फटाफट (25 नई पोस्ट):

Friday, February 19, 2010

चौथे साल की पहली यूनिप्रतियोगिता के परिणाम


हिन्द-युग्म की यूनिकवि एवं यूनिपाठक प्रतियोगिता अपने चौथे वर्ष में प्रवेश कर गई है। जनवरी 2007 से प्रतिमाह अनवरत रूप से यह प्रतियोगिता आयोजित हो रही है। इस प्रतियोगिता से धीरे-धीरे साहित्य-जगत में एक प्रतिष्ठित स्थान बना लिया है। हिन्द-युग्म ने 19वाँ विश्व पुस्तक मेला में यूनिकवियों को सम्मानित करने के लिए एक समारोह भी आयोजित कर चुका है। वर्ष 2008 में यूनिपाठकों को सम्मानित किया जा चुका है।

अक्सर इस प्रतियोगिता के परिणाम नये महीने के पहले या दूसरे सोमवार को प्रकाशित हो जाते हैं, लेकिन हिन्द-युग्म की 19वें विश्व पुस्तक मेला में भागीदारी से हर वेबप्रस्तुति में थोड़ा विलम्ब हुआ, इसके लिए हम अपने पाठकों और प्रतिभागियों से क्षमाप्रार्थी हैं।

जनवरी 2010 की यूनिकवि प्रतियोगिता के लिए हमें कुल 48 कविताएँ प्राप्त हुईं। निर्णय 2 चरणों में 6 जजों (प्रथम चरण में 3 जज और द्वितीय चरण में 3 जज) द्वारा कराया गया। प्रथम चरण के बाद 29 कविताओं को दूसरे चरण के जजों को भेजा गया। सभी 6 जजों द्वारा मिले अंकों के औसत के हिसाब से एम वर्मा की कविता 'कबूतर तुम कब सुधरोगे?' को यूनिकविता चुना गया।

यूनिकवि- एम॰ वर्मा

एम॰ वर्मा की एक कविता अक्टूबर 2009 की यूनिकवि प्रतियोगिता में पाँचवाँ स्थान बना चुकी है। एम. वर्मा का जन्म वाराणसी के एक कृषक परिवार में हुआ। सम्पूर्ण शिक्षा वाराणसी में हुई (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम. ए.(हिन्दी), बी. एड.)। शुरू से ही कविताओं का शौक रहा। साथ ही नाटकों में भाग भी लेते रहे। ऊहापोह की जिन्दगी और शादी, फिर बच्चे और अंततोगत्वा दिल्ली में ‘राजकीय विद्यालय’ में अध्यापक बन बैठे। बच्चों के बीच बच्चा बन जाने की आदत छोड़े नहीं छूटती जिसके कारण गुरूत्तर शिक्षकीय दायित्व को मजे लेकर निभा रहे हैं। थियेटर का शौक अभी भी जिन्दा है। कभी-कभार नाटकों में भाग लेते रहते हैं। ‘जश्ने बचपन’ में ‘नीली छतरी’ में अभिनय करना इनके लिए अविस्मरणीय बन गया है। कविताएँ लिखना बदस्तूर जारी है। इन्होंने भोजपुरी रचनाएँ भी लिखी। दिल्ली में हिन्दी अकादमी द्वारा आयोजित ‘रामायण मेले’ में भोजपुरी रचना पुरस्कृत हो चुकी है। ब्लॉगजगत का सफर बहुत पुराना नहीं है। मई 2009 से ब्लॉग में रचनाओं को पिरोना प्रारम्भ किया। बदस्तूर जारी सफर कहाँ तक है, ये नहीं जानते।

पुरस्कृत कविता- कबूतर तुम कब सुधरोगे?

कबूतर!
तुम कब सुधरोगे ?
आख़िर तुम क्यों कभी
मन्दिर के अहाते में उतरते हो
तो कभी
मस्ज़िद के आले में ठहरते हो?
क्या तुम्हें पता नहीं है
इनका आपस में
कोई वास्ता नहीं है,
मन्दिर से मस्ज़िद तक
या मस्ज़िद से मन्दिर तक
कोई रास्ता नहीं है।

अरे! अगर तुममें
इतनी भी अक्ल नहीं है,
तो क़्यों नहीं तुम हमसे सीखते हो?
क्यों नहीं तुम भी रट लेते हो।
हमारी बौद्धिक पुस्तकों की भाषा,
जिनमें हमें बताया गया है-
मन्दिर में हिन्दू पूजा करते हैं,
मस्ज़िद में मुसलमाँ सजदा करते हैं
जिनमें यह नहीं बताया गया है
ईद, होली भारत का प्रमुख त्यौहार है
वरन जो बतलाता है
ईद मुसलमानों का त्यौहार है
और
होली, दीवाली हिन्दुओं का है पर्व।

