१९वीं यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता के परिणाम लेकर हम उपस्थित हैं। हमें इस बात का संतोष है कि हमारे जजों ने अब तक जिस-जिस को भी यूनिकवि चुना है, उन्होंने उत्कृष्ट कविताएँ अंतरजाल के काव्यप-प्रेमियों को नवाज़ी हैं। उसी आशा और विश्वास के साथ, हम एक और यूनिकवि को इस बार आपकी नज़र कर रहे हैं, जिन्होंने इससे पहले हिन्द-युग्म पर 'बीड़ी सुलगाते पिता' और 'गुरुजन' कविताएँ प्रकाशित की है। १९वीं प्रतियोगिता के लिए यूनिकवि का निर्णय दो चरणों में ७ निर्णयकर्ताओं द्वारा किया गया। पहले चरण में ५ जज नियुक्त किये गये, जिनके द्वारा दिये १० में से अंकों के औसत के आधार पर ५२ में से २३ कविताओं को दूसरे दौर में भेजा गया। दूसरे चरण के २ जजों द्वारा दिये गये अंकों और पिछले चरण के औसत अंक के औसत के आधार पर विजय शंकर चतुर्वेदी की ३ छोटी-छोटी कविताओं (क्षणीकाओं) को यूनिकविता चुना गया।
विजय शंकर चतुर्वेदी
15 जून, 1970 को मध्य प्रदेश के सतना जिले की नागौद तहसील के आमा गाँव में जन्मे विजय शंकर चतुर्वेदी की कविताएँ पहल, वसुधा, वागर्थ, वर्तमान साहित्य, पंकज बिष्ट के संपादन में निकले 'आजकल' युवा कविता विशेषांक, स्वर्गीय सफदर हाशमी की संस्था 'सहमत' की साप्रादयिकता विरोधी कविता-पुस्तक तथा जनसत्ता, दिल्ली में प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रिंट मीडिया में काम करने की बात करें तो, विजय ४ वर्ष तक जनसत्ता, मुम्बई के उप-संपादक रह चुके हैं।
अखबारी लेखन- लोग हाशिये पर (सबरंग पत्रिका), गलियारा और घूमते-फिरते (संझा जनसत्ता) स्तम्भ. कई कवर स्टोरियां और अनगिनत फीचर आलेख।
टीवी लेखन- 'प्लस चैनल' में चार वर्ष बतौर लेखक रहे। डीडी, स्टार, ज़ी और सोनी टीवी आदि चैनलों के लिए पटकथा लेखन।
पुरस्कृत कविता- रुदन
रुदन-1
सयाने कह गये हैं
रोने से घटता है मान
गिड़गिड़ाना कहलाता है हाथियों का रोना
फिर भी चंद लोग रो-रो कर काट देते हैं जिंदगी
दोस्तों, खुशी में भी अक्सर निकल जाते हैं आंसू
जैसे कि बहुत दिनों बाद मिली
तो फूट-फूट कर रोने लगी बहन.
रुदन-2
वैसे भी यहां रोना मना है
पर बताओ तो सही कौन रोता नहीं है?
साहब मारता है लेकिन रोने नहीं देता
कुछ लोग अभिनय भी कर लेते हैं रोने का
लेकिन मैं जब-जब करता हूं उसकी शादी का जिक्र
तो रोने लगती है बेटी...
रुदन-3
आसान नहीं है रोना
फिर भी खुलकर रो लेता है आसमान
नदियां तो रोती ही रहती हैं
पहाड़ तक रोता है अपनी किस्मत पर
लेकिन बड़ी मुश्किलें हैं मेरे रोने में
कभी मन ही मन भी रोता हूं
तो रोने लगती है मां...
