना की नैनों की गागर छलक जाए
धुंधली बिनाई से बोलो कैसे लिखा जाए
आप सभी के स्नेह का बहुत बहुत धन्यवाद. हिन्दी युग्म के २ वर्ष पूरे होने पर पूरे हिन्दी युग्म परिवार को कोटि कोटि बधाइयाँ.
ये सिलसिला रहती दुनिया तक चले यही कामना है. अभिव्यन्तियों को व्यक्त करने वाली किसी भी भाषा का अस्तित्व भाषाविदों के हाथ में होता है. जिस तरह एक बच्चे के जन्म के बाद, उसका लालन पालम आवश्यक होता है, ठीक उसी तरह, हम सब का ये दायित्व है कि इस सुंदर भाषा हिन्दी के पालन पोषण में सहभागी बने. इस परिप्रेक्ष में हम सभी कवि, लेखक और पाठक हिन्दी युग्म के आभारी हैं, जिसने न सिर्फ़ इस भाषा को एक मंच दिया है अपितु एक उच्च कोटि का साहित्यिक स्तर बनाये रखा हैं. हिन्दी के ये फूल ऐसे ही महकते रहें, ऐसी अभिलाषा है.
आप ने मेरी क्षणिकाओं को इतना मान दिया पसंद किया इस सबके लिए में आप सबका आभार और धन्यवाद करती हूँ. इन
क्षणिकाओं को शीर्ष स्थान मिला इसके लिए धन्यवाद तो है ही पर मैं भविष्य में ये कोशिश करूंगी कि और अच्छा कर सकूँ. उम्मीद है लड़कियां किताब से अस्तित्व का रास्ता तय कर सकेंगी और और हवाओं में नफरत की जगह प्यार होगा.
मनु जी यूनी पाठक के लिए आप को बधाई. आप की टिप्पणियां और कार्टून बहुत अच्छे होते हैं.
बड़ी विनम्रता के साथ अंत में यही कहना चाहती हूँ कि मैं विदेश में रहती जरूर हूँ पर मैं उतनी ही देश की हूँ जितना कि देश मेरा है.
पुनः
धन्यवाद और मंगलकामनाएं
सादर
रचना
रचना का पति होने के नाते सर्वप्रथम मैं हिन्दी युग्म के संचालक और कार्यवाहक दल को साधुवाद करता हूँ जिन्होंने रचना की रचनाओं को सम्मानित किया और पति होने के कारण मैं ये भी समझ सकता हूँ की इस सफलता के माएने क्या हैं और इस शब्द में कितने निशब्द हैं. तो रचना तुमको बधाई इतने सुंदर संदेश के लिए. शायद हम सब को समझने की जररूत है इन लड़कियों को, इस नफरत को.
आशा करता हूँ कि ऐसे सुंदर मोती हिन्दी युग्म की मालाओं में तुम पिरोती रहोंगी और मैं इस शुभ कार्य में तुम्हारा सहभागी रहूँगा.
शुभकामनाओं सहित
अविनाश
नीलम जी
क्या पता सच में हम साथ रहे हों .काश एसा ही हो .हाँ कहाँ देखा है कुछ तो कहिये
रचना
Rachna, heartiest congratulations on first prize. I consider myself very fortunate to know you and being your freind. keep up good work with entertaining as well as thought provoking poems. Badhaiyaan, anekanek shubhkamnaye.
"लडकियां किताब से अस्तित्व का रास्ता तय कर सकेंगी "
एक और शानदार क्षणिका कह दी है आपने अपनी टिपण्णी में.....कम से कम टिप्पणियों का उस्ताद तो मुझे ही रहने दीजिये रचना जी
अविनाश जी को नमस्कार, आपको मंच पर देख कर बेहद सुखद लगा...ये जानकर भी के आप इतनी दूर होकर भी हिन्दी के लिए इतने प्रयास करते हैं , लेखन को ऐसे ही प्रोत्साहित करते रहियेगा ....आभार ,,,,,,,..........अब नीलम जी से शिकायत करता हूँ........
आप विलायती सहेली को देख कर अंग्रेजी में काहे लिखना शुरू कर दीं.....?????
रचना जी आपकी सहपाठी निकलें या ना निकलें ..साहित्यिक मित्र तो हैं ही ना.....
देखिये ......दुबारा ये रोमन में लिखा तो अगला कार्टून.....!!!!!!!
