अक्टूबर और नवम्बर के महीने में इतने पर्व-त्यौहार आते हैं कि कोई भी अपने घर जाने, अपनों से मिलने के अलावा किसी भी और चीज़ के बारे में सोच नहीं पाता। ऐसे में हिन्द-युग्म की यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता में प्रतिभागियों की संख्या घटना कोई बड़ी बात नहीं। लेकिन अक्टूबर माह की प्रतियोगिता में ३४ कवियों के भाग लेने के बावजूद, नवम्बर माह के प्रतिभागियों की संख्या ४१ तक पहुँच गई।
आज हम इसी अंक का परिणाम लेकर प्रस्तुत हैं। हमेशा की तरह चार चरणों में जजमेंट का काम पूरा हुआ। पहले चरण के दो निर्णायकों द्वारा दिये गये अंकों के आधार पर २७ कविताओं को दूसरे दौर में जाने का अवसर मिला, जहाँ उनकी भिड़ंत तीन नये निर्णायकों से थी और साथ में पुराने अंक भी लेकर चलना था।
तीसरे चरण के जज के पास १५ जा पाईं, जहाँ टॉप १० कविताओं का निर्णय हो सका। अंतोगत्वा कवयित्री डॉ॰ अंजलि सोलंकी की 'क्षणिकाएँ' प्रथम रहीं। यह दूसरा अवसर है कि कोई कवयित्री यूनिकवयित्री बन रही है। इससे पहले अगस्त माह में अनुराधा श्रीवास्तव यूनिकवयित्री रह चुकी हैं।
यूनिकवयित्री- डॉ॰ अंजलि सोलंकी
इनका जन्म 19-09-1980 को उत्तर प्रदेश के जिवाना ग्राम में हुआ। शिक्षा संगरिया (राजस्थान) से शुरू हुई। अभी तक जारी है। फिलहाल चण्डीगढ़ में MD PATHOLOGY का फाइनल इयर है। लिखनो का शौक या लत बचपन से ही पड़ गई थी, जो भी मन मे आया लिख डाला। सभी रचनायें इन्हीं तक ही सीमित रहीं। बचपन मे काफी पढ़ा है मगर अभी साहित्य पर पकड़ कुछ कमज़ोर है। फिर भी अपनी सरल भाषा में भावनाओं को पिरोने कि कोशिश जारी है। कुछ वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद अब लिखना शुरू किया है।
पुरस्कृत कविता- क्षणिकाएँ
1
तेरा वादा,
एक अनकहा प्रश्न
एक अनसुना उत्तर,
एक अनाचाहा विवाद,
एक अभागा सा रिश्ता....
2.
आज रात जी भर के रो लूँ
सुना है
कल दर्द की नीलामी में,
अन्धेरा भी बिकेगा.....
3 .
युग बीते फैसले सुनते-सहते
चल
दुनिया का आखिरी निर्णय
हम सुना डाले.....
4
मेरी जिद के चर्चे जमाने में है
हुआ कुछ नहीं,
मैंने सच को सच कहा था...
5
मेले में भीड़,
उमड़ती है,
बिखरती है,
लौट जाती है, भग्न अवशेष छोड़कर
तेरे वादों की तरह...
6
इस शहर की दोस्ती
तेरे वादों जैसी है
बिन बात जन्म लेती है,
कभी मरती नहीं,
मगर
कम्बख्त निभती भी नहीं....
7
तुमने ही कहा था,
हर आंसू दफना देना
मैं कब्रिस्तान में रहने लगी हूँ
थोड़ी जगह और चाहिये.....
