पिछले कुछ माहों मनोज सिंह भावुक की भोजपुरी ग़ज़लें आप यहाँ पढ़ चुके हैं। अक्टूबर माह मे इनकी ग़ज़ल चौथे स्थान पर रही है।
पुरस्कृत रचना: भोजपुरी ग़ज़ल
उम्र के धूप चढ़ल, धूप सहाते नइखे
हमरा हमराही के इ बात बुझाते नइखे
मंजिले इश्क में कइसन इ मुकाम आइल बा
हाय ! हमरा से “आई.लव.यू” कहाते नइखे
देह अइसन बा कि ई आँख फिसल जाताटे
रूप अइसन बा कि दरपन में समाते नइखे
जब से देखलें हईँ हम सोनपरी के जादू
मन बा खरगोश भइल जोश अड़ाते नइखे
कइसे सँपरेला अकेले उहां प तहरा से
आह! उफनत बा नदी, बान्ह बन्हाते नइखे
साथ में तोहरा जे देखलें रहीं सपना ओकर
याद आवत बा बहुत याद ऊ जाते नइखे
हमरा डर बा कहीं पागल ना हो जाए ‘भावुक’
दर्द उमड़त बा मगर आँख लोराते नइखे
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5 कविताप्रेमियों का कहना है :
“उम्र के धूप चढ़ल, धूप सहाते नइखे
हमरा हमराही के इ बात बुझाते नइखे
मंजिले इश्क में कइसन इ मुकाम आइल बा
हाय ! हमरा से “आई.लव.यू” कहाते नइखे” वाह ! भावुक जी, आप लाज़वाब हैं या आपकी गजल .. इ बात बुझाते नइखे. बढती हुई उम्र का बेहतरीन भोजपुरी चित्रण मन को भा गया है. शायद हम पर भी उम्र के धूप चढल गई बा. साथ में तोहरा जे देखलें रहीं सपना ओकर... तोहरा याद आवत बा भावुक साहेब! बहुत याद ऊ जाते नइखे.
शब्दों की लाजवाब प्रस्तुति के लिए आपको बधाई. अश्विनी रॉय
मंजिले इश्क में कइसन इ मुकाम आइल बा
हाय ! हमरा से “आई.लव.यू” कहाते नइखे
बहुत सुन्दर भोजपुरी गज़ल
etna sundr gajzlva ke khatir
tohara ke ham de tani badhai
atna bdhiya lagal ba ki
man kara ta sbke padhvai.
tohara ke bahut bhaut namaste.
rasmi didiya ke dhanyvaad kah tani
je hamra ke tohar gazal padhvaili.
poonam
सुन्दर ग़ज़ल के लिए भावुक जी को बधाई।
बहुत ही बेहतरीन शब्दों से नवाजा है आपने इस गजल को ...बधाई ।
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