अविनाश जी के लिए....
अविनाश जी, आपको पत्नी की सफलता पर बधाई देते देख आश्चर्य ही नहीं हुआ वरन आँखें
छलक आयीं.... काश ऐसा हर घर में हो...! आपको बहोत बहोत बधाई...!
rachna ji kavitaen itni sundar jitni taji gulab.bahut bahut badhaee.sabhi ko mere taraf se .....NAYE SAL KI SHUBHKAMNAEN.........
aantho pahar chausath ghari din mahine sal
apni to bas yahi dua aap rahen sada khushal.
haste-gate jivan me na rahe koi malal
apni to bas yahi dua aap rahen sada khushal.
WISH U WARMLY A VERY-VERY HAPPY NEW YEAR
सभी विजेताओं को बधाई |
पुरस्कृत रचना वास्तव में सुंदर और अर्थ पूर्ण है |
अवनीश तिवारी
रचना जी
आपकी कई रचनाएँ पढ़ चुकी हूँ
भावों को बहुत बारीकी से समझ कर सुन्दरता से उकेर लेती हैं आप
बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं !!!
मनु जी
आपकी रोमन मैं लिखने और कार्टून बना देने की धमकी ..
हा हा...
प्रणाम आपको
डर से कह रही हूँ :)
कभी - कभी मेरा हिन्दी ट्रांसलेशन भी काम नही करता
सादर
रचना जी,
बहुत-बहुत बधाई। आपको जब भी पढ़ा सुखद अनुभव रहा।
मनु जी
हृदय से बधाई।
रचना जी ,
बहुत बहुत बधाई. आपकी क्षणिकाएं सचमुच बहुत प्रभावित करती हैं .
मनु जी आपको भी हार्दिक बधाई .
पूजा अनिल
हरकीरत और मनु जी. आप दोनों का धन्यवाद.
मनु जी आप बधाई के पात्र हैं कि यूनी पाठक का सम्मान आपको मिला. एक साहित्य की समझ ही एक अच्छा पाठक बना सकती है तो आपकी ये साहित्य यात्रा चलती रहे ऎसी कामना है.
जहाँ तक एक पति और कवियित्री पत्नी के सहभागी होने की बात है, मेरा समर्पण इतना बड़ा नहीं है पर हरकीरत जी आपका आदर और संवेदनाएं स्वीकार.
जहाँ तक रचना की बात है ये उनकी अपनी सृजनात्मकता है कि उन्होंने अपना ये मुकाम हासिल किया है. उनकी सीखने की लगन, उनका समर्पण और हिन्दी के प्रति असीम लगाव ही उनकी कविता को सार्थक बनाती है. रचना का एक और अनकहा पहलू ये है कि रचना का कविता पाठ, रचना की कविता लेखन की तरह उतना ही सरल और सम्मोहक है और शायद इसीलिए अमेरिका के कई रेडियो रचना के घर है और रचना का घर उनका. भविष्य में रचना के कविता पाठ को इस मंच पर उन्ही की आवाज़ में लाने का प्रयत्न रहेगा.
पुनः
सभी विजेताओं, पाठकों और शुभचिंतकों को- आदर और नमस्कार
अविनाश
RACHANA,
CONGRATULATIONS FROM BOTTOM OF MY HEART AND BEST WISHES ALWAY.
BEST REGARDS,
JAYA SHAH
1,4,5,6
क्षणिकाए बहुत अच्छी लगी
2और 3 मे नयापन नही लगा
प्रथम स्थान के लिए बधाई
मनु जी को भी बधाई और सभी प्रतियोगियो को भाग लेने के लिए बधाई
सुमित भारद्वाज
शहरे लखनऊ से युनिकवित्री को स्मिता की मुबारकबाद.
'भूंख के लिए अमीरों के चोचलों ,गरीबो की मुसीबत '
कितने सटीक शब्द चुने आपने.हमारे असमानता से भरे समाज का सजीव चित्रण.
"लड़किया नई किताब की मानिंद ....."न जाने कितनो की संवेदनाओ के तार छेड़ दिए आपने.
अच्छा लगेगा यदि अधिक से अधिक पुरूष पाठक इस संवेदना को हमेशा महसूस करे.
रचना जी!