प्रथम चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ६॰२, ६॰५
औसत अंक- ६॰३५
स्थान- तेरहवाँ
द्वितीय चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ८, ७॰६, ७, ६॰३५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ७॰२३७५
स्थान- दूसरा
तृतीय चरण के ज़ज़ की टिप्पणी-यदि शब्द चयन में अधिक सतर्कता बरती जाती तो क्षणिकाएं और बेहतर हो सकती थीं
अंक- मौलिकता: ४/३ कथ्य: ३/२॰५ शिल्प: ३/२
कुल- १०/७॰५
स्थान- तीसरा
अंतिम ज़ज़ की टिप्पणी-
सभी क्षणिकायें कथ्यपूर्ण हैं और इस विधा के पैनेपन की शर्त का निर्वाह करती हैं। बिम्बों में भी गहरायी है।
कला पक्ष: ७/१०
भाव पक्ष: ७॰५/१०
कुल योग: १४॰५/२०
पुरस्कार- रु ३०० का नक़द ईनाम, रु १०० तक की पुस्तकें और प्रशस्ति-पत्र। चूँकि इन्होंने दिसम्बर माह के अन्य तीन सोमवारों को भी अपनी कविताएँ प्रकाशित करने की सहमति जताई है, अतः प्रति सोमवार रु १०० के हिसाब से रु ३०० का नक़द ईनाम।
यूनिकवयित्री डॉ॰ अंजलि सोलंकी तत्व-मीमांसक (मेटाफ़िजिस्ट) डॉ॰ गरिमा तिवारी से ध्यान (मेडिटेशन) पर किसी भी एक पैकेज़ (लक को छोड़कर) की सम्पूर्ण ऑनलाइन शिक्षा पा सकेंगी।
चित्र- चूँकि क्षणिकाओं के किसी समूह में अलग-अलग तरह के भाव होते हैं, अतः इस पर पेंटिंग बनवाना एक जबरदस्ती होती, इसलिए बिना चित्र के ही हम क्षणिकाएँ प्रकाशित कर रहे हैं।
यूनिकवयित्री डॉ॰ अंजलि सोलंकी जी की क्षणिकाओं का गुजराती अनुवाद विजयकुमार दवे ने अभी-अभी किया है। और अपने गुजराती ब्लॉग पर यहाँ प्रकाशित किया है। डॉ॰ अंजलि सोलंकी की कविताएँ गुजराती पाठकों तक पहुँची, इसके लिए हम विजयकुमार दवे जी के आभारी हैं।
हमें यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि पिछले माह हमें बहुत से ऊर्जावान पाठक मिले। ८० से अधिक प्रविष्टियों के प्रकाशित होने के बावज़ूद पाठकों ने अधिकाधिक पोस्टों को पढ़ा और टिप्पणियाँ की।
इस बार के यूनिपाठक अवनीश एस तिवारी ने तो हिन्द-युग्म के सभी मंचों को पढ़ा, यहाँ तक कि काव्य-पल्लवन की २५ कविताओं पर अलग-अलग टिप्पणी की। हम सहृदय धन्यवाद के साथ यूनिपाठक का सम्मान इन्हें दे रहे हैं।
यूनिपाठक- अवनीश एस॰ तिवारी
जन्म- २७-०५-१९८१
शिक्षा- बी. ई. अभियंता (कंप्यूटर)
संप्रति- कंप्यूटर प्रोग्रामर के रूप में मुम्बई में कार्यरत
रुचि- हिन्दी साहित्य विशेष कर हिन्दी गद्य
भारतीय संस्कृति को जानना
अमिताभ बच्चन की फिल्में देखना और किशोर कुमार के गाने सुनना
प्रिय कवि- मैथलिशरण गुप्त जी, निराला, बच्चन और आज के - हरि ओम पवार जी, देवल आशीष और बहुत सारे।
प्रिय मंच संचालक- अशोक चक्रधर जी, कुमार विश्वास जी |
ईश्वर, माता - पिता के आशीर्वाद और आप सभी के स्नेह से जीवन के हर क्षेत्र मे सफलता पाना ही लक्ष्य है |
मुम्बई का पूरा पता -
A1, 702 Neelyog Apartment Gaurishankar wadi-2, Pant nagar , Ghatkopar(E), Mumbai-40075
मोबाइल- 9819851492
ईमेल- anish12345@gmail.com
पुरस्कार- रु ३०० का नक़द ईनाम, रु २०० तक की पुस्तकें और प्रशस्ति पत्र।
पुस्तक 'कोई दीवाना कहता है' की स्वहस्ताक्षरित प्रति।
