आज
अक्टूबर माह की यूनिप्रतियोगिता के परिणाम ले कर हम उपस्थित हैं। हमारी मासिक कविता प्रतियोगिता का यह छियालिसवाँ निर्बाध आयोजन था। प्रतिभागियों की निरंतरता हमारे लिये बहुत उत्साहजनक बात रहती है। इस बार भी प्रतियोगिता के तमाम नियमित प्रतिभागियों ने अपनी रचनाएँ हमें भेजीं थी। वहीं कई नये नाम भी इस प्रतियोगिता से जुड़े।
अक्टूबर माह के लिये कुल 52 रचनाएं शामिल की गयीं, जिन्हे 2 चरणों मे आँका गया। प्रथम चरण के 2 निर्णायकों के दिये अंकों के आधार पर हमने उन कविताओं को अलग कर दिया जिन्हे कोई अंक प्रा्प्त नही हुआ थ। इस तरह कुल 17 कविताएँ दूसरे चरण मे गयीं। दूसरे चरण के निर्णायकों के दिये अंको मे पहले चरण का औसत जोड़ कर कविताओं का क्रम निर्धारित किया गया। इस माह के परिणाम की सबसे महत्वपूर्ण बात रही कि निर्णायकों ने एक
यूनिकवियत्री को चुना है।
अपर्णा भटनागर की कविता ’क्या अंत टल नही सकता’ सबसे अधिक अंक ले कर यूनिकविता बनने मे सफल रही।
अपर्णा भटनागर पिछले कुछ महीनों से प्रतियोगिता मे नियमित भाग ले रही हैं और उनकी कविताएं पाठकों द्वारा काफ़ी सराही जाती रही हैं। सितंबर माह मे उनकी एक कविता
ग्यारहवें पायदान पर रही थी।
यूनिकवियत्री: अपर्णा भटनागर

अपर्णा जी का जन्म 6 अगस्त 1964 को जयपुर (राजस्थान) मे हुआ। इन्होने हिंदी और अंग्रेजी मे परास्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। अभी का निवास-स्थान अहमदाबाद (गुजरात) मे है। इन्होने 2009 तक दिल्ली पब्लिक स्कूल मे हिंदी विभाग मे कोआर्डिनेटर पद पर कार्य किया है। मनुपर्णा के नाम से भी लिखने वाली अपर्णा पिछले कुछ समय से अंतर्जाल के साहित्यिक परिवेश मे सक्रिय हुई हैं और इनकी रचनाएँ कई अन्य जगहों पर भी प्रकाशित हैं। एक काव्य-संग्रह ’मेरे क्षण’ भी प्रकाशित हुआ है।
यहाँ प्रस्तुत उनकी कविता अनगिनत समस्याओं से घिरे हमारे विश्व को एक नये आशावादी नजरिये से परखने की कोशिश करती है और दुनिया के लिये जरूरी तमाम खूबसूरत चीजों के बीच जीवन के बचे रहने की उत्कट इच्छा को स्वर देती है।
सम्पर्क: 23, माधव बंग्लोज़ -2, मोटेरा, अहमदाबाद (गुजरात)
यूनिकविता: क्या अंत टल नहीं सकता ?
इस संसार के अंत से पहले
देखती हूँ कई झरोखे सानिध्य के
खुले हैं
अनजाने प्रेम की हवाएं बहने लगी हैं
खोखली बांसुरियों ने बिना प्रतिवाद के
घाटियों की सुरम्य हथेलियों में
सीख लिया है बजना ..
मछलियाँ सागर की लहरों पर
फिसल रही हैं
उन्मत्त
कि मछुआरों ने समेट लिए हैं जाल !
अपने चेहरों पर सफ़ेद पट्टियाँ रंगे
कमर पर पत्ते कसे
जूड़े में बाँस की तीलियाँ खोंसे
युवा-युवतियों ने तय किया है
इस पूर्णिमा रात भर नृत्य करना ...
माँ अपने स्तन से बालक चिपकाये
बैठी है चुपचाप
आँचल में ममता के कई युग समेटे ..
अचानक खेत जन्म लेने लगे हैं
गाँव किसी बड़े कैनवास पर
खनक रहे हैं ..