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ५॰७५, ४॰५, ६॰५, ६॰३५, ७॰७५
औसत अंक- ६॰१७
स्थान- तीसरा
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ७॰५, ८, ६॰१७(पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ७॰२२१३
स्थान- प्रथम
पुरस्कार और सम्मान- रु ३०० का नक़द पुरस्कार, प्रशस्ति-पत्र और रु १०० तक की पुस्तकें।
चूँकि यूनिकवि ने अगस्त माह के अन्य तीन सोमवारों को भी अपनी कविता प्रकाशित करने का वचन दिया है, अतः शर्तानुसार रु १०० प्रत्येक कविता के हिसाब से रु ३०० का नग़द इनाम दिया जायेगा।
यूनिकवि विजय शंकर चतुर्वेदी को तत्वमीमांसक डॉ॰ गरिमा तिवारी की ओर से 'येलो पिरामिड' भेंट की जायेगी तथा यूनिकवि को डॉ॰ गरिमा तिवारी से मेडिटेशन पर एक पैकेज का ऑनलाइन प्रशिक्षण पाने का अधिकार होगा (लक पैकेज़ छोड़कर)।
इस बार हम शीर्ष १६ कविताओं का प्रकाशन करेंगे ताकि पाठकों की निर्णायक दृष्टि भी सभी स्तरीय कविताओं पर पड़ सके। शीर्ष १६ के अन्य १५ कवि हैं-
अनुराधा शर्मा
अवनीश तिवारी
रूपम चोपड़ा (RC)
विनय के॰ जोशी
दिव्या श्रीवास्तव
देवेन्द्र कुमार मिश्रा
रचना श्रीवास्तव
डॉ. सी. जय शंकर बाबु
गिरिजेश्वर प्रसाद
शैफाली शर्मा
शकुन श्री
उत्त्कर्ष चतुर्वेदी
रश्मि सिंह
विवेक रंजन श्रीवास्तव"विनम्र"
लक्ष्मी ढौंडियाल
उपर्युक्त लिखित नामों में से शीर्ष ९ कवियों को मसि-कागद की ओर से कुछ चुनिंदा पुस्तकें दी जायेंगी। साथ ही साथ संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी अपना काव्य संग्रह 'बता देंगे जमाने को' भेंट करेंगे।
उपर्युक्त कवियों से निवेदन है कि जुलाई माह की अपनी कविता-प्रविष्टि को न तो अन्यत्र कहीं प्रकाशित करें ना प्रकाशनार्थ भेजें क्योंकि हम इस माह के अंत तक एक-एक करके प्रकाशित करेंगे।
इससे पहले कि हम यूनिपाठक की बात करें, हम एक विशेष पाठक की बात करना चाहेंगे। शैलेश जमलोकि जो कि हिन्द-युग्म को पिछले ९-१० महीनों से लगातार पढ़ रहे हैं। लगातार बहुत शिद्दत से टिप्पणियाँ कर रहे हैं। एक-एक कविता को शायद ये कम से कम १५ मिनट का समय देते हैं। खुद को समीक्षक तो नहीं मानते लेकिन कविता की समीक्षा करने का भरसक प्रयत्न करते हैं। हम पिछले ९ महीनों से इन्हें कभी यूनिपाठक नहीं बना पाये क्योंकि शैलेश टिप्पणियाँ जब देते हैं तो खूब देते हैं और जब नहीं तो नहीं। जबकि यूनिपाठक बनने के लिए स्थाई पठन आवश्यक है। परंतु आज हम इन्हें अपना विशेष सम्मान देना चाह रहे हैं। और हमें बहुत खुशी है कि इन्होंने उस सम्मान को ग्रहण के लिए अपनी हामी भी भरी है। हिन्द-युग्म पाठक सम्मान उस पाठक को दिया जाता है जो हिन्द-युग्म को अधिकाधिक पढ़ता है। वर्ष २००७ में यह सम्मान हम आलोक सिंह 'साहिल' को दे चुके हैं।
शैलेश जमलोकि
