हिन्दी टाइपिंग और ब्लॉग-मेकिंग पर पॉवर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण, काव्यपाठ के साथ लोगों ने गीत-संगीत का आनंद उठाया
अतिथिगणः प्रो॰ भूदेव शर्मा, राजेन्द्र यादव(मुख्य-अतिथि) और डॉ॰ सुरेश कुमार सिंह |
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रविवार 28 दिसम्बर 2008 को दोपहर 2 बजे से संध्या 6:30 बजे तक धर्मवीर संगोष्ठी कक्ष, हिन्दी भवन में हिन्द-युग्म का वार्षिकोत्सव संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरूआत निखिल आनंद गिरि के औपचारिक उद्बोधन से हुई। निखिल ने कार्यक्रम के संचालन के लिए हिन्द-युग्म के वरिष्ठ सदस्य और हरियाणा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ॰ श्याम सखा 'श्याम' से आग्रह किया।
संचालकः डॉ॰ श्याम सखा 'श्याम' |
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शुरूआत में अतिथियों का गुलदस्ता भेंट करके हिन्द-युग्म के सदस्यों ने स्वागत किया। स्वागत करने वालों में शिवानी सिंह, सुनीता चोटिया, नीलम मिश्रा, रूपम चोपड़ा और तपन शर्मा के नाम प्रमुख हैं। इसके बाद हिन्द-युग्म के संस्थापक शैलेश भारतवासी ने पॉवर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण की मदद से हिन्द-युग्म की अब तक की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। इस प्रस्तुतिकरण को वहाँ उपस्थित १५० से अधिक दर्शकों ने टकटकी लगाकर देखा। प्रस्तुतिकरण के बैकग्राउंड में हिन्द-युग्म का थीम-गीत बढ़े चलो का बजना इसमें चार चाँद लगा रहा था। पॉवर प्वाइंट में देश-विदेश से हिन्द-युग्म को मिले शुभकामना और बधाई संदेश भी दिखाये गये।
अमित दहिया बादशाह |
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कार्यक्रम में इस बात का ख्याल रखा गया था कि विविधता रहे ताकि दर्शक कम से कम बोर हों। इसके बाद काव्य-पाठ का सिलसिला आरम्भ हुआ। हिन्द-युग्म के मेंटर और दिल्ली पोएट्री संस्था के संस्थापक अमित दहिया बादशाह ने पहले कवि के तौर पर काव्य-पाठ का शुभारम्भ किया। 'मिट्टी' और 'चिड़िया' कविता ने लोगों का दिल जीत लिया।
फिर यूनिकवि पावस नीर ने अपनी वह कविता सुनाई जिस कविता ने उन्हें यूनिकवि का खिताब दिया था। शोभा महेन्द्रू ने २६ नवम्बर २००८ को मुम्बई में हुई आंतक घटना की निंदा अपने एक गीत के माध्यम से की और राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया।
इसके बाद मंच पर आसीन पहले अतिथि प्रदीप शर्मा जो मीडिया से ३०-३२ वर्षों से जुड़े हैं, अंतर्राष्ट्रीय स्पोर्ट्स कमेंटेटर हैं और वर्तमान में DU-FM के प्रोग्रेम ऑफिसर हैं, को दो शब्द कहने के लिए बुलाया गया। जिसमें उन्होंने हिन्द-युग्म और वहाँ उपस्थित सभी दर्शकों को यह सलाह दी कि हिन्दी या उर्दू या कोई भी भाषा के शब्दों का सही इस्तेमाल और सही उच्चारण होना चाहिए। यह भी कहा कि हिन्द-युग्म के इस प्रयास में मुझसे जितना और जिस प्रकार से बन पड़ेगा, मैं मदद करूँगा।