क्षणिकाएँ शुरू से हीं मेरी पसंद रही हैं। क्षणिका लिखना एक पूरी कविता लिखने से कई गुणा कठिन होता है, यह तो एक क्षणिका-कार(नया शब्द...और कोई शब्द नहीं मिला) हीं जान सकता है।
"नेता" क्षणिका को छोड़कर बाकी क्षणिकाएँ मुझे बेहद पसंद आईं। "श्री शिवराज पाटिल" से प्रभावित "नेता" में कोई नयापन न दीखा,लेकिन शेष क्षणिकाएँ इस कमी को महज़ पाटती हीं नहीं,वरन एक नया आधार देती हैं।
और हाँ, आपको युनिकवयित्री बनने पर तहे-दिल से बधाईयाँ।
"मनु" जी आपके बारे में क्या कहूँ। अब तो हालत ऎसी हो गई है कि किसी पोस्ट पर आपकी टिप्पणी नहीं देखूँ तो अंदेशा होता है कि यह पोस्ट इतनी गई-गुजरी है क्या। (हाँ मेरे किसी पोस्ट पर टिप्पणी देना न भूलिएगा) आप अब युग्म के अभिन्न अंग हो गए हैं।
आपको युनिपाठक की उपाधि को सुशोभित करने के लिए शुक्रिया और हाँ बधाईयाँ भी।
बाकी सभी प्रतिभागियों का तहे-दिल से आभार, अगर प्रतिभागी न हो तो प्रतियोगिता का क्या अर्थ।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
भाई साब ,
युग्म पर तो मैं आपको ढूंढ ही लूंगा ..पर अगर बाहर कहीं लिखें तो ज़रूर इत्तिला कर देना...
और मेरी किसी टिपण्णी को कभी भी ग़लत ना लेना ..मुझे पाक यानी पवित्र में भी आज कल पाक यानी पाकिस्तान दिखने लगा है .......और लोग धोखा भी खा रहे हैं ,.....
मनुजी,
देरी से ही सही लेकिन मुबारकबाद कुबूल कीजिये .
आपको मै पहली बार लिख रही हूँ लेकिन आपने मेरी कविता "पैसे की कीमत "
पर अपना पहला कमेन्ट भेज कर मुझे उत्साहित किया था.
आपकी टिप्पडीया आकर्षित करती है जैसे "हलवाई की कडाही में आटे की गोली....वाली बात.
आपकी चित्रकारी मन को भाती है.आपका सेंस ऑफ़ ह्यूमर हमेशा गुदगुदाता है और आपके
कमेंट्स गंभीर कविताओ के बीच बारिश की फुहार के मानिंद है.बहुत बधाई .
स्मिता मिश्रा
manu ji,
aapko bahut bahut mubaarakbaad ,hindi me n likh paane ki wajah hai ki transliteration kaam nahi kar raha hai aajkal hum shaheedon ki nagri
raam prashaadbismil,roshanseth,aur
ashfaakullahkhaan ki nagri me hain ,dilli jaise suvidha sampaan raajdhaani me aate hi hindi me hi likhenge ,kisi videshi mitra kiwajah se aisa nahi hai ,mitra ko dekh kar koi apni bhaasa bhool jaaye ,aisa bhaarat me to nahi hota hai .
bahut bahut badhai poore fzd ke taraf se
ameriki kaviyatri ko
rachna bahut bahut badhai ,pehle to itni sunder kavita likhne ke liye aur phir pratham puruskar pane ke liye.mujhe bahut khushi hai ki aap mere program mein funasia radio par apni kavita padhti hai aur use aur bhi kalatmak banati hain ,main us ke liye aapki bahut abhari hoon .
bhavishya mein aisa hi utkrisht kam karen aur bahut sa pyar aur samman payen aisi shubhkamna hai meri.
karishma
नफरत के बीज
कुछ यूँ पनपे
हवा भी बीच से गुजरी
तो दीवार बन गई
rachna ji aap apni soch ko shabdon mein sundarta se dhalna bahut bakhoobi janti hain...bahut achche
nike air zoom
michael kors outlet online
tiffany jewelry
nike roshe run
cheap jordans online
michael kors outlet
kobe bryant shoes
fitflops sale
hogan outlet online
http://www.raybanglasses.in.net
nike tn
louis vuitton sacs
nike free 5
chicago bulls
converse shoes
cincinnati bengals jerseys
the north face outlet
oklahoma city thunder
nike air huarache
miami dolphins jerseys
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)