सर्वप्रथम इस बात के लिए हम अपने पाठकों से माफी चाहते हैं कि किन्हीं अपरिहार्य कारणों से अगस्त माह की यूनि प्रतियोगिता का परिणाम निर्धारित तिथि (सोमवार, 7 सितम्बर 2009) से 8 दिन विलम्ब से प्रकाशित कर रहे हैं।
अगस्त माह की यूनिकवि एवं यूनिपाठक प्रतियोगिता इस प्रतियोगिता की 32वीं कड़ी है। जैसाकि हमने इस महीने उद्घोषणा की है कि अप्रैल 2009 से दिसम्बर 2009 के यूनिकवियों को हिन्द-युग्म के आगामी वार्षिक समारोह में सम्मानित किया जायेगा। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे इस कदम से इस सम्मान का मान बढ़ेगा और प्रतिभागियों को और बेहतर कविता लिखने की प्रेरणा मिलेगी।
अगस्त माह की यूनिकवि प्रतियोगिता में कुल 45 कवियों ने भाग लिया। निर्णय दो चरणों में कराया गया। पहले चरण में 4 जज तय किये गये, इन निर्णायकों द्वारा दिये गये अंकों के औसत के आधार पर 22 कविताओं को दूसरे यानी अंतिम चरण के निर्णय के लिए भेजा गया। अंतिम चरण में 2 जज थे, जिनके द्वारा दिये गये अंकों और पुराने औसत अंकों के औसत के आधार पर सुधीर सक्सेना 'सुधि' को यूनिकवि चुना गया।
सुधीर सक्सेना 'सुधि' 1 वर्ष से भी अधिक समय से हिन्द-युग्म की गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। पिछले वर्ष इसी महीने में इनकी एक कविता शीर्ष 10 में प्रकाशित हुई थी।
यूनिकवि- सुधीर सक्सेना 'सुधि'
सुधीर सक्सेना 'सुधि' की साहित्य लेखन में रुचि बचपन से ही रही. बारह वर्ष की आयु से ही इनकी रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं. हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में अनेक रचनाएँ प्रकाशित. आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी प्रसारण। बाल साहित्य में भी खूब लिखा. पत्रकारिता व लेखन के क्षेत्र में राजस्थान साहित्य अकादमी, राजस्थान पाठक मंच, भारतीय बाल कल्याण संस्थान, कानपुर, बाल गंगा { बाल साहित्यकारों की राष्ट्रीय संस्था, जयपुर }, चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट के अलावा अन्य अनेक पुरस्कारों से सम्मानित 'सुधि' की अब तक नौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
पुरस्कृत कविता- उम्र के भावुक पड़ाव पर बच्चे
उम्र के भावुक पड़ाव पर
ठहरे हैं जो बच्चे
उन्हें देखने दो-
हरियाली/ सावन...
रंगने दो
मनभावन कल्पनाओं का आँगन.
भावुकता अपने मापदंडों पर
निर्धारित करना चाहती है
अपना रास्ता.
इंद्रधनुष के खिले रंग...
नरम धूप... या महक में डूबी शाम...
लिखने दो, लिखते हैं वे
हथेली की स्लेट पर
जिस भी मौसम का नाम!
उम्र के भावुक पड़ाव पर
ठहरे बच्चे-
अपने तरीके से सोचते हैं,
अपने तरीके से लिखते हैं और
अपने तरीके से रचना चाहते हैं,
अपनी स्मृतियों का संसार.
बच्चे जब-
भावुक उम्र का पड़ाव छोड़कर
आगे बढ़ेंगे तो कौन जाने
इनकी स्मृति की मुस्कान
संगीत बन जाए
ज़िंदगी के होठों पर।
अनकहा, अनजाना ही न बीत जाए
खिलखिलाकर हँसने, गाने का मौसम!
इसलिए-
अपनी राहों पर
उजियारा फैलाने का
जो ख़त लिख रहे हैं बच्चे
उन्हें लिखने दो।
हो सकता है-
वक़्त का डाकिया
उनके दूधिया दाँत झर जाने तक
ख़त का जवाब ले ही आए!
और फिर बच्चा
सारी उम्र मुस्कुराए!