शैलेश जमलोकि का जन्म देवभूमि उत्तराखंड के केदारनाथ भूभाग में हुआ है। और इनका पूरा बचपन प्रकृति के सानिध्य में बीता। इनके माता-पिता (दोनों) व्यवसाय से अध्यापक हैं। अतः उनके मार्ग दर्शन में शिक्षा मिली और फिर इन्हें अपने करियर बनाए के लिए घर से बाहर अभियांत्रिकी में स्नातक करने जाना पड़ा। अभी वर्तमान में बंगलूरु में कार्यरत हैं। इनके माँ और पिता अध्यापक होने के नाते घर में याद कविताएँ गा कर सुनाते। रोज़ रामायण पाठ होता.. और इस तरह इनके धीरे-धीरे पढ़ने का शौक हुआ..हिंदी के अतिरिक्त इन्हें संस्कृत और पंजाबी भी पढ़ना-लिखना भी अच्छा लगता है,.. परन्तु गढ़वाली गाने इन्हें बेहद पसंद है.. लिखने का शौक तो अभी इतना नहीं है.. मगर कभी-कभी कोशिश कर लेते हैं।
पुरस्कार और सम्मान- रु ५०० का नक़द पुरस्कार और प्रशस्ति-पत्र।
पाठकों की बात करें तो इस बार दो पाठकों स्मार्ट इंडियन और ब्रह्मनाथ त्रिपाठी ने लगभग बराबर टिप्पणियाँ की। समान रूप से सक्रिय रहे, इसलिए यह तय कर पाना बहुत मुश्किल है कि यूनिपाठक कौन है। दोनों ने हर मंच पर टिप्पणियाँ की। कुछ कविताओं पर पहले आईं टिप्पणियों के आधार पर हम ब्रह्मनाथ त्रिपाठी 'अंजान' को यूनिपाठक चुन रहे हैं।
ब्रह्मनाथ त्रिपाठी 'अंजान'
नाम -ब्रह्मनाथ त्रिपाठी 'अंजान'
जन्म- १८ नवम्बर १९८९
जन्मस्थान- परियावां प्रतापगढ़ (उ.प्र.)
वर्तमान निवास स्थान- नोएडा
स्थायी निवास स्थान-परियावां प्रतापगढ़ (उ.प्र.)
पिता- राम कृष्ण त्रिपाठी (एक कवि सम्वाद्कार और समाजसेवक है)
माँ - विमला त्रिपाठी (एक गृहणी)
सात भाई बहनो में सबसे छोटे हैं
कविताओ की लिखने की कला पिताजी से विरासत में मिली। इस समय ग्रेटर नोएडा के एक कॉलेज़ से B.Tech की पढ़ाई कर रहे हैं, तथा Gr.Noida के इंजीनियरिंग कालेजों में जो नए कवि लिखते हैं उन्हें प्रोत्साहित करके
ग्रेटर नोएडा में कविता के विकास के लिए काम कर रहे हैं। नए कवियों को एकत्रित करके उन्हें कवि सम्मेलनों के मंच पर लाने के लिए प्रयासरत हैं।
शौक- किताबें पढ़ना, हिन्दी गाने और ग़ज़ल सुनना
फ़ोन -०१२० ४२४०९७०
मो.न. ९८१०६५७१७८
पुरस्कार और सम्मान- रु ३०० का नक़द पुरस्कार, प्रशस्ति-पत्र और रु २०० तक की पुस्तकें।
यूनिपाठक ब्रह्मनाथ त्रिपाठी 'अंजान' को तत्वमीमांसक डॉ॰ गरिमा तिवारी की ओर से 'येलो पिरामिड' भेंट की जायेगी तथा यूनिपाठक को डॉ॰ गरिमा तिवारी से मेडिटेशन पर एक पैकेज का ऑनलाइन प्रशिक्षण पाने का अधिकार होगा (लक पैकेज़ छोड़कर)।
निस्संदेह दूसरे स्थान के पाठक के रूप में हम चुनेंगे स्मार्ट इंडियन को, जिनकी टिप्पणियों से यह साफ झलकता है कि इन्हें साहित्य की गहरी समझ है, और जिस ऊर्जा से ये हमें पढ़ रहे हैं, हमें आशा है कि आगे भी पढ़ते रहेंगे। इन्हें हम मसि-कागद की ओर से कुछ पुस्तकें भेंट करेंगे।
इसके बार तीसरे और चौथे स्थान के लिए हम किसी भी पाठक को नहीं चुन पा रहे हैं क्योंकि किसी और ने स्थाई तौर पर टिप्पणी नहीं की। लेकिन हम आशा करते हैं कि जिस प्रकार रचना श्रीवास्तव, संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी ने हमें पढ़ना शुरू किया है, इस महीने से ये लगातार सक्रिय हो जायेंगे।
