फटाफट (25 नई पोस्ट):

Sunday, March 15, 2009

दोहा गाथा सनातनः ८- दोहा साक्षी समय का


दोहा साक्षी समय का, कहता है युग सत्य।
ध्यान समय का जो रखे, उसको मिलता गत्य॥


दोहा रचना मेँ समय की महत्वपूर्ण भूमिका है। दोहा के चारों चरण निर्धारित समयावधि में बोले जा सकें, तभी उन्हें विविध रागों में संगीतबद्ध कर गाया जा सकेगा। इसलिए सम तथा विषम चरणों में क्रमशः १३ व ११ मात्रा होना अनिवार्य है।

दोहा ही नहीं हर पद्य रचना में उत्तमता हेतु छांदस मर्यादा का पालन किया जाना अनिवार्य है। हिंदी काव्य लेखन में दोहा प्लावन के वर्तमान काल में मात्राओं का ध्यान रखे बिना जो दोहे रचे जा रहे हैं, उन्हें कोई महत्व नहीं मिल सकता। मानक मापदन्डों की अनदेखी कर मनमाने तरीके को अपनी शैली माने या बताने से अशुद्ध रचना शुद्ध नहीं हो जाती. किसी रचना की परख भाव तथा शैली के निकष पर की जाती है। अपने भावों को निर्धारित छंद विधान में न ढाल पाना रचनाकार की शब्द सामर्थ्य की कमी है।

किसी भाव की अभिव्यक्ति के तरीके हो सकते हैं। कवि को ऐसे शब्द का चयन करना होता है जो भाव को अभिव्यक्त करने के साथ निर्धारित मात्रा के अनुकूल हो। यह तभी संभव है जब मात्रा गिनना आता हो. मात्रा गणना के प्रकरण पर पूर्व में चर्चा हो चुकने पर भी पुनः कुछ विस्तार से लेने का आशय यही है कि शंकाओं का समाधान हो सके.

"मात्रा" शब्द अक्षरों की उच्चरित ध्वनि में लगनेवाली समयावधि की ईकाई का द्योतक है। तद्‌नुसार हिंदी में अक्षरों के केवल दो भेद १. लघु या ह्रस्व तथा २. गुरु या दीर्घ हैं। इन्हें आम बोलचाल की भाषा में छोटा तथा बडा भी कहा जाता है। इनका भार क्रमशः १ तथा २ गिना जाता है। अक्षरों को लघु या गुरु गिनने के नियम निर्धारित हैं। इनका आधार उच्चारण के समय हो रहा बलाघात तथा लगनेवाला समय है।

