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Monday, November 22, 2010

जैदी तुम आओगे ?


जैदी तुम एक नहीं हो
कई टुकड़े हैं तुम्हारे
और हर टुकड़े में है
स्पंदन
डर
प्रेम
क्रांति
विचार
प्रहार
आतंक ...
तुम्हारा वह टुकड़ा
जो जुबैदा ने पाला था
आज भी मासूम है
और वह ..
जिसकी उँगलियों में पेन्सिल रख
कई बार मरोड़ा गया था
 अब भी है विद्रोही
अलिफ़ से लड़ता ..
नुक्ते उस पर हँसे थे
तब अपनी सूख-सूख पट्टी को
वह दबा आया था कड़वे नीम की जड़ों में ..
 एक टुकड़ा
अचानक युवा हो
करने लगा था प्रेम
कुँए की जगत पर
कनकौए उड़ाते
अकसर वह तलाशता था अपनी विकलता
ये कुफ्र था
कि उसका प्रेम काफिर था
कितने विस्फोट ..
 उसका ये टुकड़ा
रोपने लगा था आवारा क्रांति के बीज .
देग में खौल रहा था आक्रोश
तब पहली बार जाना था
धर्म की मोहर
उसके सारे बदन पर
उसी दिन दाग दी गयी थी
जब वह सैमुअल नहीं हो सकता था
न ही हो सकता था समर
उसे तो जैदी ही होना था ..
प्रेम तब्दील हुआ था दंगे में
अनायास ये टुकड़ा
पानी बन वाष्प हो गया था
फिर कोई झील नहीं बनी थी गाँव में ..
अभी और टुकड़े होने थे -
आटा चक्की में
कनक डाल
बेच रहा था अपने ख्वाब ..
टूटी नींद में
कई पैबंद थे
फातिमा जनती रही थी
 वासना
मूंज की खाट नया जूट मांगती थी ..
और उसका ये टुकड़ा
कभी दे नहीं पाया
रस्सियों के कसाव
अब कहीं कुछ दहशत से
पसरने लगा है सूरज
आटा चक्की के मुंह पर कसे बोरे
घर्र-घर्र की आवाज़ से
आतंकित हैं
सुना है
कहीं दूर पहाड़ों से
रिसने लगी है आग
और जैदी कम्बल लपेटे
घूमता है आग संग
फातिमा
ठंडा चूल्हा लिए बैठी है
जैदी तुम आओगे ?
कई टुकड़े जुड़ने लगे हैं ..
शायद कोई पुरुष आकार ले
पूर्ण !

यूनिकवियत्री: अपर्णा भटनागर 


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7 कविताप्रेमियों का कहना है :

‘सज्जन’ धर्मेन्द्र का कहना है कि -

सुंदर रचना के लिए बधाई

M VERMA का कहना है कि -

जैदी तुम एक नहीं हो
कई टुकड़े हैं तुम्हारे
और हर टुकड़े में है
स्पंदन

जुबैदा और जैदी के माध्यम से आपने तो जीवन दर्शन और जद्दोजहद की दास्तान रख दी

सदा का कहना है कि -

बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

अपर्णा का कहना है कि -

कविता पसंद करने के लिए आप सभी का आभार!

रचना प्रवेश का कहना है कि -

बहुत ही मार्मिक रचना ......धर्म के हाशिए पर टुकड़े टुकड़े होता मानव ...बधाई

रचना प्रवेश का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
Dr. D. P. VISHWAKARMA का कहना है कि -

Maine abhi tak jitni bhi rachnayen padi we bahut pasand aayeen

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