यूनिपाठक अवनीश एस॰ तिवारी तत्व-मीमांसक (मेटाफ़िजिस्ट) डॉ॰ गरिमा तिवारी से ध्यान (मेडिटेशन) पर किसी भी एक पैकेज़ (लक को छोड़कर) की सम्पूर्ण ऑनलाइन शिक्षा पा सकेंगे।
दूसरे स्थान पर हमारे पुराने पाठक रणधीर 'राज' हैं। इन्होंने १-१५ नवम्बर तक तो हमें खूब पढ़ा लेकिन बाद में ये अपनी परिक्षाओं में व्यस्त हो गये, नहीं तो अवनीश जी को कड़ी टक्कर मिलती।
चूँकि पिछली बार इन्हें हम 'कोई दीवाना कहता है' और 'निकुंज' दोनों भेंट कर चुके हैं, अतः इन्हें हिन्द-युग्म की ओर से कथाकार सूरज प्रकाश द्वारा सम्पादित कहानी-संग्रह 'कथा दशक' भेंट कर रहे हैं।
तीसरे स्थान पर हमें कम लेकिन गम्भीरता से पढने वाले रविन्दर टमकोरिया 'व्याकुल' हैं। दो और पाठकों को हम एक ही स्थान यानी चौथे स्थान पर रखकर पुरस्कृत करना चाहेंगे। शैलेश जमलोकी जिन्होंने बहुत शिद्दत से हमें पढ़ना शुरू किया है, तथा आलोक कुमार सिंह 'साहिल' जिन्होंने पहले तो रोमन में ही टिप्पणियाँ की लेकिन अब हिन्दी (यूनिकोड) भी सीख लिये हैं। उम्मीद करते हैं कि ये सभी पाठक इस माह से अपनी धुआँधार टिप्पणियों द्वारा हमारा प्रोत्साहन करेंगे।
उपर्युक्त तीनों पाठकों को कवि कुलवंत सिंह की ओर से उनकी काव्य-पुस्तक 'निकुंज' की स्वहस्ताक्षरित प्रति भेंट की जायेगी।
इसके अतिरिक्त हम मीनाक्षी, परमजीत बाली, आशा जोगलेकर, सन्नी चंचलानी, कुमुद अधिकारी, डॉ॰ रामजी गिरि, राम चरण वर्मा 'राजेश', मनीष कुमार, अनिता कुमार और सागर चन्द नाहर आदि का विशेष आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने हमें बहुत कम पढ़ा लेकिन गंभीरता से पढा। हम यह अनुरोध करेंगे कि आप हमारे नियमित पाठक बनकर हमारा प्रोत्साहन करें।
टॉप १० के अन्य नौ कवियों के नाम जिनको प्रो॰ अरविन्द चतुर्वेदी की काव्य-पुस्तक 'नक़ाबों के शहर में' भेंट की जायेगी तथा एक-एक इनकी कविताएँ प्रकाशित होंगी, निम्नलिखित हैं-
सीमा गुप्ता
ऋतुराज
दिव्या श्रीवास्तव
पंखुड़ी कुमारी
आनंद गुप्ता
पंकज रामेन्दू मानव
मंजिल
शिवानी सिंह
डॉ॰ सी॰ जयशंकर बाबू
टॉप २० के अन्य १० कवियों के नाम जिनकी कविताएँ दिसम्बर माह में एक-एक करके प्रकाशित होंगी, वो हैं-
दिव्य प्रकाश दूबे
हरिहर झा
अमिता मिश्र 'नीर'
मनुज मेहता
रविकांत पाण्डेय
देव मेहरा
कवि दीपेन्द्र (दीपेन्द्र शर्मा)
रविन्दर टमकोरिया 'व्याकुल'
आलोक कुमार सिंह 'साहिल'
दिनेश गेहलोत
उपर्युक्त कवियों से निवेदन है कि कृपया वो अपनी कविताएँ ३१ दिसम्बर तक अन्यत्र न प्रकाशित करें/करायें।
शेष २१ कवियों के नाम जिनकी कविताएँ भी सराहनीय थीं और जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लेकर इसे सफल बनाया। हम यह निवेदन भी करेंगे कि इस प्रतियोगिता के परिणामों को सकारात्मक लेते हुए पुनः और पुनः इसमें भाग लें क्योंकि बहुत से कवियों ने इस आयोजन को काव्य-कार्यशाला मानकर कई बार भाग लिया है और अब वो यूनिकवि हैं।
अवनीश एस॰ तिवारी
आशीष मौर्य
सुमन कुमार सिंह
तपन शर्मा
निर्जीव (दिवेश मेहता)
सन्नी चंचलानी
विजयकुमार दवे
दिनेश चन्द्र जैन
गौरव पोटनीस
विनय चन्द्र पाण्डेय
पीयूष मिश्रा
विनय माघु
अमलेन्दू त्रिपाठी
साधना दुग्गड़
अंजू गर्ग
राम चरण वर्मा
आशीष दूबे
राहुल उपाध्याय
