गीति काव्य रस-गगन में, दोहा छंद-दिनेश.
अन्य छंद शशि-तारिका, वे सुर द्विपदि सुरेश..- गयंद
धर्म नीति आचार का, दोहा अमिट प्रमाण.
मिलन-विरह, बदलाव फिर, ध्वंस-पुनर्निमाण....- गयंद
द्वैताद्वैत, सगुण-निगुण, ज्ञान-प्रेम, दिन-रात.
विविध मतों का मन मिला, दोहा करे प्रभात...-गयंद
दोहा मात्रिक छंद है, तेईस विविध प्रकार.
तेरह-ग्यारह दोपदी, चरण समाहित चार....- गयंद
विषम चरण के आदि में, जगण विवर्जित मीत,
दो शब्दों में 'जगण' की, अनुमति दोहा-रीत...- गयंद
एक घटे गुरु-दो बढ़ें लघु- हो नया प्रकार.
कुल अड़तालीस मात्रा, दोहा विधि अनुसार....- गयंद
तेरह गुरु-बाईस लघु, वर्ण रहें पैंतीस.
रच गयंद कवि सुखी हों, मन में रहे न टीस..-गयंद
गयंद दोहे में तेरह गुरु तथा २२ लघु, इस तरह कुल ३५ वर्ण होते हैं. गयंद के उक्त उदाहरण देखें और अभ्यास करें. गयंद को मदुकल भी कहते हैं.
दोहा के विविध प्रयोगों के अर्न्तगत यह भी जान लें की दोहा शुभ कामना देने का माध्यम भी है. २ जून को दोहा-कक्षा के होनहार छात्र मनु बेतखल्लुस और उनकी जीवनसंगिनी उमा जी के परिणय की वर्ष-ग्रंथि है. दोहा हमारा दूत बन कर उन्हें शुभ-कामना दे रहा है-
प्रथा सनातन-पुरातन, चिर नवीन शुभ रीत.
पुरुष-प्रकृति का मिलन ही, सत्य-चिरन्तन प्रीत.
द्वैत मिटा, अद्वैत वर, दो तन-मन हों एक.
उमा और मनु शिवा-शिव, रचें सृष्टि निज नेक..
दोहा-गाथा को मिला मनु जी का सहयोग.
दोहा की खोजी बहर, यही शारदा-भोग..
चन्द्र-चन्द्रिका सम सदा, पूरक बन रह साथ.
उमा और मनु सौ बरस, जियें उठाये माथ.
हिन्दयुग्म-दोहा रहे, दोनों को आशीष.
सलिल-साधना स्नेह लाख, हों कृपालु जगदीश..
अगले सत्र में पयोधर और बल दोहा से परिचय प्राप्त करेंगे हम सब.
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8 कविताप्रेमियों का कहना है :
पद्द विधाओं की तकनीक से लोगो को अवगत करने का हिन्दयुग्म का प्रयास वाकई तारीफ का हकदार है. बधाई.
सी तरह से नए कवियों को भी अपनी काव्य सुधरने में आसानी होगी और उन्हें बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा.
प्रणाम आचार्य,,,,,
गयंद दोहे की जानकारी बहुत ठीक से समझ में आ गयी है,,
ये १३ गुरु और २२ laghu किसी भी जगह पर आ सकते हैं या कोई विशेष नियम है,,,?
और आपकी बधाई देने के तो क्या कहने,,,,,
निशब्द हूँ,,,,
इस सुन्दर प्रयास् के लिये पूरा साहित्य जगत ही आपका आभारी रहेगा शुभकामनायें
Naye kaviyon ko jinhe dohe ki jankari nahi hai hindyum ki in kakshaon se aasani se seekh sakta hai aur apni lekhni ko chandmaya karsakta hai.
गयंद दोहे sikhane ke liye badhayi aur aise dohe sangeet badh ho jate hai.
Manju Gupta.
शमिख फ़राज़ जी!
सराहना हेतु धन्यवाद.
मनुजी!
गयंद दोहे में लघु-गुरु मात्राएँ यथावश्यक आ सकती हैं. शेष नियम पूर्ववत हैं.
निर्मला जी!, मंजू जी!
आपका आगमन हर्ष का विषय है. इन विषयों पर लेखन वस्तुतः एक चुनौती है. समझदार पाठक से उत्साह बढ़ता है.
मै अभी पूना में हूँ इसलिए कक्षा में नहीं उपस्थित हूँ . मनुजी को विवाह की सालगिरह पर बधाई
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