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Monday, October 19, 2009

आज मैंने खुशी देखी


आज मैंने खुशी देखी
गहरे हरे पत्ते पर
ओस की बूँद की तरह
चमक रही थी...
मैंने ज्यों ही छूने को हाथ बढ़ाया
कि फिसल गयी !!!
झाँककर देखा तो
निचली डाल पर
एक चिडिया बैठी थी,
उसके पंखों पर भी
वही खुशी चमक रही थी ...
देखते ही देखते
वह बिल्कुल मेरे सामने
मुंडेर पर बैठ गयी ,
मैं और पास आई
तो वह उड़कर
नीचे सड़क पर चली गयी,
तेजी से सीढियां उतरकर
जब मैं नीचे पहुँची
तो चिड़िया वहां नही थी...
लेकिन खुशी थी !!!

स्कूल जाती छोटी-छोटी बच्चियों
की मुस्कान में..
मन्दिर की घंटियों
की धुन में...
रिक्शेवाले की
"बोहनी" के १० रुपये में...
बहुत दिनों बाद मिले
दो बुजुर्ग मित्रों की
"हर-हर महादेव" में...
रेडियो पर आने वाले
"भूले-बिसरे गीतों " में...
"कचौडी-जलेबियों" की
खुशबू में ...

रहती तो हमेशा से
यहीं कहीं आस-पास ही थी...
पर,
कई दिनों से नज़र नहीं आई थी

आज बहुत दिनों बाद
मैंने खुशी देखी!!!



कवयित्री- कु॰ स्मिता पाण्डेय

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26 कविताप्रेमियों का कहना है :

मनोज कुमार का कहना है कि -

लेखनी प्रशस्त है, बांधती है, भाषा पठनीय है। रचना को पूरी पढ़ने की रुचि जगाती है। आपको बधाई। इस कविता को पढ़कर एक भावनात्मक राहत मिलती है।

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

सुंदर भावनाओं से सजी कविता ...बधाई स्मिता जी..कविता बढ़िया लगी.

संगीता पुरी का कहना है कि -

रचना के भाव बहुत सुंदर हैं .. खुशी के लिए भटकने से खुशी नहीं मिलती .. आसपास हर जगह मौजूद होती है .. बस वैसा मन होना चाहिए !!

Shamikh Faraz का कहना है कि -

कविता में क्या खूबसूरती से आपने ख़ुशी के बारे में समझाया है.
मैंने ज्यों ही छूने को हाथ बढ़ाया
कि फिसल गयी !!!
झाँककर देखा तो
निचली डाल पर
एक चिडिया बैठी थी,
उसके पंखों पर भी
वही खुशी चमक रही थी ...
देखते ही देखते
वह बिल्कुल मेरे सामने
मुंडेर पर बैठ गयी ,
मैं और पास आई
तो वह उड़कर
नीचे सड़क पर चली गयी,
तेजी से सीढियां उतरकर
जब मैं नीचे पहुँची
तो चिड़िया वहां नही थी...
लेकिन खुशी थी !!!

मुझे इस बात पर एक कोट याद आ गया. "ख़ुशी एक तितली के सामान है आप जितना उसके पूछे भागेंगे उतना ही वह आपसे दूर भागेगी. आप एक जगह रुक जाइये वह आपके पास आ जायेगी."

Disha का कहना है कि -

सुन्दर व भावपूर्ण रचना

राकेश कौशिक का कहना है कि -

सकारात्मक सोच, बहुत सुंदर मर्मस्पर्शी कविता, बधाई.

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

रहती तो हमेशा से
यहीं कहीं आस-पास ही थी...
पर,
कई दिनों से नज़र नहीं आई थी

आज बहुत दिनों बाद
मैंने खुशी देखी!!!
.......वाह

अभिषेक आर्जव का कहना है कि -

अच्छी कविता ! ! !

शोभना चौरे का कहना है कि -

man ko choo gai khushi
स्कूल जाती छोटी-छोटी बच्चियों
की मुस्कान में..
मन्दिर की घंटियों
की धुन में...
behtreen jvab nhi

Kuldeep Pal का कहना है कि -

स्कूल जाती छोटी-छोटी बच्चियों
की मुस्कान में..
मन्दिर की घंटियों
की धुन में...
रिक्शेवाले की
"बोहनी" के १० रुपये में...
बहुत दिनों बाद मिले
दो बुजुर्ग मित्रों की
"हर-हर महादेव" में...
रेडियो पर आने वाले
"भूले-बिसरे गीतों " में...
"कचौडी-जलेबियों" की
खुशबू में ...


स्मिता जी

पुरानी यादे याद आ गई
बहुत उम्दा कविता है
बहुत प्यारी सी...

parveen kumar snehi का कहना है कि -

bahut khushi hui aapki kavita padhkar. yadi aapka koi blog hai to avashya bataiyega. ek humumra kavi ki kavita padhana kafi achchh laga.
..........snehi.aryaparveen@gmail.com

Anonymous का कहना है कि -

It seems that Smita Pandey is a poet by birth.Choice of words and feeling`s depth is amusing.The composition touches deep into the heart.

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' का कहना है कि -

स्मिता पांडेय की रचना में छोटी छोटी बातों को
जिस तरह खुशियों में ढालकर पेश किया है,
वह इनके सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रकट करता है.
उज्जवल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

Anonymous का कहना है कि -

sweet darling jitni sweet ho utna hi sweet likhti ho.

arun parbat का कहना है कि -

Dear
sweat heart,
Aap hemasa badhti rahe. aur unchai ke sikher pe chadhi rahe.

with best
Regards
Arun kumar

Anonymous का कहना है कि -

fuck you india

Nisha का कहना है कि -

bahut pyara khushi ka ahsaas karvaaya hai aapne..sach much aisi khushi mai aksar apne aas paas dekhti hu.. aur yehi khushi hai jo aapko kabhi nirash nahi hone deti. shukriya in sundar panktiyon k liye.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') का कहना है कि -

बहुत खूबसूरती से गढ़ी भावनाएं, चौकाती हुई, चकित करती हुई, खुशी देती हुई.... शुक्रिया.

Unknown का कहना है कि -

aaj maine khusi dekhi,wakai ek behatrin kavita hai jo Nai kavita ki khubiyon se paripurna hai.Prayogwad ek nay aakar le rahaa hai.Is daur me aanchalik pehchan k sath kavita likhna behatareen hai.Benaras ki sari mehak is kavita me darshaniya hai. thnks for giving benaras in khusi.

Anonymous का कहना है कि -

Maine Bhi abhi abhi khushi Dekhi, Un sabdo main Jinse Ye Kavita bani Hai.
*****

anant alok का कहना है कि -

आपने आम आदमी मैं ,बचपन मैं ,रिक्शे वाले की बूनी में खुशी देखी है | यही है सचा साहित्य बहुत बहुत बधाई |

प्रियंका गुप्ता का कहना है कि -

बहुत प्यारी कविता है...। सच ही तो है, खुशी कितनी छोटी-छोटी चीजों में हमारे आसपास बिखरी होती है और हम उन्हें देख ही नहीं पाते ।
मेरी बधाई...।

OP Yadav का कहना है कि -

सही बहुत ही उम्दा चित्रण किया है ख़ुशी का आपने। जब मुझ पर उस मालिक की मेहर होती है तो मुझे भी कई बार अंदरूनी ख़ुशी का अहसास होता है। बिना किसी लाभ या बात के मन नाचने लगता है। आपका शुक्रिया।

Unknown का कहना है कि -

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Unknown का कहना है कि -

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PalaPala का कहना है कि -

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