प्रथम चरण मिला स्थान- दूसरा
द्वितीय चरण मिला स्थान- प्रथम
पुरस्कार और सम्मान- शिवना प्रकाशन, सिहोर (म॰ प्र॰) की ओर से रु 1000 के मूल्य की पुस्तकें तथा प्रशस्ति-पत्र। प्रशस्ति-पत्र वार्षिक समारोह में प्रदान किया जायेगा। सितम्बर माह के अन्य दो सोमवारों की कविता प्रकाशित करवाने का मौका।
इनके अतिरिक्त हम जिन अन्य 9 कवियों की कविताएँ प्रकाशित करेंगे तथा उन्हें हम मुहम्मद अहसन की पुस्तक 'नीम का पेड़' की एक-एक प्रति भेंट करेंगे, उनके नाम हैं-
डा0 अनिल चड्डा
ओम आर्य
आलोक उपाध्याय "नज़र"
नीलेश माथुर
मेयनूर
संगीता सेठी
मृत्युंजय साधक
कुमार आशीष
मुकुल उपाध्याय
हम शीर्ष 10 के अतिरिक्त भी बहुत सी उल्लेखनीय कविताओं का प्रकाशन करते हैं। इस बार अंत की 4 कविताओं के प्राप्तांक में दशमलव के दूसरे और तीसरे स्थान में भिन्नता रही, इसलिए हम अन्य जिन 4 कवियों की कविताएँ एक-एक करके प्रकाशित करेंगे, उनके नाम हैं-
धर्मेन्द्र चतुर्वेदी 'धीर'
मुहम्मद अहसन
प्रिया
उपर्युक्त सभी कवियों से अनुरोध है कि कृपया वे अपनी रचनाएँ 30 सितम्बर 2009 तक अनयत्र न तो प्रकाशित करें और न ही करवायें।
हिन्द-युग्म पर पिछले 2 महीनों से जिस तरह से अनामी टिप्पणियाँ मिल रही हैं, वह हमें यह विचार करने पर विवश करती है कि एक पाठक की अभिव्यक्ति की सीमा-रेखा क्या हो। बहुत से अनामी टिप्पणीकारों ने हमारे स्थाई पाठकों को बुरा-भला कहा। हिन्द-युग्म पाठकों को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार देता है, लेकिन बात हिन्द-युग्म पर प्रकाशित सामग्रियों को लेकर होनी चाहिए। आगे से व्यक्तिगत आक्षेप-प्रत्याक्षेप को हटाने का निर्णय हिन्द-युग्म ने लिया है।
एक मिसाल की बात यह भी रही कि इस तरह के आक्षेपों के बाद भी, बिना विचलित हुए मंजू गुप्ता हिन्द-युग्म को लगातार पढ़ती रहीं और हमें प्रोत्साहित करती रहीं। मंजू गुप्ता को हमने यूनिपाठिका चुनने का निर्णय लिया है।
यूनिपाठिका- मंजू गुप्ता
21 दिसम्बर 1953 को ऋषिकेश (उत्तराखंड) में जन्मी मंजु गुप्ता एम ए (राजनीति शास्त्र) और बी॰एड॰ जैसी पढ़ाइयाँ की है। जयहिंद जुनियर हाई स्कूल एवं पंजाब-सिंध क्षेत्र हाई स्कूल, ऋषिकेश में अध्यापन कर चुकीं मंजु वर्तमान में जयपुरियर, हाई स्कूल, सानपाडा, नवी मुंबई में हिंदी शिक्षिका हैं। योग, खेल, जन-सम्पर्क, पेंटिग में रुचि रखने वाली मंजु की 2000 से अधिक रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। प्रान्त पर्व पयोधि (काव्य), दीपक (नैतिक कहानियाँ) सॄष्टि (खंड काव्य), संगम (काव्य), अलबम (नैतिक कहानियाँ), भारत महान (बाल गीत), सार (निबंध), परिवर्तन (नैतिक कहानियाँ) इनकी पुस्तकें हैं और जज्बा (देशभक्ति के गीत) प्रेस में है। समस्त भारत की विशेषताओं को प्रांत पर्व पयोधि में समेटने वाली प्रथम महिला कवयित्री का श्रेय मंजु को प्राप्त है। मुम्बई दूरदर्शन द्वारा आयोजित साम्प्रदायिक सद्भाव-सौहार्द्र पर कवि सम्मेलन में सहभाग, गांधी की जीवन शैली, निबंध-स्पर्धा में तुषार गांधी द्वारा विशेष सम्मान से सम्मानित, शाम-ए-मुशायरा में सहभागिता, ट्विन सिटी व्यंजन स्पर्धा में प्रथम, मॉडर्न कॉलेज, वाशी द्वारा सावित्रीबाई फूले पुरस्कार से सम्मानित, भारतीय संस्कॄति प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित प्रीत रंग प्रतियोगिता में पुरस्कॄत, राष्ट्रीय स्तर पर 1967 में उत्तर प्रदेश की खेल स्पर्धा में पुरस्कॄत, आकाशवाणी मुंबई से कविताएं प्रसारित, राष्ट्रभाषा महासंघ द्वारा पुरस्कृत।