अनुभव गुप्ता
अमित सिंह
कीर्ति वैद्य
अंत में सभी का धन्यवाद।
इस माह की प्रतियोगिता के आयोजन की उद्घोषणा हो चुकी है। कृपया आप सभी भाग लें। पूरा विवरण यहाँ है।
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30 कविताप्रेमियों का कहना है :
सभी प्रतियोगियों को बधाई। अंजलि जी और अवनीश जी को विशेष बधाई।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
सभी को हार्दिक बधाई।
अंजली जी व अवनीश जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें।
*** राजीव रंजन प्रसाद
बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाये अंजली जी और अवनीश जी !!बाकी सब जीतने वाले विजेताओं को भी बहुत बहुत बधाई
अंजली जी व अवनीश जी सहित सभी हो बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें
-राघव
anjali bahut badhai
me ek baat manta hun ki bhav hamesha vyakran aur niymo se pare hote hain
bhav agar is baat ko preshit kar de ke ham kya sochte hain to hamata kah dena sarthak ho jata hai.
achha likha hai, galti isliye nahi talashi kyonki uske liye log hain aur abhi me swyam bhi galtiyon ke dayere me aata hun
मेरी जिद के चर्चे जमाने में है
हुआ कुछ नहीं,
मैंने सच को सच कहा था...
sabse achhi panktiyan hain
अंजली जी व अवनीश जी,
हार्दिक बधाई ........
सब विजेताओं को भी बहुत बहुत बधाई...
अंजलि जी और अवनीश जी को उनकी सफलता के लिए बधाई
सस्नेह
बधाई हो बधाई ! आयोजकों को ,
प्रायोजकों को ,
विजेताओं को ,
और उन सबको भी
जिन्होंने प्रयास तो किया
भले ही सफलता अभी विजेता के रूप में
न मिली हो !
अंजलि जी और अवनीश जी को बधाई।
बाकी प्रतियोगियों और पाठकों को साधुवाद।
यह हिन्द-युग्म के लिए बहुत खुशी की बात है कि यहाँ कवयित्रियाँ भी बराबर की संख्या में भाग ले रही हैं, और सफल हो रही हैं। इस बार के टॉप १० में ६ कवयित्रियों का चुना जाना इस बात की गवाह है।
अंजलि सोलंकी ने बहुत ही उत्कृष्ट क्षणिकाएँ लिखी हैं। बहुत-बहुत बधाइयाँ।
सभी प्रतिभागियों को बधाइयाँ, क्योंकि भाग लेने के प्रयासों की ही प्रसंशा होनी चाहिए। नये मंचों से लोगों को तुरंत ही श्रद्धा नहीं हो पाती हैं, लेकिन इस मंच पर लोगों का अगाध प्रेम देखकर हमें खुशी हो रही है।
अवनीश तिवारी की जितनी तारीफ़ की जाय, उतनी कम है। कई पाठक तो इनकी ऊर्जा देखकर टिप्पणियाँ करना शुरू कर देते हैं।
सभी पाठकों को बधाई।
एक पाठक की हैसियत से मैं भी सभी प्रतिभागियों से पुनः भाग लेने का निवेदन करूँगा।
अंजलि जी को बहुत बहुत बधाई, और अवनीश जी के क्या कहने, एक बार फ़िर सफल आयोजन के लिए युग्म के संचाकों को भी ढेरों बधाई
तेरा वादा,
एक अनकहा प्रश्न
एक अनसुना उत्तर,
एक अनाचाहा विवाद,
एक अभागा सा रिश्ता....
मेले में भीड़,
उमड़ती है,
बिखरती है,
लौट जाती है, भग्न अवशेष छोड़कर
तेरे वादों की तरह...
बहुत अच्छी क्षणिकाएँ हैं दीदी, आपको जीतने की बहुत बधाई। बहुत खुश हूँ मैं...
अवनीश जी, आपको भी कवियों को प्रोत्साहित करते रहने के लिए बहुत बधाई और धन्यवाद।
युग बीते फैसले सुनते-सहते
चल
दुनिया का आखिरी निर्णय
हम सुना डाले.....
