हिंद-युग्म के पुराने पाठक डाँ सुरेश तिवारी की कविताओं से पहले ही परिचित होंगे। मार्च 2010 के यूनिकवि रहे डॉ सुरेश की कविताएं हिंद-युग्म के मंच पर कई बार प्रकाशित हुई और सराही गयी हैं। उनकी पिछली कविता ’नदी बोलती है’ गत वर्ष के अक्टूबर मे प्रकाशित हुई थी। नवंबर प्रतियोगिता के माध्यम से उनकी हिंद-युग्म पर कुछ अरसे बाद वापसी हुई है। उनकी कविता ने इस बार दूसरा स्थान हासिल किया है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से तअल्लुक रखने वाले डॉ सुरेश तिवारी की कविताओं मे अपनी मिट्टी के प्रति प्यार छलकता है तो उसी मिट्टी का दर्द भी शिद्दत से झलकता है। हिंसा और दमनचक्र से जूझते हुए मुल्क के इस हिस्से के लोगों की पीड़ा उनकी इस कविता से भी रिसती नजर आती है।
पुरस्कृत कविता: बस्तर के गाँव में...
बचपन में जब भी
आसमान के सीने में
हेलीकाप्टर या हवाई जहाज
जिसकी दहाड़ती आवाज
लगती गुंजने
गली में जमा हो जाते
बच्चे, जवान और बूढ़े
लगते आसमान को निहारने
जैसे ही किसी की पड़ती नजर
उठती उॅंगली
गुंजने लग जाती किलकारी
और उठ जाती कई उॅंगलियाँ.
आज भी...
मेरे घर के छत ऊपर से
गुजरता है हवाई जहाज
आती है हेलीकाप्टर की आवाज
लेकिन नहीं निकलते
बच्चे, जवान और बूढ़े
न ही गुंजती है किलकारी
न उठती है उॅंगलियाँ
वरन्
बच्चे दुबक जाते हैं
अपनी माँ की गोद में
माँ सहम जाती है डर से,
पिता का दिल दहलता है
अनजानी आशंका से
बूढ़ों की आँखें पथरा जाती है
दहशत से.
सबके सब
जान लेते हैं
बिना बताए ही...
कि फिर कहीं चली है गोली
फटा है कोई बम
और चिथड़ों के रूप में
फिर बिखरी है ला्शें
फिर उजड़ी है कोई माँग
यतीम हुआ है कोई बच्चा
या सूनी हुई है
किसी माँ की गोद.
कोई भी तो नहीं चाहता
कि भरे उड़ान
कोई हेलीकॉप्टर
हवाई जहाज
उसके घर की
छत के ऊपर से...
_______________________________________________________________
पुरस्कार- विचार और संस्कृति की चर्चित पत्रिका समयांतर की एक वर्ष की निःशुल्क सदस्यता।
पुरस्कार- विचार और संस्कृति की चर्चित पत्रिका समयांतर की एक वर्ष की निःशुल्क सदस्यता।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
7 कविताप्रेमियों का कहना है :
कोई भी तो नहीं चाहता
कि भरे उड़ान
कोई हेलीकॉप्टर
हवाई जहाज
उसके घर की
छत के ऊपर से... बचपन की याद दिलाती सुन्दर रचना जिसे बार -बार जीने को मन करता है पर अब नहीं होती पहले सी बातें!बहुत-बहुत बधाई!
समय के साथ बदलते हुए परिवेश और बढ़ते हुए आतंकवाद का चित्रण करती सुंदर रचना। रचनाकार को बहुत बहुत बधाई।
bahot hi sundar aur samaridhha rachna
विलक्षण तुलना दो स्थितियों के बीच| बधाई स्वीकार करें सुरेश भाई| छत के ऊपर से जहाज़ का गुज़रना - तब और अब!!!!!!!!!!! वाह वाह| कला गुण सम्पन्न कविता|
acchi rachna
acchi rachna
बहुत ही सुन्दरता से व्यक्त भावमय करते शब्द ।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)