सम्मान: वार्ष्णेय सभा, मुंबई द्वारा वार्ष्णेय चेरिटेबल नवी मुंबई द्वारा एकता वेलफेयर कल्चर असोसिएन मैत्रेय फाउंडेशन, विरार
पुरस्कार और सम्मान- मुहम्मद अहसन के कविता-संग्रह 'नीम का पेड़' की एक प्रति तथा प्रशस्ति-पत्र।
इस बार हमने दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान के विजेता पाठकों के लिए हमने क्रमशः विनोद कुमार पांडेय, निर्मला कपिला और विमल कुमार हेड़ा को चुना है। इन तीनों विजेताओं को भी मुहम्मद अहसन के कविता-संग्रह 'नीम का पेड़' की एक-एक प्रति भेंट की जायेगी।
इनके अलावा हम दीपाली सांगवान, नीति सागर वाणी गीत इत्यादि का भी धन्यवाद करना चाहेंगे, जिन्होंने अपनी प्रतिक्रियाओं से हमें अवगत कराया।
हम शामिख फ़राज़, मुहम्मद अहसन और दीपाली पंत तिवारी' दिशा' इत्यादि जैसे अतिसक्रिय पाठकों से निवेदन करेंगे कि कृपया इसी तरह से पढ़ते रहें और हिन्द-युग्म वार्षिक पाठक सम्मान-2009 के लिए अपनी दावेदारी सुनिश्चित करते जायें।
हम उन कवियों का भी धन्यवाद करना चाहेंगे, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लेकर इसे सफल बनाया। और यह गुजारिश भी करेंगे कि परिणामों को सकारात्मक लेते हुए प्रतियोगिता में बारम्बार भाग लें।
राम निवास 'इंडिया'
विनोद कुमार पाण्डेय
प्रदीप मानोरिया
दीपाली 'आब'
पूजा अनिल
सुजीत कुमार 'जलज'
केशवेन्द्र कुमार
कमलप्रीत सिंह
सौरभ कुमार
रतन शर्मा
शामिख फ़राज़
अमिता कौंडल
मैत्रयी बनर्जी
संजीवन मयंक
मंजू गुप्ता
दीपाली पन्त तिवारी"दिशा"
जोशी
अम्बरीष श्रीवास्तव
विमल कुमार हेड़ा
ब्रजेश पाण्डेय
त्रिभुवन मिश्रा
सुमीता प्रवीण
आलोक
शारदा अरोरा
डा. कमल किशोर सिंह
केतन कनौजिया 'शाइर'
अनिल यादव
नीरज पाल
अनुज शुक्ला
कविता रावत
क्षितिज़ गुप्ता
एम वर्मा
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27 कविताप्रेमियों का कहना है :
manju ji unipaathika banne par aapko bahut bahut badhaai ,isse pahley kahin aapka wo aashiq(hahahahaha) aakar aapka aur hmsabka mood kharaab kare hmaari badhhaai jaldi se lijiye .
sudhi ji agar ijaajat ho to aapki kavita hmaare baal dyaan par hum rakhna chaahenge .bahut bahut badhaai aapki kavita ne bachchon ke prati hone ya kiye jaane waale vyvhaar ke prati bahut hi sajag kiya hai .aabhar aapka
सुधीर सक्सेना 'सुधि' के यूनिकवि बनाने पर आपको बहुत बहुत बधाई
एवं
मंजू गुप्ता के यूनिपाठिका बनाने पर आपको बहुत बहुत बधाई
धन्यवाद
विमल कुमार हेडा
सुधीर जी को यूनिकवि के पुरूस्कार और मंजू जी को यूनिपाठक के पुरुस्कार से सम्मानित होने पर दोनों को मेरी तरफ से बहुत-बहुत-बधाई.
sudhir ji aur Manju ji ko dher sari badhayi sudhir ji ki kavita bhi bahut sudar hai..hindyugm ka dil jita aur pathako ka bhi..
badhayi..
यूनिकवि एवं यूनिपाठिका जी को मेरी ओर से बहुत-२ शुभकामनाये!एवं बधाई!
सर्वप्रथम मैं हिंद - युग्म का हार्दिक धन्यवाद करती हूं कि उनका निर्णय सच्चाई का पथप्रदर्शक है .मन के भाव -
हौसले की ताकत से,
धूल ने सारे आकाश को नापा .
सूर्य -दीप सा सच से ,
मन के अँधेरे का डर भागा.
स्नेहिल नीलम जी ,,विमल जी ,शन्नों जी ,विनोद जी .
आप सब को मेरा आभार .
और सारे पाठक का मैं शुक्रिया अदा करती हूं .मेरे स्कूल में 'हिंदी सप्ताह ' मनाया जा .इसलिए आज देरी हो गयी ..'हिंदी दिवस 'की shubh कामनाओं ke saath
यूनिकवि के सुधीर जी को मेरी कोटि -कोटि बधाई .बेमिसाल कविता -बेमिसाल परचिय है .
