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Saturday, July 11, 2009

वो बात ग़ज़ल कहलाती है जो बात बहर में हो जाए


आज हम यूनिकवि प्रतियोगिता से ऋतु सरोहा की कविता प्रकाशित कर रहे हैं। इनकी कविता पिछली बार बारहवें स्थान पर रही थी। इस बार इन्होंने छलाँग लगाते हुए सुधार किया और पाँचवें स्थान पर रही हैं।

पुरस्कृत रचना


जब रहें हमसुखन हम दोनो और सारी महफ़िल सो जाए
वो बात ग़ज़ल कहलाती है जो बात बहर में हो जाए

इस रात पे उजले धब्बे हैं ये रात बहुत ही मैली है
बादल मे घोले सर्फ कोई और सारे तारे धो जाए

इक तार -ए- हक़ीक़त ला कर अब रक्खा है तुम्हारे कमरे मे
बांधो कस कर ये डोर ज़रा ,कहीं आँख ख्वाब मे खो जाए !

सरसो, गन्दुम, के साथ साथ महताब उगे इन खेतों मे
इक हरवाहा ढूँढ़ो ऐसा जो खेत मे खुशियाँ बो जाए

इक दिया खुशी का जलता है हर शाम ही इसके सीने मे
फिर हर शब इस नन्हे दिल मे ये सारा आलम रो जाए



प्रथम चरण मिला स्थान- आठवां


द्वितीय चरण मिला स्थान- पाँचवाँ


पुरस्कार- समीर लाल के कविता-संग्रह 'बिखरे मोती' की एक प्रति।

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36 कविताप्रेमियों का कहना है :

आलोक उपाध्याय का कहना है कि -

"सरसो, गन्दुम, के साथ साथ महताब उगे इन खेतों मे
इक हरवाहा ढूँढ़ो ऐसा जो खेत मे खुशियाँ बो जाए "

वाह क्या ज़ज्बात उकेरे है आपने
सरसो, गन्दुम के साथ महताब ......
उम्दा रचना ..... इस बारिश के मौसम में आपने खेतो को यादें ही ताज़ा कर दी
बहुत बहुत बधाई ...

Disha का कहना है कि -

इक दिया खुशी का जलता है हर शाम ही इसके सीने मे
फिर हर शब इस नन्हे दिल मे ये सारा आलम रो जाए

बहुत ही खूब शेर हैं क्या कहना

BENAAM का कहना है कि -

Ritu g....yeh gazal maine pehle bhi padhi hai...or aapki information ke liye bata doon k orkut ki ek comunity hai shafaq uske owner SWAPNIL "aatish" ne yeh kuch mahine pehle likhi thi.

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

benam ji...

Yah rachana meri nahi hai....han maine iske likhe jane me madad zarur ki hai ...aur yah kam main apne sabhi doston ke liye karta hun...ghazal ko lay me lane me unki madad....

Doosri baat ki yah rachana agar shafaq me post hai to meri hi rachana 'bahaar guzri ' jo ki post ho chuki hai..ki tarah pratiyogita se baahar kyun nahi hui...(mujhe dhyan nahi tha ki wo rachana post ho chuki hai )....

hindyugm se anurodh hai ki...mere kuch purane doston dwara aisi harkaten ki ja rahi hain...jisse mujhe aur mere doston ko pareshan hona pade... Aise anonymous post sirf pareshan karne ke liye kiye ja rahe hain ....

-swapnil kumar aatish

Manju Gupta का कहना है कि -

ग़ज़ल के शेरो में आकृति बोध होता है .बधाई.

Lams का कहना है कि -

Ghazal no doubt bahut acchi hai aur main ise pehle bhi padh chuka hun.
"jo baat behr mein hojaaye"...yeh to sach katl misra hai.

Doosri aur sabse eham baat yeh hai ki main "Benaam" Ji se ye guzaarish karna chahunga ki wah aapna naam yahan aakar zaroor bataayen kyunki unki wajah se kuch aur logon par ilzaam lag rahen hain. To plzz apna naam awashya bataayen.
.
Ritu ji ko ek behtreen ghazal kehne par badhaai.
.
Gaurav Sharma "Lams"
seriouswriters@gmail.com

मुहम्मद अहसन का कहना है कि -

कैसे कैसे इल्ज़ाम उठने लगे हर तरफ !
गज़लसरा, सच बता ये तेरी ग़ज़ल है या मेरी

लफ्ज़ 'तार ए हक़ीक़त' का एस्ते'माल गलत है.
वैसे ग़ज़ल बहुत मधुर है और इमेजरी उच्च कोटि की .
अगर यह संयुक्त प्रयास का फल है तब भी बधाई
- मुहम्मद अहसन

manu का कहना है कि -

सुंदर भाव...
जिसकी भी है...मस्त है...