अरे! हमसे सीखो
हम अपना धर्म बचाने के लिए
क्या नहीं करते हैं,
कभी बारूद बनकर मारते हैं
तो कभी बारूद से मरते हैं।
एक तुम हो-
जिसे आनी चाहिए शरम
तुम्हें अब तक ये सलीका नहीं आया
कि पहचान सको अपना धरम।

तुम कहाँ थे जब
मन्दिर हथौड़ा लिए खड़ा था,
मस्ज़िद ख़ंजर लिये
हर राह में अड़ा था?
तुम तो सबक लो
हमारी उन्नत सभ्यता से
हम बेशक खुद को नहीं जानते हैं,
पर अपना-अपना धरम
बखूबी पहचानते हैं।

अरे तुम तो
उस दिन से डरो
जब तुम मरोगे!
उस दिन भी क्या तुम
यही करोगे?
कबूतर तुम कब सुधरोगे?


पुरस्कार और सम्मान- समयांतर, की ओर से पुस्तकें तथा हिन्द-युग्म की ओर से प्रशस्ति-पत्र। प्रशस्ति-पत्र वार्षिक समारोह में प्रदान किया जायेगा। समयांतर में कविता प्रकाशित होने की सम्भावना।

इनके अतिरिक्त हम जिन अन्य 9 कवियों की कविताएँ प्रकाशित करेंगे तथा उन्हें विचार और संस्कृति की चर्चित पत्रिका समयांतर की ओर से पुस्तकें प्रेषित की जायेंगी, उनके नाम हैं-

रवीन्द्र शर्मा रवि
अखिलेश कुमार श्रीवास्तव
अरविंद श्रीवास्तव
उमेश्वर दत्त निशीथ
मृत्युन्जय ’साधक’
तरुण ठाकुर
अनवर सुहैल
सुमिता केशवा
अनुपमा मोंगा


हम शीर्ष 10 के अतिरिक्त भी बहुत सी उल्लेखनीय कविताओं का प्रकाशन करते हैं। इस बार हम निम्नलिखित 3 कवियों की कविताएँ भी एक-एक करके प्रकाशित करेंगे-

सुरेंद्र अग्निहोत्री
मेयनुर
संगीता सेठी


उपर्युक्त सभी कवियों से अनुरोध है कि कृपया वे अपनी रचनाएँ 10 मार्च 2010 तक अनयत्र न तो प्रकाशित करें और न ही करवायें।

विमल कुमार हेड़ा हिन्द-युग्म को 1 साल से भी ज्यादा पढ़ रहे हैं, परंतु टिप्पणियाँ निरंतर नहीं भेज पाते थे। जनवरी 2010 में इन्होंने हिन्द-युग्म न कि खूब पढ़ा, बल्कि कमेंट भी किया। इसलिए हम विमल कुमार हेड़ा को जनवरी 2010 का यूनिपाठक चुन रहे हैं।

यूनिपाठक- विमल कुमार हेड़ा

जन्म तिथिः 15 जून 1969
जन्म स्थान: ग्राम- धमाना, जिला - चित्तोड़गढ़ ( राजस्थान )
शिक्षाः बी. कोम तथा बी. ए.
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज.) से
व्यवसायः सर्विस
क्लर्क (असिस्टेन्ट ग्रेड.-3)
राजस्थान परमाणु बिजलीघर, रावतभाटा (राज.)
लेखन कार्यः विगत लगभग 14 वर्षों से कविता लेखन
रूचिः कविता लिखना एवं पढ़ना एवं साहित्यिक गतिविधियों में भाग लेना।
साहित्यः स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन।


पुरस्कार और सम्मान- विचार और संस्कृति की चर्चित पत्रिका समयांतर की ओर से पुस्तकें तथा हिन्द-युग्म की ओर से प्रशस्ति-पत्र।

इस बार हमने दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान के विजेता पाठकों के लिए हमने क्रमशः विनोद कुमार पाण्डेय, निर्मला कपिला और सफरचंद को चुना है। इन तीनों विजेताओं को भी विचार और संस्कृति की चर्चित पत्रिका समयांतर की ओर से पुस्तकें भेंट की जायेगी।

