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Saturday, June 20, 2009

जीवन-पथ पर तू चलता चल


किरण सिन्धु, मूल रूप से उत्तर प्रदेश से है, परंतु इनकी शिक्षा-दीक्षा झारखण्ड में हुई तथा विवाह बिहार में हुआ। वर्तमान में ये अपने बच्चों के साथ मुंबई में रहती हैं। परिवार और परिवेश में बचपन से ही साहित्य प्रेम का भरपूर अवसर प्राप्त हुआ। गुरुजनों की कृपा से जो भी ज्ञानार्जन हुआ उसके सहारे अध्यापन के क्षेत्र में २५ वर्षों तक सुदृढ़ रूप से खड़ी रहीं। हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति किशोरावस्था से ही प्रेम रहा है।

कविता- जीवन-बोध

जीवन एक डगर मितवा
ठहर नहीं तू चलता चल।
माना कि पथ यह दुर्गम है
पर तेरी साँसों में दम है,
साथ तेरे संगी-साथी
क्या हुआ अगर बहुत कम है?
उनके हाथों को थाम कर
उनका भी दुःख तू हरता चल.
जीवन एक लहर मितवा
पतवार लिए बस बढ़ता चल;
यह सफ़र बहुत तूफानी है
जो कुछ भी है मनमानी है,
बादल-बिजली, ज्वार-भाटे
और दिशाएँ अनजानी हैं;
पर धैर्य तेरा ध्रुवतारा है
विपदाओं को परे करता चल
जीवन एक समर मितवा
हर संकट से तू लड़ता चल
आत्मबल तेरे अस्त्र-शस्त्र
सम्मानित अस्मिता तेरे वस्त्र,
दुःख से हारना तेरी नियति नहीं
अपनी शक्ति से उसे कर निरस्त्र
तू कर्म-क्षेत्र का योद्धा है
हर क्षण को स्वीकृत करता चल


प्रथम चरण मिला स्थान- बीसवाँ


द्वितीय चरण मिला स्थान- चौदहवाँ

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16 कविताप्रेमियों का कहना है :

निर्मला कपिला का कहना है कि -

प्रेरणा से ओतप्रोत सकारात्मक अभिव्यक्ति के लिये बधाई और आभार्

Sajal Ehsaas का कहना है कि -

बड़ी अच्छी भाषा का प्रयोग देखने को मिला,विचार भी कितने ऊँचे

sangeeta sethi का कहना है कि -

"जीवन पथ पर तू चलता चल " बेहद प्रेरक कविता है |अगर थोडी सी गठी हुई होती तो लयात्मक गीत बन जाती |

neelam का कहना है कि -

too chalta chal ,chalta chal ,ek geet ki abhivyakti ke saath achchi laybadh kavita

Ambarish Srivastava का कहना है कि -

माना कि पथ यह दुर्गम है
पर तेरी साँसों में दम है,
साथ तेरे संगी-साथी
क्या हुआ अगर बहुत कम है?
उनके हाथों को थाम कर
उनका भी दुःख तू हरता चल.
जीवन एक लहर मितवा
पतवार लिए बस बढ़ता चल;
यह सफ़र बहुत तूफानी है
जो कुछ भी है मनमानी है,
बादल-बिजली, ज्वार-भाटे
और दिशाएँ अनजानी हैं;
पर धैर्य तेरा ध्रुवतारा है
विपदाओं को परे करता चल
जीवन एक समर मितवा
हर संकट से तू लड़ता चल
आत्मबल तेरे अस्त्र-शस्त्र
सम्मानित अस्मिता तेरे वस्त्र,
दुःख से हारना तेरी नियति नहीं
अपनी शक्ति से उसे कर निरस्त्र
तू कर्म-क्षेत्र का योद्धा है
हर क्षण को स्वीकृत करता चल

अति सुंदर !
बेहद प्रेरक कविता!

काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif का कहना है कि -

बहुत - बहुत बधाई... काफ़ी अच्छा लिखा है....बहुत बढिया...

Disha का कहना है कि -

बहुत ही सुन्दर रचना है.आपको बहुत बहुत बधाई.

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

आपको पढना हमेशा सुकून देता है और बहुत कुछ सिखा जाता है...

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

कविता में भाव अच्छे हैं पर बहुत सामान्य हैं ...... दरअसल ये सब मैंने एक दोहे में कहा था याद आ रहा है :

पढ़कर सुनकर देखकर, निकला यह निष्कर्ष
योद्धा बन लड़ते रहो, जीवन है संघर्ष

कविता में कहने का ढंग, उसका रसीलापन, नयापन अधिक महत्तव रखता है .........

सादर
अरुण अद्भुत

सदा का कहना है कि -

जीवन एक डगर मितवा
ठहर नहीं तू चलता चल।

प्रेरणात्‍मक विचारों के लिये बधाई

manu का कहना है कि -

लयबद्ध ,प्रेरक कविता,,,,,

Shamikh Faraz का कहना है कि -

विपदाओं को परे करता चल
जीवन एक समर मितवा
हर संकट से तू लड़ता चल
आत्मबल तेरे अस्त्र-शस्त्र
सम्मानित अस्मिता तेरे वस्त्र,
दुःख से हारना तेरी नियति नहीं
अपनी शक्ति से उसे कर निरस्त्र
तू कर्म-क्षेत्र का योद्धा है
हर क्षण को स्वीकृत करता चल

प्रेरणा से भर देने वाली एक सुन्दर कविता .

Manju Gupta का कहना है कि -

Prenayukt aur sandesh se bhqari rachana hai.
Badhayi.

Anonymous का कहना है कि -

It's nice

Raj sahu का कहना है कि -

बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति बधाई हो

joesco barrier का कहना है कि -

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