दिसंबर प्रतियोगिता की दसवीं कविता के रचनाकार डॉ अनिल चड्डा हैं। हिंद-युग्म के सक्रिय पाठक एवं कवि डॉ अनिल की कविताएं इससे पहले भी प्रतियोगिता की शीर्ष दस मे स्थान बनाती रही हैं। उनकी पिछली कविता नवंबर मे प्रकाशित हुई थी।
पुरस्कृत कविता: मुझको जग में आने दे मां !
कोख में तेरी पड़ी पड़ी
सोच रही ये घड़ी-घड़ी
मैं कैसा जीवन पाऊँगी
जब दुनिया में मैं आऊँगी
क्या दूजे बच्चों की मानिंद
मैं भी खेलूँगी, खाऊँगी
या तेरी तरह मेरी जननी
जीवन भर धक्के पाऊँगी
ग़र तू भी साथ नहीं देगी
तो बोल कहाँ मैं जाऊँगी
क्यों ऐसा होता आया है
कन्या ने जन्म जब पाया है
जन्मदाता के माथे पर
चिंता का बादल छाया है
ग़र धरती पर मैं बोझ हूँ माँ
क्यों ईश्वर ने मुझे बनाया है
फिर दुनिया में आने से पहले
क्यों तूने मुझे मिटाया है
मुझको आजमाने से पहले
वजूद मेरा झुठलाया है
मैं हाड-माँस की पुतली हूँ
कुछ मेरी भी अभिलाषा है
सब की भाँति इस दुनिया में
जीने की मुझे भी आशा है
कुछ मुझमें भी तो क्षमता है
इस जग को दिखलाने दे माँ
खुद को साबित करने को
मुझको इस जग में आने दे माँ
पर सबसे पहले मेरी माँ
मुझ पर विश्वास ज़रूरी है
उससे भी पहले जननी मेरी
खुद पर विश्वास ज़रूरी है
ग़र जन्म नहीं मैं पाऊँगी
क्या साबित कर दिखलाऊँगी
इस जग को कुछ दिखलाना है
मुझको इस जग में आना है
मुझको जग में आने दे मां !
मुझको जग में आने दे माँ !!
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :
सब मिलकर आवाज़ उठायें,
कोमलता को घर ले आयें।
सुंदर रचना, अब धीरे धीरे लोगों की सोच बदलने लगी है। बधाई
वहुत सुन्दर ,
आपकी आवाज़ से वहुत कुछ संभव है ,
ये करुणामयी शब्द लोगो के जहन में उतर कर, उन्हें सोचने के लिए मजबूर कर दे ;ऐसी तमन्ना करता हूँ
bahut marmikta ke sath jwalant mudde ko uthhaya hai aapne .badhai .
bahut khubsurat rachna bdhai dost
Excellent one.
Good message for society.
Make it audio and let forward it with a chain system.
बहुत ही भावमय करती यह रचना ...इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई ।
आप सबको मेरी रचना पसन्द आई, जान कर अच्छा लगा । प्रोत्साहन के लिये धन्यवाद !
करुण मार्मिक...
न जाने कब लोग यह सोचेंगे...
बहुत ही सुन्दर कविता...
साधुवाद..
anilji
knyaa hatyaa par bahut hee badhiyaa kavitaa prastut kee hai.aashaa hai betee kee pukaar logon kee maanasikataa badalane men kaamayaab rahegeekoshish zaaree rakhiye.shubh. kaamanaayen.
pradeep singh kaintura
pradeep singh kaintura
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