हम उन कवियों का भी धन्यवाद करना चाहेंगे, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लेकर इसे सफल बनाया। और यह गुजारिश भी करेंगे कि परिणामों को सकारात्मक लेते हुए प्रतियोगिता में बारम्बार भाग लें। इस बार शीर्ष 13 कविताओं के बाद की कविताओं का कोई क्रम नहीं बनाया गया है, इसलिए निम्नलिखित नाम कविताओं के प्राप्त होने से क्रम से सुनियोजित किये गये हैं।

अर्पिता नायक
दिलशेर ’दिल’
साबिर अली ’घायल’
दीपक कुमार
रोशन कुमार
विनोद कुमार पांडेय
रविकांत अनमोल
प्रियंका सिंह
कमल किशोर सिंह
भावना सक्सेना
विजय सिंह
चंद्रकांत सिंह
कमल प्रीत सिंह
अजय दुरेजा
शशि सागर
गोपाल कृष्‍ण भट्ट ‘आकुल’
हिमानी दीवान
मनसा आनंद ’मानस’
अभिषेक ताम्रकार
अर्जुन सिंह
डॉ श्याम गुप्त
कविता रावत
डॉ अनिल चड्डा
अनिरुद्ध यादव
अम्बरीष श्रीवास्तव
मनीष जैन
आलोक गौर
अजीत पांडेय
उमेश चंद्र
अनामिका (सुनीता)
अनु केवलिया
रवीश रंजन
बोधिसत्व कस्तुरिया
अरविंद कुरील
देवेश पांडे

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

16 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

यूनी कवी श्री ऍम वर्माजी को बहुत बहुत बधाई साथ ही विनोद कुमार पांडे जी , निर्मला कपिला जी, सफरचंद जी एवं अन्य सभी कवियों को भी बहुत बहुत बधाई
हिंद युग्म का बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद जो आपने इतना बड़ा मंच हमें पढ़ने और कविता लिखने और पर्तिक्रिया देने के लिए दिया
विमल कुमार हेडा

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

yunikavi prtiyogita ke prtham vijeta varma ji ko bahut bahut hardik badhai...sath hi sath kabutar tum kab sudhroge jaise badhiya bhav se nihit kavita prstut karane ke liye bahut bahut dhanywaad baki sabhi kaviyon aur pathakon ko badhai..

Prem Chand Sahajwala का कहना है कि -

कबूतर कविता बेहद सुन्दर और सशक्त लगी. कबूतर तो पंडित नेहरु के कंधे पर भी बैठ जाता था. पर नतीजा क्या निकला, पंडित नेहरु को ही गालियाँ पड़ने लगी. इस लिए बेचारा कबूतर यहाँ का वहाँ चला जाता है. कबूतर का क्या दोष भाई वर्मा जी?

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

वर्मा जी को एवं हेड़ा जी को बधाई.
बहुत अच्छी कविता है. कबूतर तुम कब सुधरोगे?..यह शैली काफी दिलचस्प है कि प्रत्यक्ष तो कवि कबूतर को डांट रहा है लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से वह संकीर्ण विचाधारा वाले मनुष्यों कि खबर ले रहा है कि हम कब तक धर्म के नाम पर ईश्वर को बांटते रहेंगे!..कब तक आपस में झगड़ते रहेंगे!
..हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति को मजबूती प्रदान करती..स्वस्थ सन्देश देती इस कविता की जितनी भी तारीफ़ की जाय कम है. दरअसल यह कविता अपने सामाजिक दायित्व का बखूबी निर्वहन करती है.

rachana का कहना है कि -

sharma ji ko bahut bahut badhai
vimal ji aap ko badhai sath me vinod ji nirmala ji aur safrchandr ji ko bahut badhai
kabutar kavita me achchha vyang hai baat ko bahut hi sunder tarike se kaha gaya hai.
sunder kavita ke liye badhai
saader
rachana

पद्म सिंह का कहना है कि -

यूनी कवि के विजेता वर्मा जी को बधाइयाँ ... साथ ही हिंद युग्म से मेरी शिकायत है कि मैंने अपनी रचना 'यायावर' Sun, Feb 7, 2010 at 5:43 AM पर To: hindyugm@gmail.com पर यूनिकवि प्रतियोगिता के लिए प्रेषित की थी... खेद का विषय है कि न तो मेरी रचना को शामिल किया गया और न ही मेरा नाम कहीं प्रतियोगिता में शामिल लोगों में दर्शाया गया है ... मै पहली बार इस प्रतियोगिता में शामिल हुआ किन्तु अपनी प्रविष्टि न देख दुःख है ... प्रतियोगिता के आयोजकों से अनुरोध है कि कृपया मुझे इस सम्बंध में सूचित करें...कि मेरे स्तर से क्या त्रुटि हुई है... प्रविष्टि मिली भी है या नहीं ..इस सम्बन्ध में भी सूचित करें जिस से भविष्य में ध्यान रख सकूँ --- पद्म सिंह

