वो तो जब भी खत लिखता है
उल्फ़त ही उल्फ़त लिखता है
मौसम फूलों के दामन पर
ख़ुशबू वाले ख़त लिखता है
है कैसा दस्तूर शहर का
हर कोई नफ़रत लिखता है
बादल का ख़त पढ़कर देखो
छप्पर की आफ़त लिखता है
अख़बारों से है डर लगता
हर पन्ना दहशत लिखता है
यार मुहब्बत का हर किस्सा
अश्कों की उजरत लिखता है
रास नहीं आता आईना
वो सबकी फ़ितरत लिखता है
मन हरदम अपनी तख़्ती पर
मिलने की हसरत लिखता है
उसकी किस्मत किसने लिक्खी
जो सबकी क़िस्मत लिखता है
”श्याम’अपने हर अफ़साने में
बस, उसकी बाबत लिखता है
फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन,फ़ेलुन
श्याम’अपने हर अफ़साने में
श्यामपने हर अफ़साने में,
इस प्रक्रिया को गज़ल छंद में अलिफ़-वस्ल होना या मदगम होना कहा जाता है
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
23 कविताप्रेमियों का कहना है :
बादल का ख़त पढ़कर देखो
छप्पर की आफ़त लिखता है.....
वाह भाई कितना अच्छा लिखते हो आप
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
अछि और बे-खटका ग़ज़ल श्याम जी......
बधाई,,,,,
हर पन्ना दहशत लिखता है,.....................(लगता है क्यूं,,)
"उसकी किस्मत किसने लिक्खी
जो सबकी क़िस्मत लिखता है"--- nice post!!!
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल
वो तो जब भी खत लिखता है
उल्फ़त ही उल्फ़त लिखता है
मौसम फूलों के दामन पर
ख़ुशबू वाले ख़त लिखता है
बहुत खूब श्याम जी !
श्याम जी,
बहुत ही अच्छी गजल है ... कुछ अच्छे शेर छांटकर आपको बधाई देना चाह रहा था परन्तु सभी शेर इतने खूबसूरत बन पड़े हैं कि सबकी ही तारीफ स्वीकार कीजिये
छोटी बहर में आपने बहुत ही सलीके से लिखा है ............
खास तौर पर हर गजल के साथ बहर के अरकान लिखना निश्चित ही ज्ञान बढ़ाने वाला है
साधुवाद
अरुण मित्तल अद्भुत
उम्दा गज़ल!
बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक
श्याम भाई....
दिल को छुने वाली नज़्म है....बहुत ही खूबसूरत....सभी शेर बब्बर शेर हैं......
(एक जो बात कहना चाहता था वो मनु भाई ने पहले ही कह दी)
दोस्तो !
गज़ल अपनाने पर आप सबका आभार।
एक शे‘र टाइप करना रह गया देखें
यार मुहब्बत का हर किस्सा
अश्कों की उजरत लिखता है
श्यामसखा’श्याम‘
रास नहीं आता आईना
वो सबकी फ़ितरत लिखता है
बहुत सुंदर पंक्तियाँ। सच कहूं तो पूरी की पूरी गज़ल ही लाजवाब है।
बहुत ही सुन्दर गजल
श्याम जी,
आप से एक गुजारिश है कि आप जब भी कोई गजल पोस्ट करे, तो उसके मतले की या किसी भी एक शे'र की मात्राए भी लिख दीजिये ताकि गजल पढने के साथ साथ गजल सीखने का काम भी चलता रहे
आपकी पिछली गजल मे मात्राए गिनने की कोशिश की पर सफलता नही मिली
लेकिन उससे पहली वाली गजल मे दिक्कत नही आई थी
आप सभी शे'र की मात्राए नही, केवल किसी एक शे'र या मतले की मात्राए लिख दीजिए ताकि जो गजल सीखना चाहते है उन्हे सीखने मे आसानी हो
सुमित भारद्वाज
आप का लिखा सदा ही बहुत अच्छा होता है .सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई
सादर
रचना
sobheet ji.inko pata hi nhi chalega jab tak kai log nhi bataenge
for sumit bhardvaj
रास नहीं आता आईना
२ १ १२ २२ २२२
वो सबकी फ़ितरत लिखता है
२ ११ २ ११११ ११ २ २
या इसे यूं भी देख सकते हैं
वो=२,सब=११य २,फ़ित=२,रत=२.लिख=२,ता=२ है=२
yourgoodself may visit my blog for better understanding of gazal rukn and counting and 5 gazal a week with vazan
http://gazalkbahane.blogspot.com/
श्याम
अखबारों से डर लगता है हर पन्ना दहशत लगता है बहुत ही खूब्सुरत अन्दाज़ है बधाई
पाँचवे शे'र में 'लिखता है' की जगह 'लगता' है छाप गया है, सुधार दें.
श्याम जी,
इस लिंक के लिए धन्यवाद
सुमित भारद्वाज
सुंदर ग़ज़ल है |
ख़ासकर यह शेर -
उसकी किस्मत किसने लिक्खी
जो सबकी क़िस्मत लिखता है
अवनीश तिवारी
ab sahi kar diya hai, dhanyavad xajiv ji,asal me tipani kam rahi hogi,isliye pahle thik nahi kara hoga
लिखने कलम जब भी उठती है
‘श्याम’ गज़ल अच्छी लिखता है:)
vaah ! anand aaya dr saheb. allah kare zor-a-kalam aur ziyaada !
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