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Tuesday, October 07, 2008

मेजर गौतम राजऋषि- हिन्द-युग्म के नये यूनिकवि


हिन्द-युग्म की यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता में पिछली बार हमने ग़ज़ल लेखक पराग अग्रवाल को हमने यूनिकवि चुना था। सितम्बर माह की प्रतियोगिता के लिए आईं ग़ज़ल प्रविष्टियों का मूल्यांकन अलग से कराया गया। ४४ कविताओं में से ९ कविताओं को ग़ज़ल के पैमाने पर मापा गया। अन्य कविताओं के प्राप्तांकों के साथ ग़ज़लों के अंकों को शामिल करते वक़्त उनका सामान्यीकरण (Normalisation) किया गया। इस प्रकार प्रथम चरण के ६ जजों द्वारा दिये गये अंकों के औसत के आधार पर २२ कविताओं को दूसरे चरण के जजमेंट के लिए भेजा गया, जहाँ दो जजों के द्वारा दिये गये अंकों और प्रथम चरण के औसत के औसत के आधार पर गौतम राजऋषि की ग़ज़ल को यूनिकविता चुना गया।

गौतम राजऋषि

Gautam Rajrishiउम्र के बत्तीसवें पायदान पर खड़े गेतम राजऋषि जीवन के छोटे-मोटे अनुभवों को बस शब्दों में बाँध लेने की कोशिश करते हैं। सेना में हैं। जन्म और प्रारम्भिक शिक्षा बिहार के कोशी प्रभावित सहरसा में. इंटरमीडियेट करने के पश्‍चात राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे में दाखिला ले लिया जहाँ तीन साल के सैन्य-प्रशिक्षण के बाद भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में फिर एक साल का विशिष्ट प्रशिक्षण और तब से भारतीय सेना की पैदल-वाहिनी (इन्फैन्ट्री) में हैं। "मेजर" के पद पर हैं फिलहाल। विगत दस सालों की सैन्य-सेवा आधे से ज्यादा कश्मीर घाटी में अनाम लड़ाइयाँ लड़ते हुये बीती है। एक साल के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति-सेना के साथ अफ्रीका के कांगो गणराज्य में सेवारत थे और अभी पिछले डेढ़ सालों से उत्‍तराखंड की इस मनोरम वादी देहरादून में हैं- उसी भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षक के तौर पर जहाँ कभी खुद ये एक कैडेट हुआ करते थे। साहित्य से जुडा़व बचपन से रहा। कविता और ग़ज़ल पढ़ते-सुनते एक रोज अहसास हुआ कि खुद भी लिख सकते हैं। बशीर बद्र, निदा फाजली, वसीम बरेलवी, राहत इंदौरी, मुक्तीबोध, दुष्यंत कुमार, अहमद फ़राज़, गुलज़ार, फ़िराक...ये कुछ नाम हैं जिन्हें पढ़ते-गुनते बड़े हुए हैं। और गज़लों के अराधक-याचक-पुजारी हैं। किताब खरीदने और जमा करने का शौक है। गज़लों और कविताओं का काफी अच्छा संकलन इक्कठा किया है। और दुसरी तरफ कौमिक्स के दीवाने हैं। अपनी वर्दी और फ़ौज के अनुशासन की तरह ग़ज़ल के अनुशासन पर खड़ा उतरने की कोशिश कर रहे हैं अपने गुरु पंकज सुबीर की शागिर्दगी में. आज ये यूनिकवि बने हैं, इसका श्रेय ये अपने गुरु को ही देते हैं।

पुरस्कृत कविता- ग़ज़ल

हवा जब किसी की कहानी कहे है
नये मौसमों की जुबानी कहे है

फ़साना लहर का जुड़ा है जमीं से
समुन्दर मगर आसमानी कहे है

कटी रात सारी तेरी करवटों में
कि ये सिलवटों की निशानी कहे है

यहाँ ना गुजारा सियासत बिना अब
मेरे मुल्क की राजधानी कहे है

"मुहल्ले की सारी गली मुझको घूरे"
हुई जबसे बेटी सयानी कहे है

"रिवाजों से हट कर नहीं चल सकोगे"
जड़ें ये मेरी खानदानी कहे है

नयी बात हो अब नये गीत छेड़ो
गुजरती घड़ी हर पुरानी कहे है

(बहर-मुतकारिब मुसमन सालिम, १२२-१२२-१२२-१२२)



