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Tuesday, July 07, 2009

काई काई चाँद हुआ


स्वप्निल तिवारी "आतिश" की एक रचना पिछले महीने प्रकाशित हुई थी, लेकिन यह पहला अवसर है जब इनकी कविता शीर्ष 10 में स्थान बना पाई है।

पुरस्कृत कविता

सिमटी सी शर्मीली रात
भोली छैल छबीली रात

काई काई चाँद हुआ
जब भी आई गीली रात

चाँद किनारे खड़ा रहा
जब जी आया बह ली रात

चाँद सितारों की गिरहें हैं
फिर भी है कुछ ढीली रात

साया जब खोया मेरा तब
पैराहन में सी ली रात

यादों की परतें बिखरी हैं
मैंने कितनी छीली रात

खाबों में तू ठिठुरी थी
कल थी जब बर्फ़ीली रात

आधा ही महताब बचा है
तू भी है खर्चीली रात

हम भी क्या सुकरात से कम?
हमने तन्हा पी ली रात

अब तब हैं इसकी साँसें
दुबली, पतली, पीली रात

"आतिश" काली शब का मारा
आँच, परी सी, नीली रात



प्रथम चरण मिला स्थान- पहला


द्वितीय चरण मिला स्थान- दूसरा


पुरस्कार- समीर लाल के कविता-संग्रह 'बिखरे मोती' की एक प्रति।

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33 कविताप्रेमियों का कहना है :

ओम आर्य का कहना है कि -

बहुत ही सुन्दर रचना ............बधाई

Disha का कहना है कि -

रात की बहुत ही सुन्दर कल्पना
बधाई

निर्मला कपिला का कहना है कि -

यादों की परतें बिखरी हैं
मैंने कितनी छीली रा
लाजवाब इस सुन्दर रचना के लिये बधाई

SUNIL KUMAR SONU का कहना है कि -

rat ki ratjaga sundar he

manu का कहना है कि -

हम भी क्या सुकरात से कम?
हमने तन्हा पी ली रात

shaandaar...
sabhi she'r achchhe lage..
ekadh jagah hlkaa fark hai...
par bhaaw baht pyaare hain...

Shamikh Faraz का कहना है कि -

साया जब खोया मेरा तब
पैराहन में सी ली रात

इस शेअर का जवाब नहीं.

संगीता स्वरुप ( गीत ) का कहना है कि -

हम भी क्या सुकरात से कम?
हमने तन्हा पी ली रात

bahut pyaari nazm...raat ne kamaal kar diya.....badhai

Ambarish Srivastava का कहना है कि -

सिमटी सी शर्मीली रात
भोली छैल छबीली रात

स्वप्निलजी,
रात की सुन्दर सी संकल्पना के लिए बधाई |

कल तक जो अनजानी थी
दिल में मैंने सजाई रात

हर दम राह अपनी ताकती
दुल्हन सी शरमाई रात

सादर,
अम्बरीष श्रीवास्तव

मुहम्मद अहसन का कहना है कि -

आतिश साहब ,
अच्छी ग़ज़ल है. आप की ग़ज़ल पढ़ कर नासिर काज़मी की एक ग़ज़ल के कुछ शे'एर याद आए.
यार की नगरी कोसों दूर
कैसे कटे गी भारी रात
रंग खुले सहरा की धूप
जुल्फ घने जंगल की रात
बस्ती वालों से छुप कर
रो लेते हैं पिछली रात
फिर जाडे के दिन आए
छोटे दिन और लम्बी रात

आप के सभी शे'एर अच्छे हैं, बस पता नहीं क्यूँ नीचे वाला शे'एर अच्छा नहीं लगा. शाएद रात के साथ ढीलेपन का तसव्वुर ज्यादा इस्तेमाल नहीं होता है.
चाँद सितारों की गिरहें हैं
फिर भी है कुछ ढीली रात
-मुहम्मद अहसन

Pritishi का कहना है कि -

मुझे आपकी ग़ज़ल बेहद पसंद आई | यह अशआर लाजवाब ! बहुत बढ़िया ...

काई काई चाँद हुआ
जब भी आई गीली रात

चाँद किनारे खड़ा रहा
जब जी आया बह ली रात

चाँद सितारों की गिरहें हैं
फिर भी है कुछ ढीली रात

साया जब खोया मेरा तब
पैराहन में सी ली रात

यादों की परतें बिखरी हैं
मैंने कितनी छीली रात

आधा ही महताब बचा है
तू भी है खर्चीली रात

हम भी क्या सुकरात से कम?
हमने तन्हा पी ली रात

God bless
RC

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

बहुत बढ़िया..

