दोहा लें दिल में बसा, लें दोहे को जान.
दोहा जिसको सिद्ध हो, वह होता रस-खान.
दोहा लेखन में द्विमात्रिक, दीर्घ या गुरु अक्षरों के रूपाकार और मात्रा गणना के लिए निम्न पर ध्यान दें-
अ. सभी दीर्घ स्वर: जैसे- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ.
आ. दीर्घ स्वरों की ध्वनि (मात्रा) से संयुक्त सभी व्यंजन. यथा: का, की, कू, के, कै, को, कौ आदि.
इ. बिन्दीयुक्त (अनुस्वार सूचक) स्वर: उदाहरण: अंत में अं, चिंता में चिं, कुंठा में कुं, हंस में हं, गंगा में गं,
खंजर में खं, घंटा में घं, चन्दन में चं, छंद में छं, जिंदा में जिं, झुंड में झुं आदि.
ई. विसर्गयुक्त ऐसे वर्ण जिनमें हलंत ध्वनित होता है. जैसे: अतः में तः,प्रायः में यः, दु:ख में दु: आदि.
उ. ऐसा हृस्व वर्ण जिसके बाद के संयुक्त अक्षर का स्वराघात होता हो. यथा: भक्त में भ, मित्र में मि, पुष्ट में पु, सृष्टि में सृ, विद्या में वि, सख्य में स, विज्ञ में वि, विघ्न में वि, मुच्य में मु, त्रिज्या में त्रि, पथ्य में प, पद्म में प, गर्रा में र.
उक्त शब्दों में लिखते समय पहला अक्षर लघु है किन्तु बोलते समय पहले अक्षर के साथ उसके बाद का आधा अक्षर जोड़कर संयुक्त बिला जाता है तथा संयुक्त अक्षर के उच्चारण में एक एकल अक्षर के उच्चारण में लगे समय से अधिक लगता है. इस कारण पहला अक्षर लघु होते हुए भी बाद के आधे अक्षर को जोड़कर २ मात्राएँ गिनी जाती हैं.
ऊ. शब्द के अंत में हलंत हो तो उससे पूर्व का लघु अक्षर दीर्घ मानकर २ मात्राएँ गिनी जाती हैं. उदाहरण: स्वागतम् में त, राजन् में ज. सरित में रि, भगवन् में न्, धनुष में नु आदि.
ए. दो ऐसे निकटवर्ती लघु वर्ण जिनका स्वतंत्र उच्चारण अनिवार्य न हो और बाद के अकारांत लघु वर्ण का उच्चारण हलंत वर्ण के रूप में हो सकता हो तो दोनों वर्ण मिलाकर संयुक्त माने जा सकते हैं. जैसे: चमन् में मन्, दिल् , हम् दम् आदि में हलंतयुक्त अक्षर अपने पहले के अक्षर के साथ मिलाकर बोला जाता है. इसलिए दोनों को मिलाकर गुरु वर्ण हो जाता है.
मात्रा गणना हिन्दी ही नहीं उर्दू में भी जरूरी है. गजल में प्रयुक्त होनेवाली 'बहरों' ( छंदों) के मूल अवयव 'रुक्नों" (लयखंडों) का निर्मिति भी मात्राओं के आधार पर ही है. उर्दू छंद शास्त्र में भी अक्षरों के दो भेद 'मुतहर्रिक' (लघु) तथा 'साकिन' (हलंत) मान्य हैं. उर्दू में रुक्न का गठन अक्षर गणना के आधार पर होता है जबकि हिंदी में छंद का आधार मात्रा गणना है. उर्दू में अक्षर पतन का आधार यही है. वस्तुतः हिन्दी और उर्दू दोनों का उद्गम संस्कृत है, जिससे दोनों ने ध्वनि उच्चारण की नींव पर छंद शास्त्र गढ़ने की विरासत पाई और उसे दो भिन्न तरीकों से विकसित किया.
मात्रा गणना को सही न जाननेवाला न तो दोहा या गीत को सही लिख सकेगा न ही गजल को. आजकल लिखी जानेवाली अधिकाँश पद्य रचनायें निरस्त किये जाने योग्य हैं, चूंकि उनके रचनाकार परिश्रम करने से बचकर 'भाव' की दुहाई देते हुए 'शिल्प' की अवहेलना करते हैं. ऐसे रचनाकार एक-दूसरे की पीठ थपथपाकर स्वयं भले ही संतुष्ट हो लें किन्तु उनकी रचनायें स्तरीय साहित्य में कहीं स्थान नहीं बना सकेंगी. साहित्य आलोचना के नियम और सिद्दांत दूध का दूध और पानी का पानी करने नहीं चूकते. हिंदी रचनाकार उर्दू के मात्रा गणना नियम जाने और माने बिना गजल लिखकर तथा उर्दू शायर हिन्दी मात्रा गणना जाने बिना दोहे लिखकर दोषपूर्ण रचनाओं का ढेर लगा रहे हैं जो अंततः खारिज किया जा रहा है. अतः 'दोहा गाथा..' के पाठकों से अनुरोध है कि उच्चारण तथा मात्रा संबन्धी जान कारी को हृदयंगम कर लें ताकि वे जो भी लिखें वह समादृत हो.
