प्रतियोगिता की बारहवीं कविता की रचयिता ऋतू सरोहा हरियाणा के गुडगाँव शहर की रहने वाली हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद सिम्बॉयसिस से एमबीए की पढाई कर रही हैं। पारिवारिक तौर पर साहित्य से कोई नाता नहीं है लेकिन पढ़ने-लिखने का शौक़ बचपन से ही रहा है। अब तक निजी तौर पर ही लिखती रही हैं और पहली बार किसी प्रतियोगिता में भाग लिया है।
कविता- आखिर चाँद ढलेगा कब तक?
जहन पे कब से
फुदक रही है
तेरे ख़यालों
की इक चिड़िया,
नींद उतर कर
इन आँखों से
चढ़ छज्जे पर
ताक रही है,
आख़िर चाँद
ढलेगा कब तक?
हवा से
शरमाई है चुन्नी
और मुझसे ही
लिपट रही है,
नशे में है
घुंघरू पायल के
बजते हैं
चुप होते हैं...
खबर मिली जब
तुम आओगे
ये सब तबसे
बहके हैं.......
अब तुम आकर
ये बतला दो,
आख़िर चाँद
ढलेगा कब तक.. ?
प्रथम चरण मिला स्थान- चौदहवाँ
द्वितीय चरण मिला स्थान- बारहवाँ
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24 कविताप्रेमियों का कहना है :
ऋतु सरोहा जी,
आपने कविता के माध्यम से विचारों को अच्छी अभिव्यक्ति दी है |
वैसे किसी नें कहा है "इंतजार का फल मीठा होता है "|
आपको बहुत बहुत बधाई |
नींद उतर कर
इन आँखों से
चढ़ छज्जे पर
ताक रही है,
आख़िर चाँद
ढलेगा कब तक?
हवा से
शरमाई है चुन्नी
और मुझसे ही
लिपट रही है,
नशे में है
घुंघरू पायल के
बजते हैं
चुप होते हैं...
खबर मिली जब
तुम आओगे
ये सब तबसे
बहके हैं.......
सुन्दर भाव !
:):):):):):):):):):):)
pyaari si, mohak si kavita.
ऐसा अहसास हुआ जैसे ओस की बूँद आसमान से गिरी हो और उसे अभी तक किसी ने छुआ नहीं | कविता ऐसे ही शुरू होती है| हौले-हौले----ऋतू जी को बधाई |
roomaaniyat se bhari hui ek taazgi liye hue kavita ,khaaskarin panktiyon ka to koi jawaab hi nahi .
शरमाई है चुन्नी
और मुझसे ही
लिपट रही है,
नशे में है
घुंघरू पायल के
बजते हैं
चुप होते हैं...
ritu,
bahut sundar bhavabhivyakti...
हवा से
शरमाई है चुन्नी
और मुझसे ही
लिपट रही है,
नशे में है
bahut khoobsurat ...badhai
जहन पे कब से
फुदक रही है
तेरे ख़यालों
की इक चिड़िया,
नींद उतर कर
इन आँखों से
चढ़ छज्जे पर
ताक रही है,
आख़िर चाँद
ढलेगा कब तक?
आपकी कविता की शुरुआत बहुत ही ज़बरदस्त लगी. वैसे तो पूरी कविता ही सुन्दर है. बधाई.
हवा से
शरमाई है चुन्नी
और मुझसे ही
लिपट रही है,
नशे में है
घुंघरू पायल के
बजते हैं
चुप होते हैं...
बहुत सुन्दर !
aap sabka behad shukriya jo aap logon ne ya rachna pasand ki ..
खबर मिली जब
तुम आओगे
ये सब तबसे
बहके हैं.......
बहुत ही सुन्दर भावों को प्रकट करती
हुई बेहतरीन रचना के लिये बधाई !
हवा से
शरमाई है चुन्नी
और मुझसे ही
लिपट रही है,
Very nice Keep writing !!
प्रेम रस मी डूबी सुन्दर कविता के लिय बधाई लगता है आप बहुत आगे जायेंगी् हवा से
शरमाई है चुन्नी
और मुझसे ही
लिपट रही है,
नशे में है
लाहवाब आशीर्वाद्
ye intezaar aur aapka andaz-ae- intzaar khoobsoorat hain....chunnika sharma ke lipatna aur ghooghruo ka chup ho jana .......khoobsoorat peshkash
And i offer my second round of appreciation. this is a poem i can read again and again.
it does not bore reader with current affairs, feminist depression or agression, jingoism, sermon, philosphy and such matter which do not appeal to me in the form of poetry.
हर पंक्ति मे तीन या तीन से कम शब्द है,इस्से जो एक भाव उभर के आया वो बड़ा पसंद आया। थोड़ा सा गुल्ज़ारिश टच भी था,मज़ा और बढ़ गया :)
बहुत ही मधुर कविता है ........
बधाई
अरुण मित्तल अद्भुत
itna pyar aur sneh pa kar achha laga .....aap sab ka bahut bahut shukriya
हवा से
शरमाई है चुन्नी
और मुझसे ही
लिपट रही है,
नशे में है
घुंघरू पायल के
बजते हैं
चुप होते हैं...
खबर मिली जब
तुम आओगे
ये सब तबसे
बहके हैं..........
bahut khoobsurat....jaise ahle subah pattiyon par taazi shabnam ho.....
bahut pyaari rachna...
ravi yahaan tak aane ka aur padhne ka shukriya ... :)
Bahut hi achhi hai ritu ji..ese hi likhte rahiga....kati 16 aane sachi baat kahi hai....
aap jaisa koi nahi....:)
thanku so much yogesh ji ..
Ritu ji,
bahut sundar likha he aapne,badi mithi si nazm buni he badhai.....
thanku anjali ..... :)
Chand si chandani ki chatabikher di hai.
Badhayi.
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