दोहा पावन पयोधर, दे मन को आनंद.
बारह-चौबिस गुरु-लघु, छत्तीस मात्रिक छंद..
जिस दोहे में बारह गुरु तथा चौबिस लघु कुल ३६ मात्राएँ हों उसे पयोधर कहते हैं।
उमस, घुटन, सीलन भरी, लोग खड़े निर्वात।
खूब गरजते मेघ तुम तब होती बरसात।। - डॉ. भारतेंदु मिश्र
भाषा अम्बर भाव् शशि, पिंगल है ऋतुचक्र।
तारक उपमा, जलद रस, तडित्छटा गण वक्र।।
रीति-नीति, युग-बोध नव, पुरा-पुरातन सत्य।
शिव-सुन्दर कर कह रहा, दोहा छंद अनित्य।।
द्वैताद्वैत, सगुण-निगुण, ज्ञान-प्रेम दिन-रात।
विविध मतों का तिमिर हर, दोहा करे प्रभात।।
सबा-सलिल शीतल-विमल, मिले नर्मदा-तीर।
सफल सदा हो साधना, नर हो ऋषि-गुरु-पीर।।
अगली कड़ी में मिलिए 'बल' दोहा से-
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7 कविताप्रेमियों का कहना है :
अच्छा लगा पढकर।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
पयोधर se to aapne patko ke liye gyan ka प्रभात ker diya hai.HOme work mil gaya haiaur budhi ko dhar deni padaghi. Ghayanvardak,nayi,upyoghi jankari ke liye aabhar.
Manju Gupta.
दोहों के बारे में जानकारी के लिए हिन्दयुग्म का आभारी.
आचार्य प्रणाम,,
ये द्वैत-अद्वैत ..
शब्द अक्सर ही पढा-सुना है...इसका अर्थ भी कुछ कुछ पता है....
एक में या एक से अधिक में ,,शायद,,,
पर शायद एकदम सही अर्थ नहीं पता ,,,,, अक्सर अलग अलग ढंग से लगता है इसका मतलब,,
क्या वाकई ऐसा है के इन शब्दों के एक से अधिक अर्थ हैं....??
काव्य का रचना शास्त्र: १५
मनु जी!
द्वैत का अर्थ दो होने का भाव, भिन्नता, अलगाव, दूरी, अंतर आदि से है. द्वैतवादी ब्रम्ह और माया को भिन्न मानते हैं.
अद्वैत का अर्थ अभिन्नता, भेद या अंतर का अभाव, एकता आदि है. अद्वैतवादी ब्रम्ह और माया को एक मानते हैं..
दोहा सच का मीत है, दोहा गुण की खान |
दोहे की महिमा अगम, दोहा ब्रह्म समान ||
बधाई |
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