प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ८॰२५, ४, ६, ९, ७, ८॰२
औसत अंक- ७॰०७५
स्थान- पहला


द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ७, ७॰६, ७ॅ०७५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ७॰२२५
स्थान- पहला


एक जज की टिप्पणी- ग़ज़ल की एक लाइन 'मुहल्ले की सारी गली मुझको घूरे' की ज़गह 'न जाने सभी क्यों मुझे घूरते हैं' किया जा सकता है। इससे शे'र और सुंदर बन पड़ेगा।


पुरस्कार और सम्मान- रु ३०० का नक़द पुरस्कार, प्रशस्ति-पत्र और रु १०० तक की पुस्तकें।

चूँकि यूनिकवि ने अक्टूबर माह के अन्य तीन सोमवारों को भी अपनी कविता प्रकाशित करने का वचन दिया है, अतः शर्तानुसार रु १०० प्रत्येक कविता के हिसाब से रु ३०० का नग़द इनाम दिया जायेगा।

यूनिकवि गौतम राजऋषि को तत्वमीमांसक डॉ॰ गरिमा तिवारी की ओर से 'येलो पिरामिड' भेंट की जायेगी तथा यूनिकवि को डॉ॰ गरिमा तिवारी से मेडिटेशन पर एक पैकेज का ऑनलाइन प्रशिक्षण पाने का अधिकार होगा (लक पैकेज़ छोड़कर)।

इस बार हम शीर्ष १३ कविताओं का प्रकाशन करेंगे ताकि पाठकों की निर्णायक दृष्टि भी सभी स्तरीय कविताओं पर पड़ सके। शीर्ष १३ के अन्य १२ कवि हैं- (यद्यपि हम शीर्ष १० कविताओं का ही प्रकाशन करना चाहते थे, लेकिन अंतिम ३ कविताओं के प्राप्तांक लगभग बराबर थे, इसलिए हम शीर्ष १३ का प्रकाशन कर रहे हैं)

पुष्कर चौबे
रचना श्रीवास्तव
लक्ष्मी ढौंडियाल
सुधी सिद्धार्थ
अरूण मित्तल
माला शर्मा
हरबिंदर सिंह कलसी
संजीव वर्मा
बज़्मी नक़वी
निपुण पाण्डेय "अपूर्ण"
केशव कर्ण
दीपक मिश्रा

उपर्युक्त लिखित नामों में से शीर्ष ९ कवियों को शशिकांत सदैव अपना काव्य संग्रह 'स्त्री की कुछ अनकही' भेंट करेंगे।

उपर्युक्त कवियों से निवेदन है कि सितम्बर माह की अपनी कविता-प्रविष्टि को न तो अन्यत्र कहीं प्रकाशित करें ना प्रकाशनार्थ भेजें क्योंकि हम इस माह के अंत तक एक-एक करके प्रकाशित करेंगे।

पाठकों की बात करें तो पिछले १ साल से हिन्द-युग्म से जुड़ी रचना श्रीवास्तव हिन्द-युग्म को लगातार पढ़ती रहीं, पहले केवल पढ़ती रहीं, फिर कमेंट करना शुरू किया, शुरूआत में रोमन में लिखा, फिर हमारे अनुरोध पर देवनागरी में करने लगीं। इस बार ही हम इन्हें यूनिपाठिका बना रहे हैं।