हम निम्नलिखित कवियों का भी धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर इसे सफल बनाया और यह निवेदन करते हैं कि अगस्त २००८ की यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता में भी अवश्य भाग लें।
निशा त्रिपाठी
राकेश कुमार सकराल
गुलशन सुखलाल
धर्म प्रकाश जैन
गीता पंडित (शमा)
केशव कुमार कर्ण
कमलप्रीत सिंह
पवन अरोरा
मनीष जैन
दीपाली मिश्रा
अजय कुमार सिंह
बेला मित्तल
अनिल जींगर
विपिन जैन
भारती यादव
संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
अर्पिता नायक
अरुण मित्तल अद्भुत
पुनीत मिश्रा
हेमज्योत्सना पराशर
अनुराग शर्मा
प्रकाश यादव 'निर्भीक'
अंजु गर्ग
तपन शर्मा
दीपक कुमार
देव (दिव्यांशु श्रीवास्तव)
जया शर्मा
सुनिल कुमार सोनू
ब्रह्मनाथ त्रिपाठी 'अंजान'
वीरेन्द्र आर्या
मन्जु महिमा
नीलम मिश्रा
अजीत पाण्डेय
सी॰ आर॰ राजश्री
अर्पित सिंह परिहार
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25 कविताप्रेमियों का कहना है :
विजय शंकर जी,आपकी रुदन कबीले तारीफ है,हमारी शुभकामनाएं
आलोक सिंह "साहिल"
जम्लोकी भाई, बहुत व्यक्तिगत स्तर पर बात करूँ तो आपको यहाँ पाकर इतनी अधिक खुशी हो रही है की उसे शब्दों में बयां नहीं कर प् रहा हूँ.बारम्बार शुभकामनाएं.
आलोक सिंह "साहिल"
कुछ शख्श होते हैं जो शख्सियत बन जाया करते हैं,
ठीक वैसे ही,
कुछ लोग "अंजान" होते हुए भी नाम कर जाते हैं.
बधाई ,मित्र
आलोक सिंह "साहिल"
रचना जी और राष्ट्रप्रेमी जी,आप सभी ने जिस गति और अंदाज को प्रर्दशित किया है उसे बनाये रखियेगा,शुभकामनाओं समेत
आलोक सिंह "साहिल"
rudan kavita satpratishat pratam sthyan ke yogya hai.choti choti ye tino hi kavitaye ek gambhir prabhav prakat karti hai.vijay shankar ji ko bahut-bahut badhayi
मित्रो !अंग्रेजी भाषा की एक लोकोक्ति है COUNCILING IS GREATEST HUMAN VIRTUE
और कवि अपनी कविता के माध्यम से केवल अप्ने भाव की अभिव्यक्ति नहीं करता,वह अपने दुखः सुख को उजागर कर समाज के दुखः सुख में साझेदारी करता है वहीं पाठक जब उस रचना के मर्म को महसूसता है तो वह कवि के जख्म को सहलाता है,मरहम लगाता है-यही तो साहित्य सतसंग है। यूनिकवि विजय जी व यूनिपाठकशैलेश जमलोकी.ब्रह्मानन्द एवं सभी यूनीपाठ्को को मसि-कागद की और से बधाई।
हां अगस्त माह में जो भी यूनिपाठक १० से अधिक रचनाओं पर प्र्अतिक्रिया देंगे उन्हें मसिकागद नव-अंक उपहार में दिया जाएगा।
विजयशंकर यूनीक कवि हैं - यह तो मुझे पता था, पर यूनी कवि आज हो गए सो मेरी उन्हें एक करोड़ बधाइयां और आप सब को दो दो गिलास बरेली वाले सीताराम की लस्सी. वहां जा के पिएं और बिल मांगे जाने पर ख़ाकसार का इस्मे-ए-शरीफ़ पेश कर दें. बस.