गंभीर चर्चा को यहीं विराम देते हुए दोहा का एक और सच्चा किस्सा सुनाएँ..अमीर खुसरो का नाम तो आप सबने सुना ही है. वे हिन्दी और उर्दू दोनों के रचनाकार थे. वे अपने समय की मांग के अनुरूप संस्कृतनिष्ठ भाषा तथा अरबी-फारसी मिश्रित जुबान को छोड़कर आम लोगों की बोलचाल की बोली 'हिन्दवी' में लिखते थे बावजूद इसके कि वे दोनों भाषाओं, आध्यात्म तथा प्रशासन में निष्णात थे.
जनाब खुसरो एक दिन घूमने निकले. चलते-चलते दूर निकल गए, जोरों की प्यास लगी.. अब क्या करें? आस-पास देखा तो एक गाँव दिखा, सोचा चलकर किसी से पानी मांगकर प्यास बुझायें. गाँव के बाहर एक कुँए पर औरतों को पानी भरते देखकर खुसरो साहब ने उनसे पानी पिलाने की दरखास्त की. खुसरो चकराए कि सुनने के बाद भी उनमें से किसी ने तवज्जो नहीं दी. दोबारा पानी माँगा तो उनमें से एक ने कहा कि पानी एक शर्त पर पिलायेंगी कि खुसरो उन्हें उनके मन मुताबिक कविता सुनाएँ. खुसरो समझ गए कि जिन्हें वे भोली-भली देहातिनें समझ रहे थे वे ज़हीन-समझदार हैं और उन्हें पहचान चुकने पर उनकी झुंझलाहट का आनंद ले रही हैं. कोई और रास्ता भी न था, प्यास बढ़ती जा रही थी. खुसरो ने उनकी शर्त मानते हुए विषय पूछा तो बिना देर किये चारों ने एक-एक विषय दे दिया और सोचा कि आज किस्मत खुल गयी. महाकवि खुसरो के दर्शन तो हुए ही चार-चार कवितायें सुनाने का मौका भी मिल गया. विषय सुनकर खुसरो एक पल झुंझलाए..ये कैसे बेढब विषय हैं? इन पर क्या कविता करें? लेकिन प्यास... इन औरतों से हार मानना भी गवारा न था... राज हठ और बाल हठ के समान त्रिया हठ के भी किस्से तो खूब सुने थे पर आज उन्हें एक-दो नहीं चार-चार महिलाओं के त्रिया हठ का सामना करना था. खुसरो ने विषयों पर गौर किया...खीर...चरखा...कुत्ता...और ढोल... चार कवितायें तो सुना दें पर प्यास के मरे जान निकली जा रही थी.
इन विषयों पे ऐसी स्थति में आपको कविता करनी हो तो क्या करेंगे? चकरा गए न? ऐसे मौकों पर अच्छे-अच्छों की अक्ल काम नहीं करती पर खुसरो भी एक ही थे, अपनी मिसाल आप. उनहोंने सबसे छोटे छंद दोहा का दमन थमा और एक ही दोहे में चारों विषयों को समेटते हुए ताजा-ठंडा पानी पिया और चैन की सांस ली. खुसरो का वह दोहा आप में से जो भी बतायेगा पानी पिलाए बिना ही एक दोहा ईनाम में पायेगा...तो मत चुके चौहान... शेष फिर...
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
12 कविताप्रेमियों का कहना है :
खीर पकाई जतन से ,चरखा दिया चलाय|
आया कुत्ता खा गया ,तू बैठी ढोल बजा ||
aachaary ji sahi hai na ,
जी,
नीलम जी,
यही कहा था खुसरो ने,,,,
आदरणीय आचार्य जी,
आज मैंने भी आप की कक्षा में झांक कर देखा और लगा कि मुझे भी कुछ रूचि होने लगी है दोहों में. मुझे नहीं पता कि खुसरो जी ने क्या लिखा था पर मैंने अभी-अभी यह दोहा उन चार शब्दों को धयान में रखते हुए लिखा है बड़े मन से. आपके बिचार जानने की प्रबल इच्छा है. धन्यवाद.
'अंगना में बहू ढोल बजावे
और सासू चरखा रही चलाइ
चुप्पे से कुत्ता गओ रसोई में
और खीर गओ सब खाइ.'
आचार्य जी,
मैंने एक और दोहा लिख लिया है. उत्सुकता है इसके बारे में भी जानने की कि कैसा लिखा है. कृपया बताइये.
'खीर देखि लार गिरावे
बैठो कुत्ता एक चटोर
घर्र-घर्र चरखा चले
ढोलक लुढ़की एक ओर.'