रचना श्रीवास्तव

लखनऊ (उ॰प्र॰) में जन्मी रचना को लिखने की प्रेरणा बाबा स्वर्गीय रामचरित्र पाण्डेय और माता श्रीमती विद्यावती पाण्डेय और पिता श्री रमाकांत पाण्डेय से मिली। भारत और डैलस (अमेरिका) की बहुत सी कवि गोष्ठियों में भाग लिया, और डैलास में मंच संचालन भी किया। अभिनय में अनेक पुरस्कार और स्वर्ण पदक मिला, वाद-विवाद प्रतियोगिता में पुरुस्कार, लोक संगीत और न्रृत्य में पुरुस्कार, रेडियो फन एशिया, रेडियो सलाम नमस्ते (डैलस), रेडियो मनोरंजन (फ्लोरिडा), रेडियो संगीत (हियूस्टन) में कविता पाठ। कृत्या, साहित्य कुञ्ज, अभिव्यक्ति, सृजन गाथा, लेखिनी, रचनाकर, हिंद-युग्म, हिन्दी नेस्ट, गवाक्ष, हिन्दी पुष्प, स्वर्ग विभा, हिन्दी-मीडिया इत्यादि में लेख, कहानियाँ, कवितायें, बच्चों की कहानियाँ और कवितायें प्रकाशित।

पुरस्कार और सम्मान- रु ३०० का नक़द पुरस्कार, प्रशस्ति-पत्र और रु २०० तक की पुस्तकें।

यूनिपाठिका रचना श्रीवास्तव को तत्वमीमांसक डॉ॰ गरिमा तिवारी की ओर से 'येलो पिरामिड' भेंट की जायेगी तथा यूनिपाठिक को डॉ॰ गरिमा तिवारी से मेडिटेशन पर एक पैकेज का ऑनलाइन प्रशिक्षण पाने का अधिकार होगा (लक पैकेज़ छोड़कर)।

इस बार हम जिन्हें दूसरे से चौथे स्थान का पाठक चुन रहे हैं, उन्होंने बहुत अधिक तो नहीं पढ़ा, लेकिन जितना भी पढ़ा, उससे यह उम्मीद जगती है कि आने वाले समय में हिन्दी साहित्य को पाठकों की कमी खलने वाली नहीं है। दूसरे से चौथे स्थान के पाठक के रूप में हमने क्रमशः फ़िरदौस खान, मानविंदर भिंबर और सुरेन्द्र 'अभिन्न' को चुना है, जिन्हें मसि कागद की ओर से कुछ पुस्तकें भेंट की जायेंगी।

हम निम्नलिखित कवियों का भी धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर इसे सफल बनाया और यह निवेदन करते हैं कि अक्टूबर २००८ की यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता में भी अवश्य भाग लें।

पुनीत मिश्रा
केतन कनौजिया "काफिर"
सुमन कुमारी 'मेनका'
सुमन कुमार सिंह
विवेक रंजन श्रीवास्तव
जीष्णु
दीपाली मिश्रा
दिनेश गहलोत
अनु शर्मा
संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
जसप्रीत कौर
सनत जैन
सुरेन्द्र कुमार अभिन्न
उत्पल कांत मिश्रा
शाशिकांत शर्मा
नीलम मिश्रा
अनिल जींगर
सीमा 'स्‍मृति'
अभिषेक चित्रांश
प्रमोद कुमार
अनूप सिंह यादव
नीरा राजपाल
आशीष कुमार श्रीवास्तव
सुनील कुमार ’सोनू’
अविनाश वाचस्पति
महेश कुमार वर्मा
कमल प्रीत सिंह
सुरिंदर रत्ती
तपन शर्मा
कबीर मल्होत्रा
जय नारायण त्रिपाठी "अद्वितीय"

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22 कविताप्रेमियों का कहना है :

रविकांत पाण्डेय का कहना है कि -

बधाई हो गौतम जी एवं रचना जी को।

शोभा का कहना है कि -

गौतम ऋषि जी और रचना जी को बहुत बहुत बधाई.

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

नयी बात हो अब नये गीत छेड़ो
गुजरती घड़ी हर पुरानी कहे है...

गौतम जी और रचना जी को बधाई..
आशा है कि आगे भी गौतम जी की ग़ज़लें पढ़ने को मिलेम्गी..