दूसरा संभाषण डॉ॰ सुरेश कुमार सिंह (सदस्य कपार्ट, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार, डायरेक्टर-एडमिनिस्ट्रेशनः BBS मैनेजमेंट और फॉर्मेसी संस्थान, ग्रेटर नोएडा, उ॰प्र॰) का हुआ। उन्होंने यह बताया कि हिन्द-युग्म को वो दिल्ली में रहकर नहीं बल्कि मुम्बई में जाकर जान सके। यह भी कहा कि उनका ग्रामीण विकास मंत्रालय ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाली ऐसी संस्थाओं को आर्थिक सहयोग देता है जो ग्रामीण क्षेत्रों में कम्प्यूटीकरण के पक्षधर हैं। हिन्द-युग्म ऐसे गैरसरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर काम करे तो वे आर्थिक सहयोग देने की पहल कर सकते हैं।
उपस्थित दर्शक |
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तत्पश्चात हिन्द-युग्म के नियंत्रक शैलेश भारतवासी ने 'हिन्दी टाइपिंग और ब्लॉग-मेकिंग' पर पॉवर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण दिया और यह बताया कि कोई भी अधिकतम १० मिनट में हिन्दी टाइपिंग सीख सकता है और ब्लॉग बना सकता है। इन्होंने अपना डेढ़-वर्षीय यूनिप्रशिक्षण का अनुभव बाँटा। बहुत से पाठकों ने सवाल किया, लेकिन समय की कमी के कारण उनका समाधान ईमेल या फोन द्वारा करने की बात कहकर कार्यक्रम के अगले आकर्षण की ओर बढ़ने की सलाह संचालक ने दी। वार्षिकोत्सव के आयोजन का यह सबसे बड़ा आकर्षण था। १५० से भी अधिक संख्या में उपस्थित दर्शकों की भीड़ इस बात का प्रमाण थी कि लोग ब्लॉगिंग सीखना चाहते हैं और अपनी भाषा में लिखना-पढ़ना चाहते हैं।
हिन्दी टाइपिंग और ब्लॉग-मेकिंग पर पॉवर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण |
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इसके बाद हिन्द-युग्म पाठक सम्मान २००८ से ४ पाठकों को सम्मानित करने का क्रम आया। जिसमें आलोक सिंह 'साहिल', सुमित भारद्वाज, दीपाली मिश्रा और पूजा अनिल को यह सम्मान दिया जाना था। यह पुरस्कार प्रयास ट्रस्ट, रोहतक द्वारा दिया गया, जिसके तहत स्मृति चिह्न, पुस्तकों का बंडल और पुस्तकों का बंडल भेंट किये गये। दीपाली मिश्रा की ओर से यह सम्मान इनके चाचा विजय प्रकाश मिश्रा और पूजा अनिल की ओर से यह सम्मान हिन्द-युग्म की सदस्या नीलम मिश्रा ने ग्रहण किया।
हिन्द-युग्म पाठक सम्मान ग्रहण करते सुमित भारद्वाज |
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इसके बाद हिन्द-युग्म के बहुचर्चित युवाकवि गौरव सोलंकी का काव्यपाठ हुआ। जो बहुत पसंद किया गया। इन्होंने 'हेमंत करकरे नाम का आदमी मर गया था' 'तुम्हारा प्रायश्चित' आदि कविताओं का पाठ किया। तालियों की गड़गड़ाहटें कवितापाठ के प्रभाव का प्रमाण प्रस्तुत कर रही थीं।
कार्यक्रम में आगे अपने संभाषण में हिन्द-युग्म के अगले अतिथि अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गणितज्ञ प्रो॰ भूदेव शर्मा ने कहा कि उन्होंने शुरू से ही इंटरनेट को बहुत महत्व दिया है। अमेरिका में रहने वाला हर अप्रवासी भारतीय इंटरनेट से जुड़ा है और इंटरनेट पर हिन्दी में ही पढ़ना-लिखना चाहता है। इसमें बहुत संभावनाएँ हैं। प्रो॰ भूदेव शर्मा 90 के दशक में अमेरिका और उसके आस-पास हिन्दी साहित्य का प्रचार-प्रसार करने में अग्रणी रहे हैं।
आगे के काव्यपाठ में रूपम चोपड़ा ने 'मौसम बदल रहा है' और 'आज फिर वही बात है' का पाठ किया। जिसके बाद संचालक श्याम ने सखा श्याम ने यह कहा कि आज के युवा कवि नये मुहावरे गढ़ रहे हैं। मनुज मेहता ने अपने प्रभावी आवाज़ में 'मेरा कमरा' इत्यादि कविताओं का पाठकर समा बाँध दिया।
नाज़िम नक़वी |
