प्रत्येक महीने के पहले सोमवार को हिन्द-युग्म यूनिकवि एवं यूनिपाठक प्रतियोगिता का परिणाम प्रकाशित कर सकता है। इस प्रतियोगिता के माध्यम से हिन्द-युग्म की यही कोशिश रही है कि हिन्दी में लिखने और पढ़ने वालों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ रचनात्मकता को भी मंच दिया जाय।
यह प्रतियोगिता पिछले २६ महीने से अनवरत आयोजित हो रही है। जनवरी २००९ माह की प्रतियोगिता के परिणामों को लेकर कुछ पाठकों ने सवाल उठाया। कुछ ने निर्णय प्रक्रिया को गलत ठुकराया तो कुछ ने निर्णायकों के पक्ष को। हिन्द-युग्म की प्रबंधन टीम को भी ऐसा लगा कि प्रत्येक चरण के जजों के दृष्टिकोण का सम्मान इसी में है कि किसी भी चरण के जज को इतना अधिकार न मिले कि पिछले चरणों से मिले अंकों के आधार पर बनी वरियता क्रम से निरपेक्ष राय ही अंतिम राय हो। इसलिए हर चरण में साझा मत ही अंतिम हों, यह एक बेहतर विकल्प है।
जहाँ तक निर्णायकों की क्षमता और उनके दृष्टिकोण का तल्लुक है तो हर एक निर्णायक की अपनी दृष्टि होती है। हिन्द-युग्म अपने सभी निर्णायकों को अपने मापदंड खुद तय कर बेहतर कविता कविता चुनने का अधिकार देता है। बहुत संभव है कि हमारे किसी जज के लिए कथ्य महत्वपूर्ण होता हो, किसी के लिए शिल्प यो किसी के लिए मौलिकता। कविता की मात्र एक ही निर्धारित परिभाषा पूरे साहित्य में न तो कहीं उपलब्ध है और न ही कहीं मान्य। इसलिए हिन्द-युग्म निर्णय को हमेशा से ही कई चरणों में अधिकाधिक निर्णायकों से कराता रहा है।
हमने पारदर्शिता को बनाये रखने की सदैव कोशिश की है। और अभी भी प्रयासरत हैं॰॰॰॰
खैर॰॰ परिणामों की बात करते हैं। इस बार हमें कुल ३८ कविता प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई। निर्णय २ ही चरणों में कराया गया (पहले चरण में ३ जज और दूसरे चरण में २ जज)। प्रथम चरण से २२ कविताओं को चुनकर अंतिम चरण के २ जजों को भेजा गया, जहाँ चन्द्रदेव यादव की कविता 'ख़त्म नहीं हुई हैं संभावनायें' को यूनिकविता चुना गया। कवि चंद्रदेव यादव ने जनवरी २००९ माह की प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया था, जहाँ इनकी कविता 'उदास बचपन' तीसरे स्थान पर रही थी।
यूनिकविः चंद्रदेव यादव
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अखिल भारतीय भोजपुरी परिषद, उ॰ प्र॰ (लखनऊ) द्वारा भोजपुरी कविताओं के लिए 'भोजपुरी भास्कर' सम्मान।
संप्रति- केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया के हिन्दी विभाग में साहित्य एवं पत्रकारिता का अध्यापन।
पुरस्कृत कविता- ख़त्म नहीं हुई हैं संभावनायें
तुम्हारे हाथ
पाले में ठंडाए लोहे की तरह
सर्द हैं
तुम्हारा चेहरा
भयभीत मेमने की तरह
जर्द है
तुम्हारी आँखों से
छलक रही है दहशत
तुम्हारी पूरी धज
हिन्दुस्तान हो गयी है
दंगों से मुस्टांडों से
आहत हिन्दुस्तान
जले घरों की राख में
अपना भविष्य ढूंढ़ते
अपाहिज, अनाथ बच्चों
बलात्कृत कच्ची उम्र की लड़कियों
बेसहारा बूढ़ों और विधवाओं का हिन्दुस्तान
सच में
बेखौफ़ नहीं हैं गलियाँ
गाँव और खेत खलिहान
शहर और राजपथ भी नहीं
हर जगह
डरे सहमे चेहरों पर
विजड़ित है लकवाग्रस्त दुख और संत्रास
ख़ौफ़ की नदी का नाम
कोसी हो गया है
प्रिये, मुझे ऐसे ना छुओ
जैसे छूती हैं
दहशत की हवायें
ऐसे में
जबकि तन-मन को मार गया हो काठ
कुछ भी महसूसना
संभव ना हो