या आधी=आधी बाँट लीजिये...
:)

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

ahsan sir bhav is ghazal ke poori tarahs e ritu ke maulik hain ..

is ghazal me maine sirf ek adhha jagah lay ki marammat ki hai..
aur mere jin "purane sathiyon " ne is ghazal ko meri ghazal kaha ..wo ye jante hain ki ..maine aur roitu ne ek do nahi ..saikadon nazmen /ghazlen / kahaniyan / triveniyan ..
ek sath likhi hain ..

khair in sab cheezon me uljhne ki bajay main ritu aur khud ko yahi salah dunga ki ...

evry problem is an opertunity "

yah samsya sambhavit thi is wajah se shailesh ji tak ye khabar pahuncha di gayi thi ki ..kaun kaun se log aitraj kar sakte hain ...

aatish

manu का कहना है कि -

un mein ham to nahi hain na...??

ham ne to aapas mein baant lene ki hi salah di hai....
:)

Shamikh Faraz का कहना है कि -

इस रात पे उजले धब्बे हैं ये रात बहुत ही मैली है
बादल मे घोले सर्फ कोई और सारे तारे धो जाए

आपने बहुत ही अच्छे अल्फाज़ में ग़ज़ल कही. मुझे सबसे अच्छा शेअर यह लगा. ऐसा होने की वजह यह रही के आपने जो दो मुखालिफ लफ्ज़ इस्तेमाल किये उसने इस शेअर में जान डाल दी.
"इस रात पे उजले धब्बे हैं ये रात बहुत ही मैली है"
धब्बे कभी उजले नहीं होते और जो उजले होते हैं वो डब्बे नहीं होते. खूबसूरती के साथ लफ्जों का इस्तेमाल. पूरी ग़ज़ल ख़ूबसूरत है. मुबारकबाद.

वीनस केसरी का कहना है कि -

" वो बात ग़ज़ल कहलाती है जो बात बहर मे हो जाए "

ये मिश्रा लिखने वाला शायर या लिखने वाली शायरा अगर अपनी बात को बहर में नहीं कह पा रहे तो ये तो बड़ी अचरज की बात है,
और कमेन्ट ने भी मुझे हतोत्साहित किया पूरी गजल में बहर का कबाडा कर दिया गया है

जो मुझसे सहमत न हो कृपया बताये ये गजल किस बहर में लिखी गई है

ऐसी रचना को भी क्यों पुरस्कृत किया जा रहा है, ये भी एक विचार करने का विषय है

वीनस केसरी

मुहम्मद अहसन का कहना है कि -

स्वप्निल साहब ,
एक शे'एर अर्ज़ है .
तू ने हर नुक़्ते को बहुत ठीक से समझाया लेकिन
तेरी बातों से कहीं खुदनुमाई का गुमां होता है
मुहम्मद अहसन

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

ahsan sir...aap sahi farma rahe hain...khudnumayi ka gumaan hona chahiye...han humesha nahi..kal mujhe zarurat lagi is cheez ki to dikhi... :) aap jaise jagruk pathak hi in cheejon ki taraf dhyan dila sakta hai..khair agar ye galat laga to muafi chahunga..

mohammad ahsan का कहना है कि -

"..wo ye jante hain ki ..maine aur roitu ne ek do nahi ..saikadon nazmen /ghazlen / kahaniyan / triveniyan ..
ek sath likhi hain .. "

aatish saheb,
dar asl main is iformation ke baghair hi aaap se behad mutt'aasir tha. aap qudarti shaaer hain aur aap mein achchhi shaaeri karne ke behad imkanaat maujood hain.
ahsan

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

ahsan sir ...maine ye information isliye di .. ki " aap kaheen mujhe galat na samjh baithen .. " isliye maine ye zahir karna behtar samjha ki " main aur ritu sath sath likhte hain " aur un logon ne dekha hai ye karte hue.." fir bhi kaha gaya ki wo gazal sirf meri " ......wo baat sirfus bat ki safai thi .... :)

han apne lahze ke liye fir se muafi chahunga ... :)

मुहम्मद अहसन का कहना है कि -

OK, आतिश साहब ,
mu'amla khatan karte hain.

हम ने आप की पी ली बात
इस अंदाज़ से भी जी ली रात
- अहसन

mohammad ahsan का कहना है कि -

OK, आतिश साहब ,
mu'amla khatan karte hain.

हम ने आप की पी ली बात
इस अंदाज़ से भी जी ली रात
- अहसन

Unknown का कहना है कि -

आप सभी के legal ,illegal , परोक्ष एवं प्रत्यक्ष सहयोग और इल्जामात का बहुत बहुत शुक्रिया ......... :)

BENAAM का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
manu का कहना है कि -

आतिश जी,
हमें भी ले आइये ना लय में.....
हम तो अभी आपके नए दोस्त भी नहीं हैं...
आप तो अपने "पुराने दोस्तों " से परेशान हैं ना...??

दिपाली "आब" का कहना है कि -

सबसे पहले मैं बधाई देना चाहूंगी ऋतू जी को ग़ज़ल के पुरस्कृत किये जाने पर.


