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Tuesday, August 18, 2009

तेरी आवाजें अपनी आँखों में बिछा लूँगी


पिछली प्रतियोगिता की सबसे अच्छी बात यह रही कि इसमें शीर्ष 10 में बिलकुल नहीं कवियों की कविताएँ चयनित हुईं। ऐसी ही एक नई कवयित्री मेयनूर खत्री की कविता नौवें स्थान पर रही। गुजरात के कच्छ से संबंध रखने वाली मेयनूर का जन्म 28 जून 1984 को हुआ। इनकी परवरिश और पढ़ाई भी वहीं हुई। गुजरात यूनिवर्सिटी से बी.कॉम करने के बाद सॉफ्टवेर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। फिलहाल एक स्कूल के प्रबंधन से जुड़ी हैं। घर में साहित्य का कुछ खास माहौल नहीं रहा। गुलज़ार साब को छुटपन से सुनती रहीं, जबकि ये भी पता नहीं था के ये सारे सोंग्स और मूवीस जिन्हें ये इतना पसंद करती हैं, वो सब उन्हीं के हैं। इन्टरनेट पे ब्लॉग्स और कुछ दोस्तों को पढ़ते-पढ़ते इन्होंने भी कुछ दो साल पहले लिखना शुरू किया। इनकी कवितायें इनके ब्लोग्स और ऑरकुट कम्युनिटी के अलावा कहीं और पब्लिश नहीं हुई है और इन्होंने पहली बार ही किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है।

पुरस्कृत कविता- तेरी आवाजें

किसी एक ग़ज़लों वाले
नज़्मकार से पढ़ा है
कि
आवाजें मरती नहीं हैं
वो कहीं दूर
ख़लाओं में
किसी जज़ीरे पे चली जाती हैं

वैसे तो तेरी
सारी बातें, आवाजें
मेरे पास महफूज़ पड़ी हैं
पर मैं
इतनी घुल गई हूँ
उनमें कि मैं
चाहकर भी उनसे
अपने को अलग करके
देख नहीं सकती

मैं ऐसा करुँगी
उस ग़ज़लोंवाले जादूगर से
बोलूँगी
अबके जब निकलेगा वो
ख़लाओं की सैर पर
मै भी साथ हो लूंगी उसके

तेरी सारी आवाजें
चुन के वहां से
अपने दामन में बाँध के
ले आउँगी अपने साथ
फिर जब जी चाहेगा
तेरी आवाजें अपनी
आँखों में बिछा के
उन्हें देख लिया करुँगी....

शबदार्थ- ख़ला- रिक्त स्थान, अंतरिक्ष
जज़ीरा- द्वीप


प्रथम चरण मिला स्थान- दूसरा


द्वितीय चरण मिला स्थान- नौवाँ


पुरस्कार और सम्मान- सुशील कुमार की ओर से इनके पहले कविता-संग्रह 'कितनी रात उन घावों को सहा है' की एक प्रति।

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17 कविताप्रेमियों का कहना है :

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

तेरी सारी आवाजें
चुन के वहां से
अपने दामन में बाँध के
ले आउँगी अपने साथ
फिर जब जी चाहेगा
तेरी आवाजें अपनी
आँखों में बिछा के
उन्हें देख लिया करुँगी....

Main Kya Kahun..Laazwaab..Bahut Badhiya kavita..Aawaj...
Badhayi..Meynur Ji..Hardik Badahyi..

rachana का कहना है कि -

ये लाइन बहुत अच्छी लगीं

तेरी सारी आवाजें
चुन के वहां से
अपने दामन में बाँध के
ले आउँगी अपने साथ
फिर जब जी चाहेगा
तेरी आवाजें अपनी
आँखों में बिछा के
उन्हें देख लिया करुँगी....

रचना

दिपाली "आब" का कहना है कि -

bahut shaandar nazm kahi hai aapne, kuch baatein meri samajh ke bahar ho gayi hain batana chahungi.

किसी एक ग़ज़लों वाले
नज़्मकार से पढ़ा है
gazlon wale nazmkaar?? ya to wo gazlo wale ho ya nazm kaar ho, ek jism mein do kirdaar kaise??

कि
आवाजें मरती नहीं हैं
bahut shaandar misra hai yeh

वैसे तो तेरी
सारी बातें, आवाजें
मेरे पास महफूज़ पड़ी हैं
पर मैं
इतनी घुल गई हूँ
उनमें कि मैं
चाहकर भी उनसे
अपने को अलग करके
देख नहीं सकती
bahut khoob.. baaton mein yun ghulna kam hi ho paata hai.

मैं ऐसा करुँगी
उस ग़ज़लोंवाले जादूगर से
yahan aap ise gazlo wala jadugar keh rahi hain teesra kirdaa..?

बोलूँगी
अबके जब निकलेगा वो
ख़लाओं की सैर पर
मै भी साथ हो लूंगी उसके

तेरी सारी आवाजें
चुन के वहां से
अपने दामन में बाँध के
ले आउँगी अपने साथ
फिर जब जी चाहेगा
तेरी आवाजें अपनी
आँखों में बिछा के
उन्हें देख लिया करुँगी....


upar aap hi ne kaha ki tumhari saari aawaazein mehfooz hain mere paas. aur ab aap unhi aawaazon ko dhoondne nikli hain.. kamaal ki baat hai, jo aapke paas hai use kya dhoondna..
meri baaton par gaur kijiyega. agli rachna ke lye kaam aayengi.
Bless u.

