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Saturday, June 20, 2009

शांति मेरी चाहत और वीरता मेरी विरासत है


रविकांत 'अनमोल' पिछले महीने से हिन्द-युग्म पर दस्तक दे रहे हैं। इस बार भी इनकी एक कविता शीर्ष 20 में शामिल है।

कविता- विरासत

मैंने तो दोस्ती का हाथ
तुम्हारी तरफ़ बढाया था
क्योंकि हम दोनों
केवल पड़ोसी नहीं
भाई नहीं
बल्कि एक ही शरीर के
दो टुकड़े हैं
चलो, फिर से एक होना
हमारी तक़दीर में न भी सही
पर एक साथ रहना तो
हमारी मजबूरी है।
फिर प्यार मुहब्बत से
क्यों न रहें?
बस यही सोच कर
मैंने दोस्ती का तुम्हारी ओर
बढ़ाया था
पर तुमने
मेरे हाथ को पकड़ कर
धोखे का खंजर घोंप दिया
मेरी ही बगल में
पता नहीं
यह तुम्हारी फितरत है,
तुम्हारा पागलपन है,
या किसी और की शह
लेकिन जो भी हो,
तुम्हारे इस वार का करारा जवाब देना
अब मेरा फ़र्ज़ बन गया है
ताकि अगली बार
ऐसी हिमाकत करने से पहले
तुम्हें सात बार सोचना पड़े
ताकि सारी दुनिया जान ले
कि प्यार और दोस्ती
मेरी संस्कृति है, कमज़ोरी नहीं
शांति यदि मेरी चाहत है
तो वीरता मेरी विरासत है
सिर्फ़ दरवेश का स्वभाव ही नहीं
मेरे पास सिपाही का हौसला भी है
प्यार से सभी को
सीने से लगाने वाले बाजुओं में
शत्रु को मसल डालने की ताकत भी है।
यह बात मैं एक बार फिर
सारी दुनिया के सामने साबित कर दूँगा
और सच मानो
इसके बाद फिर तुम्हारी ओर दोस्ती का हाथ
मैं ज़रूर बढ़ाऊँगा
प्यार का पैग़ाम
फिर आएगा मेरी ओर से
क्योंकि मुझे विरासत में
सिपाही का हौसला ही नहीं
सभी का भला मांगने वाला
दरवेश का दिल भी मिला है


प्रथम चरण मिला स्थान- तेरहवाँ


द्वितीय चरण मिला स्थान- तेरहवाँ

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9 कविताप्रेमियों का कहना है :

प्रिया का कहना है कि -

kahin aapka ishara.. Pakistan ki taraf to nahi.... nishchit hain wahi hain....kavita to khoobsoorat hain aur soch bhi part pata nahi us jaise choote, makaar, charitraheen Sthan ko ek mulk kahna sahi hoga bhi ya nahi....

Ambarish Srivastava का कहना है कि -

चलो, फिर से एक होना
हमारी तक़दीर में न भी सही
पर एक साथ रहना तो
हमारी मजबूरी है।
फिर प्यार मुहब्बत से
क्यों न रहें?
बस यही सोच कर
मैंने दोस्ती का तुम्हारी ओर
बढ़ाया था
पर तुमने
मेरे हाथ को पकड़ कर
धोखे का खंजर घोंप दिया
मेरी ही बगल में
पता नहीं
यह तुम्हारी फितरत है,
तुम्हारा पागलपन है,
या किसी और की शह
लेकिन जो भी हो,
तुम्हारे इस वार का करारा जवाब देना
अब मेरा फ़र्ज़ बन गया है
ताकि अगली बार
ऐसी हिमाकत करने से पहले
तुम्हें सात बार सोचना पड़े
ताकि सारी दुनिया जान ले
कि प्यार और दोस्ती
मेरी संस्कृति है, कमज़ोरी नहीं
शांति यदि मेरी चाहत है
तो वीरता मेरी विरासत है
सिर्फ़ दरवेश का स्वभाव ही नहीं
मेरे पास सिपाही का हौसला भी है

बहुत अच्छी रचना ...........
शठे शाठ्यम समाचरेत !
पाकिस्तान को अच्छी सीख दी है आपने |
लेकिन वो खंजर की ही भाषा समझता है .....
भारत को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से ही उसे जनम दिया गया ....
और वो आज भी अपना ये उत्तरदायित्व बखूबी निभा रहा है ...
भारत का विरोध ही उसकी नींव की ईंट है ......
दरवेश के दिल की धड़कनों के बारे में वो क्या जाने .....

कडुवासच का कहना है कि -

ताकि सारी दुनिया जान ले
कि प्यार और दोस्ती
मेरी संस्कृति है, कमज़ोरी नहीं
शांति यदि मेरी चाहत है
तो वीरता मेरी विरासत है
... बेहतरीन अभिव्यक्ति !!!!!

निर्मला कपिला का कहना है कि -

भारतीय सहिश्णुता और संयम को उद्बोधित करती और साथ ही दुश्मन को चेतावनी देती मगर प्यार से वाह बहुत सुन्दर बधाई

Sajal Ehsaas का कहना है कि -

भारत पाकिस्तान रिश्ते पर एक सटीक कविता लिखी है आपने।सबसे अच्छी बात मुझे ये लगी कि अंत मे आपने कहा की हम फ़िर से दोस्ती का हाथ बढ़ा देंगे।बहुत अच्छी सोच

neelam का कहना है कि -

ताकि सारी दुनिया जान ले
कि प्यार और दोस्ती
मेरी संस्कृति है, कमज़ोरी नहीं
शांति यदि मेरी चाहत है
तो वीरता मेरी विरासत है
सिर्फ़ दरवेश का स्वभाव ही नहीं
मेरे पास सिपाही का हौसला भी है

bahut hi achchi kavita ya akavita ,saahas v oj se poorn

सदा का कहना है कि -

ताकि सारी दुनिया जान ले
कि प्यार और दोस्ती
मेरी संस्कृति है, कमज़ोरी नहीं
शांति यदि मेरी चाहत है
तो वीरता मेरी विरासत है


बहुत ही सुन्‍दर रचना, आभार

Shamikh Faraz का कहना है कि -

मैंने तो दोस्ती का हाथ
तुम्हारी तरफ़ बढाया था
क्योंकि हम दोनों
केवल पड़ोसी नहीं
भाई नहीं
बल्कि एक ही शरीर के
दो टुकड़े हैं
चलो, फिर से एक होना
हमारी तक़दीर में न भी सही
पर एक साथ रहना तो
हमारी मजबूरी है।

बहुत ही अछि शुरुआत दी है कविता को.

Manju Gupta का कहना है कि -

Antim pankti mein kavita ka sandesh
dil ki vyapak soch ko batata hai.
Badhayi.

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