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Thursday, December 24, 2009

शजर की मौत का इस शहर में मतलब नहीं कोई


गए होंगे सफ़र में और जाकर खो गए होंगे
उन्ही के मीत राहों के सफेदे हो गए होंगे

तुम्हारे शहर के ये रास्ते घर क्यों नहीं जाते
हमारे गाँव के रस्ते तो कब के सो गए होंगे

शजर की मौत का इस शहर में मतलब नहीं कोई
बहुत होगा तो आकर कुछ परिंदे रो गए होंगे

हवा चुपचाप अपना काम करके जा चुकी होगी
सभी इलज़ाम चिंगारी के जिम्मे हो गए होंगे

कई मौसम गुज़र जायेंगे उनकी परवरिश में ही
तेरे वादे मेरी आँखों में सपने बो गए होंगे

चलो लिक्खें इबारत उन्गलिओं से फिर मोहब्बत की
समंदर रेत पर लिक्खा हुआ सब धो गए होंगे

यूनिकवि- रवीन्द्र शर्मा 'रवि '

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12 कविताप्रेमियों का कहना है :

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

सच बात कही आपने आग लगाने में हवा का बहुत बड़ा हाथ होता है और एक पल के लिए उठी चिंगारी उससे कहीं ज़्यादा बदनाम हो जाती है..रवीन्द्र जी बेहद खूबसूरत रचना..एक नही सभी पंक्तिया बेजोड़ है..बहुत बधाई..इस सुंदर रचना के लिए

निर्झर'नीर का कहना है कि -

socha tha ek sher vapis tippani mein likhunga ki ye sher dil ko choo gaya ..
lekin jaise hi gazal padhi har sher dil mein samata chala gaya ...

behatriin gazal

Anonymous का कहना है कि -

चलो लिक्खें इबारत उन्गलिओं से फिर मोहब्बत की
समंदर रेत पर लिक्खा हुआ सब धो गए होंगे
बेहद सुंदर गज़ल है...रविन्द्र जी आपकी गज़लें आपके ब्लाग मे भी पढी सभी बेहतरीन...इतनी प्यारी रचना के लिए बधाई!

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

बहुत ही प्रभावी भावबोधक रचना लगी |

बधाई |

अवनीश तिवारी

आलोक उपाध्याय का कहना है कि -

तुम्हारे शहर के ये रास्ते घर क्यों नहीं जाते
हमारे गाँव के रस्ते तो कब के सो गए होंगे

very good....Very Nice....
मज़ा आ गया ..बहुत ही खुबसूरत ...बेहद उम्दा
"रविन्द्र जी मुबारक हो"
हर पंक्ति लाज़वाब ..पर ये तो कसक ही छोड़ गयी दिल में

मनोज कुमार का कहना है कि -

बहुत ही प्रभावशाली रचना|

rachana का कहना है कि -

kya likha hai ek ek sher aesa hai ki bahut dino tak mujhe yad rahega .
bahut achchha
badhai
saader
rachana

रंजना का कहना है कि -

तुम्हारे शहर के ये रास्ते घर क्यों नहीं जाते
हमारे गाँव के रस्ते तो कब के सो गए होंगे....

Lajawaab !!! sabhi ke sabhi sher seedhe dil ko chhoone wale...

Bahut hi sundar rachna..padhkar aanand aa gaya...WAAH !!!

Kavi Deependra का कहना है कि -

रविन्द्र जी ,
इस प्रभावशाली अभिव्यक्ति , सटीक शब्द चयन और नूतन भावों से परिपूर्ण ग़ज़ल पर अभिनन्दन...
कवि दीपेन्द्र

gazalkbahane का कहना है कि -

तुम्हारे शहर के ये रास्ते घर क्यों नहीं जाते
हमारे गाँव के रस्ते तो कब के सो गए होंगे

खूबसूरत

gazalkbahane का कहना है कि -

तुम्हारे शहर के ये रास्ते घर क्यों नहीं जाते
हमारे गाँव के रस्ते तो कब के सो गए होंगे

खूबसूरत

Akhilesh का कहना है कि -

har sher mein kahan hai... gajal ki sabse jaroori chhez.

har sher ki pahli pankti ko dusri pankti sampurna kar rahi hai puri siddat ke saath .

badhayee ho sir.

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