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Thursday, January 22, 2009

अपनी ना कह पाओ, तो सवालात करो


पिछले साल के अंत के आते-आते हिन्द-युग्म के पुराने प्रतिभागी फिर से सक्रिय हो गये हैं। आपने २ दिन पहले अनिल जींगर की कविता पढ़ी। अनिल की तरह ही सुनील कुमार सिंह हिन्द-युग्म पर बहुत पहले से ही कविताएँ भेजते रहे हैं। बेंगलूरू निवासी युवा कवि सुनील ने पहली बार अगस्त २००७ में यूनिकवि प्रतियोगिता में भाग लिया। हिन्द-युग्म पर अब तक इनकी तीन कविताएँ ('प्रेरणा', 'ऐसा मेरा दीवानापन' और 'खालीपन') प्रकाशित हो चुकी हैं।

पुरस्कृत रचना- कुछ बात करो

बहुत देर से बैठे हो, कि कुछ बात करो
मिलने जब आए हो, तो मुलाकात करो

ख्याल-ए-अंजाम में यूँ ही वक्त गुज़र जाएगा
कुछ और अब न सोचो, बस शुरूआत करो

ये इन्तज़ार गलत है, कि शाम ढल जाए
रंगीन ये रात हो, कुछ ऐसे हालात करो

माना कि कुछ खास नहीं कहने के लिए
अपनी ना कह पाओ, तो सवालात करो

माना कि शर्म आती है, उजालों से तुम्हें
तब ज़ुल्फें ये बिखरा दो, और रात करो

उलझाना यूँ चालों से, अब ठीक नहीं ज़ालिम
हारना मुझको ही, तो शय और मात करो

प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ३, ७॰२५, ७॰३५
औसत अंक- ५॰८६६६७
स्थान- तीसरा


द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ५, ४, ५॰८६६६७ (पिछले चरण का औसत
औसत अंक- ४॰९५५५
स्थान- छठवाँ


पुरस्कार- कवि गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' द्वारा संपादित हाडौती के जनवादी कवियों की प्रतिनिधि कविताओं का संग्रह 'जन जन नाद' की एक प्रति।

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13 कविताप्रेमियों का कहना है :

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

पूरे मन से कह रहा हूँ, हर एक शेर मन को छू गया |
बहुत बहुत अच्छा लगा पठ कर |
बधाई |


-- अवनीश तिवारी

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

पूरे मन से कह रहा हूँ, हर एक शेर मन को छू गया |
बहुत बहुत अच्छा लगा पढ़ कर |
बधाई |


-- अवनीश तिवारी

हरकीरत ' हीर' का कहना है कि -

Sunil ji bdhaiyan ji bdhaitan ....itani acchi rachna k liye...ye she'r to bhot hi pasand aaya....माना कि शर्म आती है, उजालों से तुम्हें
तब ज़ुल्फें ये बिखरा दो, और रात करो

wah....!

सीमा सचदेव का कहना है कि -

माना कि कुछ खास नहीं कहने के लिए
अपनी ना कह पाओ, तो सवालात करो
bahut achcha sujhaav diya hai aapne

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

एक एक शे’र उम्दा है सुनील जी..
मजा आ गया

बधाई

आलोक साहिल का कहना है कि -

ख्याल-ए-अंजाम में यूँ ही वक्त गुज़र जाएगा
कुछ और अब न सोचो, बस शुरूआत करो
bahut khub bhai ji..
ALOK SINGH "SAHIL"

Anonymous का कहना है कि -

Mera sabse priy sher...
उलझाना यूँ चालों से, अब ठीक नहीं ज़ालिम
हारना मुझको ही, तो शय और मात करो

Ria Sharma का कहना है कि -

उम्दा अल्फाज़ !!

अनिल कान्त का कहना है कि -

bahut bahut achchha laga padhkar ...bahut hi umdaa rachna

manu का कहना है कि -

अच्छा लिखा है...
बधाई

Deepti का कहना है कि -

Bahut bahut badhai Sunil ji...
Ek ek sher prashansaniya hai...
khaaskar
उलझाना यूँ चालों से, अब ठीक नहीं ज़ालिम
हारना मुझको ही, तो शय और मात करो
wah wah!!

Anonymous का कहना है कि -

माना कि कुछ खास नहीं कहने के लिए
अपनी ना कह पाओ, तो सवालात करो
बहुत ही अच्छा शेर है .आप को बधाई हो
रचना

Anonymous का कहना है कि -

बधाई

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