हिन्द-युग्म सदैव नये रचनाकारों को प्रोत्साहित करता रहा है। इसीलिए यूनिकवि प्रतियोगिता के माध्यम से 10 नये रचनाकारों को प्रत्येक माह पुरस्कृत करता है। 'अतिथि कवि' और 'सम्मानित कवि' स्तम्भ में नामचीन कवियों की कविताएँ प्रकाशित कर नव-अंकुरों को मार्गदर्शन देता रहता है।
आज से एक वर्ष पूर्व हमने काव्य-पल्लवन में प्रत्येक कवि की "पहली कविता" प्रकाशित की थी। इस विशेषांक की कामयाबी इसी से समझी जा सकती है कि यह विशेषांक सात अंकों तक प्रकाशित हुआ जिसमें 125 कवियों ने भाग लिया। हिन्दयुग्म के पुराने पाठकों को याद होगा जब नये और मँझे हुए दोनों तरह के कवियों ने अपनी-अपनी पहली कवितायें भेजीं थीं। प्रथम 100 में से 30 भाग्यशाली प्रतिभागियों को हमारी ओर से डॉ॰ अहिल्या मिश्रा और डॉ॰ रमा द्विवेदी द्वारा संपादित साहित्यिक पत्रिका 'पुष्पक' की एक-एक प्रति भेंट की गई।
परन्तु पिछले एक वर्ष में हिन्दयुग्म से कईं नये कवि जुड़े हैं तो हमने सोचा कि क्यों न इस बार नये कवियों को भी अपनी "पहली कविता" प्रकाशित करवाने का मौका दिया जाये। इससे नये रचनाकार अपनी कविता प्रकाशित करवा स्थापित कवियों के विचार जान सकेंगे और वरिष्ठ कवियों की पहली कविता पढ़कर वे अपनी सोच का दायरा बढ़ा सकते हैं। कवि की पहली कविता उसके लिए बहुत ख़ास होती है, हिन्द-युग्म सदैव के लिए उन कविताओं का दस्तावेज़ीकरण करना चाहता है। तो फिर सोच क्या रहे हैं, अपनी पुरानी डायरी से धूल हटायें। वो कागज़ ढूँढें जिस पर आपने अपनी पहली कविता की पंक्तियाँ लिख डालीं थीं और पता भी नहीं चला होगा कि कब उन पंक्तियों ने कविता का रूप ले लिया। कुछ पाठक ऐसे भी होंगे जिन्होंने चुपचाप कुछ पंक्तियाँ लिखीं पर कभी कहीं भेजी नहीं। कृपया संकोच न करें और वो पंक्तियाँ लिख भेजें जिन्हें आप ने छुपा रखा है।
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी 'पहली कविता' भेजते वक़्त पूरी ईमानदारी बरतें, इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनायें बल्कि यह सोचें कि इससे बहुत से नये रचनाकारों का प्रोत्साहन होगा। अपने अंदर का कवि बाहर निकालें। "पहली कविता" की दूसरी शृंखला आपकी कविताओं का इंतज़ार कर रही है।
फिलहाल काव्यपल्लवन के दो अंक प्रतिमाह प्रकाशित किये जायेंगे। यानी इस महीने की 16 व 30 तारीख को काव्य-पल्लव्न का यह अंक आयेगा जिसमें नये-पुराने, चर्चित-अचर्चित कवियों की 'पहली कविता' हिन्द-युग्म पर प्रकाशित की जायेगी।
विशेष-
१) अपनी 'पहली कविता' kavyapallavan@gmail.com पर भेजें।
२) कई रचनाकार शुरू-शुरू में में किसी फिल्मी गीत की पैरोडी या किसी चर्चित कविता की पैरोडी लिख बैठते हैं। 'पहली कविता' उसे ही मानें जिसे आप अपनी पहली मौलिक रचना कह सकते हों।
३) कविताओं का अप्रकाशित होना कोई अनिवार्य शर्त नहीं है। हिन्दयुग्म पर "पहली कविता" की प्रथम शृंखला में प्रकाशित कवितायें दोबारा नहीं ली जायेंगी।
४) कवि यदि ज़रूरी समझें तो क्यों लिखा?, कैसे लिखा? कहाँ लिखा? आदि ज़रूर लिख भेजें।
५) यदि आप अपनी पहली रचना संजोकर नहीं रख पाये हैं तो उपलब्ध रचनाओं में से प्राथमिक रचना लिख भेजें, लेकिन भूमिका में इस सच्चाई का उल्लेख अवश्य करें।
६) यह आयोजन तब तक चलता रहेगा जब तक कि हमें कवियों से कविताएँ मिलती रहेंगी, इसलिए अंतिम तिथि निर्धारित नहीं है।
7) जो कवि एक बार अपनी पहली कविता भेज चुके हैं, कृपया दुबारा न भेजें। यदि आप यह भूल गये हों कि आपने भेजी है या नहीं तो कृपया सूची-1 में अपना नाम देख लें।
पिछले वर्ष के सात अंकों में शामिल प्रतिभागियों की "पहली कवितायें" यहाँ पढ़ सकते हैं:
पहला अंक:
दूसरा अंक:
तीसरा अंक:
चौथा अंक:
पाँचवा अंक:
छठा अंक:
सातवाँ अंक:
सूची-1: कवियों ने नाम जिनकी पहली कविता संकलित की जा चुकी है
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
सराहनीय प्रयास, यह बहुत अच्छा काम है। इस कार्यक्रम को आयोजित हुये 1 साल बीत गये पता ही नही चला
बहुत सही,,,
इसमें तो सभी भाग लेंगे,,,
achha prayash hai aapka....aapko badhai
रचना पहली यूं लगे , मानो पहला प्यार |
सारी यूँ सजतीं रहें , हम सबकी मनुहार ||
यह काफी अच्छा कार्य है |
बधाई स्वीकारें !
मैंने हिन्दयुग्म पर पिछली बार की पहली कविता के बारे में पढ़ा. मुझे बहुत अफ़सोस हुआ की मैं अपनी पहली कविता नहीं भेज पाया क्योंकि मैं तब हिन्दयुग्म से नहीं जुदा था. लेकिन अब यह दोबारा शुरू हो रही है इसलिए मेरे पास एक मौक़ा है.
हिन्दयुग्म को एक खुबसूरत कोशिश के लिए बधाई.
हिंद युग्म ने मेरी पहेली कविता याद दिला दी .
मैं अपनी पहली कविता आप तक २९/०७/०९ भेज चुका हूँ, मगर मुझे ये कैंसे पता चलेगा कि मेरी कविता आप तक पहुँच चुकी है, मुझे अपनी पहली कविता देखने के लिए किस पर क्लिक करना है, कृपया कर आप मुझे ये बताएं.
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kavi jagannath
पुरानी यादों को ताजा करने का एक सराहनीय प्रयास
मैं बचपन मे ये कविता लिख कर सबसे छुपाती फिर रही थी, अब बहुत अच्छा लग रहा है, उनको भी पढ़ाने में जिनको नही जानती।
अच्छा प्रयास है बचपन की निश्छलता और भोलापन याद दिलाने का।
- गीतिका "वेदिका"
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