मार्च प्रतियोगिता की एक महत्वपूर्ण बात यह भी रही कि इस माह कई पूर्ववर्ती यूनिकवियों ने भी इसमे शिरकत की है। दीपक चौरसिया ’मशाल’ हमारे सितंबर 2009 के यूनिकवि रह चुके हैं। उनकी कविता इस बार दूसरे पायदान पर है। इससे पहले उनकी एक कविता गतवर्ष अप्रैल मे प्रकाशित हुई थी।
पुरस्कृत कविता: मैं कविता कहना चाहता हूँ
मैं कविता कहना चाहता हूँ
हर बार
हर उस बार.. जब मुझे
सच बोलने के लिए दिया जाता है ज़हर
जब भी एकाकार किया जाता है सूली से
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ..
जब भी सच किया जाता है नज़रबंद
झूठ को किया जाता है बाइज्ज़त बरी
जब ज्ञान को विज्ञान बनने से रोका जाता है
जब चढ़ाया जाता है तख़्त-ए-फांसी
'अनलहक' कहने पर
जब बुल्लेशाहों को होती है सज़ा
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
हाँ तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
जब रोटी खरीद पाने की असमर्थता में
किसी देह को बिकते, रौंदे जाते पाता हूँ
जब चिलचिलाती सर्दी में
चाय के अनमंजे गिलासों और चमचमाते बर्तनों के बीच दबी
मासूम की स्कूल की फीस देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
मोहल्ले भर की साड़ियों में
फौल लगाती एक माँ की आधी भरी गुल्लक और
उसकी सूती धोती के छेदों में से जब
बच्चों के भविष्य की किरणें निकलते देखता हूँ
जब दूध की उफनती कीमतों और
चश्मे के बढ़ते नंबर में देखता हूँ समानुपात
जब चार दीयों के बीच
नकली खोये सी दिवाली देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
जब किसी के साल भर के राशन की कीमत
ज़मीं से दो फुट ऊपर चलने वालों के
साल के आख़िरी और पहले दिन के बीच के
तीन-चार घंटों में उड़ते देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
जब महसूसता हूँ एक रिश्ता
तकलीफ से इंसान का
जब निर्वाचित पिस्सुओं को
अवाम की शिराओं से रक्त चूसते देखता हूँ
जब शक्ति को शोषक का पर्याय होते देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
जब एक मॉल की खातिर
सब्जियों, फलों और अनाज के हक की ज़मीनों पर
सीमेंट पड़ते देखता हूँ
कागजी लाभों वाले बाँध के लिए
मिटते देखता हूँ जंगलों, गाँवों के निशान
गरीब के खेत औ घर का सरकारी मूल्य
अफसर के मासिक वेतन से कम देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
ये कविता अमर नहीं होना चाहती
और ना ही कवि...
फिर भी जब सम्मान-अपमान से विलग हो
कुछ करना चाहता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
या शायद कहना ना भी चाहूँ तब भी
कविता कहलवा लेती है खुद को
ये कवितायें लाना चाहती हैं परिवर्तन
निर्मित करना चाहती हैं नई मनुष्यता
मैं बीज की सी कविता रचना चाहता हूँ
क्रान्ति की नींव रखना चाहता हूँ
क्योंकि जानता हूँ
कल मैं रहूँ ना रहूँ
ये वृक्ष बनेगी एक दिन
एक दिन इस पर आयेंगे फल संभावनाओं के
एक दिन वक़्त का रंगरेज़ आज के सपने को
हकीकत के पक्के रंग से रंगेगा जरूर...
__________________________________
पुरस्कार: हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें।
पुरस्कृत कविता: मैं कविता कहना चाहता हूँ
मैं कविता कहना चाहता हूँ
हर बार
हर उस बार.. जब मुझे
सच बोलने के लिए दिया जाता है ज़हर
जब भी एकाकार किया जाता है सूली से
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ..
