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Saturday, August 15, 2009

62 बरस की आज़ादी और हमारी विशेष प्रस्तुति


हिन्द-युग्म की ओर से सभी भारतीयों को 63वीं स्वतंत्रता दिवस की बधाइयाँ। आज हम इस अवसर पर आपके लिए लेकर आये हैं ढेर सारी कविताएँ। हिन्द-युग्म लगभग 38 महीने पहले शुरू हुआ था। हिन्द-युग्म के संग्रहालय में बहुत सी ऐसी रचनाएँ हैं जो अब भी ताज़ी हैं। चिंताएँ स्थाई हो गई हैं। आशा है हमारी यह प्रस्तुति आप पसंद करेंगे-

2009 के अंक से

2008 के अंक से



2007 के अंक से

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5 कविताप्रेमियों का कहना है :

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

Sundar Pryas..

kavita prstut karane ke liye dher sari badhayi..

ek ek karake padenge..

dhanywaad..

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई..हिंद युग्म को..
सभी कविताएँ बहुत प्रेरणा श्रोत हैं..

बधाई..

Shamikh Faraz का कहना है कि -

एक देश है जिसकी आधी आबादी,
डूबोती है पावरोटी चाय में,
और अभिनय करती है खुश होने का....
सड़क के किनारे फटी हुई चादर में,
माँ छिपाती है अपना बच्चा,
पिलाती है दूध.....

सभी कविताये अच्छी लगी. लेकिन एक खास पल पढ़कर यह रामधारी सिंह दिनकर की कविता याद. आई.


श्वानो को मिलता दूध वस्त्र भूखे बच्चे अकुलाते हैं.
मन की हड्डी से चिपक जड़ों में रत बिताते हैं.

Manju Gupta का कहना है कि -

मुझे तो बहुत गर्व होता है .जब अपने देश के लिए लिखता है .सारे रचनाकारों को बधाई .

Manju Gupta का कहना है कि -

हर कोई मुस्करा रहा था .शानदर कार्यक्रम लगा देश भक्ति के सफल आयोजन के लिए बधाई .

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