स्वप्निल तिवारी 'आतिश' हिन्द-युग्म पर अत्यंत सक्रिय हैं। ग़ज़लें लिखते हैं। अब तक इनकी 3 कविताएँ प्रकाशित है। आज हम जो कविता प्रकाशित करने जा रहे हैं, उसने अप्रैल 2010 की यूनिकवि प्रतियोगिता में 10वाँ स्थान बनाया है।
पुरस्कृत कविताः सीधी सादी एक कहानी लगती है
ये जोड़ी इक राजा रानी लगती है
सीधी सादी एक कहानी लगती है
दिल भी कितनी बार सुने, झेले इसको
धड़कन की हर बात पुरानी लगती है
जंगल, वादी, सहरा दरिया ..सब सहरा
मुझको तेरी गोदी धानी लगती है
बात बुजुर्गों की सुनता है कौन भला
बच्चों की बातें, नादानी लगती है
आवाजों के जमघट में सन्नाटा है
कुछ तो इसने मन में ठानी लगती है
मुझे खबर है, खुदा है, वो ना आयेगा
उसकी "हाँ" भी "आनाकानी" लगती है
आज समन्दर ने उसको कुछ यूँ देखा
नदिया शर्म से पानी-पानी लगती है
दिल के सेहन में शब भर महकी जाती है
बात तुम्हारी रात की रानी लगती है
चौराहों पर मिल कर कहते सुनते हैं
हर रस्ते की एक कहानी लगती है
थोड़ी आँच ज़रा रौशनी और धुआँ
"आतिश" की हर इक शय फानी लगती है
पुरस्कार- विचार और संस्कृति की मासिक पत्रिका 'समयांतर' की ओर से पुस्तक/पुस्तकें।
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13 कविताप्रेमियों का कहना है :
bahut acchi kavita...kuch panktiya to bahut hi acchi hai...
जंगल, वादी, सहरा दरिया ..सब सहरा
मुझको तेरी गोदी धानी लगती है
मुझे खबर है, खुदा है, वो ना आयेगा
उसकी "हाँ" भी "आनाकानी" लगती है
आवाजों के जमघट में सन्नाटा है
कुछ तो इसने मन में ठानी लगती है
bahut khoob
ab Swapnil ji ke baare me kya kahein...unki kalam me jo adaygi aur lafjon me jo jaadoo hai wo kamaal ka hai....unko padhna bahut achcha lagta hai....
चौराहों पर मिल कर कहते सुनते हैं
हर रस्ते की एक कहानी लगती है
बहुत सुन्दर गज़ल
Bahut khoobsoorat rachna. Wah wah wah. Poori rachna prashansneeye hai. Meri or se bahut bahut badhaayi.
bahut hi sunder shbdon ka sangam hai yeh kavita!
sunder kavitaa..
इसे पहले भी पढ़ चुका...लाजवाब लिखते है ...इस बार दुबारा पढ़ा ,,,,और अच्छी लगी
kya kahna... kuch bacha hi kahaan... har shabd to inki gazal me saje hain :)
bahut hi khubsurat
बात बुजुर्गों की सुनता है कौन भला
बच्चों की बातें नादानी लगती है
मुझे खबर है खुदा है वो ना आयेगा
उसकी हाँ भी आनाकानी लगती है
पूरी रचना बहुत पसंद आयी परन्तु खास कर इन पंक्तियों ने एक अमिट छाप छोडी़ है। स्वप्निल जी को बहुत बहुत बधाई
धन्यवाद
विमल कुमार हेडा़
मुझे खबर है खुदा है वो ना आयेगा
उसकी हाँ भी आनाकानी लगती है,
बहुत ही सुन्दर पंक्तियों के साथ लाजवाब प्रस्तुति ।
sabhi sudhijanon ka bahut bahut shuqriyaa.. :)
दिल भी कितनी बार सुने, झेले इसको
धड़कन की हर बात पुरानी लगती
आवाजों के जमघट में सन्नाटा है
कुछ तो इसने मन में ठानी लगती है
मुझे खबर है, खुदा है, वो ना आयेगा
उसकी "हाँ" भी "आनाकानी" लगती है
दिल के सेहन में शब भर महकी जाती है
बात तुम्हारी रात की रानी लगती है
चौराहों पर मिल कर कहते सुनते हैं
हर रस्ते की एक कहानी लगती है
yeh ash'aar acche lage. Badhai
khaas baat yeh hai ki tumhari gazlon mein jadu hota tha matle aur maqte ka, use miss kiya is gazal mein maine.
..
Deep
very nice.......
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