तुम मुझे ऐसे छुओ
जैसे छूती है शरद की चाँदनी
या कि वसंत की शीतल सुगंधित हवा
प्रिये
निरापद नहीं है यह समय
फिर भी सबकुछ के बावजूद
ख़त्म नहीं हुई हैं संभावनायें
प्रथम चरण मिला स्थान- प्रथम
द्वितीय चरण मिला स्थान- प्रथम
पुरस्कार और सम्मान- प्रशस्ति-पत्र, कवयित्री निर्मला कपिला के कविता-संग्रह 'सुबह से पहले' की एक प्रति।
नोट- यूनिकवि की कविताएँ आप इसी महीने के आनेवाले तीन सोमवारों को भी पढ़ सकेंगे।
हिन्द-युग्म प्रत्येक माह इस प्रतियोगिता से कम से कम १० कवियों को पुस्तक के रूप में उपहार देता है और साथ ही साथ उनकी कविताएँ भी प्रकाशित करता है। इस बार जिन अन्य १० कवियों को कवयित्री निर्मला-कपिला के कविता-संग्रह 'सुबह से पहले' की एक-एक प्रति भेंट की जायेगी, उनके नाम हैं-
हिमांशु कुमार पाण्डेय
विवेक आसरी
रश्मि प्रभा
दिव्य प्रकाश दुबे
मनोज भावुक
स्मिता पाण्डेय
शामिख फ़राज़
उमेश पंत
प्रदीप वर्मा
कुछ और कवियों की कविताएँ भी उल्लेखनीय हैं, जिनकी कविताएँ हम मार्च महीने में ही प्रकाशित करेंगे। उनके नाम हैं-
मुहम्मद अहसन
उपर्युक्त सभी कविताकारों से निवेदन है कि कृपया ३१ मार्च तक अपनी कविताएँ अन्यत्र न प्रकाशित न करें/करवायें।
पाठकों की बात करें तो हिन्द-युग्म की यूनिकवि प्रतियोगिता में विगत १३-१४ महीनों से भाग ले रहे और हिन्द-युग्म की गतिविधियों पर गहरी दृष्टि रखने वाले युवा कवि अरूण मित्तल 'अद्भुत' फरवरी महीने में हर कविता पर खुल कर बोले और जी भरकर बोले। फरवरी माह के यूनिपाठक के पुरस्कार के लिए ये निर्विवाद रूप से चुने जाते हैं। नये पाठकों के लिए इनका परिचय
यूनिपाठकः अरूण मित्तल 'अद्भुत'

जन्मस्थान- चरखी दादरी, जिला-भिवानी, हरियाणा
जन्म तिथि- 21-02-1985
शिक्षा- एम. बी. ए., एम. फिल., पी जी डी आर एम, पी. एच. डी. (शोधार्थी)।
कार्यक्षेत्र- प्रवक्ता, (प्रबंध), बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (समतुल्य विश्वविद्यालय) ए -7 सेक्टर-1 नोएडा।
प्रकाशित रचनाएं- विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में 200 से अधिक कविताएं, गजलें, लेख, लघुकथाएं, कहानियां आदि प्रकाशित।
सम्मान-पुरस्कार
1. चरखी दादरी अग्रवाल सभा द्वारा ‘अग्रकुल गौरव‘ से सम्मानित।
2. लायंस क्लब, भिवानी द्वारा ‘साधना सम्मान‘।
3. मानव कल्याण संघ, चरखी दादरी द्वारा ‘साहित्य सेवी सम्मान‘।
4. दिल्ली प्रैस द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित ‘युवा कहानी प्रतियोगिता-2005‘ में कहानी ‘गलतफहमी‘ को द्वितीय पुरस्कार।
5. विभिन्न मंचीय प्रतियोगिताओं मे लगभग 20 पुरस्कार।
6. स्थानीय गोष्ठियों से लेकर राष्ट्रीय हिन्दी काव्य मंचों से काव्य पाठ।
7 हिन्दी पद्य साहित्य में नारी विषय पर राष्ट्रीय अधिवेशन में शोध पत्र प्रस्तुत।
विशेष उल्लेख-
अंतरजाल पत्रिका रचनाकार, अनुभूति एवं सृजनगाथा, हिन्द युग्म में कविताएं एवं लेख प्रकाशित
हिन्दी छंद एवं ग़ज़ल व्याकरण में विशेष निपुणता मुख्यतः छंदबद्ध कविताओं का लेखन।
आकाशवाणी रोहतक एवं जैन टी वी, दिल्ली से काव्य पाठ।
अप्रकाशित महाकाव्य वीर बजरंगी का लेखन।
हिन्दी भवन, दिल्ली में दिशा फाउण्डेशन द्वारा विशेष रूप से युवा कवियों के लिए आयोजित कवि सम्मेलन 'दस्तक नई पाढ़ी की' में काव्य पाठ।
पुरस्कार और सम्मान- रु ३०० का नक़द पुरस्कार, प्रशस्ति-पत्र और रु २०० तक की पुस्तकें।