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इसके बाद नं आया अपनी प्रभावी आवाज़ के लिए मशहूर यूनिकवि निखिल आनंद गिरि का, जिन्होंने १० मिनिट तक श्रोताओं को बाँधे रखा। अंतिम कवि के रूप हिन्द-युग्म के तीसरे अतिथि कवि और वर्तमान में हिन्द-युग्म पर बेहद सक्रिय नाज़िम नक़वी को बुलाया गया जिन्होंने अपनी ग़ज़ल अदायगी से लोगों का दिल जीत लिया।
इसके बाद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और देश के वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र यादव की बारी आई।
राजेन्द्र यादव ने कहा कि चूँकि इंटरनेट की दुनिया इतनी विस्तृत हो गई है, कम्प्यूटर जन-जन तक अपनी पहुँच बना चुका है इसलिए क्या पता नर्क यानी दोज़ख की भाषा भी यही हो, माध्यम भी यही हो। वो भी इतनी ही आधुनिक हो जाये। इसलिए मैं अपने अंतिम दिनों में यह जुबान सीख लेना चाहता हूँ। उन्होंने आगे कहा कि हिन्द-युग्म ने आज हिन्दी की इंटरनेटीय उपस्थिति बताकर मेरे सामने एक नई दुनिया खोल दी है। इस कार्यक्रम से पहले उन्हें ब्लॉगिंग के बारे में सुना तो था लेकिन यह दुनिया इतनी विशाल है, उन्हें इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था।
राजेन्द्र यादव ने यह भी कहा कि हिन्दी प्रेमियों को विचारों से भी आधुनिक होना पड़ेगा। हमें खड़ी बोली से पहले के साहित्य को आल्मारियों में बंद कर देना चाहिए। वैचारिक और सामाजिक विकास की स्पर्धा के इस दौर में हमें बहुत आगे जाना है, अतः रास्ते का बोझ जितना हल्का हो उतना ही बढ़िया। उन्होंने एटामिक ऊर्जा की वक़ालत करने वाले ऐसे लोगों की भर्त्सना की जो माथे पर टीका लगाने और मंदिर के बाहर नारियल तोड़ने का पाखंड करते हैं।
राजेन्द्र यादव ने कहा कि वर्तमान की हिन्दी ज़ुबान जिसे ५० करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं या समझते हैं और जो विश्व की दूसरी बड़ी भाषा है, उसका साहित्य भी वहीं से माना जाना चाहिए जहाँ से हिन्दी भाषा का रूप खड़ी बोली हुई है। हिन्दी सिखाने के लिए कबीर-तुलसी के साहित्य की जगह आधुनिक साहित्य उपयोग में लाया जान चाहिए।
राजेन्द्र जी ने महिलाओं और दलितों के हर क्षेत्र में आगे आने पर बल दिया।
इसके बाद सेट्रंल बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय सहायक महाप्रबंधक श्रीधर मिश्र को कार्यक्रम में दो शब्द कहने के लिए बुलाया गया। यह कार्यक्रम उन्हीं के सहयोग और मार्गदर्शन में अमली जामा पहन पाया था। श्रीधर मिश्र ने कहा कि वे राजेन्द्र यादव के विचारों से इत्तेफाक नहीं रखते और वे पुराने चीजों को भी साथ ले चलने के पक्षधर हैं।
अंत में हिन्द-युग्म की सदस्या नीलम मिश्रा ने देश-विदेश से किसी भी माध्यम से हिन्द-युग्म से जुड़े हिन्दी-प्रेमियों का धन्यवाद किया।
इस कार्यक्रम में हरिभूमि अखबार के दिल्ली प्रमुख अरविन्द सिंह, MCD के अधिकारी सुरेश यादव, सेंद्रल बैंक ऑफ इंडिया के हिन्दी अधिकारी ईश्वर चन्द्र भारद्वाज, आकाशवाणी के मोबिन अहमद खाँ, भड़ास4मीडिया के रिपोर्टर अशोक कुमार, प्रसिद्ध ब्लॉगर मसिजीवी, चोखेरबाली ब्लॉग की मुख्य-मॉडरेटर सुजाता तेवतिया, ब्लॉगवाणी के मैथिली शरण गुप्त व सिरिल गुप्त, सफर-प्रमुख राकेश कुमार सिंह, छंदशास्त्री दरवेश भारती, ब्लॉगर राजीव तनेजा, नवभारत टाइम्स के यूसुफ किरयानी, पंडित प्रेम बरेलवी, लेडी श्रीराम कॉलेज में हिन्दी की प्रोसेफर डॉ॰ प्रीति प्रकाश प्रजापति, महकते-पल फोरम प्रमुख सखी सिंह, आनंदम-प्रमुख जगदीश रावतानी, युवा कवि भूपेन्द्र कुमार, साक्षात भसीन, नमिता राकेश, अमर-उजाला में सह-संपादक रामकृष्ण डोगरे, पंजाब केसरी में सह-संपादक सुनील डोगरा ज़ालिम, पत्रकार उमाशंकर शुक्ल, कार्टूनिस्ट मनु-बेतख्खल्लुस, वर्तमान यूनिकवि दीपक मिश्रा ने भी हिन्द-युग्म परिवार को अपना आशीर्वाद दिया।
