रातों को यह नींद उड़ाती तनहाई
टुकड़ा टुकड़ा वक़्त चबाती तनहाई
टुकड़ा टुकड़ा वक़्त चबाती तनहाई
यादों की फेहरिस्त बनाती तनहाई
बीते दुःख को फिर सहलाती तनहाई
रात के पहले पहर में आती तनहाई
सुबह का अंतिम पहर मिलाती तनहाई
सन्नाटा रह रह कुत्ते सा भौंक रहा
शब पर अपने दांत गड़ाती तनहाई
यादों के बादल टप टप टप बरस रहे
अश्कों को आँचल से सुखाती तनहाई
अश्कों को आँचल से सुखाती तनहाई
खुद से हँसना खुद से रोना बतियाना
सुन सुन अपने सर को हिलाती तनहाई
सुन सुन अपने सर को हिलाती तनहाई
जीवन भर का लेखा जोखा पल भर में
रिश्तों की तारीख बताती तनहाई
सोचों के इस लम्बे सफ़र में रह रह कर
करवट करवट मन बहलाती तनहाई
-प्रेमचंद सहजवाला
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8 कविताप्रेमियों का कहना है :
सन्नाटा रह रह कुत्ते सा भौंक रहा
शब पर अपने दांत गड़ाती तनहाई
बिम्बो से सजी गज़ल और बेहद खूबसूरत
टुकड़ा टुकड़ा वक़्त चबाती तनहाई
बहुत खूबसूरत लाईन है मेरी तबीयत में उतर गई
बहुत सुन्दर ग़ज़ल। बधाई।
सन्नाटा रह रह कुत्ते सा भौंक रहा
शब पर अपने दांत गड़ाती तनहाई
bahut shandar sher hai ..ek dum bhayankar wali tanhai ki baat ki hai aapne .. :)
जीवन भर का लेखा जोखा पल भर में
रिश्तों की तारीख बताती तनहाई
ek dum sach kaha aapne ...akelpan aur tanhai me bahut sari cheezen ka ehsaas ho jata hai ...bahut achhi ghazal hai ...:)
प्रेमचंद सहजवाला जी तन्हाई के विषय पर सटीक प्रस्तुति है ये| बधाई|
यादों के बादल टप टप टप बरस रहे
अश्कों को आँचल से सुखाती तनहाई
खुद से हँसना खुद से रोना बतियाना
सुन सुन अपने सर को हिलाती तनहाई
बहुत अच्छी लगी गज़ल। सहजवाला जी को बधाई।
रातों को यह नींद उड़ाती तनहाई
टुकड़ा टुकड़ा वक़्त चबाती तनहाई
sunder
यादों के बादल टप टप टप बरस रहे
अश्कों को आँचल से सुखाती तनहाई
bahut achchha likha hai
saader
rachana
रातों को यह नींद उड़ाती तनहाई
टुकड़ा टुकड़ा वक़्त चबाती तनहाई
बहुत ही सुन्दर पंक्तियां ।
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