...अच्छी बात है।
यूनिकवि एवं यूनिपाठक को बधाई।
डा. रमा द्विवेदीsaid...
अंजलि जी की कविता की अभिव्यक्ति बहुत ही सशक्त और संवेदनशील है इसलिए उन्हें यूनिकवयित्री बनने पर ढ़ेर सारी शुभकामनाएं....एवं अवनीश जी के यूनिपाठक बनने की खुशी पर अनेकानेक शुभकामनाएं...
सभी प्रतिभागियों को भी बधाई जिन्होंने दृढ़ संकल्प एवं उत्साह से भाग लिया है आगे भी भाग लेते रहेंगे इसी विश्वास के साथ....
तेरा वादा,
एक अनकहा प्रश्न
एक अनसुना उत्तर,
एक अनाचाहा विवाद,
एक अभागा सा रिश्ता....,
it is wonderful, ful of emotion n uncompleteness hidden in once heart. great job done. keep it up
regards seema gupta
सभी विजेताओं को बधाई व अन्य प्रतिभागियों को भविष्य के लिये शुभकामनायें!
युनिकवयित्री तथा यूनिपाठक दोनों को बहुत-बहुत बधाई
हर एक शब्द हर के व्यक्ति जिसने भी न केवल लिखने वरन पढने में योगदान दिया सभी को बहुत बहुत साधुवाद !!!
अंजलि जी,
युनिकवियत्री बनने की बहुत-बहुत बधाई....अच्छा लगता है, जब आपके पेशे के लोग भी इतनी बढ़िया कलम चलाते हैं....
कुछ रचनाएं तो बेहद मारक हैं....
"आज रात जी भर के रो लूँ
सुना है
कल दर्द की नीलामी में,
अन्धेरा भी बिकेगा..... "
इन पंक्तियों का कोई जवाब नहीं...बेहतरीन...
और ये देखिये..
"मेरी जिद के चर्चे जमाने में है
हुआ कुछ नहीं,
मैंने सच को सच कहा था..."
क्या बात है....
मैंने ज्यादा क्षणिकाएँ नहीं लिखीं हैं, कोशिश करता रहता हूँ..अब लगता है मुझे मदद मिलेगी....
शेष क्षणिकाएँ और भी बेहतर की जा सकती थीं....अब कल ही पता चलेगा कि आपकी टक्कर की रचनाएं कैसी थीं...
अवनीश एस तिवारी जी,
मैंने हमेशा कहा है कि कवि से ज्यादा जरुरी होता है पाठक..आपकी टिप्पणियाँ हर कविता पर देख कर सच मानिए हम आपसे बिन मिले भी एक अनजाना रिश्ता बना चुके हैं..कविता डालने के बाद ये विश्वास रहता है कि आपकी टिपण्णी तो रहेगी ही...
बधाई...
निखिल आनंद गिरि
डॉ॰ अंजलि सोलंकी -
आपकी रचना सुंदर है | गहरी है , प्रभावी है |
विशेष कर ये पंक्तियाँ भायी -
"युग बीते फैसले सुनते-सहते
चल
दुनिया का आखिरी निर्णय
हम सुना डाले....."
आपका इस पुरस्कार पर अधिकार सिद्ध है |
यूनिकवयित्री का ताज मुबारक हो |
और सभी लोगों को बधाई, आशीष, शुभकामनाएं देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
मुझे आपके अनवरत मार्गदर्शन की आवश्यकता है |
आने वाले दिनों मे परीक्षा होने के कारण मै इतना सक्रीय न हो सकूं तो इसे मेरी विवशता मानना |
इस सम्मान के लिए धन्यवाद |
सस्नेह -
अवनीश एस तिवारी
विजयकुमार दवे जी,
आपका प्रयास प्रसंशनीय है। अभी तक हिन्द-युग्म की कविताओं का नेपाली अनुवाद कुमद अधिकारी करते थे, अब हमारी पहुँच गुजराती वर्ग तक भी हो पायेगी। यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात है।
आपको बहुत-बहुत साधुवाद।
नमस्कार साथियो....