कार्यक्रम में आगंतुकों के स्वागत के लिए हिन्द-युग्म की ओर से अभिषेक पाटनी, भूपेन्द्र राघव, रविन्दर टमकोरिया, नसीम अहमद, दीप जगदीप, प्रेमचंद सहजवाला इत्यादि उपस्थित थे।
पाठकों से आग्रह है कि इस कार्यक्रम से जुड़े अपने अनुभव, मार्गदर्शन और सलाह हमें भेजें जिसे हम हिन्द-युग्म के बैठक मंच पर प्रकाशित करेंगे। इसे हमें आगे के कार्यक्रमों को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। हमारा ईमेल पता है-hindyugm@gmail.com |
अन्य झलकियाँ
अतिथिगणः प्रदीप शर्मा, प्रो॰ भूदेव शर्मा, राजेन्द्र यादव(मुख्य-अतिथि) और डॉ॰ सुरेश कुमार सिंह |
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दर्शकदीर्घा |
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प्रो॰ भूदेव शर्मा और राजेन्द्र यादव |
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दीपाली मिश्रा की ओर से हिन्द-युग्म पाठक सम्मान ग्रहण करते इनके चाचा विजय प्रकाश मिश्रा |
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हिन्द-युग्म पाठक सम्मान ग्रहण करते आलोक सिंह 'साहिल' |
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पूजा अनिल की ओर से हिन्द-युग्म पाठक सम्मान ग्रहण करती नीलम मिश्रा |
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हिन्द-युग्म के छायाचित्रकार मनुज मेहता बहुत से चित्र खींचे हैं, अन्य झलकियाँ हम पुनः उपस्थित होंगे।
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क्या यादव जी के चुरट सुलगाने को भी जायज कहेंगे आप?
बाप दादाओं की तस्वीरों को निकाल कर फेंक दो
साहित्यकार राजेन्द्र यादव का कार्टून
Taking a Call from Hell
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32 कविताप्रेमियों का कहना है :
नि:संदेह एक सफल आयोजन..
मुझे इस तरह के रिस्पांस की उम्मीद नहीं थी। हिन्दी और हिन्दी ब्लॉगिंग की हर तरफ तारीफ थी और हिन्दयुग्म के कार्यों को सराहा गया।
हिन्दयुग्म अके साथियों और इतने वरिष्ठ अतिथियों को सुन कर बहुत अच्छा लगा।
हिंद युग्म को साल गिरह पर, है शत बार बधाई.
भारतवासी को शाबासी, अंतर्मन से भाई.
हिन्दी जनवाणी-जगवाणी, है भविष्य की भाषा.
सहज-सरल है सरस-शुद्ध भी, जन-मन की अभिलाषा.
कल को कल से आज जोड़ती, करती सबको प्यार.
पिंगल और व्याकरण का ले, वैज्ञानिक आधार.
क्लिष्ट-कठिन है शब्द न पूरे, कह रहते जो दूर.
दिखा रहे अज्ञान स्वयं का, आंखोंवाले सूर.
हिंद युग्म के आयोजन ने, आशा नयी जगाई.
हर हिन्दीभाषी को लगता उसकी शान बढाई.
तज अतीत को वर्तमान दे, होगा बिन आधार.
जान न पायेगा भविष्य उद्गम-विकास का सार.
यादव जी की सोच न भाई, लगती मुझे अधूरी.
हिन्दी की विकास यात्रा सब जानें बहुत जरूरी.
हिन्दी चिटठा, पोथी-पत्रा, है असीम विस्तार.
जितनी क्षमता लो-दो उतना, कोई न पारावार.