साया जब खोया मेरा तब
पैराहन में सी ली रात

यादों की परतें बिखरी हैं
मैंने कितनी छीली रात

सदा का कहना है कि -

यादों की परतें बिखरी हैं
मैंने कितनी छीली रात

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति आभार्

आलोक उपाध्याय का कहना है कि -

हम भी क्या सुकरात से कम?
हमने तन्हा पी ली रात


Dil ko chho lene wali aur zehan par chha jane wali line....

mubara ho itni pyari rachna

anjali का कहना है कि -

bahut khoob Atish...kis kis she'r ki tarif karu? har she'r shandaar he.ek baar fir tumhe badhai...

निखिल आनंद गिरि का कहना है कि -

''हम भी क्या सुकरात से कम......''

वाह-वाह...

ये काई-काई चांद हुआ या हुई....थोड़ा समझ नहीं आया....वैसे बड़ी अच्छी रचना है....बधाई

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

कल्पना की बहुत अच्छी उड़ान
एक एक शेर पढ़कर मुंह से सिर्फ एक शब्द निकला
वाह

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

om sahab , disha ji . nirmala ji , sonu ji , manu ji , shamikh faraz saahab , sangeeta mumma , ambrish saab , RC , tapan ji , sada ji alok ji , anjali , tiwari ji .........


aap sabka bahut bahut shukriya ...ye prem aur sneh banaye rakhiyega ..

:)

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

ahsan saab ..aap ko ghazal pasand aayi ..aur nasir kazmi saab ke sher mujhe inaam ke taur pe sunne ko mile ...bahut bahut shukriya aap ka ...

han yah khayal thoda sa alag hai ..lekin main ..ravayat se hat ke likhna hi pasand karta hun ... kabhi kabhi jyada hoi hat jata hun ...heheeh

koshish karunga agli bar aap ko sare ashaar achhe lagen ..

bahut bahut shukriya ..... i was waiting for yr comment ... :)

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

निखिल आनंद गिरि sir ....

"hua" aur "hui "........ agar hua ki jagah hui ka istemal karenge to sher ka poora tasavvur hi badal jayega ...

kai kai chand hui ..... matalab ki ... har "kai " chand me tabdil ho gayi hai ......


kai kai chand hua .....matlab ki ..chand pe buri tarah se kai lag gayi hai ..


thanku for such a nice raed ...... :)

मुहम्मद अहसन का कहना है कि -

आतिश साहेब,
आप को एक बार फिर इस ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद दे रहा हूँ.
बात रेवाएज की नहीं है, मैं भी रेवाएज से हट के शाएरी करता हूँ. बात लफ्ज़ ढीलेपन की है जो अमूमन एक नेगेटिव फीलिंग है और आप के तखय्युल किये हुए रात के रोमांटिक तसव्वुर से मैच नहीं कर रही है. बात इतनी सी है बस .
उम्मीद है ख़याल नहीं करें गे.
हाँ एक बात और . कभी नासिर काज़मी को ज़रूर पढिये छोटी बहर की गज़लों के लिए.
मुहम्मद अहसन
09415409325

मुहम्मद अहसन का कहना है कि -

आतिश साहब,
शाएद मैं अपनी बात को ठीक से कह नहीं सका, इस लिए दोबारा आ रहा हूँ. अपने शे'एर पर गौर फरमाइए.
चाँद सितारों की गिरहें हैं
फिर भी है कुछ ढीली रात
वाह, क्या खूबसूरत है पहला मिसरा ! क्या इमेजरी है! लाजवाब
अब दूसरे मिसरे की ज़बान पर गौर करिए! फिर भी है कुछ ढीली रात,,, आखिर क्या मतलब हुआ इस का! न ही ज़बान शाइस्ता है, न ही मफहूम साफ़ है. anticlimax . माफ़ कीजिए गा फिर से कहूँ गा यह शे'एर इस खूबसूरत ग़ज़ल का सब से कमज़ोर शेर है, भले ही इसे आप नोवेल्टी कहें.
आतिश साहब,
शाएद मैं अपनी बात को ठीक से कह नहीं सका, इस लिए दोबारा आ रहा हूँ. अपने शे'एर पर गौर फरमाइए.
चाँद सितारों की गिरहें हैं
फिर भी है कुछ ढीली रात
वाह, क्या खूबसूरत है पहला मिसरा ! क्या इमेजरी है! लाजवाब
अब दूसरे मिसरे की ज़बान पर गौर करिए! फिर भी है कुछ ढीली रात,,, आखिर क्या मतलब हुआ इस का! न ही ज़बान शाइस्ता है, न ही मफहूम साफ़ है. anticlimax . माफ़ कीजिए गा फिर से कहूँ गा यह शे'एर इस खूबसूरत ग़ज़ल का सब से कमज़ोर शेर है, भले ही इसे आप नोवेल्टी कहें.
मुहम्मद अहसन