सबसे पहले मै सभी प्रतियोगियों को धन्यवाद देना चाहूँगा... जिन्होंने इतनी लगन से हिस्सा लिया... फिर उन सभी विजेताओ को बधाई देना चाहूँगा.. जिनकी सोच एक प्रेरणा बन कर उभरी है.. तथा अन्य साथियों से निवेदन करूँगा की वे अपना प्रयास जारी रखें...
फिर मै सभी भाई बंधुओ का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा.. जिन्होंने मुझे इतना प्यार दिया.. और मेरी इतनी होसलाफ्जाई की..
अगर पुरस्कृत कविता की बात करू तो..अंजलि जी आप ने कमल कर दिया है.. जो विषय चुने है... क्षणिकाओं के लिए अति सुन्दर..
बस एक दोहा याद आता है बिहारी का
सत्सैया के दोहरे, ज्यू नाविक के तीर
देखन मै छोटे लगे..घाव करे गंभीर
अभी भी सुधार की गुन्जायिश है... और आप कोशिश करते रहिये..
फिर सभी कवी मित्रो से एक छोटी सा सुझाव भी देना चाहुगा..की कभी कभी आपकी कविता के वही भाव जो आप बनाते े समय रखते है.. वही पाठक को नहीं पहुचते.. अतः कविता का वही मज़ा नहीं आता.
तो मै ये कहना चाहता हू..अगर आपको लगता है की.. आप की कविता को प्रस्तावना की जरूरत है तो.. आओ जरूर लिखे कविता शुरू करते समय..
चाहे कई जगह पर ये स्पष्ट भी हो तब भी.. क्यों की कविता का मूल उदेस्य ये है की सभी को समझ मै आणि चाहिए ..और वही समझ मै आणि चाहिए जो आप वास्तव मै कहना छह रहे है.. और ये तभी संभव है.. जब आप इस तरह का प्रयास करेंगे..
उम्मीद है ये सुझाव विचारणीय होगा.....
- सादर
शैलेश चन्द्र जम्लोकी (मुनि )
मेरी जिद के चर्चे जमाने में है
हुआ कुछ नहीं,
मैंने सच को सच कहा था...
बहुत खूब ! अंजलि जी बधाई
साथ ही अवनीश जी को भी
अंजलि जी आपने अपने क्षणिकाओं के माध्यम से जो खूबसूरत सी अंजलि(आहुति) हमारे हिन्दयुग्म को दी है वो निश्चित तौर पर सराहनीय है.
थोडी और उम्मीद कर सकते हैं हम पाठक,क्योंकि थोडी गुंजाईश तो रह ही जाती है और सच कहूँ तो थोडी ज्यादा है.
उम्मीद करता हूँ आपकी अगली क्षणिका फकत क्षणिक नहीं वरन चिरकालिक होगी .
इस बेहतरीन सफलता पर आपको ढेरों शुभकामनाएं.
avanish जी, आपकी तन्मय होकर पढने का कमाल तो हमने देख लिया.
लगता है आपने आपने नाम का वास्तविक अर्थ जान लिया है.जो भी हो आपकी लगन भरी टिप्पणियां सराहनीय हैं.
ढेरों शुभकामनाएं
मित्रों सनद रहे आपलोगों से उम्मीदों का दायरा बढ़ चुका है.
आशा करता हूँ आप इस बात का ध्यान रखेंगे .
भविष्य के लिए शुभकामनाएं
अलोक सिंह "साहिल "
आज रात जी भर के रो लूँ
सुना है
कल दर्द की नीलामी में,
अन्धेरा भी बिकेगा.....
अंजली जी हार्दिक बधाई स्वीकारें।
नीरज
vijetao ko badhaiya
aur pratiyogiyo ko bhi badhaiya age badiye yahi kamna hai
मित्रो, यह वीरत्व भाव के परम बोधक श्री रामधारी सिंह "दिनकर" जी का जन्म शताब्दी वर्ष है.
टू मेरी समझ से इस मौके पेर हमें कुछ विशेष अवश्य करना चाहिए.
उम्मीद करता हूँ मेरे इस सदर निवेदन पर आप अवश्य अपनी पैनी दृष्टि फेरेंगे.
आपका
अलोक सिंह "साहिल"
my heartiest congratulations to Dr. Anjali and Er. Awneesh and on behalf of hind yugm i welcome u in the family ...hope we would be more benefited with such poetry and such cautious reader...........
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