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Thursday, February 05, 2009

क्या ज़रूरी है कि सबसे ज्ञान लें


कैसे मुमकिन है कि ख़ुद को जान लें
अजनबी हो तो उसे पहचान लें

क्या ज़रूरी है कि सबसे ज्ञान लें
एक दिन तो अपना कहना मान लें

कोई उनसे कह दे इतना मान लें
चैन लूटा, दिल लिया अब जान लें

रात है, फ़ुर्सत भी है तन्हाई भी
आओ अब यादों की चादर तान लें

सर्द मौसम को बदलने के लिये
आओ नाज़िम धूप का एहसान लें

--नाज़िम नक़वी



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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

क्या ज़रूरी है कि सबसे ज्ञान लें
एक दिन तो अपना कहना मान लें

सर्द मौसम को बदलने के लिये
आओ नाज़िम धूप का एहसान लें
बहुत खूब .......... अच्छा लिखा है बधाई .............

रंजना का कहना है कि -

बहुत अच्छा लिखा है! बधाई !

neelam का कहना है कि -

कैसे मुमकिन है कि ख़ुद को जान लें
अजनबी हो तो उसे पहचान लें

नाजिम जी बहुत ,बहुत .बहुत ही सुंदर लिखा है पूरी ग़ज़ल दिल में कही गहरे तक असर करती है
कलम गोयद की मन शाहे जहानम
कलमकश रा बदौलत मी रसानम

दिगम्बर नासवा का कहना है कि -

सर्द मौसम को बदलने के लिये
आओ नाज़िम धूप का एहसान लें

bahoot khoob है ये sher ...........
lajawaab

manu का कहना है कि -

नज़्म कह ,चाहे रुबाई या ग़ज़ल,
फिक्र का दिल में मगर मीजान ले,,

हुज़ूर नकवी साहेब ,आपकी जमीन पर कहा गया ये शे'र अआपकी इस हसीं ग़ज़ल के लिए हरगिज नहीं है...ये तो लिखने और परखने वालों के लिए है....मैं तो समझा था के आखिरी टिपण्णी कर चुका हूँ.....पर आपको पढ़ कर कहा रुका जाता है...
मुबारक......
हाँ ..आपके हसीं मकते से कुछ मिलता जुलता सा कहा था कभी...

गम-ऐ-हस्ती के सौ बहाने हैं
आज अपने पे आजमाने हैं

सर्द रातें गुजारने के लिए
धुप के गीत गुनगुनाने हैं.

वैसे मुझे ये यहाँ लिखना नहीं चाहिए था.....पर फ़िर भी....

चारु का कहना है कि -

रात है, फ़ुर्सत भी है तन्हाई भी
आओ अब यादों की चादर तान लें

सर्द मौसम को बदलने के लिये
आओ नाज़िम धूप का एहसान लें
बहुत बढ़िया...

Unknown का कहना है कि -

गजल अच्छी लगी,
तीनो मतले बहुत अच्छे है , पहले और दूसरा ज्यादा पसंद आया

Dilsher Khan का कहना है कि -

बहुत अच्छा,
रात है, फ़ुर्सत भी है तन्हाई भी
आओ अब यादों की चादर तान लें

सर्द मौसम को बदलने के लिये
आओ नाज़िम धूप का एहसान लें

विश्व दीपक का कहना है कि -

रात है, फ़ुर्सत भी है तन्हाई भी
आओ अब यादों की चादर तान लें

सर्द मौसम को बदलने के लिये
आओ नाज़िम धूप का एहसान लें

खूबसूरत गज़ल है।
बधाई स्वीकारें!

-विश्व दीपक

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

रात है, फ़ुर्सत भी है तन्हाई भी
आओ अब यादों की चादर तान लें...

क्या बात है नाजिम जी...

आलोक साहिल का कहना है कि -

behatarin guruvar
ALOK SINGH "SAHIL"

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