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Wednesday, July 01, 2009

हिन्दी में लिखिए और पढ़िए - जीतिए हज़ारों के इनाम


जुलाई 2009 माह की यूनिकवि एवं यूनिपाठक प्रतियोगिता के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित की जाती है। उल्लेखनीय है कि हिन्द-युग्म पिछले 31 माह से इस प्रतियोगिता का आयोजन यूनिकोड (हिन्दी) के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए करता आ रहा है। हिन्दी आयोजनों में यह एक मात्र पुरस्कार है जो पाठकों को भी प्रोत्साहित करता है।

इस प्रतियोगिता के आयोजन की उद्‍घोषणा प्रत्येक माह की पहली तिथि को की जाती है और परिणाम अगले माह के प्रथम सोमवार को प्रकाशित किये जाते हैं। इस प्रतियोगिता का आयोजन हिन्द-युग्म के सहयोगियों, प्रसंशकों और हिन्दी-कर्मियों की मदद से होता है।

कृपया इसमें भाग लेकर इंटरनेट पर हिन्दी लिखने-पढ़ने की परम्परा को समृद्ध करें।

जुलाई 2009 का यूनिकवि बनने के लिए-

१) अपनी कोई मौलिक तथा अप्रकाशित कविता 17 जुलाई 2009 की मध्यरात्रि तक hindyugm@gmail.com पर भेजें।

(महत्वपूर्ण- मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं के अतिरिक्त गूगल, याहू समूहों में प्रकाशित रचनाएँ, ऑरकुट की विभिन्न कम्न्यूटियों में प्रकाशित रचनाएँ, निजी या सामूहिक ब्लॉगों पर प्रकाशित रचनाएँ भी प्रकाशित रचनाओं की श्रेणी में आती हैं।)

२) कोशिश कीजिए कि आपकी रचना यूनिकोड में टंकित हो।
यदि आप यूनिकोड-टाइपिंग में नये हैं तो आप हमारे निःशुल्क यूनिप्रशिक्षण का लाभ ले सकते हैं।

३) परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, इतना होने पर भी आप यूनिकोड-टंकण नहीं समझ पा रहे हैं तो अपनी रचना को रोमन-हिन्दी ( अंग्रेजी या इंग्लिश की लिपि या स्क्रिप्ट 'रोमन' है, और जब हिन्दी के अक्षर रोमन में लिखे जाते हैं तो उन्हें रोमन-हिन्दी की संज्ञा दी जाती है) में लिखकर या अपनी डायरी के रचना-पृष्ठों को स्कैन करके हमें भेज दें। यूनिकवि बनने पर हिन्दी-टंकण सिखाने की जिम्मेदारी हमारे टीम की।

४) एक माह में एक कवि केवल एक ही प्रविष्टि भेजे।

यूनिपाठक बनने के लिए

चूँकि हमारा सारा प्रयास इंटरनेट पर हिन्दी लिखने-पढ़ने को बढ़ावा देना है, इसलिए पाठकों से हम यूनिकोड ( हिन्दी टायपिंग) में टंकित टिप्पणियों की अपेक्षा रखते हैं। टायपिंग संबंधी सभी मदद यहाँ हैं।

१) 1 जुलाई 2009 से 31 जुलाई 2009 के बीच की हिन्द-युग्म पर प्रकाशित अधिकाधिक प्रविष्टियों पर हिन्दी में टिप्पणी (कमेंट) करें।

२) टिप्पणियों से पठनीयता परिलक्षित हो।

३) हमेशा कमेंट (टिप्पणी) करते वक़्त समान नाम या यूज़रनेम का प्रयोग करें।

४) हिन्द-युग्म पर टिप्पणी कैसे की जाय, इस पर सम्पूर्ण ट्यूटोरियल यहाँ उपलब्ध है।

कवियों और पाठकों को निम्न प्रकार से पुरस्कृत और सम्मानित किया जायेगा-


१) यूनिकवि को शिवना प्रकाशन की ओर से रु 1000 की मूल्य तक की पुस्तकें तथा प्रशस्ति-पत्र।

२) यूनिपाठक को सुशील कुमार के पहले कविता-संग्रह कितनी रात उन घावों को सहा है की एक प्रति तथा प्रशस्ति-पत्र।

३) दूसरे से दसवें स्थान के कवियों को तथा दूसरे से चौथे स्थान के पाठकों को सुशील कुमार के पहले कविता-संग्रह कितनी रात उन घावों को सहा है की एक-एक प्रति।

कवि-लेखक प्रतिभागियों से भी निवेदन है कि वो समय निकालकर यदा-कदा या सदैव हिन्द-युग्म पर आयें और सक्रिय लेखकों की प्रविष्टियों को पढ़कर उन्हें सलाह दें, रास्ता दिखायें और प्रोत्साहित करें।

प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले सभी 'नियमों और शर्तों' को पढ़ लें।

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8 कविताप्रेमियों का कहना है :

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून का कहना है कि -

अच्छा काम कर रहे हैं भाई आप.

Manju Gupta का कहना है कि -

Hindi ko badava de rahe ho.Anjan pratibha ko plateform mil raha hai.
Badhayi.

Ambarish Srivastava का कहना है कि -

यूनिकवि तथा यूनीपाठक प्रतियोगिता के माध्यम से हिंदी को बहुत अच्छा प्रोत्साहन |

Sushil Kumar का कहना है कि -

आदरणीय शैलेश भारतवासी जी। हिन्दी साहित्य के लिये आपका अवदान सराहनीय और अन्य नेट पत्रिकाओं से बेहतर है।आप हिन्दी के उत्थान के लिये तप कर रहे हैं।मै तो बहुत प्रभावित हूं आपकी लगन से।

संगीता पुरी का कहना है कि -

सचमुच बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हें आप .. शभकामनाएं।

Shamikh Faraz का कहना है कि -

हिन्दयुग्म को हिंदी के प्रसार के लिए बधाई.

सदा का कहना है कि -

शैलेश जी, आपकी मैं बेहद आभारी हूं,क्‍योंकि इस बार 'सदा' का यूनिपाठक में नाम आना सिर्फ आपकी मदद से ही संभव हो सका है नहीं तो मैं हिन्‍दी में लिखना चाहकर भी नहीं लिख पाती, मेरे जैसे और अन्‍य पाठक हैं जिन्‍हें आपका सहयोग प्राप्‍त होता है आप जितनी लगन से अपना अमूल्‍य समय देते हैं उसके लिये एक बार फिर आपका शुक्रिया अदा करते हुये यह भी कहूंगी कि आपके इस प्रयास को सराहनीय ही कहा जाएगा, लेखकों एवं पाठकों के लिये हर माह प्रतियोगिता का आयोजन करते है और उन्‍हें प्रोत्‍साहित करते हैं।

Manju Gupta का कहना है कि -

सर्जनात्मकता को बढावा मिलता है

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