युनि कवि सुधीर जी व युनि पाठक मंजुला जी को बहुत बहुत बधाई। कविता बहुत सुन्दर है हिन्दयुग्मको भी इस सार्थक प्रयास के लिये बहुत बहुत बधाई
यूनीकवि सुधि जी को मेरा नमस्कार और बधाईयाँ
मंजू जी आपके साहित्य प्रेम की मैं दाद देता हूँ जो आप इतनी तन्मयता से बिना किसी अवरोध के टिप्पणियां देती हैं..मेरी बधाई भी स्वीकारें
प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी कवियों और पाठकों को बहुत बहुत बधाई...
सुधि जी को यूनिकवि बनने के लिए और मंजू जी को यूनिपाठिका का खिताब जीतने के लिए हार्दिक बधाईयाँ।
बाकी सभी प्रतिभागियों का भी स्वागत है।
-विश्व दीपक
सुधी जी और मंजू जी आप दोनो को ढेरो बधाई......
स्नेहमयी निर्मला जी ,धीर जी ,सुनील जी ,विश्व जी ,ओम जी
सस्नेह वंदन .
आप सब का मैं आभार व्यक्त करती हूँ .
सुधीर जी और मंजू जी को बहुत-बहुत बधाई। मंजु जी की सहनशीलता की दाद देनी पडेगी। उन्होंने सही मायने में एक आदर्श टीचर का परिचय दिया है। और हिन्द युग्म को pathko की हौसला अफ़्जाई के लिये और मुझे हिंन्दी सिखाने के लिए धन्यवाद।
सस्नेह सुमिता जी मुझे स्वामी विवेकानन्द जी की बात याद आ रही है -"सीखने से सिखाता है ,सिखाने सीखता है ."
आप का हार्दिक आभार .
सुधीर जी मंजू जी आप दोनों को बहुत बहुत बधाई .
मंजू जी टीचर सहनशील होती है ये मालूम था पर आप तो मिसाल है .आप की अमूल्य बातों का सभी को इंतजार रहता है.
आप अपने स्नेह शब्दों को बहने दें .
सादर
रचना
सुधीर जी मंजू जी आप दोनों को बहुत बहुत बधाई .
मंजू जी टीचर सहनशील होती है ये मालूम था पर आप तो मिसाल है .आप की अमूल्य बातों का सभी को इंतजार रहता है.
आप अपने स्नेह शब्दों को बहने दें .
सादर
रचना
mai hindi ki Aap ke davara paresit sbhi kvitayan pdhta hun muje bhi kvita likhne me Aanand milta ha .par maine hindi yugam me meri savam ki likhi hui kavita Beji thi par meri kvita kayo nhin chpati please muje jarur btayan muje kavita likhne ka bhut hi shok ha .
Ratan kumar Sharma
TGT- HINDI TEACHER
Aditya Birla Public School
GCW-Kovaya, Rajula city , Amreli
Gujarat-365541
9427491297
Aap ka hindi yugam bhut hi acchi kavita bejta rhta ha. sbhi kvitayen kuch sandes deti hain . aap ko meri taraf se or mere privar ki or se navratri ki subh kamnayen
Ratan Kumar Sharma
PGT-Hindi Teacher
GCW-colony-E-124
Kovaya, Rajulacity, Amreli
Gujarat-365541
9427491297
Aap ke davara Beja gya mere E mail ke jvab ko padhakar mujhe bhut hi khushi hu ki Aap ne meri kavita ko bhi sthan diya sabhi kvitao ko puruskar nhiM milta par samil krna hi mere liye bhut khushi ha kabhi to phale number bhi nam hoga .
Aap ki poori teem ko meri taraf se dhnayavad.
Aap ke davara Beja gya mere E mail ke jvab ko padhakar mujhe bhut hi khushi hu ki Aap ne meri kavita ko bhi sthan diya sabhi kvitao ko puruskar nhiM milta par samil krna hi mere liye bhut khushi ha kabhi to phale number bhi nam hoga .
Aap ki poori teem ko meri taraf se dhnayavad.
सुधीर जी को यूनिकवि बनने पर बहुत बहुत बधाई, आपकी कविता पढ़ते पढ़ते मैं भी उम्र के उस भावुक पड़ाव पर पहुच गया जहाँ हर निर्णय भावुकतावश और निष्कपट हुआ करता था ! अति सुन्दर कविता ! nilesh mathur
सुधीर सक्सेना 'सुधि' के यूनिकवि बनाने पर आपको बहुत बहुत बधाई
Bahaut ache!!!
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