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Wednesday, September 16, 2009

दोहा गाथा सनातन : 34 दोही दोहे की बहिन


दोहा गाथा सनातन : ३४

दोही दोहे की बहिन

दोहा के विविध प्रकारों से परिचित होने के साथ-साथ हमने सोरठा, रोला तथा कुंडली से भी परिचय प्राप्त किया.

दोहा कुल के अन्य छंदों की चर्चा प्रारंभ करते हुए आज हम 'दोही' का परिचय प्राप्त करते हैं.

दोही भी है द्विपदी, विषम चरण है भिन्न.
पंद्रह मात्राएँ रखें, किन्तु न लय विच्छिन्न.

सम चरणों के अंत में, लघु रखिये चुपचाप.
ग्यारह मात्राएँ लिए, दोही में रस व्याप.

'दोही'के दोनों पदों के विषम चरणों में पंद्रह तथा सम चरणों में ग्यारह मात्राएँ होती हैं.
प्रत्येक पद में १५+११ = २६ मात्राएँ इस एक दोही में तरह कुल ५२ मात्राएँ होती हैं.

उदाहरण:

१.
दर न रहे जाता मनुज जो, दर-दर बिना बुलाय.
आदर मान मिले न नर को, लख मुँह लोग फुलाय..
-डॉ, ॐप्रकाश बरसैया 'ओंकार', छंद क्षीरधि

२.
विरद सुमिरि सुधिकरत नित ही, हरि तुव चरन निहार.
यह भव जलनिधिते मुहि तुरत, कब प्रभु करिहहु पार..

३.
प्रभु तुम ही हो असरन-सरन, औ' मैं हूँ मानव मात्र.
तुम करुणासागर हो देव, हम करुणा के पात्र.. -सलिल

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15 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

दोहे की बहिन दोही से परिचय करवाया, बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद

विमल कुमार हेडा

neelam का कहना है कि -

doooohiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii

pahli baar hi suna hmne par kuch n guna hmne

neelam का कहना है कि -

shanno ji ,
is baar aaapki saheli aayi hai aap hain kahaan ????????????

Manju Gupta का कहना है कि -

आदरणीय गुरु जी को , नमस्ते .
दोहे की बहिन पता लगी .और भी परिवार है क्या ?गहन ज्ञान मिला .
थोडी देर में गृह कार्य करूंगी .आभार .

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी और सारी कक्षा को प्रणाम !

पहले थी चंडालिनी अब, बहिना रही पधार
गुरु जी क्यों बढ़ा रहे हैं, दोहे का परिवार?

सारी दुनिया अब चाहती, छोटा सा परिवार
दोही काहे पैदा हुई, करिये सोच - बिचार?

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

कृपया परिचय दे दीजिये, गुरु जी अबकी बार
कितनी दोही कुल मिलाकर, कितनी बड़ी कतार?

Manju Gupta का कहना है कि -

दोही लिखने की कोशिश की है -
दूषित हो गया मौसम सच ,
गरमी बरसे आग.
मानव मत छेड़ कुदरत को ,
हो जाएगा ख़ाक .

Shanno Aggarwal का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी,
प्रणाम

आज तीन 'दोही' लिखकर प्रस्तुत कर चुकी हूँ और अब आपकी सेवा में यह दो और 'दोही' लिखी हैं. अब आपके बिचार जानने की उत्सुकता है.

डाल - डाल लगे गदरायी, जब आये मधुमास
कलियाँ मुसकातीं फूल बन, बिखरत सुमन-सुवास.

बौराई सी मादक पवन, सिहराती है अंग
रवि-रश्मियाँ बिखर चहुँ ओर, भरतीं कितने रंग.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी,
शुभ-प्रभात!

दोही इतनी भोली लगे, मुझे लिया है मोह
दोहों की अपनी बहिन से, हो ना कभी बिछोह.

ज्ञान-दीप जला दो मुझमें, करो न मुझे निराश
कण-कण, पल-पल में तुम बसे, प्रभु तुम मेरी आस.

अजित गुप्ता का कोना का कहना है कि -

दोहे के साथ दोही भी। वाह आचार्य जी, एकदम नवीन जानकारी। शन्‍नों ने ने दोही बहुत ही अच्‍छी लिखी है उन्‍हें बधाई।

Divya Narmada का कहना है कि -

शन्नो जी, मंजू जी!

दोही लेखन के लिए बहुत-बहुत बधाई.

पूजा जी!

आपकी दोही कहाँ है?

मंजू पूजा अजित गायें, दोही नित्य नवीन.
'सलिल' साधना सफलतम हो, दोहीकार प्रवीण..

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु जी,
वन्देमातरम!

दोही का एक अंग्रेजी रिश्तेदार भी मैं अपने कमेन्ट के साथ जल्दी ही भेजने वाली हूँ....सब लोग ready रहिये.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

गुरु देव,
सोंनेट्स वाला काम करके मैंने आपको फिर से ई-मेल कर दिया है आज. और उसमे कुछ और भी बढा दिया है मैंने. कमेन्ट के द्वारा सारा काम भेजने में असमर्थ रही. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें. धन्यबाद.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

दोही का ना ध्यान रहा, उसे गये सब भूल
या लगता छुट्टी हो गयी, सो बंद है स्कूल.

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