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Monday, December 13, 2010

ओ बिरादरी वालों


प्रतियोगिता की पाँचवीं कविता संगीता सेठी की है। इनकी कविताएं हिंद-युग्म पर पहले भी प्रकाशित होती रही हैं। जून माह मे इनकी एक कविता दसवें स्थान पर रही थी। प्रस्तुत कविता आनर-किलिंग जैसे विषय को आधार बना कर सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करती है।

पुरस्कृत कविता: ओ बिरादरी वालों

ये बिरादरी वाले
जो करते हैं
इज़्ज़त की परवाह
अपनी खानदानी रवायत
बचाने की खातिर
कर देते हैं
दो प्रेमियों की हत्या
मासूम प्रेम
बह जाता है
इज़्ज़त की
नालियों में
जो घृणा द्वेष
और हिंसा से
उफनती है सदा

ये बिरादरी वाले
लेते हैं चैन की सांस
बन जाते हैं विजेता
क्योंकि बच जाती है
उनकी इज़्ज़त
उनकी ये हत्या भी
ऑनर किलिंग के नाम से
हो जाती है सम्मानित
ये बिरादरी वाले
नहीं जानते कि
उन दो मासूमों के दिलों में
बह रही थी प्रेम की नदी
उन मासूमों ने
नहीं खेला कभी जुआ
नहीं पी कभी शराब
ना ही फैलाया आतंक
ना की किसी की हत्या

सोचो ! ओ बिरादरी वालों
उस प्रेम की नदी से
फूटते प्रेम के ही अंकुर
पल्ल्वित और पुष्पित होते
उनके अंश
प्रेम में पगे हुए
आतंक भरी दुनिया में
देखते अपने माँ-बाप को
डूबे हुए प्रेम में
और बच्चे सराबोर रहते
प्रेम की दुनिया में
ओ बिरादरी वालों !
तुमने कभी उनके बारे में सोचा
जो समाज में करते है
चोरी-डकैती-अपराध
देश मे धर्म के नाम पर
लगाते हैं आग
और भस्म कर देते हैं
समूची सभ्यता
विश्व को बना रहे निशाना
बम-परमाणु बम-मिसाइल
और ज़ेंथ्रेक्स हैं
जिनके हथियार
ओ बिरादरी वालों !
क्या किया है तुमने साहस
उनकी हत्या का
जो तिल-तिल
समूची सभ्यता को
कर रहे हैं होम
आतंकवाद में
और नहीं हो रही खराब
इज़्ज़त बिरादरी वालों की ।
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7 कविताप्रेमियों का कहना है :

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार का कहना है कि -

संगीता सेठी जी की कविता

ओ बिरादरी वालों सहज ही ध्यान आकर्षित करती है ।

इज़्ज़त के नाम पर मासूम प्रेमियों के साथ अपनी चाही कर गुज़रने वाले समाज की विसंगतियों , विद्रूपताओं, जटिल समस्याओं के समय क्यों ख़ामोश रह जाते हैं ?

श्रेष्ठ रचना के लिए कवयित्री को बधाई और मंगलकामनाएं !

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

www.navincchaturvedi.blogspot.com का कहना है कि -

सम सामयिक विषय पर अच्छी प्रस्तुति

ritu का कहना है कि -

prasangik rachna ..

‘सज्जन’ धर्मेन्द्र का कहना है कि -

सुंदर कविता के लिए बधाई

सदा का कहना है कि -

बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Akhilesh का कहना है कि -

prateetmak virodh kavi ka dharma hai, sangeeta ji uska safal nirvaah karti hai.
kaath haote samay ki chaal kavita kitni utaar payegi , dekte hai.

rachana का कहना है कि -

aap ki kavita ki ek ek pankti se me sahmat hoon gahri soch aur sahi baat ye biradri vale jinko rokna chahiye jinko kahna chahiye kuchh kahte hain .kash ke log soche
bahut bahut badhai
rachana

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