वानर अथवा पान है, दोहा का नव भेद।
पढें समझ रचिए इसे, मन में रहे न खेद।।
दस गुरु अट्ठाईस लघु, वानर सा व्यवहार।
रंग मान के पान सा, जग होता बलिहार।।
मत पूछो यह किस तरह, बीती उसकी रात।
बदल-बदलकर करवटें, उसने किया प्रभात।। -प्रो. देवेन्द्र शर्मा 'इन्द्र'
दोहा युग की चेतना, जनगण-मन का मीत।
मिलन-विरह, सुख-दुःख, सृजन, परिवर्तन की रीत।। -सलिल
अगनित मुनि औ' देव हैं, अगनित दानव-यक्ष।
अगनित सागर रत्न हैं, अगनित पक्ष-विपक्ष।। -रामस्वरूप बृजपुरिया
मौसम, खुशियाँ, तितलियाँ, बतरस, मिलन, मिठास।
कल तक सब त्यौहार थे, आज हुए इतिहास।। - राधेश्याम शुक्ल
बदल गए सब रूप अब, बदल गए सब रंग।
सरबन अब अपनी कथा, ले जा अपने संग।। -सोम ठाकुर
नहर फाँदकर शिखर पर, लिखकर अपना नाम।
चुप नौ-दो-ग्यारह हुई, आँख मूँदकर शाम।। - श्रीकृष्ण शर्मा
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21 कविताप्रेमियों का कहना है :
मन कण - कण समेट रहा, दोहा भेद विचार,
नयन मूँद हो दृष्टिगत , सरगम सदृश प्रकार.
आचार्य जी,
क्या यह दोहा आज के बताये दोहा के प्रकार ( वानर / पान) के अनुरूप है?
इसमें समेट को ....
सम्म्मेट ...पढने से ठीक लग रहा है..
इसी में अटकाव लगता है...
बाकी दोहा शानदार है.
बहुत अच्छे अच्छे दोहे लिखें हैं सभी ने
बधाई !!!
आचार्य जी को प्रणाम !!
कक्षा में सभी को मेरा नमन। एक दोहा लिख रही हूँ, यह वानर या पान का प्रकार नहीं है, यह श्येन के अन्तर्गत आता है।
कक्षा में आए बिना, कहाँ मिले है ज्ञान
जैसे बारिश के बिना, नहीं उगे है धान।
बहुत अच्छे दोहे |
बधाई |
दोहा घातक शस्त्र है, गहरा करता वार |
शत्रु को वश में करे, उपजे उसमें प्यार ||
दोहा युग की चेतना, जनगण-मन का मीत।
मिलन-विरह, सुख-दुःख, सृजन, परिवर्तन की रीत।।
बहुत सुन्दर |
अवनीश तिवारी
Dohye pad kar kabir yad aa gaye.
uttam dohye ke liye sabhi ko badhayi.
गुरु जी,
सादर प्रणाम!
आप सबकी बड़ी याद आई और आज मैं भी अपना एक दोहा प्रस्तुत कर रही हूँ:
पशु-पंछी मिलजुल रहें, साथ रहे वनराज
पर जगत में मानव बन, शत्रु बन गया समाज.
गुरु जी,
बहुत कुछ छूट गया है सीखने से. खेद है सोचकर न जाने आपकी कितनी ही कक्षाएं मिस हो गयी हैं. कुछ कहने से रह गया है. वह यह:
दोहा-परिवार से जुड, आई ऐसी याद
रह ना सकी दोहे बिन, मन पर बोझा लाद.
सभी का स्वागत.
पूजा जी,
मन कण- कण समेट रहा, दोहा भेद विचार,
१ १ १ १ १ १ १ २ १ १ २, २ २ २ १ १ २ १
नयन मूँद हो दृष्टिगत , सरगम सदृश प्रकार.
१ १ १ २ १ २ २ १ १ १, १ १ १ १ १ १ १ १ २ १.
इसमें १० गुरु + २८ लघु हैं, अतः, वानर / पान है,
लय दोष नीचे दूर कर दिया है
कण-कण दिया समेट मन, दोहा भेद विचार.
नयन मूँद हो दृष्टिगत, सरगम सदृश प्रकार.
मनु जी! सम्मेट अशुद्ध है.
अजित जी!, अच्छा दोहा. बढ़ई.
अम्बरीश जी,
दोहा घातक शस्त्र है, गहरा करता वार |
शत्रु को वश में करे, उपजे उसमें प्यार ||
तीसरे चरण में 'शत्रु' के स्थान पर 'दुश्मन' करें तो न्यून मात्र दोष का निवारण हो जायेगा.
शन्नो जी!
पशु-पंछी मिलजुल रहें, साथ रहे वनराज
पर जगत में मानव बन, शत्रु बन गया समाज.
दूसरी पंक्ति में लय भंग हो रही है. चरों चरणों में मात्राएँ सही.
दोहा-परिवार से जुड, आई ऐसी याद
रह ना सकी दोहे बिन, मन पर बोझा लाद.
जुड़ दोहा परिवार से, आयी ऐसी याद.
रह न सकी दोहे बिना, मन पर बोझा लाद.
आचार्य ,'
अशुद्ध तो है ..
पर मैंने तो केवल नाप-तौल ,,और वजन के हिसाब से कहा था ,,के यदि इसी दोहे में,,
यहाँ पर जोर दिया जाए,,,सममेट पर,,
तो दोहा की धुन आ रही है या नहीं,,,
मौसम, खुशियाँ, तितलियाँ, बतरस, मिलन, मिठास।
कल तक सब त्यौहार थे, आज हुए इतिहास।।
क्या खूबसूरत ख्याल है,दोहे का भी नया रंग देखने को मिला
बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी .
शन्नो जी को कक्षा में देख कर ख़ुशी हो रही है. :)
आदरणीय गुरु जी,
मेरे दोहे के चौथे चरण में लय भंग होने से मैंने सुधार की चेष्टा की है:
'शत्रु बना है समाज'
क्या अब सही है?
दोहा घातक शस्त्र है, गहरा करता वार |
दुश्मन को वश में करे, उपजे उसमें प्यार ||
मात्राएँ गिनने में त्रुटि के लिए खेद है |
उपयुक्त सुझाव हेतु धन्यवाद आचार्य जी |
सादर प्रणाम|
अम्बरीष श्रीवास्तव
अभियंत्रण-साहित्य का, करा रहा संयोग |
दोहा अमृत रस भरा, कर लो नित्य प्रयोग ||
धन्यवाद आचार्य जी |
सादर प्रणाम|
अम्बरीष श्रीवास्तव
आचार्य जी,
भूल-चूक के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ. कल वाले दोहे को फिर से लिख कर आपकी नज़र करती हूँ:
पशु-पंछी मिलजुल रहें, रहे साथ वनराज
पर जगत में मानव बन, शत्रु बना है समाज.
पशु-पंछी मिल-जुल रहें, रहे साथ वनराज
क्यों मानव का जगत में, दुश्मन बना समाज?
शान्नो जी का कक्षा में स्वागत है। आशा है आपकी भारत यात्रा बढिया रही होगी। मैं भी पूना से वापस आ गयी हूँ और कक्षा में उपस्थित हूँ।
मत पूछो यह किस तरह, बीती उसकी रात।
बदल-बदलकर करवटें, उसने किया प्रभात।।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
बहुत अच्छे दोहे. शाम का personification दोहे में जान दल देता है.
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