मेरे मौला जो कभी मेरी कहानी लिखना
जिन्दगी लिखना मगर अब के सुहानी लिखना
भूल सचमुच ही गई है क्या तू मेरी सजनी
लब से अपने यूं मेरे लब पे निशानी लिखना
याद आता है मुझे तेरा वो,दीवानापन
खुद को दीवाना कभी मुझको दिवानी लिखना
गर पड़े तुझको कभी लिखना कहीं मजबूरन
घर में मुफलिस के न बेटी तू सयानी लिखना
कोशिशें लाख हुई यार मगर बतलाओ
है क्या आसान बुढ़ापे को जवानी लिखना
बेवफाई जो करे मुझसे तू दिलबर मेरे
खुदको राजा न कभी मुझको तू रानी लिखना
’श्याम’ नादां है,है सनकी भी जरा सा यारो
उसको आता ही नहीं बातें सयानी लिखना
फ़ाइलातुन फ़इलातुन,फ़इलातुन, फ़ेलुन
b-22/109 न.ह
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14 कविताप्रेमियों का कहना है :
श्याम सखा जे इस्मे एक भी शब्द ऐसा नही जिसकी तारीफ ना की जाये आपकी लेखनी की तो पहले ही कायल हूँ इस रचना ने तो कमाल कर दिया आभार और धन्यवाद्
डॉ. श्याम जी,
मर्म को छूता हुआ शेर, खूब...
गर पड़े तुझको कभी लिखना कहीं मजबूरन
घर में मुफलिस के न बेटी तू सयानी लिखना
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
गर पड़े तुझको कभी लिखना कहीं मजबूरन
घर में मुफलिस के न बेटी तू सयानी लिखना
कोशिशें लाख हुई हैं यार मगर बतलाओ
है क्या आसान बुढ़ापे को जवानी लिखना
बहुत ही सुन्दर श्याम जी, पहले वाला शेर तो उस श्रेणी का है जिसके लिए गजल जानी जाती है
उम्दा क़िस्म की ग़ज़ल , उम्दा तर्ज़ ए बयान , काबिल ए तरीफ़.
अद्भुत जी ने सही कहा, पहला शे'एर उस्तादों वाला शे'एर
मेरे मौला जो कभी मेरी कहानी लिखना
जिन्दगी लिखना मगर अब के सुहानी लिखना
...बहुत ही सुन्दर
वाह बहुत खूब
कोशिशें लाख हुई हैं यार मगर बतलाओ
है क्या आसान बुढ़ापे को जवानी लिखना
Bhole bhaleडॉ. श्याम जी,
uperyukt lajavab शेर ke liye begam akter ji ki ghayie pankti yaad aa rahi hai-"abhi to mein jaban hun.
kafiya-lajavab,matla-ati kub,makta-vaha!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
Hamesha ki tarah gazal asardar aur koyi gaa de.
Manju Gupta
श्याम सखा की यह गजल बड़ी सयानी है भाई। मुझे भूल गये क्या भाई?
bahut sunder! last line jo aapne apne bare mein bayan ki hain badiya lagi hamein
सभी के सभी शेर अच्छे ,,पर श्याम जी,,,एक जगह अटका लगा है जुबान में... मात्र के लिहाज से ठीक हो तो हो,,,,
पर ,,
कोशिशें लाख हुई यार मगर बतलाओ,
मुझसे यूं आसानी से पढा जा रहा है,,,
( है ) शब्द को हटाने के बाद,,,,
शे'र प्यारा है,,,
और
खुद को दीवाना कभी मुझको दिवानी लिखना,,,,,,,,,,,कमाल का कहा है,,,
वाह ,,,,!!!!!!!!
जिंदगी लिखना की अब की सुहानी लिखना
क्या खूब लिखा है | एक-एक शेर दिल में उतर गया
आप सभी को धन्यवाद गज़ल कबूलने पर,मनु भाई आप ठीक हैं ‘हैं’ गलती से टाइप हो गया है अब ठीक कर देता हूं।मंजु गुप्ता जी मिसरा तो आपने ठीक लिखा ,मगर गयिका मल्लिका पुखराज हैं शायद बेग़म अख्तर नहीं।
श्याम सखा ‘श्याम
गर पड़े तुझको कभी लिखना कहीं मजबूरन
घर में मुफलिस के न बेटी तू सयानी लिखना
श्याम जी आप जैसे अनुभवी लोगो से हम जैसे नए लोगो को भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है.
सच्ची रचना है
कोशिशें लाख हुई यार मगर बतलाओ
है क्या आसान बुढ़ापे को जवानी लिखना
बधाई |
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