मन पंख हीन
चंचल विहंग
विचरण करता
निस्सीम गगन
तिमिरांचल में
आलोक किरण
प्यासी आखों को
स्वप्न दान
अधरों पर देता
स्मित हास्य
उर में भर देता
अमर हास्य
तुम दूर बहुत
मन पास-पास
हर दम रहता है
चिर विलास
ये अति पागल
ये अति चंचल
पर बनता है
जीवन संबल
आलोक किरण
उन्माद भरा
नैराश्य रिपु
विश्वास सदन
कैसे इसको दूँ
दोष भला
पीड़ा का
करता संकर्षण
चंचल विहंग
विचरण करता
निस्सीम गगन
तिमिरांचल में
आलोक किरण
प्यासी आखों को
स्वप्न दान
अधरों पर देता
स्मित हास्य
उर में भर देता
अमर हास्य
तुम दूर बहुत
मन पास-पास
हर दम रहता है
चिर विलास
ये अति पागल
ये अति चंचल
पर बनता है
जीवन संबल
आलोक किरण
उन्माद भरा
नैराश्य रिपु
विश्वास सदन
कैसे इसको दूँ
दोष भला
पीड़ा का
करता संकर्षण
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16 कविताप्रेमियों का कहना है :
bahut hi behtreen likha hai aapne shobha ji
शोभा जी, फ़िर से एक बहुत ही सुंदर कविता प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद. पढ़कर बहुत अच्छा लगा. अच्छी कवितायें भी रेगिस्तान में नखलिस्तान जैसी वांछनीय होती हैं. आशा है आगे भी आपकी रचनाएं यहाँ पढने को मिलती रहेंगी.
सुंदरतम रचना।
जब कभी हिन्द-युग में प्रकाशित कविताओं में से अच्छी कविताओं के चुनाव की बात आएगी
मुझे विश्वास है कि आपकी यह कविता अवश्य चुनी जाएगी। आपकी कविता मुझे बहुत अच्छी लगी।
---देवेन्द्र पाण्डेय।
युग्म के काव्य संकलन में यह एक मील का पत्थर सिद्ध होने वाली रचना होगी. ईश्वर इस रचना को विवादों से बचा कर रखे ........ बहुत बहुत शुभकामनायें
सुन्दर कविता।
kya baat hai Shobha ji, bhut sundar. jari rhe.
Shobha ji,
Sunder rachana. Dil ki bhavanao ko puran roop se ujaagar karti huyee. Dil hi to hae jo jeevan mein bivhin rung bharata hae.
badhai
बहुत ही सुंदर अहसास बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
शोभा जी,
मुझे आपकी कविता पसंद आई क्यों की
१) बहुत सुन्दर विषय चुना है
२) आसानी से समझ मै आती है
३) सरल और शुद्ध शब्दों का प्रयोग किया है
४) कविता मै लय और रवानगी है , इस से पाठक के मन मै कविता पड़ने का उत्साह बना रहता है..
सुन्दर कविता के लिए बधाई..
सादर
शैलेश
ये अति पागल
ये अति चंचल
पर बनता है
जीवन संबल ----
सरल और सहज ही आत्मसात हो जाने वाली प्रभावशाली रचना...
कैसे इसको दूँ
दोष भला
पीड़ा का
करता संकर्षण
waah!
शोभा जी
बहुत सुंदर रचना आप को बधाई हो
सादर
रचना
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति पर बधाई-श्यामसखा श्याम
अत्यन्त प्यारी रचना.बधाई स्वीकार करें
आलोक सिंह "साहिल"
आलोक किरण
उन्माद भरा
नैराश्य रिपु
विश्वास सदन
क्या बात कही है शोभाजी
नैराश्य रिपु, विश्वास सदन
काश!
सभी को ऐसा मन मिल पाता.
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