फटाफट (25 नई पोस्ट):

Wednesday, December 23, 2009

दोहा गाथा सनातन: ४८


दोहा गाथा सनातन: ४८

इस श्रंखला के समापन पूर्व अंक में हम दोहा पर आधारित त्रिपदिक छंदों से साक्षात् करते हैं. त्रिपदिक छंदों की परंपरा भी संस्कृत से हिंदी में आयी है. त्रिपदिक छंदों के तीन चरणों की तुक के आधार पर ५ वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है. १. तीनों चरणों की तुक समान हो, २. प्रथम-द्वितीय चरणों की तुक सामान हो, ३. प्रथम-तृतीय चरणों की तुक समान हो, ४. द्वितीय-तृतीय चरणों की तुक असमान हो तथा ५. प्रथम-द्वितीय चरणों की तुक समान हो, ६. तीनों चरणों की तुक असमान हो.

दोहा के सम विषम चरण क्रमशः १३-११ मात्राओं के होते हैं. इनके विविध संयोजनों से निम्नानुसार त्रिपदियाँ बनती हैं.

१. तीनों चरण तेरह मात्री हों:

स्वागत में नव वर्ष के
अपने मन की उदासी
पल में छू मंतर हुई.

२. तीनों चरण ग्यारह मात्री हों:

पञ्च शरों की मार.
इंगित का व्यापार.
बौराया संसार.

३. प्रथम-तृतीय तेरह मात्री तथा द्वितीय चरण ग्यारह मात्री हों:

मैं तुम यह वह ही नहीं,
मन्मथ की मनुहार.
फागुन में सबको रुची.

४.प्रथम-तृतीय ग्यारह मात्री तथा द्वितीय चरण तेरह मात्री हों:

करें ठुमक इसरार
ढोलक, टिमकी, मंजीरा
नाचो गाओ यार.

५. प्रथम-द्वितीय तेरह मात्री तथा तृतीय चरण ग्यारह मात्री हों:

नैन मिले लड़ झुके उठ
देख नैन में बिम्ब निज
कर बैठे इकरार.

६. प्रथम-द्वितीय ग्यारह मात्री तथा तृतीय चरण तेरह मात्री हों:

मादक रूप निखार
या दहके अंगार
किंशुक कुसुम किलक रहे.

७. द्वितीय-तृतीय तेरह मात्री तथा प्रथम चरण ग्यारह मात्री हों:

यह जीवन वरदान
आदिकाल से आज तक
पुस्तक के बल पर हुआ.

८. द्वितीय-तृतीय ग्यारह मात्री तथा प्रथम चरण तेरह मात्री हों:

काल नहीं कुछ देखता
कुटिया है या ताज?
विगतागत या आज?

इस तरह दोहा पर आधारित कुल त्रिपदियों की संख्या ६ X ८ = ४८ होती है. यदि विविध पदों में में एक मात्रा कम या अधिक होने की छूट ली जाये तो छंदों की संख्या सहस्त्रों में पहुँच जाएगी. हिंदी गीति काव्य में छंदों का आधार पूरी तरह गणितीय है.

आजकल साहित्यकारों में इन आधारों पर छंद रचना कर उनके आविष्कारक होने का दावा करने की होड़ लगी है किन्तु यह सब हिंदी पिंगल की सनातन सम्पदा है. अनावश्यक विस्तार से बचने के लिए हमने उक्त के साथ एक-एक उदाहरण दिए हैं किसी पाठक की रूचि हो तो वह पृथक संपर्क कर अधिक जानकारी अथवा ४८ प्रकारों के उदाहरण प्राप्त कर सकता है.

अगली समापन किस्त में हम दोहा गीतिका या दोहा गजल की चर्चा करेंगे.

****************

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

2 कविताप्रेमियों का कहना है :

kavi kulwant का कहना है कि -

आचार्य जी आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं. मेरा नमन आपको

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

संजीव जी साहित्य और हिन्दी काव्य को सुसज्जित करने के व्यापक प्रबंध कर देते है आप अपने इन सुंदर जानकारी भरे पोस्टों से एक से बढ़ कर एक जानकारी और वो भी सटीक उदाहरण से संपन्न..बहुत बहुत आभार संजीव जी

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)