१. एकमात्रिक या लघु रूपाकारः
अ.सभी ह्रस्व स्वर, यथाः अ, इ, उ, ॠ।
ॠषि अगस्त्य उठ इधर ॰ उधर, लगे देखने कौन?
१+१ १+२+१ १+१ १+१+१ १+१+१
आ. ह्रस्व स्वरों की ध्वनि या मात्रा से संयुक्त सभी व्यंजन, यथाः क,कि,कु, कृ आदि।
किशन कृपा कर कुछ कहो, राधावल्लभ मौन ।
१+१+१ १+२ १+१ १+१ १+२
इ. शब्द के आरंभ में आनेवाले ह्रस्व स्वर युक्त संयुक्त अक्षर, यथाः त्रय में त्र, प्रकार में प्र, त्रिशूल में त्रि, ध्रुव में ध्रु, क्रम में क्र, ख्रिस्ती में ख्रि, ग्रह में ग्र, ट्रक में ट्र, ड्रम में ड्र, भ्रम में भ्र, मृत में मृ, घृत में घृ, श्रम में श्र आदि।
त्रसित त्रिनयनी से हुए, रति ॰ ग्रहपति मृत भाँति ।
१+१+१ १+१+१+२ २ १+२ १‌+१ १+१+१+१ १+१ २+१
ई. चंद्र बिंदु युक्त सानुनासिक ह्रस्व वर्णः हँसना में हँ, अँगना में अँ, खिँचाई में खिँ, मुँह में मुँ आदि।
अँगना में हँस मुँह छिपा, लिये अंक में हंस ।
१+१+२ २ १+१ १+१ १+२, १‌+२ २‌+१ २ २+१
उ. ऐसा ह्रस्व वर्ण जिसके बाद के संयुक्त अक्षर का स्वराघात उस पर न होता हो या जिसके बाद के संयुक्त अक्षर की दोनों ध्वनियाँ एक साथ बोली जाती हैं। जैसेः मल्हार में म, तुम्हारा में तु, उन्हें में उ आदि।
उन्हें तुम्हारा कन्हैया, भाया सुने मल्हार ।
१+२ १+२+२ १+२+२ २+२ १+२ १+२+१
ऊ. ऐसे दीर्घ अक्षर जिनके लघु उच्चारण को मान्यता मिल चुकी है। जैसेः बारात ॰ बरात, दीवाली ॰ दिवाली, दीया ॰ दिया आदि। ऐसे शब्दों का वही रूप प्रयोग में लायें जिसकी मात्रा उपयुक्त हों।
दीवाली पर बालकर दिया, करो तम दूर ।
२+२+२ १+१ २+१+१+१ १+२ १+२ १ =१ २+१
ए. ऐसे हलंत वर्ण जो स्वतंत्र रूप से लघु बोले जाते हैं। यथाः आस्मां ॰ आसमां आदि। शब्दों का वह रूप प्रयोग में लायें जिसकी मात्रा उपयुक्त हों।
आस्मां से आसमानों को छुएँ ।
२+२ २ २+१+२+२ २ १+२
ऐ. संयुक्त शब्द के पहले पद का अंतिम अक्षर लघु तथा दूसरे पद का पहला अक्षर संयुक्त हो तो लघु अक्षर लघु ही रहेगा। यथाः पद॰ध्वनि में द, सुख॰स्वप्न में ख, चिर॰प्रतीक्षा में र आदि।
पद॰ ध्वनि सुन सुख ॰ स्वप्न सब, टूटे देकर पीर।
१+१ १+१ १+१ १+१ २+१ १+१

द्विमात्रिक, दीर्घ या गुरु के रूपाकारों पर चर्चा अगले पाठ में होगी। आप गीत, गजल, दोहा कुछ भी पढें, उसकी मात्रा गिनकर अभ्यास करें। धीरे॰धीरे समझने लगेंगे कि किस कवि ने कहाँ और क्या चूक की ? स्वयं आपकी रचनाएँ इन दोषों से मुक्त होने लगेंगी।
कक्षा के अंत में एक किस्सा, झूठा नहीं॰ सच्चा... फागुन का मौसम और होली की मस्ती में किस्सा भी चटपटा ही होना चाहिए न... महाप्राण निराला जी को कौन नहीं जानता? वे महाकवि ही नहीं महामानव भी थे। उन्हें असत्य सहन नहीं होता था। भय या संकोच उनसे कोसों दूर थे। बिना किसी लाग॰लपेट के सच बोलने में वे विश्वास करते थे। उनकी किताबों के प्रकाशक श्री दुलारे लाल भार्गव के दोहा संकलन का विमोचन समारोह आयोजित था। बड़े-बड़े दौनों में शुद्ध घी का हलुआ खाते॰खाते उपस्थित कविजनों में भार्गव जी की प्रशस्ति-गायन की होड़ लग गयी। एक कवि ने दुलारे लाल जी के दोहा संग्रह को महाकवि बिहारी के कालजयी दोहा संग्रह "बिहारी सतसई" से श्रेष्ठ कह दिया तो निराला जी यह चाटुकारिता सहन नहीं कर सके, किन्तु मौन रहे। तभी उन्हें संबोधन हेतु आमंत्रित किया गया। निराला जी ने दौने में बचा हलुआ एक साथ समेटकर खाया, कुर्ते की बाँह से मुँह पोंछा और शेर की तरह खडे होकर बडी॰बडी आँखों से चारों ओर देखते हुए एक दोहा कहा। उस दिन निराला जी ने अपने जीवन का पहला और अंतिम दोहा कहा, जिसे सुनते ही चारों तरफ सन्नाटा छा गया, दुलारे लाल जी की प्रशस्ति कर रहे कवियों ने अपना चेहरा छिपाते हुए सरकना शुरू कर दिया। खुद दुलारे लाल जी भी नहीं रुक सके। सारा कार्यक्रम चंद पलों में समाप्त हो गया।
महाप्राण निराला रचित वह दोहा बतानेवाले को एक दोहा उपहार में देने का विचार अच्छा तो है पर शेष सभी को प्रतीक्षा करना रुचिकर नहीं प्रतीत होगा। इसलिये इस बार यह दोहा मैं ही बता देता हूँ।

आप इस दोहे और निराला जी की कवित्व शक्ति का आनंद लीजिए और अपनी प्रतिक्रिया दीजिए।

वह दोहा जिसने बीच महफिल में दुलारे लाल जी की फजीहत कर दी थी, इस प्रकार है॰

कहाँ बिहारी लाल हैं, कहाँ दुलारे लाल?
कहाँ मूँछ के बाल हैं, कहाँ पूँछ के बाल?





आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

8 कविताप्रेमियों का कहना है :

manu का कहना है कि -

बहुत जानदार दोहा आचार्या,
एकाध दुलारे लाल को तो हम भी जानते हैं,,,,,,
पर अफ़सोस के ऐसी बाते उनके ऊपर से होकर गुजर जाती हैं,,,,,
ये सही है के मैं आपके किसी दोहे वाली पहेली का उत्तर नहीं दे पाता, ये भी सही है के अगली पोस्ट तक जानने का इन्तजार मुश्किल होता है,,,,,पर अच्छा लगता है के जब कोई बताता है ,,,कृपया उत्तर अगले अंक में ही दें,,,

अजित गुप्ता का कोना का कहना है कि -

आचार्य जी को प्रणाम करने का मन हो रहा है, प्रणाम स्‍वीकारें। आपकी कक्षा से बहुत ही महत्‍वपूर्ण जानकारियां और अपनी कमियां समझ आने लगी हैं। आज का पाठ तो बहुत ही उपयोगी है। रही बात दुलारे लाल जी की, आज तो दुलारे लाल भरे पड़े हैं और ऐसे ही उनके प्रशंसक भी है परन्‍तु निराला जी नहीं रहे। बहुत ही श्रेष्‍ठ दोहा सुनाया निराला जी ने।

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

आचार्यजी ,
जानकारी के लिए धन्यवाद |

इस बार के दोहा लेख में
११ २१ 1 22 11 1
खूब बन पड़ी बात
२१ ११ १२ २१
सुना किस्सा निराला की ,
१२ १२ १२२ २
तबीयत खुश कर दी आज
१२११ ११ ११ १ २१


अवनीश तिवारी

Vinaykant Joshi का कहना है कि -

माननीय
आपका पाठ सारगर्भित रहा, दोहा लेखानोत्सुक लेखको हेतु बहुत उपयोगी सिद्ध होगा
आशा है भविष्य के पाठो में १३, ११ में बंधे भावहीन निरर्थक शब्द समूहों पर भी प्रकाश डालेंगे
सादर,

Pooja Anil का कहना है कि -

आचार्य जी,

आपने बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी दी है . मात्राएँ गिनने का प्रयास जारी है.
होली पर सुनाया सच्चा किस्सा भी बहुत रोचक है .

आभार
पूजा अनिल

manu का कहना है कि -

tiwari ji,

naa,,,,,,,,,,

apne bheje se baaher rahi hai,,,,,
ginti ki koshish naaa karo,,,
yoon hi likho,,,

Divya Narmada का कहना है कि -

विनय जी, अवनीश जी आप दोनों की टिप्पणी के पहले गोष्ठी की सामग्री भेज चुका था. आगामी पाठ या गोष्ठी में आपके द्वारा उठाये बिन्दुओं पर चर्चा होगी. अजित जी पूजा जी आपको कुछ उपयोगी और रुचिकर लगा तो मेरा प्रयास सार्थक हो गया. संभवतः दोहा पर पहली बार इतने विस्तार और मूल बातों के साथ लेख माला का काम हो रहा है. ग़ज़ल पर तो बहुत से लोगों ने बहुत बार तरह-तरह से लिखा है किन्तु दोहा पर... मेरी कठिनाई का आप अनुमान कर सकटी हैं . आपसे मिला प्रोत्साहन ही आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. मनु जी! आप कबीर की तरह उलटबांसी से मेरा तथा पाठकों का उत्साह इसी तरह बढाते रहिये. सभी का आभार.

raybanoutlet001 का कहना है कि -

pandora outlet
michael kors handbags
michael kors handbags
salomon shoes
kobe 9 elite
nike air huarache
michael kors handbags outlet
cheap nike shoes
christian louboutin outlet
michael kors handbags sale

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)