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Saturday, July 26, 2008

माँ का दु:खी होना वाजिब है


माँ का दु:खी होना वाजिब है
क्योंकि
उसने बहुत दिन से
अपने बेटे को
खिलखिलाते नहीं देखा

माँ का दु:खी होना वाजिब है
क्योंकि
वह देखती है
कि जब सब सो जाते हैं
तो जागता रहता है
बस उसका अपना अधेड़ होता बेटा।
और जाने क्या-क्या लिखता रहता है

उसका लिखा माँ पढ़ती है
अखबारों में, पत्रिकाओं में
बेटे के दु:ख
बेटे की लिखी
कविताओं में, नज्मों में,
कहानियों में
हालाँकि
उसे वे सब
बहुत समझ नहीं आती
पर उसके होते हुए
बेटा दु:ख कागजों पर क्यों लिखता है ?
क्यों नहीं बेटा पहले की तरह
दु:खी होकर
उसके आँचल का
सहारा लेता
सोचती है मां
और दुखी हो जाती है
माँ का दु:खी होना सचमुच वाजिब है

--यूनिकवि डॉ॰ श्याम सखा 'श्याम'

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17 कविताप्रेमियों का कहना है :

Dr Parveen Chopra का कहना है कि -

केवल इतना ही कहना चाह रहा हूं कि इन परिस्थितियों में निसंदेह मां का दुःखी होना वाजिब ही है।
जबरदस्त पंक्तियां, दोस्त।

Anita kumar का कहना है कि -

सच में मां का दु:खी होना वाजिब है

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

सच ही कहा श्याम जी,
माँ का दु:खी होना सचमुच वाजिब है!!!!
अंतिम पंक्तियाँ बहुत सही लिखी गई हैं..

धन्यवाद

Anonymous का कहना है कि -

kitni pyari rachna hai mujhe bahut achchhi lagi
badhai
rachana

Smart Indian का कहना है कि -

बिल्कुल सही कहा आपने - माँ का दु:खी होना सचमुच वाजिब है

Shailesh Jamloki का कहना है कि -

यूनिकवि डॉ॰ श्याम सखा 'श्याम' जी ,

आपकी कविता बहुद सुन्दर है..और कथ्य काफी हद तक पहुचने मै सफल भी रही है

परन्तु जब मैंने कविता का शीर्षक पढ़ा तो मन मै जिस तरह की जिज्ञासा पैदा हुई थी.. की क्यों है मा का दुखी होना वाजिब.. तुमारी कविता उस चरम तक नहीं पहुँच पायी..

आप ने विषय बहुत सुन्दर चुना था.. और आप इस बार इस से कई बेहतर लिख सकते थे

PS :- ये मेरी व्यक्तिगत राय है

सादर
शैलेश

शोभा का कहना है कि -

क्योंकि
वह देखती है
कि जब सब सो जाते हैं
तो जागता रहता है
बस उसका अपना अधेड़ होता बेटा।
और जाने क्या-क्या लिखता रहता है
बहुत बढ़िया लिखा है. माँ इसी का नाम है.

Harihar का कहना है कि -

इस गंभीर कविता में थोड़ी चुटकी :
बेटा पढ़ने लिखने के बदले
ये क्यों कागज काले करता है दुखी होना...

Harihar का कहना है कि -

खेद है कि मैं अपनी राम-कहानी कह गया

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

हालाँकि
उसे वे सब
बहुत समझ नहीं आती
पर उसके होते हुए
बेटा दु:ख कागजों पर क्यों लिखता है ?
क्यों नहीं बेटा पहले की तरह
दु:खी होकर
उसके आँचल का
सहारा लेता

बहुत अच्छा श्याम जी आज बेटे माँ से दूर होते जा रहे है उस पर एक अच्छी कविता

विश्व दीपक का कहना है कि -

श्याम जी!
एक बार फिर से आपकी रचना ने दिल को छू लिया है।
बधाई स्वीकारें!

-विश्व दीपक ’तन्हा’

Anonymous का कहना है कि -

ekbar fir vajib baat.
alok singh "sahil"

Anonymous का कहना है कि -

आप सभी ने कविता को इस तरह लिया जैसे मां शिशु को अपनी गोद में लेती है=शुक्रिया...शुक्रिया........
आपका सदा सा
श्यामसखा

डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी का कहना है कि -

क्यों नहीं बेटा पहले की तरह
दु:खी होकर
उसके आँचल का
सहारा लेता
सोचती है मां
और दुखी हो जाती है
माँ का दु:खी होना सचमुच वाजिब है
आधुनिक माम दुखी नहीं होगी, बेटे की रचनाओं को पढ्कर अब उसने प्रोत्साहन देने की क्षमता ही नहीं लिखने की क्षमता भी अर्जित कर ली है.

Anonymous का कहना है कि -

मां बेटे के लिखने से नहीं उसके दुख से और दुख से मां ,बेटे के बीच आई संवादहीनता से दुखी है राष्ट्रप्रेमी जी-मां के प्रेम को समझे,मां का दुख भी सम्झ जाएंगे।कनिका

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

अच्छी कविता

प्रकाश गोविंद का कहना है कि -

atyant samvedansheel aur bhavuk kavita hai.

क्यों नहीं बेटा पहले की तरह
दु:खी होकर
उसके आँचल का
सहारा लेता

kavita achhi to hai hi sath hi sangrahneey bhi !

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