नए साल में नए लक्ष्य छू, कीर्तिध्वजा फहराएँ.
'सलिल' कामना जितना सोचें, उससे शत-गुण पायें.
कार्यक्रम शानदार रहा। विशेषकर गौरव की कविता तथा नक़वी साहब की ग़जल पसंद आई।
राजेंद्रजी भी सोचने का काफी समाला दे गए हैं..अलहदा पोस्ट में उस पर भी विचार देंगे
इस तरह के आयोजनो से ही हिन्दी का वर्चस्व बढेगा
मै सोचता था लोगो की रूची हिन्दी की तरफ कम हो रही है पर आयोजन ने मेरा भ्रम तोड दिया
हिन्दी और काव्य प्रेमियो की भीड देखकर मुझे खुशी व्यक्त करने के लिए मेरे पास ना तो कल शब्द थे और ना ही आज शब्द है
सधन्यवाद
सुमित भारद्वाज
बधाई एवं शुभकामनाऐं.
कहते हैं की सूरज के सामने दिया जलाने का कोई ओचित्य नही होता क्योंकि सूरज का प्रकाश दीपक की लो को निस्तेज कर देता है ... लेकिन हिंद युग्म के यश और भारतवासी के तप ने तो सूरज को ही निस्तेज कर दिया .....
हिन्दयुग्म के बड़ते क़दमों को सलाम!!!!
इतने हिन्दी प्रेमीयों को देख के मन गद गद उठा .शैलेश जी आप का प्रयास सराहनीये है बस यूँ लग रहा था की काश मै भी वहां होती
बहुत बहुत बधाई
सादर
रचना
शैलेश जी
आपने जो कदम उठाया है हिंदी को इन्टरनेट के माध्यम से सर्वत्र पहुँचने का निसंदेह प्रसंसनीय
है .
सबका काव्य पाठ बहुत अच्छा लगा.. और सभी से मिलकर बहुत ख़ुशी हुई.
और आप लोगो ने जो भी कुछ arrangement किया अच्छा था.
सखी
हिन्दयुग्म के सभी सदस्यों एवं पाठकों को बधाईयाँ ...हिन्दयुग्म के कार्यों को सराहा जाना, हिन्दी ब्लॉगिंग की तारीफ ,हिन्दी प्रेमियो की भीड देखकर मन मचल उठा ..इतना सफल आयोजन देख कर ऐसा लग रहा है कि काश मैं वहाँ होती :-(.शैलेशजी आप का यह प्रयास सचमुच सराहनीय है.
सुनीता यादव
नि:संदेह एक सफल आयोजन..
मुझे इस तरह के रिस्पांस की उम्मीद नहीं थी। हिन्दी और हिन्दी ब्लॉगिंग की हर तरफ तारीफ थी और हिन्दयुग्म के कार्यों को सराहा गया।
कार्यक्रम शानदार रहा। विशेषकर गौरव की कविता तथा नक़वी साहब की ग़जल पसंद आई।
इस तरह के आयोजनो से ही हिन्दी का वर्चस्व बढेगा
मै सोचता था लोगो की रूची हिन्दी की तरफ कम हो रही है पर आयोजन ने मेरा भ्रम तोड दिया
हिन्दी और काव्य प्रेमियो की भीड देखकर मुझे खुशी व्यक्त करने के लिए मेरे पास ना तो कल शब्द थे और ना ही आज शब्द है
कहते हैं की सूरज के सामने दिया जलाने का कोई ओचित्य नही होता क्योंकि सूरज का प्रकाश दीपक की लो को निस्तेज कर देता है ... लेकिन हिंद युग्म के यश और भारतवासी के तप ने तो सूरज को ही निस्तेज कर दिया .....
हिन्दयुग्म के बड़ते क़दमों को सलाम!!!!
इतने हिन्दी प्रेमीयों को देख के मन गद गद उठा .शैलेश जी आप का प्रयास सराहनीये है बस यूँ लग रहा था की काश मै भी वहां होती
हिन्दयुग्म के सभी सदस्यों एवं पाठकों को बधाईयाँ ...हिन्दयुग्म के कार्यों को सराहा जाना, हिन्दी ब्लॉगिंग की तारीफ ,हिन्दी प्रेमियो की भीड देखकर मन मचल उठा ..इतना सफल आयोजन देख कर ऐसा लग रहा है कि काश मैं वहाँ होती :-(.शैलेशजी आप का यह प्रयास सचमुच सराहनीय है.
itane logon ki prasansa sun garv hua ki mai bhi hind yugm se judi hun... bhot bhot BDHAI...!