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

ahsan sir ...han iska doshi hun ki ..mere sher ka mafhoom saf ni ho paya aap par ......mere is sher me koi bahut badi bat nahi hai.sirf itna hai ki ..chand sitaron ki girhen hain ..lekin fir bhi raat ko kas ke bandha nahi ja saka ..wo dheeli hai aur sarkati jati hai un gathon ke beech se ...maine to pahle hi kaha hai ki ..hat ke likhne ki koshish me jyada hi hat jata hun ...hehhe

thanku so much ki aapne meri ghazal ko itna waqt diya ..aur kamiyon se jaan pehchan karayi ..koshish rahegi aur behtar kar sakun ...har nasir saab ko bhi waqt milne pe padhunga .......

mohammad ahsan का कहना है कि -

aatish saheb,
shaaed galti meri bhi hai. 'dhila aadmi', 'dhili baat' mein lafz dhila ka estemaal slang jaisa sunta raha huun. shaaed kaan usi ke aadi ho gaye hain. isi liye 'dhili raat' ko nahi saraah saka.

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

ahsan sir...sach kaha aapne ..humari taraf "dheela" ka istemal bataur slang hi hota hai jiyadatar...aur aam bolchal ki bhasha to aaj kal aisi hai ki achhe khaase zaheen lafz bhi slang jaise ho gaye hain . ..
alfaz bure nahi hote ..unka istemal achha ya bura hota hai ...

aapne meri baat samjhi ...bahut bahut bahut achha laga ...aur ye charcha bhi achhi lagi .....

tah -e- dil se shukriya ..... aap ka ..... aap ka phone no note kar liya hai maine .. kisi din phon karunga aap ko ..... :)

behad shukriya ...

mihammad ahsan का कहना है कि -

aatish saheb,
aap ne bilkul sahi kaha, sab kuch usage par depend karta hai ki lafz slang jaisa hai ya nahi.
agar aap ne raat ki chaadar ka tasuwwur kiya hota jis mein chaand sitaaron ne girhain lagaayi hotiin aur woh dhiili reh gayi hoti to mujhe aetraaz na hota, lekin choonki raat ke dhilepan ka estemaal nahi hota hai is liye kuchh slang ke parrallel laga.
साया जब खोया मेरा तब
पैराहन में सी ली रात
aap ke is she'er mein grammatical usage ke hisaab se 'mera' ki jageh 'apna' hona chaahiye tha lekin kayi baar 'sab chaltta hai'.
agar aap ko urdu padhni aati ho to nasir kaazmi ki 'barg e nae' aaj hi rawaana kar sakta huun.
ragards

Manju Gupta का कहना है कि -

वाह! रात को शेर से खूब सजाया .
बधाई.

Unknown का कहना है कि -

हम भी क्या सुकरात से कम?
हमने तन्हा पी ली रात
बे-हद खूबसुरत ग़ज़ल है आपकी..
आपका शुक्रिया..

स्वप्न मञ्जूषा का कहना है कि -

हम भी क्या सुकरात से कम?
हमने तन्हा पी ली रात

आपकी कलम का जादू चलने लगा है..
वाह..वाह...

Unknown का कहना है कि -

bahot pyari gazal hai swapnil ji

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

ahsan sir..manju ji , raman sir, ada ji , aur vandy ji .....

aap sabka tah e dil se shukriya..margdarshan aur sahyog ke liye ...

Sunil Kumar Pandey का कहना है कि -

शब्दों का कलात्मक उपयोग........
परत दर परत दिल में उतरती हुई कविता........

Taru का कहना है कि -

Lajawaab ghazal hui hai Swapnil.tarah tarah ki raat ke baare mein is tarah se janna bahut khoobsorat tajurba raha.......bahut saari badhaayi........:)

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