गली में आज सन्नाटा है,
ना ही कोई आहट ना ही कोई शोर,
मेरी हाथ की घड़ी में
शाम अभी बस ढली ही है,
फिर गली इतनी गुमसुम क्यूं
मिसेज गिल भी अपनी कुर्सी डाले नहीं मिली
बच्चों का शोर, किलकारियां,
आज क्या हुआ है यहाँ
लड़कियों की चहलकदमी और उनके लिए
नुक्कड़ पर
हर शाम जमने वाली लड़कों की टोली
जिनका चेहरा एक आदत सी बन गई है
अपने वक्त पर नहीं मिले.
आज न कोई पार्किंग को लेकर झगड़ा,
न कोई खुले मेंनहाल पर चर्चा.
पूरी गली दूर तक खामोश है
अलबत्ता छोटे मन्दिर में कोई दिए जला गया है
दीवाली भी तो नज़दीक है,
देर रात तक टेलीविज़न से आती
रीयलिटी शो की आवाजें
सन्नाटा लील गया है आज.
गली के मोड़ का पनवाड़ी भी नदारद है,
सोचा थोड़ा आगे तक हो आऊं
शायद कोई मिल जाए
पर यहाँ भी
गली के कैनवास पर
अंधेरे का रंग लिए सन्नाटा हर कोने पसरा पड़ा है.
श्रीवास्तव जी के घर के बाहर
कुछ चप्पलें उतरी हुई हैं,
सुख हो ! रब्बा
तभी रात का पहरेदार दिखा,
उसने भी दूर से ही बुझा सा सलाम किया,
मैंने उससे पुछा,
आज रौनक को क्या हुआ,
ओह!!!
कल गली के लड़के मुंबई गए थे- घूमने,
वहां के लोगों ने
दो को मार दिया.
मनुज मेहता