हिन्द-युग्म वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के सफल आयोजन पर बहुत बहुत बधाई.
वाह भाई शामिल नही हो पाया पर रिपोट पढ़ कर मन गद गद हो गया .....पूरे हिंद युग्म को बधाई....सितारों से आगे जहाँ और भी है ....बढे चलो अब नई मंजिलों को
हिन्दयुग्म का वार्षिकोत्सव के बारे मे पढ कर ऐसा लग रहा है
कि काश हम भी वहीं होते |सफल आयोजन के लिए बहुत-बहुत बधाई |
ट्रिन ट्रिन घंटी बजी हमारी
क्यूँ ना अब तक पहुँचे आप
जगह नहीं अब खडे होन की
बात गया मैं पल में भांप
दीवारों से बाहर रह कर
कैसे मजा मिले भरपूर
ना मैं जादूगर चेतन हूँ
ना मैं ठहरा अनिल कपूर
झट से लोहे के घोडे को
मारीं किक मैने दो चार
जर्सी स्वेटर लाद लूद कर
फौरन उस पर हुआ सवार
हिन्दी भवन के मेन गेट पर
दी फिर मैने खींच लगाम
हर्षित हो चढ गया सीढियाँ
सोच रहा लो हो गया काम
फाटक खोल घुसा ज्यों अन्दर
हॉल खचाखच भरा पडा
बेटा राघव अब कोने में
हो जा जाकर चुपचाप खडा
पर मन में फुलझडियाँ छूटीं
और अनार पटाखे भी
तेरा तो सौभाग्य है बच्चे
अरे देर से आके भी
कितने ही स्नेही प्रियजन
हिन्दी सेवक हितकारी
अब नहीं रुकने वाली भैया
घर-आँगन हिन्दी किलकारी
मंचासीन गणमान्य अतिथि
समां निराला अजब गजब
मंत्र मुग्ध थे कविता सुनकर
वहाँ उपस्थित सब के सब
बैकग्राउंड में 'बढे चलो' था
उपर सरल स्लाइड शो..
कैसे पाँच मिनट के अन्दर
अपनी भाषा अपनी हो...
और बहुत सी बातें सबने
हिन्दी हित की खूब कहीं
बोर हुए हों जर देर भी
किसी को ऐसा लगा नहीं
पेट के पूजन हेतु व्यवस्था
भी वहाँ पर रखवाई थी
क़ॉफी/चाय की बूँद बूँद में
हिन्दी घोल पिलाई थी..
भाषा वीर सिपाहियो का
उनकी सेवा का फल था
सफल नही था वरन आयोजन
सचमुच में महासफल था
जय हिन्द- जय हिन्दी
हिंद युग्म के वार्षिकोत्सव की रिपोर्ट पढ़ कर सचमुच बड़ी खुशी हो रही है , इस सफलता के लिए युग्म और भारतवासी जी को बहुत बहुत बधाई. अफ़सोस है कि इस आयोजन में सम्मिलित नहीं हो पाई .
युग्म दिन दुनी .....तरक्की करे, इन्ही शुभकामनाओं के साथ...
पूजा अनिल
राघव जी,
आपकी कवितामय टिप्पणी का मुझे इंतजार था... :-)
आपने बढिया कविता लिख डाली राघव जी...बड़ी हंसी आयी पढकर..सचमुच मैंने देखा कि आप चुपचाप कोने में चिपक गये थे...आपसे ठीक से मिल भी नहीं पाया...आपकी कविताओं का मज़ा फिर किसी और आयोजन में...
congratulation to whole unit of hind yugm for completation of it's annual function.
डा.रमा द्विवेदी said....
