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Monday, November 16, 2009

बसंत का गीत


कौन सा
अनजाना गीत है वह
जिसे
चैत्र की भीगी भोर में
चुपके से गा देती है
एक ठिगनी, बंजारन चिड़िया
विरही, पत्र-हीन, नग्न वृक्ष
के कानों मे
कि गुलाबी कोंपलों की
सुर्ख लाली दौड़ जाती है
उदास वृक्ष के
शीत से फटे हुए कपोलों पे
और शरमा कर
नये पत्तों का स्निग्ध हरापन
ओढ़ लेता है वृक्ष
खोंस लेता है जूड़े में
लाल-पीले फूलों की स्मित हँसी
लचकती, पुनर्यौवना शाखाओं को
कंधों पर उठा कर
समुद्यत हो जाता है
उत्तप्त ग्रीष्म के दाह मे
जलने के लिये
क्रोधित सूर्य के कोप से आदग्ध
पथिकों को
आँचल मे शरण देने के लिये

सिर्फ़ बसंत मे जीना
बसंत को जीना
ही तो नही है जिंदगी
वरन्‌
क्रूर मौसमों के शीत-ताप
सह कर भी
उतनी ही शिद्दत से
बसंत का इंतजार करना
भी तो जिंदगी है

हाँ यही तो गाती है
ठिगनी बंजारन चिड़िया
शायद

यूनिकवि- अपूर्व शुक्ल

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14 कविताप्रेमियों का कहना है :

राकेश कौशिक का कहना है कि -

जीवन सन्देश देती कविता, अपूर्व जी को शुभकामनाएं. साथ ही शिकायत नहीं अपूर्व जी को मेरा सुझाव है कि "बसंत गीत" अगर एक गीत के रूप में होता तो सोने पर सुहागा होता.

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

Apurv ji..ek prerak sandesh deti hui sundar kavita..behtareen shabd sanjoye hai apurv ji bahut badhiya likhate hai aap..aap ko meri or se hardik shubhakaamnae..aise hi nirantar aapke kalam achchi prerna dete hue lekhani ke sarvottm unchai ko chhue...dhanywaad

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

सुन्दर
अवनीश तिवारी

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

अपूर्व के रूप में अभूतपूर्व कवि हिन्द-युग्म को मिला है। जिसके पास जीवन के विविध ऑबजरवेशन्स हैं और उनको पाठकों तक पहुँचाने का आवश्यक शब्दकोश और भावबोध भी।

M VERMA का कहना है कि -

हाँ यही तो गाती है
ठिगनी बंजारन चिड़िया
शायद
बहुत सुन्दर

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

बहुत अच्छा लिख रहे हैं अपूर्व जी आप
--सिर्फ बसंत में जीना
बसंत को जीना
ही तो नहीं है ज़िंदगी
वरन् क्रूर मौसमों के
शीत-ताप सहकर भी
उतनी ही शिद्दत से
बसंत का इंतजार करना
भी तो ज़िंदगी है--
वाह
ऋंगार से संघर्ष तक का सफर अच्छा लगा।

rachana का कहना है कि -

सुंदर कविता
रचना
-----------------------------------------

मुकेश कुमार तिवारी का कहना है कि -

अपूर्व जी,

बहुत ही सुन्दर कविता, एक साँस में बस पढ़ता चला गया। भाव-शब्द संचयन-विन्यास अग्रिम पंक्ती की कविताओं में शुमार कर देता है।

हार्दिक बधाईयाँ आपको और हिन्द-युग्म को।

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

gazalkbahane का कहना है कि -

सुन्दर है जीवन जैसी बकलम खुद
सिर्फ़ बसंत मे जीना
बसंत को जीना
ही तो नही है जिंदगी
वरन्‌
क्रूर मौसमों के शीत-ताप
सह कर भी
उतनी ही शिद्दत से
बसंत का इंतजार करना
भी तो जिंदगी है

sanjay vyas का कहना है कि -

सच ऐसा ही कुछ गाती होगी वो ठिगनी बंजारन चिड़िया.

जीवन सिर्फ वसंत में जीना नहीं बल्कि उसके इंतज़ार में शीत-दाह को झेलना भी है.

एक पेड़ का आत्म-गीत गीत गुनगुनाती चिड़िया.

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