सभी विजाताओं को हार्दिक बधाई!
मुझे मेरे जनम दिन पर. इतना बड़ा सम्मान देना.. बेहद ख़ुशी की बात है..
मै हिंद युग्म का तहे दिल से शुक्र गुजार हूँ ,,
इस के साथ मै अन्य सभी विजतों को भी हार्दिक बधाई देता हूँ..
सादर
शैलेश
विजय शंकर जी, शैलेश जी, ब्रह्मनाथ जी, स्मार्ट इंडियन जी, रचना जी एवं संतोष जी, आप सभी को बधाई। शैलेश जी को दोहरी बधाई-जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
congrats winners!
--ashok lav
सभी को बधाई |
हिंद युग्म को एक नए , अनुभवी कवि मिलने के लिए बधाई |
-- अवनीश तिवारी
हिन्दी युग्म के सेवकों को एक बार फिर से हार्दिक बधाइयाँ वाकई में आप लोगों द्वारा किया गया प्रयाश कबीले तारीफ रहता है जो पाठक वर्ग एवं रचनाकार को नित प्रति अपनी तरफ आकर्हित कर रहा है जो हिन्दी को विश्वा पटल पैर लेन का एक सार्थक प्रयाश है
द्विदी जी आपकी पंक्तियों का कोई तोड़ नही है जितना कहो उतना कम है
बहुत अच्छा विजय जी आपकी
क्षणिकाएं बेजोड़ है
सच में यूनिकविता होने की अधिकारिणी
साथ में शैलेश जी को भी बधाई
अंत में मै हिंद युग्म को धन्यवाद कहना चाहूँगा की उसने मुझे इस सम्मान के काबिल समझा
हार्दिक धन्यवाद
यूनीकवि तथा यूनीपाठ्क जी के साथ-साथ सभी प्रतिभागिओं को बधाई! स्वान्त: सुखाय लिखते रहें, न केवल लिखें वरन वह आचरण व व्यवहार में आत्मसात करने में सफ़ल भी हों. इन्हीं शुभकामनाओं के साथ.
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यूनिकवि विजय जी,हिन्द युग्म पाठक सम्मान विजेता शैलेश जी, यूनिपाठक अंजान जी के साथ-साथ सभी प्रतियोगियों को बहुत-बहुत बधाई एवं सभी पाठको को पूरे युग्म की ओर से कोटि-कोटि धन्यवाद।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
vijetaon ko hardik badhai
यूनीकवि तथा यूनीपाठ्क जी के साथ-साथ सभी प्रतिभागिओं को बधाई हमारी शुभकामनाएं
विजय शंकर जी, शैलेश जी, ब्रह्मनाथ जी, स्मार्ट इंडियन जी, रचना जी एवं संतोष जी, आप सभी को बधाई। शैलेश जी को दोहरी बधाई-जन्मदिन की हार्दिक
टॉप १५ में अवनीश को छोड़कर सभी नए नाम हैं, जो एक शुभ संकेत है, सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को ढेरों बधाइयाँ, विशेषकर शैलेश जम्लोकी और विजय शंकर और ब्रह्म नाथ त्रिपाठी को...मेरी और से बहुत बहुत बधाई
विजय शंकर चतुर्वेदी जी आप की क्षणीकाए बहुत ही अच्छी लगी
सच मे आँखो मे आँसु आ गये
शैलेश जी हिन्द-युग्म पाठक सम्मान के लिए बधाई
और ब्रह्मनाथ त्रिपाठी 'अंजान' जी को यूनिपाठक के लिए बधाई
सुमित भारद्वाज।
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