हिन्द-युग्म का प्रथम वार्षिक आयोजन सफल रहा यह विस्तृत रिपोर्ट बताती है। शैलेश भारतवासी व इससे जुड़े सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई एवं आप सभी को नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं स्वीकार हों। पता नहीं क्यों चित्र नही दिख पाए...शायद कुछ तकनीकी समस्या हो।
varshi aayojan vakai abhootpoorv rha
ek to sayonjan -beech beech men kavita path ne boriyat n hone di.
kavityen tazagi bharin ti specially roopam v n giri ki
sanchalan bhi kamal ka raha isi vazah se log ube nahin
राजेंदर यादव एक मानसिक रोगी हैं,अपने भूतकाल से बुढापे में निजात पाना चाहते हैं |क्यों ,क्योंकि उनके कप बोर्ड में अनेक बुरे कामों के कंकाल हैं अत वे साडी दुनिया के भूतकाल से डरते हैं i.e he has many skeltons in his cupboard
aaj sahity ki main stream men unhe koi nahin poochhta so vah tathakathit dalitwad- stri mukti ka nara lagate hain .manu bhandari unki wife ,jo ab dashkon se une apna pati nahin manti ki biography padh kar unki sachayee se ribroo hua ja skata hai
उसको भूली दुनिया सारी
पत्थर जो बुनियाद रहा
शैलेश भारतीय ने अपने शुरूआती कथन में आयोजन करवाने का सारा श्री श्यामसखा श्याम को बतलाया और बाद में भी पूरे आयोजन को बांधे रखने का कुछ श्रेय क्या उन्हें नहीं जाता ,जो? यशदीप
हिंद युग्म को साल गिरह पर, है शत बार बधाई.
मानस जीवन रितुओं जैसा
पल पल बदला जाये ।
कभी खुशी की किरने फूटे
कभी गमो के साये ।।
ग्रीष्म रितु की धूप ढलने का
छाओं मेन करना इन्तजार ।
नीरस पतझर बाद
आती बसन्त बहार ।।
प्रकृति ने यह नियम बनाये
धूप छावँ के खेल खिलाये ।
शीत रितु की निष्ठुर ठंडी में
आशा रुपी आग जलाओ ।
कोहरे सी समस्याओं को
अपने जीवन से दूर भगाओ ।।
अंधेरा छटेगा
प्रभात प्रकाश लाये ।
वर्षा रितु के सैलाबों में
नैइया बिपत्तियों में फ़ँस जाये ।
धैर्र ना खोना मन का प्राणी
साहस जीवन नैया पार लगाये ।।
दृढ इच्छा शक्ति के बल पर
ईश्वर से है बिनय हमारी ।
जो आशायें सन्जोई हमने
वो सब हों शुभ मंगल कारी ।।
नूतन साल 2009 के शुप्रभात पर
ललित वसंत रितु है आये ।
जीवन में खुशहाली लेकर
अभिलाषा के सुमन खिलाये ।।
यशदीप जी,
कार्यक्रम में शैलेश आखिर में श्याम जी को क्या कहते....हम अगर आपस में ही मंच से एक-दूसरे को धन्यवाद करते रहे तो फिर हो गया...श्याम जी को सब पता है कि हिंदयुग्म में उनकी क्या अहमियत है...भोंपू लगाकर बताने की कोई ज़रूरत नहीं...
निखिल आनंद गिरि
शैलेश जी और समस्त
हिंद युग्म परिवार को
सफल आयोजन के लिए
बधाई !!!!
सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई ---------वहाँ न होने का गम, पढ़कर भुलाने का प्रयास कर रहा हूँ।
--देवेन्द्र पाण्डेय।
हिंद-युग्म के वार्षिकोत्सव मेरे लिए एक सुखद अनुभव था. बहुत प्रबुद्ध पाठकों से साक्षात्कार हुआ तथा एक से बढ़ कर एक कवियों की कवितायेँ सुनने को मिली. हिन्दी में कैसे टाइप किया जाए, व हिन्दी में online गतिविधियों पर सैलेश का विस्तृत आख्यान बहुत ज्ञान-वर्धक था. हिन्द-युग्म पत्रिका संसार का एक सशक्त विकल्प बन कर आया है, यह अब स्व-प्रमाणित बात हो गई है. सैलेश भारतवासी व उस की टीम का परिश्रम प्रशंसा योग्य हैं. कार्यक्रम में श्याम सखा श्याम द्वारा सञ्चालन व निखिल की प्रतिपल की मुस्तैदी के लिए भी साधुवाद.
शैलेश जी एवं समस्त हिन्दयुग्म परिवार को इस सफल आयोजन के लिए हार्दिक बधाई|
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Very nice
Bhai aapki site prr backlink lgwaana h
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