M VERMA का कहना है कि -

धन्यवाद हिन्दयुग्म

निर्मला कपिला का कहना है कि -

वाह यहाँ मेरा नाम बोला जा रहा है और मुझे पता ही नही। धन्यवाद हिन्द युगम
यूनी कवी श्री ऍम वर्माजी,विनोद कुमार पांडे जी,सफरचंद जी को बहुत बहुत बधाई
कबूतर--- एक सुन्दर सन्देश देती रचना के लिये वर्मा जी को बधाई उनका लेखन समाज का दर्पन है। हिन्द युग्म का प्रयास सराहनीय है ।बधाई

bhawna का कहना है कि -

दिलचस्प कविता... सभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई...हिंद युग्म को आभार

नियंत्रक । Admin का कहना है कि -

पद्म जी,

आपने अपनी रचना 7 फरवरी को भेजी थी। नियम व शर्तों को यदि आप ध्यान से पढ‌़ें तो ज्ञात होगा कि अमूमन 1 से 15 तारीख के बीच हम रचनाएँ मँगवाते हैं और अगले महीने के पहले सोमवार को परिणाम लेकर आते हैं। कुछ अपरिहार्य कारणों से हमने यह जो परिणामकल प्रकाशित किया, उसे 1 फरवरी या अधिक से अधिक 8 फरवरी को प्रकाशित होना था। आपकी रचना फरवरी माह की प्रतियोगिता में सम्मिलित है, जिसका परिणाम 8 मार्च को प्रकाशित होगा। धैर्य रखें।

धन्यवाद।

निवेदक-
हिन्दयुग्म

डा श्याम गुप्त का कहना है कि -

वर्माजी को बहुत बहुत बधाई । सुन्दर कविता ।

---कविता तो निश्चय ही सुन्दर है , अर्थ भी है ,भाव पूर्ण है; परन्तु सोचिये " जानवरों में धर्म , मानवता, विवेक , नहीं होता , तभी वे जानवर हैं, सिर्फ़ उदर जीवी । क्या मनुश्य को उन्हीं के पद चिन्हों पर चलना चाहिये , अपना विवेक छोडकर
--- निश्च्य ही सम्पूर्ण भाव व उद्दरण अर्थहीन है।

कविता रावत का कहना है कि -

Varma ji ko bahut badhai..
Kabutar ke madhyam se bahut achha sandesh prastut kiya hai aapne..
bahut achha laga..

Anonymous का कहना है कि -

यूनिकवि श्री वर्मा जी को बहुत-बहुत बधाई! सच में बहुत ही विचा्रणीय है रचना कबूतर को समझाते हुए कटाक्ष है मानव जाति पर..गहराई से विचार ही नहीं करते धर्म के नाम पर खून तक बहा देते हैं..समय की मांग है आपकी कविता..बहुत-बहुत आभार! साथ ही विमल कुमार हेडा जी को यूनि पाठ्क की ्बधाई!विनोद कुमार,निर्मला जी, सफ़रचंद जी एवं सभी कवियों को बधाई!हिन्दयुग्म को बधाई!जिसने इतने व्यस्त कार्यक्र्म में भी समय निकाल कर प्रतियोगिता को संपन्न किया.

Unknown का कहना है कि -

कविता बहुत ही सशक्त एवं प्रभावी लगी .वर्मा जी को इस प्रस्तुति पर बधाई.यूनी कवी प्रतियोगिता के अन्य विजेताओं को भी बधाई.मुझे भी इस सूची में आखरी स्थान मिला बहुत ख़ुशी हुई की चलो हाशिये पर ही सही इस परिवार ने मुझे स्थान तो दिया .हिंद युग्म नए साल में साहित्य जगत में नए कीर्तिमान स्थापित करे ऐसी कामना है.धन्यवाद्.

gazalkbahane का कहना है कि -

कबूतर के माध्यम से मानव समाज की विसंगतियों पर गहरा कटाक्ष है।बधाई वर्मा जी

Prem का कहना है कि -

भाव निसंदेह खूबसूरत है.... शिल्प के स्तर पर गुंजाईश लगती है!!! वर्मा जी को बधाई!

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)