हरकीरत ' हीर' का कहना है कि -

major sahab hind yugm me swagat hai.

Anonymous का कहना है कि -

मेजर साहिब ,बधाई ,सेना के अनुशसान की तरह ,ग़ज़ल का अनुशासन भी आपने बखूबी निभाया है,सुंदर ग़ज़ल है ,हाँ जैसे आपके एक शेर पर निर्णायक मंडल के सदस्य की अच्छी तिपनी है,वैसे ही निम्न लिखित शेरों में भी कुछ सोच की जरूरत महसूस होती है

रिवाजों से हट कर नहीं चल सकोगे"
जड़ें ये मेरी खानदानी कहे है
जड़े बहुवचन है अत कहें आना चाहिए जो रदीफ़ को ग़लत करता तो इसे यूँ देखें ये जड़ भी [ तो]
गुजारा सियासत बिना अब यहां ना
मेरे मुल्क की राजधानी कहे है

इस शेर में भावः में अटपटा पण है राजधानी में तो सियासत के बिना गुजारा होता ही कब है
आप का इशारा शायद संसद घूस काण्ड की तरफ़ है तब तो इसे यूँ कहा जा सकता है
सियासत भला क्या इसी को है कहते ,मेर मुल्क की राजधानी कहे है 'आपकी ग़ज़ल को ८ नुम्बर देने वाला निर्णायक मंडल का सदस्य

Anonymous का कहना है कि -

मेजर साहिब ,सुंदर ग़ज़ल पर बधाई और रचना जी आप सरीखे गुनी-पाठकों बिना तो कवि-कथाकार अनाथ महसूस करते हैं ,अत: आपको दुगनी बधाई ,श्याम सखा `श्याम'

दीपाली का कहना है कि -

"रिवाजों से हट कर नहीं चल सकोगे"
जड़ें ये मेरी खानदानी कहे है

नयी बात हो अब नये गीत छेड़ो
गुजरती घड़ी हर पुरानी कहे है

बहुत बढ़िया लिखा है...
गौतम जी और रचना जी को बहुत-बहुत बधाई.

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

अच्छी लगी। और पढ़वाइए।

Nikhil का कहना है कि -

मेजर साब,
हिन्दयुग्म का गौरव बढ़ाने के लिए बधाई....आप तो देश सेवा भी कर रहे हैं और हिन्दी की भी.....बढ़िया है....
एक जज की टिप्पणी- ग़ज़ल की एक लाइन 'मुहल्ले की सारी गली मुझको घूरे' की ज़गह 'न जाने सभी क्यों मुझे घूरते हैं' किया जा सकता है। इससे शे'र और सुंदर बन पड़ेगा।
मुझे लगता है मजोर साब की पंक्ति भी असरदार ही है....पूरी ग़ज़ल ही अच्छी है....

रचना जी तो एक तरह से हिन्दयुग्म के लिए नया नाम नहीं है,....फ़िर भी बधाई.....पाठक न हों तो हिन्दयुग्म चल ही नहीं सकता.....

हिन्दी की लहर बरकरार रहे.....

निखिल

Rama का कहना है कि -

डा. रमा द्विवेदीsaid....

मेजर गौतम जी के यूनिकवि बनने पर व रचना जी के यूनिपाठिका बनने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

हिन्द-युग्म परिवार के सभी सदस्यों को ‘विजय पर्व’ की हार्दिक शुभकामनाएं...

Smart Indian का कहना है कि -

गौतम जी और रचना जी को बहुत बहुत बधाई!