दूसरे से चौथे स्थान के पाठकों के लिए हमने क्रमशः मनु बेतखल्लुस, एम॰ ए॰ शर्मा 'सेहर' और संगीता पुरी को चुना है। हम उम्मीद करते हैं कि आगे से ये अपनी पठनीयता को और बढ़ायेंगी। तीनों पाठकों को कवयित्री निर्मला कपिला के कविता-संग्रह 'सुबह से पहले' की एक-एक प्रति भेंट की जायेगी।
हम निम्नलिखित कवियों के भी आभारी हैं, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर इसे सफल बनाया-
तिजेन्द्र कुमार
अनिल जींगर
अंजनी कुमार सिंहा
सुजाता दुआ
शिखा वार्ष्णेय
अभिषेक आनंद
पिंकी वाजपेयी
कुमारेन्द्र
योगेश गाँधी
संजय सेन सागर
तरूण ठाकुर
गौतम केवलिया
गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’
सुमित भारद्वाज
धनन्जय तिवारी
अमित श्रीवास्तव
टॉम-जेरी (राय)
राकेश सकराल
नीति सागर
स्नेह पीयूष
शालिनी सिंह
गौरव खरे
मंजू गुप्ता
गौरव सचदेवा
अमनीश धवन
मो॰ मजिद आजिम
कमलप्रीत सिंह
शारदा अरोरा
सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि परिणामों को सकारात्मक लेते हुए बारम्बार भाग लें। मार्च महीने की यूनिकवि एवं यूनिपाठक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए यहाँ क्लिक करें।
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19 कविताप्रेमियों का कहना है :
निरापद नहीं है यह समय
फिर भी सबकुछ के बावजूद
ख़त्म नहीं हुई हैं संभावनायें
bahut bahut sundar kavita hai. aur kya kahoo mujhe aapki kavita ki tareef k lie lafz nahi mil rahe hain.
chandradev ! shubhkamna.
banee rahe sambhavna.
shabd doot mil de saken-
sab jag ko sadbhavna.
chhandheenta ko naman,
samay-samay kee baat hai.
kabhee maat men fatah hai-
kabhee fatah men maat hai.
'हिन्दयुग्म' ने फिर साबित किया कि वह अच्छे भाषण और अच्छी कविता में अधिक अंतर नहीं मानता है.
nadi to hai hi, bas pul hi to nahi udaa,aur kya chaie apko?
संभावनाएं अभी शेष हैं
कविता को बुद्धिजीविता की संभ्रांतता के भगोने में गलाने की
संभावनाएं अभी शेष हैं
कविता को जटिलता और दुरूहता की कढ़ाई में पकाने की
संभावनाएं अभी शेष हैं
कविता को जन मानस के क्षितिज से दूर भगा ले जाने की
संभावनाएं अभी शेष हैं
कविता के निर्णायकों को कवि की उपाधियों से प्रभावित हो जाने की
असंख्य संभावनाएं, असंख्य आकाश
जय हो......
hindyugm ne bilkul raddi kavita ko yunikavita chuna hai.
-- 1 birodhi
चन्द्र देव जी,बधाई स्वीकारें,
अरुण जी भी,,,,,,( हर कविता पर खूब बोले ,,जी भर कर बोले,,,)
ये पढ़ना विशेष रूप से अच्छा लगा,,,,,\पर जो भी बोले मैं ....कुछ गलत नहीं बोले,,,,
हम भी खुद को बधाई दे लें,,,दुसरे पाठक की,,,
सेहर जी को तीसरे पाठक की,,,,,और संगीता जी को,,चौथे पाठक की,,,,,
बाकी फिलहाल एक दुविधा में हैं,,,,इतना ही,,,अभी तो,,,,,
देखते हैं क्या हल निकलेगा,,,,,?????????????????//
ये अपनी हिंदी टाइप करते करते कौन कमेंट चिपका गया...अंगरेजी में,,.
हमें नहीं मालूम...ये हम नहीं हैं,,,,
यूनिकवि और यूनिपाठक जी को मेरी बधाई!मनु जी,सेहर जी और संगीता जी को भी मेरी बधाई!कविता के विषय में,मैं सिर्फ यही जानती हूँ की जो दिल से लिखी जाए और पाठक के दिल को छू ले बही एक अच्छी कविता होती है,मनु जी आपसे बहुत कुछ प्रभावित होती हूँ जब आप किसी विषय पर खुल कर बोलते है....