..
Deep

Manju Gupta का कहना है कि -

मर्मस्पर्शी कविता के लिए बधाई .

वाणी गीत का कहना है कि -

आवाज़ आँखों में बिछा लूंगी..नया कांसेप्ट है..!!
अच्छी कविता..बधाई..!!

वाणी गीत का कहना है कि -

आवाज़ आँखों में बिछा लूंगी..नया कांसेप्ट है..!!
अच्छी कविता..बधाई..!!

manu का कहना है कि -

sunder kavitaa hai....

hghazalon wala zam kaar nahi hota ji...
insaan hotaa hai wo to......

dil me aaye to ghazal likhtaa hai
dil mein aaye to nazm......

ye ghazlon waalaa nazmkaar padh ke atpataa saa laga...

magar aapki rachanaa ke bhaaw hamein bahut-bahut pasand aaye...

:)

सदा का कहना है कि -

तेरी सारी आवाजें
चुन के वहां से
अपने दामन में बाँध के
ले आउँगी अपने साथ
फिर जब जी चाहेगा
तेरी आवाजें अपनी
आँखों में बिछा के
उन्हें देख लिया करुँगी....

बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति बधाई ।

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

congrats sissy...hum dono ki taraf se badhai ... :)
-me n aanch

Shamikh Faraz का कहना है कि -

यह stanza बहुत पसंद आया.


वैसे तो तेरी
सारी बातें, आवाजें
मेरे पास महफूज़ पड़ी हैं
पर मैं
इतनी घुल गई हूँ
उनमें कि मैं
चाहकर भी उनसे
अपने को अलग करके

Shamikh Faraz का कहना है कि -

लेकिन कुछ बातें आपकी कविता में उखड़ी हई लगीं.
जैसा के दीप जी ने बताया की गज़लों वाले नज़्मकार. अजीब लगा. इसी तरहसे सबसे आखिर में

तेरी सारी आवाजें
चुन के वहां से
अपने दामन में बाँध के
ले आउँगी अपने साथ
फिर जब जी चाहेगा
तेरी आवाजें अपनी
आँखों में बिछा के
उन्हें देख लिया करुँगी....

आवाजों को आंख में बिछाना कुछ बेजोड़ लगा.

लेकिन एक जो बहुत ज़बरदस्त रही वो है आपका तखय्युल.

SURINDER RATTI का कहना है कि -

वैसे तो तेरी
सारी बातें, आवाजें
मेरे पास महफूज़ पड़ी हैं
पर मैं
इतनी घुल गई हूँ
उनमें कि मैं
चाहकर भी उनसे
अपने को अलग करके
देख नहीं सकती
Badhai swikaren - Surinder Ratti

Meynur का कहना है कि -

Thank you all.....
दीप जी... वेल कोई है जिसको सब में माहिरी हासिल है..... और वही गज़लों वाला, नज्मो वाला और जादूगर भी है और मुझे तो ये भी लगता है के आप मेरी कविता का हार्द ही ठीक से नहीं समझ पाई...... क्यूंकि आपकी सोच का दायरा बहुत सिमित लगता है... Better Luck Next Time...!

दिपाली "आब" का कहना है कि -
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दिपाली "आब" का कहना है कि -

बहुत भारी ग़लतफहमी में हो हो दोस्त , क्या ऐसा हुआ है की आज तक कोई भी परफेक्ट हुआ हो,
शायद आपने सुना नहीं

'Man is ever learner, Never Master'
किसी के कह देने मात्र से, या किसी के मान लेने मात्र से, कोई भी परफेक्ट नहीं हो जाता,
जहाँ तक बात है कविता के मर्म को समझने की, तो जहाँ तक मैंने पढ़ा आपकी कविता आपके प्रिय की आवाजों, उसकी स्मृतियों के इर्द गिर्द घूमती है, जादूगर के इर्द गिर्द नहीं, यूँ तो लगता है,
केवल वाह वाही करके किसी को अँधेरे में रखने से सोच का दायरा वसीअ नहीं हो जाता, यूँ तो कहेंगे की आपकी सोच सिमट कर रह गई है, अपने जादूगर के इर्द गिर्द.
शायद आपने मेरी ही टिपण्णी को ठीक से नहीं समझा. कोई बात नहीं.
खुश रहिये.
--
Regards
-Deep

Meynur का कहना है कि -

Deep Madam Ji!
First of all be strong enough to have one name and comment wid one name..... i dont think i have to explain my poem to you.... and yeah now im damn sure that you dunno anything of poems and really dont deserve a reply too
So thankyou so much for your valueble time and comments
keep it up.... will be thankful always...
-MEYNUR

दिपाली "आब" का कहना है कि -

Ufff..bhagwaan sabko sab kuch de, galatfehmi na de.
Deep aur Deepali ka matlab nahi samajh sakti to kya kahein.
i never asked you to explain your poem. n moreover if you are damn sure, then y are you wasting your enery in replyin if you think that its worthless to reply.
and thanking too.. great gal .. you don't even know what you are doing. nyhow. keep the advises in mind rather than getting so hyper.
may god bless you

..
Deep

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