अभिन्न का कहना है कि -

गौतम जी आपकी रचना,और रचना जी आपकी पठनीयता दोनों को आज हिन्दी प्रेमियों ने जो स्थान दिया है वह स्थान आपका अधिकार है,गौतम जी "नयी बात" और "नए गीत" छेड़ने की जो जरुरत आपने महसूस की है वह वास्तव में सही है ,राजनीति,समाज ही क्यों हमे हर क्षेत्र में नयी बात --कुछ नया कर गुजरने की हिम्मत रखनी चाहिए ,गुरु पंकज सुबीर जी को भी बहुत बहुत धन्यवाद ......
उनकी फसल अब लहलहाने लगी है,
नए मौसमों की ग़ज़ल सुनाने लगी है
.....सुरेन्द्र अभिन्न

गौतम राजऋषि का कहना है कि -

आप सब का और हिन्दी-युग्म का आभारी हूँ.बस जो कुछ भी है,सब मेरे गुरू श्रे पंकज सुबीर जी का आशिर्वाद है.
निर्णायक-मंडली का शुक्रिया इतना व्क्त निकालने के लिये,हर मिस्रे की बारिकि में जाने के लिये,अपने अनमोल सलाहों से अनुग्रहित करने के लिये और इतने अच्छे नंबर देने के लिये.
रचना जी को सहस्त्रों बधाई.
...और गुरू जी को दंडवत चरण-स्पर्श

विश्व दीपक का कहना है कि -

मेजर साहब को यूनिकवि विजेता बनने के लिए मेरी तरफ से बधाईयाँ।
रचना जी को बधाई दूँ या धन्यवाद कहूँ, समझ नहीं आ रहा, क्योंकि सुधि पाठक के बिना हमारा कोई भी प्रयास सफ़ल नहीं हो सकता।
बाकी सभी प्रतिभागियों को भी ढेरों बधाईयाँ।

Alok Shankar का कहना है कि -

Bhai waah,
Mejar sahab aur rachna ji ko badhaiyan aur shubhkaamnayen.

Unknown का कहना है कि -

गौतम जी,
यूनिकवि बनने के लिए बधाई
रचना जी, आपको भी यूनिपाठिका के लिए बधाई
आपकी गजल बहुत अच्छी लगी........

और सभी को विजयदशमी की बधाई

सुमित भारद्वाज

Unknown का कहना है कि -

Finally Pandey Kavi Ban Hi Gaya .... Badhai ho Pandey ohhh nahin Apoorna Ji ...

Anonymous का कहना है कि -

गौतम जी और रचना जी,आप दोनों को बहुत बहुत बधाई.
आलोक सिंह "साहिल"

Anonymous का कहना है कि -

आप की बधाइयों बहुत बहुत धन्यवाद आप के शब्दों में प्यार और भावनाए है मात्र शब्द नही इसी लिए शायद दिल को छूते है
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद गैतम जी को बहुत मुबारक हो
सादर
रचना

सुधि सिद्धार्थ का कहना है कि -

गौतम जी और रचना जी को बधाई हो...आप दोनो के बारे में पढ़कर काफी उत्साहित हूं हिन्दी युग्म के प्रति और कविता पढ़ने और लिखने के प्रति...आज कल काम में लोग इतने व्यस्त हो जाते है कि उनके पास समय ही नही रहता कुछ करने का पर आप दोनो जिस तरह से हिन्दी की सेवा कर रहे है वो वाकई हौसला बढ़ाती हैं ..अब लगता है कि बस आप जैसे कवियों से जुड़ाव रहे तो बस हिन्दी की सेवा में कुछ मेरा भी योगदान हो जाएगा...जय जय हिन्दी युग्म.
सुधी सिद्घार्थ

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ का कहना है कि -

गौतम भाई को हार्दिक बधाई.

उनकी सशक्त लेखनी शेरों नहाए और ग़ज़लों
फले!

रचना जी के लिए भी शुभकामनायें
.

द्विजेन्द्र द्विज

shama का कहना है कि -

Pehlee baar aapke blogpe kaheen se link milaa aur aa gayee...ateev sundar rachana padhne milee...itne comment mil chuke hain aapko...in sabheeko sametke ek kamment kar dun to ? Mere paas waqayee alag shabd nahee...
Mere blogpe aaneke liye aamantrit kartee hun...aap jaise logonse seekhne miltaa hai..mai na lekhika hun na kavee...sif zinadageeko shabdome piro rahee hun..ek adnaa-si koshish hai...

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