मैं गुजारिश करुँगी स्वप्निल जी से कि जैसे कि उन्होंने कहा कि उनके पुराने दोस्त ऐसा कर रहे हैं तो कृपया उनके नाम भी लिखा करें, क्यूंकि आपके पुराने दोस्तों में तो "हम" भी आते हैं.


वैभव जी,
आपको शुक्रिया जानकारी प्रदान करने के लिए , और शाबाशी देना चाहूंगी कि आपने यहाँ पर आकर अपना नाम बताया, जिस से काफी से सारी शंकाएं दूर हो गयीं.


दीप

Ambarish Srivastava का कहना है कि -

सरसो, गन्दुम, के साथ साथ महताब उगे इन खेतों मे
इक हरवाहा ढूँढ़ो ऐसा जो खेत मे खुशियाँ बो जाए

इक दिया खुशी का जलता है हर शाम ही इसके सीने मे
फिर हर शब इस नन्हे दिल मे ये सारा आलम रो जाए

बहुत अच्छी रचना ,
काश! ऐसा हर कोई सोंचता |

manu का कहना है कि -

वीनस जी की बात एकदम सही है...
दरअसल ये गजल मैंने पढ़ी नहीं....किसी ने सुनाई मुझे,,,वो भी कई कविताओं के साथ..और मुझे ठीक-ठाक लगी..
जब के गजल का पता खुद पढ़ते वक्त ही लग पाता है...
और ज्यादा गहरे में जांचने के लिए पोस्ट-मार्टम ( तक्तीया) करना होता है..जो मैं नहीं करता..
:)

yogesh hooda का कहना है कि -

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To RS:- This is genuinely a heart-touching and overwhelming writing of you. I truthfully and positively appreciate your this writing which is one of the best writing of you. Words are behooving quite less to me to kudos and plaudit your such a high-grade, meticulous and scrupulous Rachna. This is entirely well embellioused and adorned by you.

God always with you..
Go on and on:--
keep smiling and writing...
:)

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BENAAM का कहना है कि -

actuly yeh gazal ritu g ki hi thi...swapnil se iska matla suna tha aur cnfusn ho gaya....or meri cnfusion ne sabko cnfuse kr diya....

Anonymous का कहना है कि -

वो बात ग़ज़ल कहलाती है जो बात बहर में हो जाए

bhut sunder sbd bhav han-bus bahr men hoti to-aur yah misra to bahar men n hone ka tnz ks raha hai
par bahr men n hone se bhi is ki sundarta men koyee kami nahin hai-badhaayee.isi site pr bahr-matra poori hote hue bhi kayi rachna gazal kah laane layak nahin hain.lekin log jane kyon sarahate rahate hain.sayad blogging ka dastoor nibhate hain.ek aur any mouce-brake ke bad naya serial bahas banam manu uvvach......

manu का कहना है कि -

ek aur any mouce-brake ke bad naya serial bahas banam manu uvvach......


एनी-माउस जी.....
manu-uvaach.....
डबल वी नहीं....डबल .... ऐ
कम से कम मेरे ब्लॉग के नाम को तो बेवज़्न ना कीजिये...
:)

Anonymous का कहना है कि -

डबल वी नहीं....डबल .... ऐ
बहस ही है ये............
जबकि लिख गया शे शपा अय्यर
what is there in a name...
aur bhi kahaa hai vo चन्द्र्मुखी हो या पारो कि फ़र्क पड़दा है यारो
यानि uvaach या uvvach

सदा का कहना है कि -

इक दिया खुशी का जलता है हर शाम ही इसके सीने मे
फिर हर शब इस नन्हे दिल मे ये सारा आलम रो जाए !

बहुत ही बढि़या ।

Unknown का कहना है कि -

aap sabke sahyog ka shurkiya ..

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

thanx vaibhav n gaurav...sari confusion dur karne ke liye ..

Ravi Shankar का कहना है कि -

Bahut khoob gahzal kahi hai, Ritu ji......

सरसो, गन्दुम, के साथ साथ महताब उगे इन खेतों मे
इक हरवाहा ढूँढ़ो ऐसा जो खेत मे खुशियाँ बो जाए ...

kya baat hai..........umda khayaal...

इक दिया खुशी का जलता है हर शाम ही इसके सीने मे
फिर हर शब इस नन्हे दिल मे ये सारा आलम रो जाए ...

aur ye sher to bas kamaal hi kar gaya......

Is umda ghazal-goi ke liye aapko dheron badhaiyan...

Unknown का कहना है कि -

Ghazal umda hai lekin ek baat ye puchna chahunga main shayer sahib se ke kya izaafat ke mayene ye hain ke jo aapke dil mein aaye aap usper izafat laga do ?

Aatish sahib (As you said ke aap ustaad ho aur bahut se logon ki islaah karte ho) to izafat ke bhi apne qawaayid hote hain aur urdu shayeri mein to hote hi hain...

Khsuh Rahiye

Nadeem Kavish

Unknown का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

यहरचना इतनी सुंदर है कि,पढ़ कर मन फिर से दोहराता है..

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