जन जन की भाषा हो हिंदी .........
हर शब्द अटल निर्माण करे
नवयुग की आशा हो हिंदी
हर मन की भाषा हो हिंदी
जन-जन की भाषा हो हिंदी
पर जाने क्यों जब कहता हूँ
हिंदी को भाषा जन-जन की
तब बरबस ही उठ जाती है
एक दबी हुई पीडा मन की
अंग्रेजी महलों में सोती
इसकी ही बढ़ी पिपासा है
झोंपडियों में जो रहती है
हिंदी निर्धन की भाषा है
हिंदी में नींद नहीं आती
सपने भी लो अंग्रेजी में
अंग्रेजीमय बस हो जाओ
खाओ खेलो अंग्रेजी में
है दौड़ लगी अंग्रेजी पर
हिंदी बस रोये दुखडा है
अंग्रेजी नोट है डालर का
हिंदी कागज़ का टुकडा है
अंग्रेजी मक्खन ब्रैड और
खस्ता मुर्गे की बोटी है
जबरन जो भरती पेट सदा
हिंदी वो सूखी रोटी है
हर शिक्षा कर दी अंग्रेजी
कण कण में भर दी अंग्रेजी
खेतों में डाली अंग्रेजी
आँगन में पाली अंग्रेजी
बस मन समझाने की खातिर
एक हिंदी दिवस मनाते हैं
हिंदी को ही अपनाना है
यह कहकर दिल बहलाते हैं
हम पाल रहे बचपन अपना
अंग्रेजी की घुट्टी लेकर
हिंदी का मान बढाते हैं
अंग्रेजी में भाषण देकर
अब तो तुतलाते स्वर को भी
अंग्रेजी की अभिलाषा है
अंग्रेजी बोले वह शिक्षित
हिंदी अनपढ़ की भाषा है
सब भाग रहे मदहोश हुए
सब सीख रहे हैं अंग्रेजी
हिंदी लिबास को छोड़ दिया
सब दीख रहे हैं अंग्रेजी
यह आज प्रतिष्ठा सूचक हैं
हम अंग्रेजी में बात करें
हिंदी है पिछडों की भाषा
ना हिंदी भाषी साथ रखें
कानून समूचा अंग्रेजी,
शिक्षा में छाई अंग्रेजी
चाहे हिंदी अध्यापक हो
उसको भी भाई अंग्रेजी
अपनी भाषा कहते हैं तो
हिंदी को मान दिलाना है
बस नाम नहीं देना केवल
सच्चा सम्मान दिलाना है
भारत में जब हर कागज़ पर
हिंदी में लिक्खा जाएगा
उस दिन ही हर भारतवासी
हाँ हिंदी दिवस मनायेगा
आँखों में आँसू मत रखना
करने की अभिलाषा रखना
निज कलम और अधरों पर बस
केवल हिंदी भाषा रखना
फिर से आवाज़ लगाता हूँ
नवयुग की आशा हो हिंदी
बस केवल यही पुकार मेरी
जन जन की भाषा हो हिंदी
अरुण मित्तल 'अद्भुत'
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23 कविताप्रेमियों का कहना है :
सुंदर भाव..यह सपना पक्का सच होगा...इसकी शुरुआत भी हो गयी है..बस ज़रूरत है हम सब को थोड़ा और मेहनत करने की ताकि हमारी मातृभाषा की मूल्य सारी दुनिया जान पाए..
हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई!!!
बहुत सुंदर भावना है आपकी .. नवयुग की भाषा हो हिन्दी .. जनजन की भाषा हो हिन्दी .. ब्लाग जगत में आज हिन्दी के प्रति सबो की जागरूकता को देखकर अच्छा लग रहा है .. हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!
मन की संवेदनाओं ने हिंदी और 'हिंदी दिवस ' को साकार कर दिया . जब हर जन -मन और भारतवासी में हिंदी की चेतना जागी ,तभी हिंदी देश की राष्ट्र भाषा की सिरमोर बनेगी .अंग्रेजी पर तीखा व्यंग्य कसा है , लेखनी को बधाई .
एक-एक pankti में बहुत sundar और सही bhaw,,सही कहा आपने सिर्फ एक हिंदी-हिंदी kahne से कुछ नहीं होगा ,,,और जो हिंदी jaante है उन्हें anpad ही samjha जाने लगा है,,,हर भाषा की shuruaat school से ही होती है,,,हम schoolon से sampark कर अपनी हिंदी पर vishesh dhayan dilwa skte है और bachche इंग्लिश के साथ-2 हिंदी में भी बहुत achchhi pakad rakh सकते है....(ये मेरा sochna है)
सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं |
सुन्दर रचना के लिए बधाई |
रचना समस्या को उजागर करती है यदि समाधान की और इंगित करती तो और मजा आता |
अवनीश तिवारी
बहुत ही सुन्दर भावो से ओतप्रोत।
आप को हिदी दिवस पर हार्दीक शुभकामनाऍ।
पहेली - 7 का हल, श्री रतन सिंहजी शेखावतजी का परिचय
हॉ मै हिदी हू भारत माता की बिन्दी हू
हिंदी दिवस है मै दकियानूसी वाली बात नहीं करुगा
हिन्दी दिवस पर इतनी अच्छी कविता पढ़ने का अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवाद।
--देवेन्द्र पाण्डेय।
हिंदी भाषा की भक्ति से ओत - प्रोत बहुत ही अच्छी व भाव - पूर्ण कविता.