,
क्षमा करियेगा मुझे पर बस एक और दोहा आचार्य जी. उमंग सी हो रही है कुछ मुझको दोहा लिखने की अब:
'चरखा और ढोल धरे आँगन में
और खीर भरो कटोरा पास
एक कुत्ता घर में कूँ-कूँ करे
मन में लगी खीर की आस.'
ज्ञान बड़ा संसार में
21 12 221 2 = 13
शक्तिहीन धनवान
2121 1121 = 11
पुस्तक है प्रकाश पुंज
211 2 121 21 = 13
जीवन बने महान।
211 12 121= 11
सभी गलत हैं,
वह दोहा ऐसा है -
झटपट खा दौडा कुत्ता
११११ २ २२ १२ =13
चरखे पर का खीर
११२ 11 २ २१ = ११
ढोल बजाओ अब सभी,
२१ १२२ ११ १२ = १३
फूट गयी तकदीर
२१ १२ ११२१ = ११
:) हंसी कर रहा था |
लेख अच्छा है , एक नए किस्से और गृहकार्य के साथ |
आचार्यजी को धन्यवाद |
अवनीश तिवारी
नए पाठ के लिए बहुत धन्यवाद आचार्य जी !!!
सभी प्रतिक्रियाएँ बहुत शानदार रही
अलग अलग अंदाज में दोहे :))))))
सादर !!!!
आचार्य जी,
क्षमा चाहती हूँ कि मैंने ऊपर वाले दोहे बिना सोचे-समझे लिखे थे. उनमें तो बहुत त्रुटियाँ होंगी. अब यह वाला दोहा मैंने आपके पाठों से मात्रायों को पढ़ने के बाद लिखा है. आपकी इस पर प्रतिक्रिया जानने की प्रतीक्षा रहेगी. और भी अधिक दोहे के बारे में सीखना चाहती हूँ. कृपया इस दोहे को देखिये:
कुत्ता बैठा चौखट पे
1+२ २+२ २+१+१ २ = १३
चरखा घूमे जाय
१+१+२ २+२ २+१ = ११
खीर खाय कौवा उडा
२+१ २+१ २+२ १+२ =१३
बंदर ढोल बजाय
२+१+१ २+१ १+२+१ =११
प्रणाम आचार्य जी ,
आज का पाठ कुछ कठिन प्रतीत हुआ , शायद हिंदी भाषा से बहुत समय से दूर होने की वजह से, इन नियमों को याद रखने के लिए अभ्यास करना पढेगा , वैसे पिछले दो दिनों से पढ़ रही हूँ और याद रखने की कोशिश भी कर रही हूँ .
आचार्य जी ,स्वराघात क्या होता है?
आपकी दोहे की पहेली नहीं नहीं बूझ पाई :)
सादर
पूजा अनिल
पूजा जी!
आपका स्वागत... आपकी अनुपस्थिति खलती है... आप दूर हैं, यह दूरी लगातार साथ रहने से ही घटेगी... पाठों को और सरल बनाने की कोशिश करूंगा... आपकी रूचि बनी रहेगी तो धीरे-धीरे सभी कठिन बातें सरल लगने लगेंगी. आप भी सब कुछ भूलकर शन्नो जी की तरह दो पंक्तियों में अपने मन की बात उन शब्दों में कहें जो आप जानती हैं. कहने के पहले किसी दोहे को कई बार पढें या गुनगुनाएं...अपनी बात को उसी दोहे की लय में कहें...मात्रा सिर्फ दो हैं छोटी और बड़ी... जिस अक्षर को बोलने में कम समय लगे उसकी मात्र एक... जिसको बोलने में अधिक समय लगे उसकी मात्र २...
अ, इ, उ, ऋ, अँ, की मात्रा १, आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः की मात्राएँ २ हैं.
स्वराघात - जब दो अक्षरों या दो ध्वनियों को मिलकर बोला जाता है तो दोनों के मिलने से बनी ध्वनि या अक्षर संयुक्त अक्षर कहलाता है. उदाहरण- क + टी = क्त, प + र = प्र, आदि...संयुक्त अक्षर दो तरह से बोला जाता है १. दो अक्षरों में से पहला अपने पूर्व अक्षर के साथ बोला जाता है... जैसे- उक्त में उक + त बोला जाता है तथा मात्राएँ २ + १ = ३ होंगी. इसे क का स्वराघात उ पर होना कहा जायेगा.
आप अभी जो सहज लगे बस वही कीजिए. काठी बातों से भागिए मत, उन्हें समझे आपको पुनः बधाई. मैं आपके हौसले की तारीफ करता हूँ
versace
oakland raiders jerseys
michael kors handbags
the north face outlet
michael kors handbags
new balance shoes
cowboys jerseys
ed hardy clothing
giants jersey
bengals jersey
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)