हिन्द-युग्म के अप्रैल 2010 की यूनिकवि प्रतियोगिता के तीसरे स्थान की कविता की कवयित्री नीरा त्यागी ने पहली बार इस प्रतियोगिता में भाग लिया है। नई दिल्ली में जन्मीं नीरा मिरांडा हाऊस, दिल्ली यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातक हैं। ब्रिटेन के सरकारी प्रोजेक्ट्स में मैनेजर की नौकरी कर रही हैं। पिछले कुछ समय से ब्रिटेन की हिंदी बिरादरी और हलचल में कविताओं और कहानियों के
जरिये कोशिश। कवयित्री मानती हैं कि लिखना सिर्फ आसमान और वज़ूद की तलाश नहीं है, जमीन और जड़ों से जुड़ने का प्रयास भी है। 'काहे को ब्याहे बिदेस' नाम से ब्लॉग भी लिखती हैं।
पुरस्कृत कविताः गायब हो जाता है
दिन
मुझे ठगता है
हर राहगीर में एक चेहरा दिखा
अँधेरे में जा छिपता है
शाम
मुझे नंगे पाँव
बर्फ पर दौड़ाती है
यादों के पेड़ पर लिखा एक नाम
पत्ते-पत्ते पर पढवाती है
अंगुलियाँ
जबरन बटन दबा
उसे पास बुलाती हैं
धड़कने
दिन भर उसे कोस
रात को खुशबू में
उसकी
चुपचाप सो जाती हैं
वजूद मुझे
अंगूठा दिखा
उसका हाथ पकड़
इतराता है
दिल के भीतर
तिजोरी तोड़
वो मेरा चैन
रेजगारी समझ ले जाता है
मुझे तुमसे महब्बत है
मेज़ पर जमी धुल
पर लिख
वो फिर गायब हो जाता है।
पुरस्कार- विचार और संस्कृति की मासिक पत्रिका 'समयांतर' की ओर से पुस्तक/पुस्तकें।
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
दिल के भीतर
तिजोरी तोड़
वो मेरा चैन
रेजगारी समझ ले जाता है
खूबसूरत बिम्ब और भाव की रचना
बधाई
वाह! अच्छी कविता के लिए बधाई. आपकी कहानियां काफी दिलचस्प होती हैं....कविता भी लाजवाब है.
wo fir gaayab ho jaataa hai...
waah..
bahut khoob.
Kai acche bimb dekhne ko mile kavita me..badhai..
नीरा जी की कविता पहली बार हिंदयुग्म पर पढ़ने को मिली..अच्छी कविता के लिये धन्यवाद के साथ..आगे और अच्छी कृतियों के लिये शुभकामनाएं..
दिल के भीतर
तिजोरी तोड़
वो मेरा चैन
रेजगारी समझ ले जाता है
मुझे तुमसे महब्बत है
मेज़ पर जमी धुल
पर लिख
वो फिर गायब हो जाता है।
बहुत ही भावपूर्ण रचना नीरा जी को बहुत बहुत बधाई
धन्यवाद।
विमल कुमार हेडा़
धड़कने
दिन भर उसे कोस
रात को खुशबू में
उसकी
चुपचाप सो जाती हैं
वजूद मुझे
अंगूठा दिखा
उसका हाथ पकड़
इतराता है
prem bada jadoogar hai kavita ke madhyam se sundar abhivyakti.
धड़कने
दिन भर उसे कोस
रात को खुशबू में
उसकी
चुपचाप सो जाती हैं
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है.नीरा जी को बधाई.
kavita ke bhaav acche lage.
Banawat par kaam kiya ja sakta hai
badhai
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