यूनिकवि और यूनिपाठक जी को मेरी बधाई!मनु जी,सेहर जी और संगीता जी को भी मेरी बधाई!कविता के विषय में,मैं सिर्फ यही जानती हूँ की जो दिल से लिखी जाए और पाठक के दिल को छू ले बही एक अच्छी कविता होती है,मनु जी आपसे बहुत कुछ प्रभावित होती हूँ जब आप किसी विषय पर खुल कर बोलते है....
सबसे पहले तो यूनिकवि जी को बधाई ..........
ये कविता बहुत अच्छी लगी............ दरअसल कुछ सवालों के जवाब मैं देना चाहूँगा
एक तो मैं मात्र उस कविता का विरोधी हूँ जिसमे कुछ नयापन न हो जो पाठक को कुछ संप्रेषित न कर सके....... अर्थात केवल बौद्धिक व्यायाम, और उसमे भी ठूंस ठूंस कर क्लिष्ट शब्द भरे हों या अर्थ को जानबूझकर मुश्किल बना दिया हो
एनी माउस जी को इतना ही कहूँगा "ये सभ्य लोगों का मंच है इस पर असभ्य भाषा का प्रयोग न करें" इस से आपके स्तर का पता चलता है
मुझे आश्चर्य हुआ की ये मेरा फोटो कैसे आ गया, मै तो इस माह की प्रतियोगिता में भी भाग नहीं ले पाया था फिर समझ आया की मुझे यूनिपाठक चुना गया है ................सब अनजाने में ही हो गया ........................ "चला था यूनिकवि बनने...... बन गया यूनिपाठक"
इस से यह सिद्ध हो गया की हिन्दयुग्म की सोच समग्र है................. इस सोच के लिए हिन्दयुग्म को प्रणाम
आप सब के स्नेह के लिए धन्यवाद
अरुण अद्भुत
चन्द्रदेव जी और अरुण जी को कोटि कोटि बधाई .
मनु जी ,संगीता जी ,शर्मा जी आप सभी को बहुत बहुत बधाई मेरा मानना है की पाठक ही कविता को कविता बनाते हैं यदि कोई पढ़े ही नहीं तो कविता लिखना बेमानी हो जायेगा
चन्द्रदेव जी आप की कविता के भाव बहुत सुंदर हैं .सोचने पर मजबूर करते हैं कुल मिला के कहूँ तो कविता मुझको बहुत अच्छी लगी
सादर
रचना
कविता के अंत से बहुत प्रभावित हूं. कविता की गति से लगता नहीं था कविता अपना अंत इस तरह से करेगी.
कविता के लिये धन्यवाद, और युनिकवि चुने जाने पर चंद्रदेव जी को बधाई.
चंद्रदेव यादव जी और अरुण मित्तल जी को बहुत बहुत बधाई.
यादव जी , आपकी कविता, जीवन के विरोधाभासों में संभावनाएं ढूँढ रही है . दुःख और संघर्ष जीवन का ही दूसरा स्वरुप हैं , संभावनाएं ही सुख को आमंत्रण देती हैं. बहुत खूब.
अन्य सभी प्रतिभागियों को भी शुभकामनाएँ.
पूजा अनिल
निश्चित रूप से सम्भावनाये कभी खत्म नही होती, वह सम्भावनाये ही है,
जिनके बल पर हम आगे बढते है-
नित नये गीत लिखते है,
श्मसानो मे जीवन गढते है,
कितना भी गहन हो अन्धकार,
लगता हो जीवन बेकार,
करते रहेन्गे सन्घर्ष,
करेन्गे स्वप्नो को साकार.
सभी प्रतिभागियो को सुन्दर रचना व भावन्जलि के लिये बधाई.
चन्द्र देव जी और अरुण जी,
आप दोनों को ढेरों शुभकामनायें....
आलोक सिंह ""साहिल"
ek dam akhiri wale kavi ji akele rah gayeaur tisre wale kvi ka nam kat diya gaya
shaayad sambhaavnaaye khatam...
ye hai ,,,saaf kahne kaa inaamm,,
shukriyaa,,
kisi ne poochhaa ke kavi kaun,,,,,??
are wahi jo hind yugm par "akaviyon" par tippanni,,,,,,aur kewal tippanni kare,,,,,,,,,!!!!
क्या खूब लिखा है जिस तरह से शब्दों को आपस में जोड़ा गया हे वो काबिलेतारीफ है और इतने अछे कवी से यही आशा की जाती है , आपको मेरी और से हार्दिक बधाई और यूनिपाठक अरुण जी को भी बधाई |
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)