शहरों का धुआँ
चिमनियों में लौट गया है
अफगनिस्तान में ढकी आतंकी बर्फ पिघल रही है
सहारा के जिप्सी पा चुके हैं नखलिस्तान
साइबेरिया के निस्तब्ध आकाश में पंख फैलाये उड़ रहे हैं रंगीन पंछी
लीबिया की पिचकी छाती
धड़क रही है साँसों के संगीत से
उधर दूर पश्चिम में सूरज तेज़ी से डूब रह है
अतल सागर रश्मियों में
और दरकने लगा है पूर्णिमा का चाँद
कांच की किरिच-किरिच ..
लपक कर एक बिजली कौंधती है ..
आह ! क्या अंत टल नहीं सकता ?
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पुरस्कार और सम्मान- विचार और संस्कृति की चर्चित पत्रिका
समयांतर की एक वर्ष की निःशुल्क सदस्यता तथा हिन्द-युग्म की ओर से प्रशस्ति-पत्र। प्रशस्ति-पत्र
वार्षिक समारोह में प्रतिष्ठित साहित्यकारों की उपस्थिति मे प्रदान किया जायेगा। समयांतर में कविता प्रकाशित होने की सम्भावना।
इनके अतिरिक्त हम जिन अन्य 9 कवियों को समयांतर पत्रिका की वार्षिक सदस्यता देंगे तथा उनकी कविता यहाँ प्रकाशित की जायेगी उनके क्रमशः नाम हैं-
विनीत अग्रवाल
हिमानी दीवान
मनोज भावुक
सुधीर गुप्ता ’चक्र’
जया पाठक श्रीनिवासन
धर्मेंद्र कुमार सिंह
आरसी चौहान
प्रवेश सोनी
देवेश पांडे
हम शीर्ष 10 के अतिरिक्त जिन दो अन्य कवियों की कविता प्रकाशित करेंगे उनके नाम हैं-
सत्यप्रसन्न
शील निगम
उपर्युक्त सभी कवियों से अनुरोध है कि कृपया वे अपनी रचनाएँ 30 नवंबर 2010 तक अन्यत्र न तो प्रकाशित करें और न ही करवायें।
हम उन कवियों का भी धन्यवाद करना चाहेंगे, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लेकर इसे सफल बनाया। और यह गुजारिश भी करेंगे कि परिणामों को सकारात्मक लेते हुए प्रतियोगिता में बारम्बार भाग लें। शीर्ष 17 कवियों के नाम अलग रंग से लिखित है।
मंजू महिमा भटनागर
विकास गुप्ता
आलोक उपाध्याय
योगेंद्र शर्मा व्योम
डॉ भूपेंद्र सिंह
नूरैन अंसारी
सचिन कुमार जैन
मंजरी शुक्ल
धीरज सहाय
पूजा तोमर
डा अनिल चड्डा
रंजना डीन
प्रेम वल्लभ पांडेय
अश्विनी कुमार राय
अनिरुद्ध यादव
राम डेंजारे
विवेक मिश्र
विवेक शर्मा
डा राजीव श्रीवास्तव
धर्मेंद्र मन्नू
अशोक शर्मा
सनी कुमार
सीमा सिंहल ’सदा’
जितेंद्र जौहर
आकर्षण कुमार गिरि
कैलाश जोशी
मृत्योंजय साधक
डा नूतन गैरोला
अजय दुरेजा
सुतीक्षण प्रताप कौशिक
शिप्रा साह
जोमयिर जिनि
दीपक कुमार
कमलप्रीत सिंह
स्नेह ’पीयूष’
संगीता सेठी
मनोज शर्मा ’मनु
प्रकाश पंकज
अजय सोहनी
अम्बरीष श्रीवास्तव
साधना डुग्गर
नोट- जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं कि यूनिपाठक/यूनिपाठिका का सम्मान हम वार्षिक पाठक सम्मान के तौर पर सुरक्षित रख रहे हैं। वार्षिक सम्मानों की घोषणा दिसम्बर 2010 में की जायेगी और उसी महीने हिन्द-युग्म वार्षिकोत्सव 2010 में उन्हें सम्मानित किया जायेगा।