आलोक उपाध्याय की कविताएँ लगातार तीन बार (अप्रैल, मई और जून 2009) की प्रतियोगिता में शीर्ष 10 में स्थान बना चुकी हैं। इस बार इनकी एक कविता ग्यारहवें स्थान पर है।
कविता- ग़म को नींद नहीं आती
अगली बार बहल जायेगा हर बार ये वादा करता है
ग़म को नींद नहीं आती हर वक़्त ये जागा करता है
इन्सां से दीवारों का ये शिकवा हर हद तक जायज़ है
खुश हो तो आईना, दुःख हो तो हमको ताका करता है
हर मुद्दे की बात करेंगे, पर इस बात पे कन्नी काटेंगे
राम कृष्ण की धरती पर बच्चा भीख भी माँगा करता है
तेरे ओर से आने वाली हर शय कुछ यूँ हमसे जुड़ती है
कोई ज़ख्म उकेरा करता है कोई दर्द को ताजा करता है
ये बात नयी नहीं है लेकिन इस बार ये दस्तक देखेंगे
कौन है जो छुपकर के हम पे इस तीर को साधा करता है
मैं उसकी हद तक पहुँच न पाऊँ ये भी तो मुमकिन है
तो ये कहने में फक्र है मुझको प्यार वो ज़यादा करता है
हँस कर के मिलने का तजुर्बा लेने की कोशिश करो 'नज़र'
किसी से खुल के मिलना उसकी तकलीफ को आधा करता है
प्रथम चरण मिला स्थान- बाइसवाँ
द्वितीय चरण मिला स्थान- ग्यारहवाँ
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
इन्सां से दीवारों का ये शिकवा हर हद तक जायज़ है
खुश हो तो आईना, दुःख हो तो हमको ताका करता ह
सुन्दर कविता के लिये बधाई
तेरे ओर से आने वाली हर शय कुछ यूँ हमसे जुड़ती है
कोई ज़ख्म उकेरा करता है कोई दर्द को ताजा करता है
आज के हालात को बयाँ करती सच्चाई,
सुंदर भाव,
बधाई..आलोक जी
जीवन की हकीकत को अच्छे से बयाँ किया है .बधाई .
बहुत सुन्दर कविता ..!!
तखय्युल अच्छा है लेकिन तगज्जुल में बहुत सारी कमिया है. मक़ता पसंद आया.
हँस कर के मिलने का तजुर्बा लेने की कोशिश करो 'नज़र'
किसी से खुल के मिलना उसकी तकलीफ को आधा करता है
aapki gajal main sabse acchi baat hai ki jyada gyan ka pradarshan nahi hai aur na hi aadember.
acchi lagi gajal. badhayee.
कविता अच्छी है, बहुत बहुत बधाई
वीमल कुमार हेडा
तेरे ओर से आने वाली हर शय कुछ यूँ हमसे जुड़ती है
कोई ज़ख्म उकेरा करता है कोई दर्द को ताजा करता है
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, बधाई
i wd say beautiful. poem deserves place amongst top 5. very good flow, very poetic.
अगली बार बहल जायेगा हर बार ये वादा करता है
ग़म को नींद नहीं आती हर वक़्त ये जागा करता है
hatzz off.. itna khoobsurat matla maine aaj tak nahi padha.
bahut sundar..
इन्सां से दीवारों का ये शिकवा हर हद जायज़ है
खुश हो तो आईना, दुःख तो हमको ताका करता है
kya baat kahi hai, flow ke liye maine misra e oolah aur misra e sani se ek shabd chura liya, par bahut khoobsurat sher kaha hai.
wonderful
हर मुद्दे की बात करेंगे, पर इस बात पे कन्नी काटेंगे
राम कृष्ण की धरती पर बच्चा भीख भी माँगा करता है
mind blowing.. hila ke rakh diya rooh ko sir.. bahut sanvedansheel sher kaha hai.
तेरे ओर से आने वाली हर शय कुछ यूँ हमसे जुड़ती है
कोई ज़ख्म उकेरा करता है कोई दर्द को ताजा करता है
amazing..bahut khoob
ये बात नयी नहीं है लेकिन इस बार ये दस्तक देखेंगे
कौन है जो छुपकर के हम पे इस तीर को साधा करता है
yeh sher samajh nahi aaya. help kijiye
मैं उसकी हद तक पहुँच न पाऊँ ये भी तो मुमकिन है
तो ये कहने में फक्र है मुझको प्यार वो ज़यादा करता है
kya baat hai, bahut pyaara sher kaha
हँस कर के मिलने का तजुर्बा लेने की कोशिश करो 'नज़र'
किसी से खुल के मिलना उसकी तकलीफ को आधा करता है
amazing maqta.. itna khoobsurat maqta bhi aaj tak nahi suna..
aapke khyaaal bahut hi umda hain.
agar mere haath mein judgement chhodi hoti to ab tak ki rachnaayein padhne par main ise 1st postion par rakhti.
flow ki kami ke baawajood gazal itni shaandar hai ki tareef ko shabd kam hain.
aur flow ke liye bhi jyada mehnat ki jarurt nahi hai.
shaandar rachna ke liye badhai.
meri nazron mein aap winner hue.:)
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