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Saturday, September 25, 2010

प्यार की तीखी टीस


प्यार की तीखी टीस
ज़मानों बाद टभकती है क्यों?
अश्क़ अम्ल हो जाते हैं
यूँ याद फफकती है क्यों?

पतझड़ के पत्तों के सरीखे
सीने में बिखरे जज़्बात
और इन उपलों पर पड़ती
दूर के सूरज-सी तेरी बात,
कुतर-कुतर स्वाहा कर पूछे,
अरे! आग भभकती है क्यों?

अश्क़ अम्ल हो जाते हैं,
तेरी याद फफकती है क्यों?

ठिठुर-ठिठुर के रात काटते
कंकालों-सा मेरा मन,
एक-आध कतरों से बुनकर
डाल रखा उस पर संयम,
हिचक-हिचक ना टूट पड़े....
तेरी आँख भटकती है क्यों?

अश्क़ अम्ल हो जाते हैं,
तेरी याद फफकती है क्यों?

उन्हीं चार लम्हों से लेकर
माटी, गारे, खप्पर, बाँस,
लुढक-ढुलक जोड़ी है मैंने
कई सदियों में थोड़ी आस,
आज मगर फिर तुझे सोच,
मेरी साँस टपकती है क्यों?

अश्क़ अम्ल हो जाते हैं,
तेरी याद फफकती है क्यों?

-विश्व दीपक

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9 कविताप्रेमियों का कहना है :

vivek kumar का कहना है कि -

अश्क़ अम्ल हो जाते हैं,
तेरी याद फफकती है क्यों?
wah ye dard aur ye ishq, deepak ji ye kis dukan par milte hain, mujhe bhee batayen, main bhee inka hee mureed hun. bahut bahut bahut achi rachna ke liye badhai.

दिपाली "आब" का कहना है कि -

jab ye nazm mail mein mili to padhte hue main soch rahi thi ki ye itni khoobsurat kavita kis pratibhagi ki ho sakti hai.. :) lekin jab kavita khatm hui to naam padha.. n now i can only say that, its beautiful.. brilliant work. keep up

दिपाली "आब" का कहना है कि -

once again..its so beautiful that u feel lyk reading again again n again.. main is tarah se kabhi do baar comment nahi karti, bahut din baad hindyugm par kuch bahut accha padhne ko mila.. thanx deepak ji.

n one more thing, these labels on poems always make me laugh i.e. love poems, sorrow, life is boring..hihihi

महेन्‍द्र वर्मा का कहना है कि -

अश्क अम्ल हो जाते हैं,
तेरी याद फफकती है क्यों
सुंदर भावपूर्ण रचना

M VERMA का कहना है कि -

उन्हीं चार लम्हों से लेकर
माटी, गारे, खप्पर, बाँस,
लुढक-ढुलक जोड़ी है मैंने
कई सदियों में थोड़ी आस,
सुन्दर बिम्ब संयोजन है .. खूबसूरत कविता

सदा का कहना है कि -

अश्क अम्ल हो जाते हैं,
तेरी याद फफकती है क्यों

गहरे भावों के साथ्‍ा बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

rachana का कहना है कि -

ठिठुर-ठिठुर के रात काटते
कंकालों-सा मेरा मन,
एक-आध कतरों से बुनकर
डाल रखा उस पर संयम,
हिचक-हिचक ना टूट पड़े....
तेरी आँख भटकती है क्यों?
bahut sunder likha hai ek ek shabd sunder hai
badhai
saader
rachana

Unknown का कहना है कि -

Alag hai aur achchhi hai..!

Anonymous का कहना है कि -

It’s really a nice and helpful piece of information. I’m glad that you shared this helpful info with us. Please keep us informed like this. Thanks for sharing.

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