जब भी सच किया जाता है नज़रबंद
झूठ को किया जाता है बाइज्ज़त बरी
जब ज्ञान को विज्ञान बनने से रोका जाता है
जब चढ़ाया जाता है तख़्त-ए-फांसी
'अनलहक' कहने पर
जब बुल्लेशाहों को होती है सज़ा
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
हाँ तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
जब रोटी खरीद पाने की असमर्थता में
किसी देह को बिकते, रौंदे जाते पाता हूँ
जब चिलचिलाती सर्दी में
चाय के अनमंजे गिलासों और चमचमाते बर्तनों के बीच दबी
मासूम की स्कूल की फीस देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
मोहल्ले भर की साड़ियों में
फौल लगाती एक माँ की आधी भरी गुल्लक और
उसकी सूती धोती के छेदों में से जब
बच्चों के भविष्य की किरणें निकलते देखता हूँ
जब दूध की उफनती कीमतों और
चश्मे के बढ़ते नंबर में देखता हूँ समानुपात
जब चार दीयों के बीच
नकली खोये सी दिवाली देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
जब किसी के साल भर के राशन की कीमत
ज़मीं से दो फुट ऊपर चलने वालों के
साल के आख़िरी और पहले दिन के बीच के
तीन-चार घंटों में उड़ते देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
जब महसूसता हूँ एक रिश्ता
तकलीफ से इंसान का
जब निर्वाचित पिस्सुओं को
अवाम की शिराओं से रक्त चूसते देखता हूँ
जब शक्ति को शोषक का पर्याय होते देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
जब एक मॉल की खातिर
सब्जियों, फलों और अनाज के हक की ज़मीनों पर
सीमेंट पड़ते देखता हूँ
कागजी लाभों वाले बाँध के लिए
मिटते देखता हूँ जंगलों, गाँवों के निशान
गरीब के खेत औ घर का सरकारी मूल्य
अफसर के मासिक वेतन से कम देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
ये कविता अमर नहीं होना चाहती
और ना ही कवि...
फिर भी जब सम्मान-अपमान से विलग हो
कुछ करना चाहता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
या शायद कहना ना भी चाहूँ तब भी
कविता कहलवा लेती है खुद को
ये कवितायें लाना चाहती हैं परिवर्तन
निर्मित करना चाहती हैं नई मनुष्यता
मैं बीज की सी कविता रचना चाहता हूँ
क्रान्ति की नींव रखना चाहता हूँ
क्योंकि जानता हूँ
कल मैं रहूँ ना रहूँ
ये वृक्ष बनेगी एक दिन
एक दिन इस पर आयेंगे फल संभावनाओं के
एक दिन वक़्त का रंगरेज़ आज के सपने को
हकीकत के पक्के रंग से रंगेगा जरूर...
__________________________________
पुरस्कार: हिंद-युग्म की ओर से पुस्तकें।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
19 कविताप्रेमियों का कहना है :
मैं बीज की सी कविता रचना चाहता हूँ
क्रान्ति की नींव रखना चाहता हूँ
क्योंकि जानता हूँ
कल मैं रहूँ ना रहूँ
ये वृक्ष बनेगी एक दिन
निश्चित ही ऐसी कवितायें प्रेरणा देती हैं। जिसके लिये कवि बधाई के पात्र हैं। धन्यवाद।
rasmi di
dipak mashal dwara rachit ye kavuta aaj ka sashakt aaina hai jise ham andekha kar jaate hain .bahut hi badhai patr hain deepak ji.
मैं बीज की सी कविता रचना चाहता हूँ
क्रान्ति की नींव रखना चाहता हूँ
क्योंकि जानता हूँ
कल मैं रहूँ ना रहूँ
ये वृक्ष बनेगी एक दिन
एक दिन इस पर आयेंगे फल संभावनाओं के
एक दिन वक़्त का रंगरेज़ आज के सपने को
हकीकत के पक्के रंग से रंगेगा जरूर...
bahut hi prabhav shali panktiyan jo nisandeh ek din puri hongi--
itni behatreen rachna pdhvane ke liye aapko bhi
hardik dhanyvaad
v badhai sahit
poonam
मैं बीज की सी कविता रचना चाहता हूँ
क्रान्ति की नींव रखना चाहता हूँ
क्योंकि जानता हूँ
कल मैं रहूँ ना रहूँ
ये वृक्ष बनेगी एक दिन
......bahut sundar prernaprad rachna...Prastuti hetu badhai
कल मैं रहूँ ना रहूँ
ये वृक्ष बनेगी एक दिन
एक दिन इस पर आयेंगे फल संभावनाओं के
एक दिन वक़्त का रंगरेज़ आज के सपने को
हकीकत के पक्के रंग से रंगेगा जरूर...
