गए होंगे सफ़र में और जाकर खो गए होंगे
उन्ही के मीत राहों के सफेदे हो गए होंगे
तुम्हारे शहर के ये रास्ते घर क्यों नहीं जाते
हमारे गाँव के रस्ते तो कब के सो गए होंगे
शजर की मौत का इस शहर में मतलब नहीं कोई
बहुत होगा तो आकर कुछ परिंदे रो गए होंगे
हवा चुपचाप अपना काम करके जा चुकी होगी
सभी इलज़ाम चिंगारी के जिम्मे हो गए होंगे
कई मौसम गुज़र जायेंगे उनकी परवरिश में ही
तेरे वादे मेरी आँखों में सपने बो गए होंगे
चलो लिक्खें इबारत उन्गलिओं से फिर मोहब्बत की
समंदर रेत पर लिक्खा हुआ सब धो गए होंगे
यूनिकवि- रवीन्द्र शर्मा 'रवि '
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :
सच बात कही आपने आग लगाने में हवा का बहुत बड़ा हाथ होता है और एक पल के लिए उठी चिंगारी उससे कहीं ज़्यादा बदनाम हो जाती है..रवीन्द्र जी बेहद खूबसूरत रचना..एक नही सभी पंक्तिया बेजोड़ है..बहुत बधाई..इस सुंदर रचना के लिए
socha tha ek sher vapis tippani mein likhunga ki ye sher dil ko choo gaya ..
lekin jaise hi gazal padhi har sher dil mein samata chala gaya ...
behatriin gazal
चलो लिक्खें इबारत उन्गलिओं से फिर मोहब्बत की
समंदर रेत पर लिक्खा हुआ सब धो गए होंगे
बेहद सुंदर गज़ल है...रविन्द्र जी आपकी गज़लें आपके ब्लाग मे भी पढी सभी बेहतरीन...इतनी प्यारी रचना के लिए बधाई!
बहुत ही प्रभावी भावबोधक रचना लगी |
बधाई |
अवनीश तिवारी
तुम्हारे शहर के ये रास्ते घर क्यों नहीं जाते
हमारे गाँव के रस्ते तो कब के सो गए होंगे
very good....Very Nice....
मज़ा आ गया ..बहुत ही खुबसूरत ...बेहद उम्दा
"रविन्द्र जी मुबारक हो"
हर पंक्ति लाज़वाब ..पर ये तो कसक ही छोड़ गयी दिल में
बहुत ही प्रभावशाली रचना|
kya likha hai ek ek sher aesa hai ki bahut dino tak mujhe yad rahega .
bahut achchha
badhai
saader
rachana
तुम्हारे शहर के ये रास्ते घर क्यों नहीं जाते
हमारे गाँव के रस्ते तो कब के सो गए होंगे....
Lajawaab !!! sabhi ke sabhi sher seedhe dil ko chhoone wale...
Bahut hi sundar rachna..padhkar aanand aa gaya...WAAH !!!
रविन्द्र जी ,
इस प्रभावशाली अभिव्यक्ति , सटीक शब्द चयन और नूतन भावों से परिपूर्ण ग़ज़ल पर अभिनन्दन...
कवि दीपेन्द्र
तुम्हारे शहर के ये रास्ते घर क्यों नहीं जाते
हमारे गाँव के रस्ते तो कब के सो गए होंगे
खूबसूरत
तुम्हारे शहर के ये रास्ते घर क्यों नहीं जाते
हमारे गाँव के रस्ते तो कब के सो गए होंगे
खूबसूरत
har sher mein kahan hai... gajal ki sabse jaroori chhez.
har sher ki pahli pankti ko dusri pankti sampurna kar rahi hai puri siddat ke saath .
badhayee ho sir.
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