जुग - जुग जिये अपनी हिंदी भाषा ! अपनी भाषा में बात करने का मजा ही कुछ और होता है.
बहुत सुन्दर भावमय रचना है हिन्दी दिवस पर सब को शुभकामनायेधिन्दी के प्रसार प्रचार के लिये हिन्द युग्म का प्रयास स्राहणीय है बधाई
फिर से आवाज़ लगाता हूँ
नवयुग की आशा हो हिंदी
बस केवल यही पुकार मेरी
जन जन की भाषा हो हिंदी
बहुत ही सुन्दर विचार, सुन्दर किवता के लिए बहुत बहुत बधाई
विमल कुमार हेडा
sundar rachna
badhaai
बहुत सुंदर भाव, सुन्दर रचना !
Baut sunder rachna...badhai.
अद्भुत की अद्भुत रचना, इतनी सुन्दर लय-ताल वाली रचना जो छू गयी मन को, हिंदी की दशा का आइना दीखता है इस कविता में. हिंदी को सबसे ज्यादा खतरा हिंदी वालों से ही है. अगर वो इसी तरह हिंदी बोलने में हीन भावना का अनुभव करते रहे तो फिर क्या होगा. दूसरी बात की अंग्रेजी का विरोध करने से भी कम नही चलेगा. मैंने बहुत हिंदी वालों को देखा है की अंग्रेजी न जानने की वजह से वो हिंदी तक पूरे आत्मविश्वास से नही बोलते.
दक्षिण भारत का मॉडल सामने रख सकते हैं, यहाँ के लोग अच्छी अंग्रेजी जानते है पर अधिकतर अपनी भाषाओँ का प्रयोग करते हैं.
दूसरी बात की हिंदी प्रदेश में हमें शत प्रतिशत साक्षरता की जरुरत है, तब जा के हम हिंदी को उसकी गरिमा वापस दिला सकेंगे. सही से देखे तो हिंदी प्रदेश की जब आधी जनता निरक्षर है तो हिंदी की ताकत ऐसे ही आधी रह जाती है.
इस दिशा में हिंदी भाषी लोगों को लगन से काम करते हुए शिक्षा और सोच का स्तर बढ़ाना होगा. साहित्य के भी पठन-पाठन की संस्कृति को बढ़ावा दिए जाने की जरुरत है.
रही बात दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार-प्रसार की तो उत्तर भारत को भी दक्षिण भारत की भाषाओँ को त्रिभाषा सूत्र की सिफारिशों पर अमल करते हुए अपनाना होगा. आखिर आप तमिलनाडु को हिंदी सीखने के लिए मजबूर तो नही कर सकते.
भाषा को थोप कर नही सिखाया जा सकता, भाषा के प्रति प्रेम पनपा कर ही उसे सिखाया जा सकता है. दक्षिण भारत के जहाँ अधिकांश लोग अंग्रेजी, अपनी भाषा, एक और दक्षिण भारतीय भाषा के साथ थोडी-मोडी हिंदी भी जानते हैं, वहां हमारे हिंदी हृदय प्रान्त के निवासी बस हिंदी जन कर ही अपने ज्ञान की इतिश्री समझ लेते हैं. हिंदी को सिर्फ एक भारतीय भाषा ही नही विश्व भाषा के रूप में अगर उभारना है तो हमें हिंदी भाषी समाज के सर्वांगीण विकास के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे.
भाई क्या करें ,आज तो अपनी सारी वैमनस्यता को त्याग कर कहना ही पड़ेगा कि
जन जन की भाषा हो हिंदी
"निज भाषा उन्नति अहे सब उन्नति को मूल "
बेहद सराहनीय प्रयास
प्रबंध का विद्यार्थी होने के नाते मैं केशवेन्द्र जी की बात से बिलकुल सहमत हूँ आज आवश्यकता है कि
ऐसा वातावरण बने कि लोग स्वयं हिन्दी सीखने के लिए आगे आएं और उसके लिए एक व्यवहारिक कारण हो न कि कोई भावनात्मक तर्क . कोई भी व्यक्ति इस प्रकार हिन्दी सीखने के लालायित होना चाहिए जिस प्रकार अंग्रेज़ी सीखने के लिए आज विद्यार्थियों कि भीड़ कि भीड़ दौड़ रही है.
बहुत पहले हिन्दी दिवस पर एक समाचार पत्र में एक लेख का शीर्षक पढ़ा कि सरकार ने हिन्दी को कभी रोज़गार कि भाषा बनाने का प्रयास नहीं किया. वास्तव में यही तथ्य है जो व्यावहारिकता कि और संकेत करता है . आज भारतीय सामुहिक जगत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के स्थापित होने के कारण जिस गति से लोग अंग्रेजी कि तरफ़ भाग रहे हैं उससे तो ऐसा लगता है कि हिन्दी बहुत जल्द संस्कृत की तरह मंत्रों और सूक्तियों कि भाषा हो कर रह जायेगी और द्रुत गति से बढती हुई अंग्रेजी भारत में भी आम बोल-चाल कि भाषा बन जायेगी.
सादर
अरुण अद्भुत
पूरा लेख यहाँ पढें :
http://arunadbhut.blogspot.com/2009/03/blog-post_17.html
हिंदी दिवस का बहुत-बहुत बधाई! हिंदी को फिर शिखर मिलेगा..
Aaj jo hindi bhasha ki durgati ho rahi hai uske liye ham doshi hain ,apki kavita har us shakhs ko padhni chahiye jo hindi ki upeksha kar rahe hain.
Very nice!!!
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