आमीन............
बधाई हो....अच्छी लगी कविता।
मोहल्ले भर की साड़ियों में
फौल लगाती एक माँ की आधी भरी गुल्लक और
उसकी सूती धोती के छेदों में से जब
बच्चों के भविष्य की किरणें निकलते देखता हूँ
जब दूध की उफनती कीमतों और
चश्मे के बढ़ते नंबर में देखता हूँ समानुपात
जब चार दीयों के बीच
नकली खोये सी दिवाली देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
bahut sunder abhivyakti
kya kahun kavita padh ke mantmugdh hun
bahut bahut badhai
rachana
ये कविता अमर नहीं होना चाहती
और ना ही कवि...
फिर भी जब सम्मान-अपमान से विलग हो
कुछ करना चाहता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
या शायद कहना ना भी चाहूँ तब भी
कविता कहलवा लेती है खुद को
ईश्वर करे हर कविता ऐसी हो। सुंदर रचना बधाई
कविता को प्रसारित करने के लिए हिन्दयुग्म परिवार का आभारी हूँ एवं विचारों एवं कविता लिखने के कारणों को सराहने के लिए सभी प्रबुद्ध पाठकों का
अलगाव, आतंक ,घोटाला /क्षत-विक्षत पहचान और दमन का बोलवाला /बढाएंगी सिसकती शक्तियों का हौसला /छोटे से हृदय में /प्यार के कुछ शब्द लेकर /द्वार-द्वार घूमेंगी मेरी कविताएँ /वैसी ही होगी मेरी कविताएँ /हाँ ,वैसी ही होगी मेरी कविताएँ
अलगाव, आतंक ,घोटाला /क्षत-विक्षत पहचान और दमन का बोलवाला /बढाएंगी सिसकती शक्तियों का हौसला /छोटे से हृदय में /प्यार के कुछ शब्द लेकर /द्वार-द्वार घूमेंगी मेरी कविताएँ /वैसी ही होगी मेरी कविताएँ /हाँ ,वैसी ही होगी मेरी कविताएँ
I’d have to check with you here. Which is not something I usually do! I enjoy reading a post that will make people think. Also, thanks for allowing me to comment!
Visit Web
Rabbitroom.com
Information
An impressive share, I just given this onto a colleague who was doing a little analysis on this. And he in fact bought me breakfast because I found it for him.. smile. So let me reword that: Thnx for the treat! But yeah Thnkx for spending the time to discuss this, I feel strongly about it and love reading more on this topic. If possible, as you become expertise, would you mind updating your blog with more details? It is highly helpful for me. Big thumb up for this blog post!
Visit Web
Myopportunity.com
Information
I am often to blogging and i really appreciate your content. The article has really peaks my interest. I am going to bookmark your site and keep checking for new information.
Click Here
Visit Web
Support.advancedcustomfields.com
Can I just say what a relief to find someone who actually knows what theyre talking about on the internet. You definitely know how to bring an issue to light and make it important. More people need to read this and understand this side of the story. I cant believe youre not more popular because you definitely have the gift.
Visit Web
Jobspace.it
Information
I’d have to check with you here. Which is not something I usually do! I enjoy reading a post that will make people think. Also, thanks for allowing me to comment!
Jp.un-wiredtv.com
Information
Click Here
Visit Web
I’m impressed, I must say. Really rarely do I encounter a blog that’s both educative and entertaining, and let me tell you, you have hit the nail on the head. Your idea is outstanding; the issue is something that not enough people are speaking intelligently about. I am very happy that I stumbled across this in my search for something relating to this.
Diggerslist.com
Information
Click Here
Spot on with this write-up, I truly think this website needs much more consideration. I’ll probably be again to read much more, thanks for that info.
250r.net
Information
Click Here
Spot on with this write-up, I truly think this website needs much more consideration. I’ll probably be again to read much more, thanks for that info.
Social.microsoft.com
Information
Click Here
Visit Web
Very nice post, i certainly love this website, keep on it
China-midwest.com
Information
Click Here
Visit Web
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)