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Friday, July 24, 2009

'मैं' एक पूरा झूठ बन गई


आज हम लेकर उपस्थित हैं दिपाली 'आब' की एक कविता। उल्लेखनीय है कि इनकी एक कविता ने पिछले माह की प्रतियोगिता में भी शीर्ष 20 में स्थान बनाया था।

रचना- मैं और तू

'मैं' एक पूरा झूठ हूँ
और 'तू' एक मुकम्मिल सच

'तू' और 'मैं'
ज़िन्दगी की माला के छोर थे
जब बिछड़े तो
इश्क मोतियों की तरह बिखर गया

तू धागा ले गया कशिश का
मैंने इश्क के बिखरे मोती
आँखों में समेट लिए
तूने नए मोती तलाश लिए
मैंने अपने मोती
तेरी याद को तोहफे में दे दिए

'तू' मेरा प्यार है आज भी
'तू' आज भी मुकम्मिल सच है
तूने कहा था
'मैं' तेरी जान हूँ
'मैं' एक पूरा झूठ बन गई...!!


प्रथम चरण मिला स्थान- इक्कीसवाँ


द्वितीय चरण मिला स्थान- तेरहवाँ

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28 कविताप्रेमियों का कहना है :

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

'तू' और 'मैं'
ज़िन्दगी की माला के छोर थे
जब बिछड़े तो
इश्क मोतियों की तरह बिखर गया

bahut bahvpurn rachana..
badhayi ho!!!

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

pahle bhi tumhari nazmo ghazlon pe bolte rahgehain ... zindagi mala mekai moti hote hain ... rishte ki ala ya saath ki mala hoti to ye achhi nazm lazawaab lagti ......
hum dono ki taraf se badhai tumhe ...is achhi nazm keliye ....

aanch-aatish

Disha का कहना है कि -

तू धागा ले गया कशिश का
मैंने इश्क के बिखरे मोती
आँखों में समेट लिए
तूने नए मोती तलाश लिए
मैंने अपने मोती
तेरी याद को तोहफे में दे दिए
बहुत ही भावपूर्ण रचना है
बधाई

Manju Gupta का कहना है कि -

'मैं' तेरी जान हूँ
'मैं' एक पूरा झूठ बन गई...!! शीर्षक ,कविता को शब्दों के सच में सार्थक कर दिया .
बधाई .

Shamikh Faraz का कहना है कि -

आपकी कविताओं में एक अलग सी फिलोसफी होती है. कितनी खूबसूरत कविता लिखी है. अभी तक "इंतज़ार एक ठण्ड है" को भुला भी नहीं था मैं और अब एक और बहतरीन कविता. आपके कविता संग्रह का इंतज़ार रहेगा मुझे.

'तू' और 'मैं'
ज़िन्दगी की माला के छोर थे
जब बिछड़े तो
इश्क मोतियों की तरह बिखर गया

दिपाली "आब" का कहना है कि -

@ विनोद जी

बहुत बहुत शुक्रिया.

दिपाली "आब" का कहना है कि -

शुक्रिया नीलेश जी

दिपाली "आब" का कहना है कि -

शुक्रिया आंच आतिश

दिपाली "आब" का कहना है कि -

@दिशा जी
शुक्रिया

दिपाली "आब" का कहना है कि -

@ मंजू जी

बहुत बहुत शुक्रिया, नज़्म का मर्म समझने के लिए.

दिपाली "आब" का कहना है कि -

@ फ़राज़ साहेब,

दुआएं बनी रहे, कविता संग्रह छपते ही एक प्रति आपकी हुई.

masoomshayer का कहना है कि -

sach jhooth ke kandhe kas ahara le ek chalata hai
tabhee falta hai

bahut achha likha hai

manu का कहना है कि -

जब बिछड़े तो
इश्क मोतियों की तरह बिखर गया
जब भी आप लिखती हैं..कमाल लिखती हैं..........

तूने कहा था
'मैं' तेरी जान हूँ
'मैं' एक पूरा झूठ बन गई...!!

क्या बात है....
और भला कैसी होगी रिश्तों की माला,,,
इस रिश्ते को लिए ...लाजवाब है नज़्म...
और हाँ ..ज़रा लेट हो गया..पर शामिख जी के बाद आपके कविता-संग्रह की दुसरी प्रति तो मिल जायेगी ना...?
:)

अनिल कान्त का कहना है कि -

भावनात्मक अभिव्यक्ति ...वाह

mohammad ahsan का कहना है कि -

great poetry

सदा का कहना है कि -

तू धागा ले गया कशिश का
मैंने इश्क के बिखरे मोती
आँखों में समेट लिए


बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

दिपाली "आब" का कहना है कि -

@ अनिल भैया

आपका आर्शीवाद यूँ ही बना रहे, शुक्रिया.

दिपाली "आब" का कहना है कि -

@ मनु जी

जरुर मनु जी, बस यूँ ही आर्शीवाद बनाये रखिये. नज़्म को सराहने के लिए धन्यवाद.

दिपाली "आब" का कहना है कि -

@अनिल जी
शुक्रिया

दिपाली "आब" का कहना है कि -

@ अहसन जी
बहोत बहोत शुक्रिया

दिपाली "आब" का कहना है कि -

@ सदा जी,
बहुत बहुत शुक्रिया.

अमिता का कहना है कि -

'तू' मेरा प्यार है आज भी
'तू' आज भी मुकम्मिल सच है
तूने कहा था
'मैं' तेरी जान हूँ
'मैं' एक पूरा झूठ बन गई...!!

बहुत सुंदर रचना बहुत खूब मैंने पहली बार आपकी कोई रचना पढ़ी है बहुत सुंदर शब्द हैं बधाई हो

vandana gupta का कहना है कि -

bahut hi mukammil rachna likhi hai...........har shabd jaise 'tu aur main' mein hi simat gaya hai ......dil ko choo gayi rachna.......ek alag hi soch .
pahli baar aapki rachna padhi aur bahut pasand aayi.
badhayi sweekarein.

दिपाली "आब" का कहना है कि -

अमिता जी

बहुत बहुत शुक्रिया, यूँ तो येः मेरी हिन्दयुग्म पर पहली रचना नहीं है, परन्तु आपने मुझे पहली ही बार पढ़ा और सराहा, उसके लिए दिल से शुक्रिया.

दिपाली "आब" का कहना है कि -

वंदना जी,
बहुत बहुत शुक्रिया, नज़्म के मर्म तक जाने के लिए

Lams का कहना है कि -

Nazm behtreen hai....Is nazm mein masoomiyat hai bholapan hai aur dard hai. Aapki nazm ko is sthaan par na hokar kaafi upar hona chahiye tha.
.
Hats of to you!!

--Gaurav

दिपाली "आब" का कहना है कि -

thanx Gaurav :)

Unknown का कहना है कि -

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