हिंद-युग्म के समस्त पाठक-वर्ग को नववर्ष की ढेरों मंगलकामनाएँ। प्रतियोगिता की बाकी बची कविताओं की तरफ़ चलते हैं। रंजना डीन की सघन अनुभूतियों से सजी एक कविता ’मै टूटे बर्तन के जैसी लगातार रिसती जाती हूँ’ हमारे पाठक नई माह मे ही परिचित हो चुके हैं। इनकी प्रस्तुत कविता भी मनोभावों के वैसे ही गाढ़े रसायन मे घुलती जाती है। इसने नवंबर माह मे बारहवाँ स्थान बनाया है।
कविता: दूर तक मैंने बटोरे रौशनी के कारवां
दूर तक मैंने बटोरे
रौशनी के कारवां
था मुझे शायद पता
ये रात की शुरुवात है
मै लबों से कह दूँ
ये उम्मीद न करना कभी
है समुन्दर से भी गहरी
मेरे दिल की बात है
हम भरोसे के भरोसे
खा चुके हैं ठोकरें
कर भी क्या सकते थे
आखिर आदमी की ज़ात है
कम नहीं थे हौसले
न हिम्मतों में थी कमी
बदनसीबी की लकीरों से
सजे ये हाथ हैं
छलनी है सीना मगर
गाता रहा मीठी ग़ज़ल
बांसुरी के जैसा शायद
मेरे दिल का साज़ है
लोग कहतें है मेरी मुस्कान
है मीठी है बहुत
उनको क्या मालूम
ये तो दर्द की सौगात है
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
दिल को छूने वाली कविता, बधाई।
सुंदर रचना के लिए बधाई
मीठी मुस्कानें घातक हो सकती हैं।
आखिर आदमी की जात है...
क्या खूब लिखा है ...
विनायक सेन चिट्ठाचर्चा पर काहे बोलतो?
एक-एक शब्द रचना का जैसे जख्मों से भरा हो..जैसे कि शब्दों में मन की सघन पीड़ा उतर आई हो.
छलनी है सीना मगर
गाता रहा मीठी ग़ज़ल
बांसुरी के जैसा शायद
मेरे दिल का साज़ है
... umdaa !!
खूबसूरत ,
लोग कहतें है मेरी मुस्कान
है मीठी है बहुत
की जगह अगर
लोग कहतें है मेरी मुस्कान
तो मीठी है बहुत
कहें ..तो ' है ' शब्द का एक ही पंक्ति में दो बार इस्तेमाल नहीं होगा ..नया साल मुबारक हो ....
आज जबकि अधिकांशतः कविता में गेयता प्रवाहमयता को महत्वहीन माना जाने लगा है..आपकी रचना ने मुझे कितना हर्षित किया है ,बता नहीं सकती...
मेरे हिसाब से यह है कला और कविता ...
भाव शब्द चयन और प्रवाहमयता ह्रदय को बाँध विभोर करने में सक्षम हैं...
आपके कलम को नमन है इस सुन्दर सर्जना के लिए...
आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनायें. मेरी कविता पर अपने विचार प्रकट करने के लिए हार्दिक धन्यवाद. मेरे ब्लॉग पर भी आप सभी का स्वागत है.ranjanathepoet.blogspot.com
लोग कहतें है मेरी मुस्कान
है मीठी है बहुत
उनको क्या मालूम
ये तो दर्द की सौगात है ...
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
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